nakl ya akl-66 in Hindi Fiction Stories by Swati books and stories PDF | नक़ल या अक्ल - 66

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नक़ल या अक्ल - 66

66

बेवफाई

 

सुधीर ने हरीश को घूरते हुए फिर पूछा, “साँप  सूंघ  गया क्या !!”  “यहाँ क्या कर रहा है ? और छत  पर क्यों जा रहा है? “ “साहब खेतों के लिए औज़ार लेना आया था। भाभी  जी ने कहा, छत पर देख  लो, इसलिए ऊपर जा रहा था।“ बोलते हुए उसकी जबान लड़खड़ा रहीं  है। सुधीर ने मधु की तरफ देखा तो उसने नज़रे नीची  रखते हुए कहा, “मुझे क्या पता कहाँ है, औज़ार, मैंने कहाँ छत पर देख लो।“  “छत पर कुछ नहीं है, वो पीछे वाले कमरे में  रखें हैं, मैं कल सुबह  ले आऊँगा।“ “जी हज़ूर! यह कहकर वह चला गया।

 

सुधीर ने बापू को सोते हुए देखा तो वह उन्हें हिलाते हुए बोला, “बाबू जी अंदर कमरे में जाकर सो जाये। उनकी आँख खोली तो वह बोले, “पता नहीं, कैसे नींद आ गयी। अच्छा सुन !! तेरी नानी का फ़ोन आया था, दमयंती  को कल घर लेकर  आ  जाइओ। स्कूल  खुल चुके  हैं। उसके स्कूल के मास्टर उसके बारे में  पूछ रहें थें।“ उसने हाँ में सिर  हिला दिया और अंदर कमरे में चला गया। मधु खाना बनाते समय सोच रही है, “आज तो बच गए, मगर  इस हरीश से कैसे जान छुड़ाऊँ।“

 

सोनाली ने अपने जन्मददिन का केक काटा और फिर सभी को उसने केक खिलाया। रिमझिम ने विशाल को उससे मिलाया तो उसने भी सोना को जन्मदिन  की बधाई  दी। अब वेटर ने टेबल पर खाना लगाना शुरू कर दिया और सब बैठकर खाना खाने लगें। सोनाली ने धीरे से रिमझिम से पूछा, “क्या निहाल सचमुच नहीं आने वाला?” “अगर आना होता तो हमारे साथ न आ जता।“ सोना ने  मुँह बना दिया। समीर सोना को खाने का कौर खिलाते हुए बोला, “तुम जियो  हज़ारों साल, साल के दिन हो पचास हज़ार।“ उसकी हरकतों से साफ़ लग रहा है कि  उस पर दारू  का नशा हावी हो गया है। राजवीर भी उसका देखी उसे कुछ खिलाने लगा तो उसने उसे रोकते हुए कहा, “मैं खुद खा लूँगी।“ रिमझिम ने गुस्से से राजवीर को घूरा तो वह झेंप गया। म्यूजिक चल रहा है, वे लोग हँसते बतियाते खाना  खा रहें हैं।  विशाल भी अपने दोस्तों  के साथ एक टेबल पर बैठा हुआ, बीच-बीच में वह रिमझिम को देख लेता है। उसे रिमझिम बड़ी प्यारी लग रही है। उसके दोस्तों ने उसे छेड़ते  हुए कहा, “क्या बात है !! लगता है, वह दोस्त से कुछ ज़्यादा  ही है ।“ “नहीं यार!! बस दोस्त है।“ उसने भी झेंपते हुए ज़वाब दिया। ,

 

 

रात के नौ  बज रहें हैं। गॉंव में  सन्नाटा हो चुका  है। बिरजू और निर्मला अपनी-अपनी छत पर सोने की  कोशिश कर रहें हैं। तभी गोपाल भी छत पर आ गया और उसके साथ वाली चारपाई पर लेट गया।

 

आज तू छत  पर कैसे आ गया ?

 

नीचे कमरे में  नींद नहीं आ रही थी, वैसे भी सोना के बिना घर कितन सूना-सूना लगता है।

 

हाँ वो तो है।  निर्मला ने करवट बदल लीं।

 

दीदी बापू  ने मेरे रिश्ते की बात चलाई  है।

 

अच्छी  बात है!!! उसने बिना उसकी तरफ देखे ज़वाब दिया।

 

“पूछोगे, नहीं कौन  है?” उसने कोई ज़वाब नहीं दिया तो वह ख़ुद  ही बोल पड़ा,” राधा की छोटी  बहन  सुमित्रा।“ उसने  लम्बी गहरी साँस ली और बोली, “कम से कम तेरे लिए तो बापू ने ढंका रिश्ता  ढूंढा है।“

 

“दीदी, मैं आपके साथ हूँ।“ उसके मुँह से यह सुनकर उसने जल्दी से पलटकर उसे देखा और  मुस्कुराने लगी।

 

अब रिमझिम ने घर चलने की बात की तो सोना ने कहा, “थोड़ी  देर और रुकते हैं।“ सब लोग फिर डांस  फ्लोर पर आ गए। नशे में धुत्त समीर ने एक गिलास और उठाया और सोना के आसपास डांस करने लगा। अब राजवीर भी वही आ गया, उसने भी सोना को घेर लिया। “सोना मैं तुम्हें बहुत पसंद करता हूँ, मुझसे शादी करोगी?”  “तुम नशे में  हो, समीर?” सोना ने हँसते हुए जवाब दिया, अरे!! फिर तुम भी पियो न, क्यों राज?” “हाँ सोना पियो, आज तुम्हारा बर्थडे है, आज तो बनती है।“ अब दोनों उसे ज़बरदस्ती शराब पिलाने लगे। सोना ने उन्हें पीछे करने की कोशिश की, मगर वह नहीं माने, तभी एक हाथ ने दोनों को सोना से अलग किया और मजबूती से उसे वहॉं से ले जाने लगा। सोना ने देखा कि  वो और कोई नहीं बल्कि निहाल है। इससे पहले वह कुछ और बोलती, समीर ने सोना को अपनी तरफ खींचते  हुए कहा, “तेरी हिम्मत कैसे हुई, मेरी सोना को हाथ लगाने की?” निहाल को देखकर, अब बाकी सभी  दोस्त भी वहीं  आ गए।  निहाल ने उसे धक्का मारते  हुए कहा, “ओह नशेड़ी दफा हो यहाँ से”  समीर के डांस फ्लोर पर गिरते ही उसके दोस्त अजय और विजय भी वही आ गए, अब  राजवीर और रघु ने भी निहाल को घेर लिया।

 

“नन्हें,  चुपचाप निकल यहाँ से, इसी में  तेरी भलाई है। राजवीर गुस्से में बोला।

 

“चलो सोना !!’ उसने सोना की तरफ देखा और फिर सोना का हाथ पकड़कर उसे बाहर  ले जाने लगा। रिमझिम और नंदन भी उसके पीछे  चल दिए। समीर को गुस्सा आ गया । वह भागता हुआ आया और नन्हें को उसने पीछे से ज़ोरदार घूँसा रसीद कर दिया। राजवीर भी उसे मारने लगा तो निहाल ने एक ज़ोरदार थप्पड़ उसके मुँह पर जड़ दिया तो वह ज़ोर से बोला, “मारो इसे !!!” अब लड़ाई शुरू हो गई।  नंदन भी ज़ोर से चिल्लाते हुए बीच में  कूद  पड़ा। क्लब  में  हंगामा मच गया । माधुरी  और नंदा  तो वहाँ  से चम्पत  हो गए । सोनाली और रिमझिम वही खड़े चिल्लाते रहें,” निहाल रहने दो! राजवीर छोड़ो उसे!! नंदन रुक जाओ।“ बस ऐसे ही वे उन्हें रोकने की कोशिश करती रहीं।

 

जब कोई भी रुकने को तैयार  न हुआ तो क्लब के मैनेजर ने जल्दी से पुलिस को फ़ोन लगा दिया और फिर कुछ  देर बाद, सभी पुलिस स्टेशन में खड़े नज़र आये। निहाल ने पुलिस को बोला, “सर इन लड़कियों  को जाने दे, इनकी कोई गलती नहीं है।“  पुलिस वाले ने निहाल ने घूरते  हुए कहा,

 

“इनकी गलती यह है कि  यह तुम्हारे साथ है।“  अब इंस्पेक्टर ने सोनाली को ऊपर से नीचे तक घूरा और फिर उससे पूछा, “तुम बताओ, क्या हुआ था?” “सर मैं बताती  हूँ ।‘  “मैंने तुमसे पूछा!!!” उसने रिमझिम को डाटा तो उसने मुँह नीचे  कर लिया। अब उसने हिचकते हुए सारी बात पुलिस वाले को बता दी। “इसका मतलब? तूने लड़ाई शुरू की?” उसने समीर को एक थप्पड़ रसीद कर दिया।“ सर, यह निहाल सोना  के साथ ज़बरदस्ती  कर रहा था इसलिए मैंने इसे मारा।“  अब इंस्पेक्टर सोना को देखते हुए बोला, “मिस सोना!!! यह समीर क्या कह रहा है?” “सर मैं खुद मैनेज कर लेती, निहाल बेकार में ही बीच में  आ गया।“  सोना के मुँह  से यह सुनकर निहाल को लगा कि यह वो गॉंव की सोनाली नहीं है, वह तो गॉंव में ही रह गई है।  इस बेवफाई  की उसे सोना से उम्मीद नहीं थीं।