nakl ya akl-78 in Hindi Fiction Stories by Swati Grover books and stories PDF | नक़ल या अक्ल - 78

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नक़ल या अक्ल - 78

78

किडनैप

 

मुरलीधर ने दोनों को गौर से देखते हुए कहा, “हाँ अब बताओ, तुम यहाँ क्या कर रहें हो और मुझसे क्या काम  है?”

 

निहाल ने अब जवाब दिया, हमें इस जगदीश के घर जाना है।

 

पर क्यों? वह हैरान है।

 

क्योंकि मुझे लगता है, इस आदमी का पेपर लीक में बहुत बड़ा हाथ है। यह सुनकर उसे मानो झटका लगा, “नहीं तुम्हें कोई गलतफहमी हुई  है, ऐसा कुछ  नहीं है। यह तो बहुत शरीफ आदमी है, हमारी  चुनाव में  बहुत मदद कर रहें हैं।“

 

मुरली चाचा जो भी है, आप हमारी मदद कर दो, ताकि हमें  यकीन हो जाये कि यह निर्दोष है।

 

और अगर न करो  तो ??

 

सोच लीजिये, अगर यह पेपर कांड खुलता है तो जीत का सहरा आपके सिर भी चढ़ेगा और आपको चुनाव में फ़ायदा होगा ।

 

अब मुरली सोचते हुए बोला, "कल यह अपने परिवार के साथ किसी सांस्कृतिक कार्यक्रम में जा रहा है। तुम्हारे पास दो घंटे होंगे, इस बीच कुछ कर सकते हो तो कर लेना।“

 

मगर हम अंदर कैसे जायेगे, यह दरवाजा किसी कोड से खुलता है। नंदन ने पूछा।

 

“मैं पता करके बताता हूँ पर ध्यान रहें। घर में कैमरे है, उनसे बचकर रहना। अगर पकड़े गए तो पुलिस अफसर बनने का सपना, सपना ही रह जायेगा।“ मुरली  ने उन्हें घूरते हुए ज़वाब  दिया। “दोनों के चेहरे  के हावभाव बता रहें है कि वे लोग यह बात समझ गए हैं।“ अब मुरली  ने उन्हें कहा कि कोड का  पता चलते ही वह उन्हें मैसेज कर देगा। वह उसके वादे पर एतबार करकर, फ़िलहाल के लिए अपने कमरे में  वापिस चले गए। 

 

रिमझिम और विशाल  की नज़दीकियाँ  बढ़ती  जा रही है, वे दोनों  अक्सर घूमने जाते तो अपने साथ सोना को भी लेकर  चले जाते । रिमझिम को उसके साथखुश  देखकर एक दिन सोना ने कह दिया,

 

रिमझिम, विशाल तुझे पसंद करता है । रिमझिम ने कोई जवाब नही दिया तो वह कुछ सोचते हुए बोली, तू निहाल से प्यार करती है न? यह सुनकर रिमझिम की हैरानी का ठिकाना न रहा, एक बार राधा के मुंह से निकल गया था । सोना ने उसके  सवालियाँ चेहरे की तरफ देखकर जवाब दिया ।

 

“सोना!! निहाल मेरा बहुत अच्छा दोस्त है, हाँ, वो मुझे अच्छा लगता था पर मेरी चाहत दोस्ती तक ही सीमित है और कुछ नहीं, और वैसे भी मेरी ज़िंदगी का एक मकसद है।

 

मुझे पता है और एक दिन तू उसमें ज़रूर कामयाब होगी। सोना मुस्कुराई।

 

“तू निहाल से माफ़ी क्यों नहीं माँग लेती, तुझे भी पता है, उस दिन गलती तेरी भी थी।“

 

“और तुझे भी पता है, मैंने ऐसा क्यों किया, अगर उस दिन मैं वैसा  बयान नहीं देती तो समीर की निहाल से पक्की  वाली दुश्मनी हो जाती और इससे नुकसान निहाल को ही होता, पिछली बार याद है, अंकुश और राजवीर ने उसके साथ क्या किया था। वे लोग गुंडे है, निहाल के अपने सपने है, जिन्हें वह पूरा  करने के लिए जीतोड़ मेहनत  कर रहा है।“ सोनाली का चेहरा गंभीर है।

 

तभी तो कह रही हूँ, तुझे निहाल से बात करनी चाहिए।

 

फ़िलहाल मैं किसी से बात नहीं करने वाली, मैं बाजार जा रही हूँ, कुछ सामान खरीदना है। वह बैग उठाती हुई, कमरे से निकल गई। रिमझिम ने अपना ध्यान किताबों में कर लिया।

 

 

दूसरी और निहाल और नंदन बेचैन  हो रहे हैं, उन्हें अभी तक मुरली का मैसेज नहीं आया, निहाल ने गुस्से में  कहा,

 

“भाई !! सब के सब मिले हुए है, यह मुरलीधर भी हमें लॉलीपॉप देकर चला गया।“

 

“लग तो ऐसे ही रहा है, हमने इस पर बेकार में भरोसा कर लिया। उसने भी खींजते हुए ज़वाब  दिया” कि  तभी निहाल को मुरली का मैसेज  मिला और वे लोग कोड  देखकर  उछल पड़े। दोनों जल्दी से स्कूटर पर बैठे  और जगदीश के घर की तरफ दौड़ने लगे। उसके घर के बाहर  पहुँचकर उन्होंने देखा कि  वॉचमन  खड़ा है, इसे हटाने के लिए भी कोई तरकीब लगानी  पड़ेगी। निहाल  धीरे से बोला।  अब दोनों केमिस्ट की दुकान  पर गए और वहाँ  से बेहोशी  की दवाई लेकर  आ गए। निहाल वॉचमैन से पता पूछने लगा कि  तभी नंदन ने उसे पीछे  से बेहोशी से भरा  रूमाल  सूंघा  दिया। जैसे ही वह नीचे  गिरा निहाल ने कोड डाला और जल्दी से दोनों ने मंकी  कैप  मुँह पर डाल ली ताकि कोई पहचान न लें, फिर बेहोश पड़े वॉचमैन  को उठाकर  अंदर गलियारे  में लिटा  दिया और दरवाजा बंद कर  अंदर चले गए। अंदर के मुख्य दरवाजे पर लॉक है, जिसे निहाल ने अपने साथ लाई सुई से खोल दिया।

 

अंदर घुसते ही दोनों अंदर के ठाट देखकर  चकित है, नंदन बोला, “यार यह देख!! कितना कीमती सामान है।“ “चोरी करने नहीं आये हैं, हमारे पास सिर्फ दो घंटे है, जल्दी कर” और अब दोनों ने अच्छे से हर कमरे की तलाशी लेनी शुरू की। जिन अलमारियो पर लॉक था, उन्हें अपनी जादुई  सुई  से खोलने लगे। सब देखने के बाद, नंदन  थकहार कर मखमल  के सोफे पर लेटते  हुए बोला, “कुछ  नहीं मिला,” निहाल भी सोच में पड़  गया, ‘ऐसा तो हो नहीं सकता कि  कुछ भी न मिले,’ तभी निहाल की नज़र  सीढ़ियों  के पास बने स्टोर रूम में  गई।  “चल उधर देखते हैं,” स्टोर रूम  बंद  है और वह निहाल की जादुई  सुई  से भी नहीं खुला।

 

दरवाजा तोडना  पड़ेगा?

 

क्या!! नंदन हैरान  है। अब निहाल  रसोई से एक हथोड़ा  लाया और दरवाजा की कुण्डी  पर मारने लगा। काफी देर की मशक्तत के बाद, वह दरवाजा खुला, उसके अंदर बहुत से गत्ते के डिब्बे है, उसने उन्हें खोलकर देखना शुरू किया तो यह देखकर उन्हें हैरानी हुई कि अंदर उनके एग्जाम के प्रश्न पत्र है। साथ में कुछ कॉन्ट्रैक्ट पेपर है, जिसपर कुछ लोगों के नाम लिखें हैं और उनके नाम के सामने पैसे लिखे हुए हैं। “यार !!! इसमें तो दस लोगों के नाम है।“ अब एक नाम पढ़कर उनके पैरो तले ज़मीन खिसक गई। एक नाम उनके कोचिंग के सर ‘सुधांशु’  का भी है। “हरामखोर! हमसे भी पैसे लेता है और इनसे भी पैसे लेता है।“ नंदन गुस्से में बोला । अब उस पेपर पर शिक्षा मंत्री की स्टैम्प लगी देखकर वे दोनों चकित है। “इसका मतलब  इस प्रदेश का शिक्षा मंत्री भी मिला हुआ है, यानी यह पेपर बनकर मंत्री के ऑफिस जाता है और वही से लीक हो जाता है” निहाल की बात सुनकर नंदन भी बोल पड़ा, “इसका मतलब मंत्री के ऑफिस से पेपर निकलकर जगदीश के पास और फिर इनके चमचो यानी दिनेश और सुधांशु जैसे लोगों के पास पहुँचता है।“  “इस कांड में कॉलेज के प्रोफेसर भी शामिल है।“ निहाल ने एक नाम की तरफ ईशारा किया,  तभी उन्हें गाड़ी के हॉर्न की आवाज सुनाई  दी।

 

“चल जल्दी कर, वह आ गया।“ नंदन स्टोर रूम से बाहर रखी मंकी कैप लेकर आ गया और निहाल ने सभी पेपर, वहाँ रखी पॉलिथीन में डाले और बाहर की तरफ भागे,  मगर उन्होंने देखा गेट खुल  चुका  है, दोनों बगीचे में  लगे एक पेड़ के पीछे छिप गए, जगदीश ने वॉचमैन को बेहोश देखा तो  वह चिल्ला पड़ा और अंदर की तरफ भागा, उसकी पत्नी और बेटा भी अंदर की तरफ भागे। उनके अंदर जाते ही निहाल और नंदन बड़ी सावधानी से घर से निकल गए और बाहर खड़ी स्कूटर पर सवार हो गए। जगदीश ने घर की हालत देखी तो परेशान होकर फ़ोन घुमाने शुरू कर दिए।

 

निहाल, अब क्या करना  है? पुलिस के पास चले।  नंदन ने पूछा।

 

नहीं!!! पुलिस पर भरोसा नहीं कर सकते,  मीडिया के पास चलते  हैं।

 

तभी स्कूटर रुक गई, देखने पर पता चला तो पेट्रोल खत्म हो गया है।  जल्दी से दोनों स्कूटर घसीटकर पेट्रोल पंप पर ले आये। नंदन पेट्रोल डलवाने लग गया और निहाल सामने बनी जनरल स्टोर की दुकान पर  गया। पेट्रोल डालने के बाद, निहाल ने स्कूटर की डिक्की खोली और पेपर वहीं  रख दिए। अब दोनों मीडिया हॉउस  जा रहें हैं, तभी एक गाड़ी ने पीछे से उनकी स्कूटर को धक्का मारा और वे दोनों ज़मीन पर गिरे फिर कुछ आदमी गाड़ी से निकले और उन्हें पकड़ते हुए जबरदस्ती गाड़ी में बिठा दिया। निहाल और नंदन चिल्लाते रहें, मगर उनका मुँह बंद कर दिया गया। अब गाड़ी अनजान सड़कों पर दौड़ने लगी।