nakl ya akl-76 in Hindi Fiction Stories by Swati books and stories PDF | नक़ल या अक्ल - 76

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नक़ल या अक्ल - 76

76

कौन है गुनाहगार

 

सुनील की यह बात सुनकर सब सकते में आ गए, अब निर्मला ने उसकी आँखों  में  झाँकते  हुए पूछा,

 

बोलो !!! मैं सुन रही हूँ।

 

सुनील ने बिरजू और निहाल को देखा, फिर निर्मला की आँखों  में  देखता हुआ बोला,  “एक रात  के लिए अपनी बहन  सोना को मेरे पास भेज दें।“ निर्मला की गुस्से में  आँखे  लाल  हो गई तो वही निहाल ने उसकी गर्दन  दबाते  हुए कहा, “अपनी गन्दी  जुबान से सोना का  नाम मत लियो और हाँ  तलाक  तो तू  देगा, अगर तुझसे पेपर पर साइन   न करवाए तो मेरा नाम भी निहाल  नहीं है, अब दफा हो यहाँ से।“ उसने उसे छोड़ा तो वह फिर से बेशर्मगी  दिखाते  हुए कहने लगा, “निर्मला  सोच  ले, वरना सारी ज़िन्दगी लगी रहेगी  तो भी मुझसे छुटकारा नहीं मिलेगा।“  बिरजू उसे मारने  दौड़ा, मगर निहाल ने उसे रोक लिया और कुछ  ही देर में सब पुलिस स्टेशन से अपने घर की और रवाना हो गये।

 

घर पहुँचते ही निर्मला को सोना और गोपाल ने गले लगा लिया तो वहीं गिरधर मुँह लटकाए  चारपाई पर पसर गए।

 

निर्मला उनके पास बैठते हुए बोली, “आप मुझसे नाराज़  है?”

 

नहीं बेटा !! मैं शर्मिंदा हूँ कि मैं तेरे लिए अच्छा वर नहीं ढूंढ  पाया।

 

“दीदी वो तलाक दे देगा न?” सोना ने पूछा तो उसने उसे सुनील की कहीं बात बताई तो उसकी त्योरियाँ  चढ़  गई। कितना ज़लील  और गिरा हुआ इंसान है। सोना के मुँह से निकला।

 

वहीं दूसरी ओर जमींदार भी बिरजू पर चिल्ला रहें है, “तुमने यह नया शौक पाल लिया है।“

 

बापू, यह शोक  नहीं है, मैं निर्मला से प्यार करता हूँ और उसी से शादी करूँगा।

 

वो शादीशुदा है।

 

आपने उसका पति देख लिया न कितना गिरा हुआ इंसान है और मैंने आपको उसकी शर्त बताई थी न तलाक देने के लिए। अब ज़मीदार ने मुँह नीचे  कर लिया।

 

“भाई क्या शर्त है?” राजवीर की आवाज़ है। अब बिरजू ने उसकी कहीं बात बताई तो राजवीर भी गुस्से से उबलने लगा। बापू, आप अपने आदमियों को कहें, अभी जाकर उसकी हड्डी पसली तोड़ दें।

 

ओ! पागल कपूत !!! मामला पुलिस तक पहुँच गया है और उसकी कमिश्नर से जान पहचान है और वैसे भी हमें क्या करना है, यह हमारे घर का मामला नहीं है और बिरजू, तू बैठा रहेगा क्या उस छोरी के लिए?

 

हम अदालत जायेगे।

 

वहाँ भी इतनी आसानी से कहाँ फैसले होते हैं, उल्टा वो इतना कमीना है, तुझे और उस छोरी को बदनाम कर देगा। जज को लगेगा कि छोरी की सारी गलती थीं।

 

“जो भी है, मैं निर्मला से ही शादी  करूँगा।“  मधु ने सुना तो मुँह बना लिया।

 

बिरजू, यह तो नहीं हो पायेगा

 

बापू !! फ़िलहाल तो मैं शहर जा रहा हूँ, अपना कोर्स करने, आप उस रिश्ते को हाथ जोड़कर मना कर  दें।

 

बेशर्म औलाद!! बाप से हाथ जुड़वाएंगा। यह सुनकर बिरजू झेंप गया।

 

निर्मला ने सोनाली को शहर में  हुई लड़ाई के बारे में  बताया तो वह निहाल की बहादुरी और उसकी समय पर की गई मदद से बहुत खुश हुई। निर्मला उसे देखते हुए बोली, “निहाल तुझे बहुत प्यार करता है।“ वह शरमाकर वहाँ से चली गई तो निर्मला हँसने  लगी।

 

बिरजू एक दो दिन गॉंव  रहकर  वापिस शहर चला गया, अपनी नौकरी के साथ उसका कोर्स ज़ारी है। एक दिन मुनीम रामलाल ने हुक्का पीते  गिरधारी  चौधरी  को  कहा, “आप गिरधर से बात करें कि  अपनी छोरी को पीछे हटने के लिए कहे।“ “उसकी ज़रूरत  नहीं है, मुनीम, उस छोरी का पति तलाक  देगा नहीं  और यह शादी होगी नहीं, एक दिन दोनों खुद ही थक हारकर अलग हो जायेंगे।“ जमींदार  ने धुआँ आसमान में छोड़ते हुए कहा।

 

निहाल को बिरजू से दिनेश का पता मिल चुका  ही। नंदन और निहाल दोनों साए  की तरह  उसके पीछे  लगे हुए हैं।  वह कहाँ जाता है, क्या करता है। सब पता लगाने में लगे हुए हैं ।

 

चुनाव  भी नज़दीक आने वाले है, गॉंव में  चुनाव को लेकर हल्ला  मचा हुआ है। मुरलीधर लक्ष्मण प्रसाद की पत्नी सरला की तेरहवी में शामिल हुआ और सभी गॉंव वालों को सरला की तरह अंगदान  करने के लिए प्रेरित किया। तेरहवी खत्म होने के बाद निहाल, नंदन के पास शहर चला गया, जहाँ वह दिनेश पर नज़र रखें हुए हैं।

 

अब राधा भी अस्तपताल से घर आ गई, वह एक बार फिर सरला के जाने के गम का इज़हार करती हुई  फूटफुटकर रोने लगी। लक्ष्मण प्रसाद ने उसे समझाया,  “बहू क्यों रो-रोकर अपनी सेहत खराब कर रही हों। तू ठीक रहें, इसके लिए ही तो सरला ने अपने अंग दिए हैं। अब इस घर की जिम्मेदारी तेरे ऊपर है। राधा ने भी रोती आवाज में सिर हिलाते हुए कहा, “जी बापूजी !!!”

 

कुछ दिन बाद, किशोर राधा, काजल और लक्ष्मण प्रसाद  माँ की अस्थियाँ  गंगा में  प्रवाहित  करने चले गए, मगर नन्हें शहर रहकर ही दिनेश पर नज़र रखे हुए हैं।

 

रात का समय है, घड़ी  में  ग्यारह  बज रहें हैं । निहाल और नंदन पुलिस चौकी के बाहर  बैठे हुए है, अब नंदन उसके हाथ में चाय का गिलास थमाते  हुए कहता है,

 

“यार!! कितने दिन हो गए है ।  कुछ भी ऐसा  नहीं मिला जो हमें सही दिशा में ले जाए” 

 

“सब्र कर नंदन,  एक बात तो तय है कि  यह भी नकल से पास हुआ है।  पैसे तो इसने भी दिए होंगे, तभी यह राजवीर को पेपर दिलवा रहा है।“ 

 

“पर यह तो पुलिस चौंकी  से घर और घर से पुलिस चौंकी ही जाता नज़र आ रहा है।“ अब निहल की नज़र घर से निकलते दिनेश पर गई जो अपनी स्कूटी से कहीं जा रहा है तो उन्होंने अपनी भी स्कूटर उसके पीछे लगा दी।  कुछ देर बाद वह एक फैक्टरी के अंदर गया तो वह दोनों भी नज़र बचाते हुए अंदर चले गए।  वह एक  कमरे में  गया और दरवाजा बंद कर लिया, मगर उसने अंदर से कुण्डी  नहीं लगाई।  निहाल ने बिलकुल  हल्का सा दरवाजा खोला और उसकी बातें सुनने लगा, जिससे वो बात कर रहा है, उसकी पीठ निहाल की तरफ है। 

 

दिनेश !!! तुम संभलकर रहना, मुख्यमंत्रीजी के ऑफिस से जाँच के सख्त आर्डर आये हुए हैं।

 

सर, यह हमेशा होता है। 

 

हाँ लेकिन इस बार स्टूडेंट धरने पर है। 

 

अब उस आदमी ने मुँह पलटा तो निहाल को उसका चेहरा नज़र आया, उसे देखते ही उसे झटका लगा, उसके मुंह से निकला, “यह भी पेपर लीक में शामिल है ??”