nakl ya akl-62 in Hindi Fiction Stories by Swati books and stories PDF | नक़ल या अक्ल - 62

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नक़ल या अक्ल - 62

62

कोचिंग

 

मधु उस पर चिल्लाकर बोली, हरीश क्या कर रहे हो?  हरीश  ने गुस्से में  दाँत  भींचते  हुए कहा,

 

क्या बात है, जब भी बुलाता हूँ कोई न कोई बहन बना देती है। 

 

डॉक्टर ने मुझे चलने फिरने के मना  किया है, उसने दबी आवाज में  कहा तो उसने उसे छोड़ दिया और बालों में  हाथ फेरते हुए बोला,

 

यह ड्रामा कब तक चलेगा?

 

जब अगली बार डॉक्टर के जाऊँगी, तब जाकर पता चलेंगा।  उसने बीज उठाए और वहाँ से चला गया।   मधु ने चैन की सांस लीं ।  “उषा सही कहती है, मुझे इससे जान छुड़ानी ही पड़ेगी।“  उसने पानी का गिलास पीते  हुए कहा। 

 

सोनाली का बापू गिरधर चारपाई पर बैठकर हुक्का पी रहा है।  सोनाली उसके पास आई और बोली,

 

बापू मुझे आपसे कुछ कहना है?

 

उसने उसे घूरा और बोला, कहो तुम भी कहो, आजकल मैं वैसे भी दूसरों की सुन रहा हूँ।  उसने मुँह बनाते हुए ज़वाब  दिया।  

 

सोनाली ने बड़ी हिम्मत करकर  कहा,  “मैं भी कोचिंग लेना चाहती हूँ।“ 

 

क्या मतलब ??

 

मैं भी नन्हें और नंदन  की तरह शहर  जाकर पढ़ना चाहती हूँ। 

 

दिमाग ठीक है, तुम्हारा ? वो लड़के है।  

 

तो?? रिमझिम भी तो गई है।

 

मेरे से बहस मत करो। मैं इसकी इज़ाज़त  नहीं दे सकता।   उन्होंने साफ़ इंकार कर दिया। 

 

बापू  मैं वहाँ  अकेली थोड़ी न होगी रिमझिम के साथ जाकर रहूँगी  और वहां से कोचिंग दूर  भी नहीं है। 

 

तुम्हें यही रहकर कोई कोचिंग मिल रही है तो ठीक है, पर वहाँ जाने की मंजूरी मैं नहीं दे सकता ।   अब उसने हाथ उठाकर मना कर दिया तो वह मनमसोस कर चली गई।  

 

निर्मला और बिरजू का प्यार परवान चढ़ रहा है।  दोनों पहले कंप्यूटर क्लॉस  में मिलते हैं, फिर शाम को दोनों  वहीँ अस्तबल में मिलकर अपने तन और मन की प्यास को शांत कर लेते हैं। ज़िन्दगी में  आए इस रोमांच से दोनों ही खुश है।  बिरजू  की बाँहो  में  समायी  निर्मला ने कहा,  “बिरजू  हमारे  रिश्ते  को यह समाज  कभी भी स्वीकार  नहीं करेगा।“

 

“भाड़ में  जाये  यह समाज!!” तुम बस एक बार उस सुनील से तलाक  ले लो, उसके बाद मैं अपने बापू से बात करूँगा, अगर माने  तो ठीक वरना में तुम्हें यहाँ से बहुत दूर ले जाऊँगा।“ उसने उसके माथे को चूमते हुए कहा।  

 

मैंने बापू से कई बार इस बारे में बात की पर वो कोई जवाब ही नहीं देते। पता नहीं उनके मन  में  क्या  चल रहा है।

 

कुछ दिन और देख लो, वरना  मैं किसी वकील का इंतज़ाम  करता हूँ।“  उसकी बात सुनकर निर्मला ने बिरजू को गले लगा लिया।  

 

कोचिंग  में  क्लॉस  खत्म  होने के बाद सोनिया कोचिंग से बाहर निकल रही है, तभी समीर ने उसका रास्ता  रोकते हुए कहा, “सोनिया कभी हमसे भी कुछ पूछ लिया करो ।  क्या सिर्फ उस निहाल को ही निहाल करने का ईरादा  है!!!”

 

“तमीज़ से बात करो और मुझसे दूर रहो समझे, वरना मैं सर को शिकायत कर दूँगी।“   यह सुनकर समीर और उसके दोस्त पीछे हट गए और वह बाहर खड़े निहाल के पास जाने लगी। अजय ने चिढ़ते  हुए कहा, “इसके चाहने वाले तो बढ़ते जा रहें हैं, उसका ईशारा उन लड़कियों  की तरफ  है, जो निहाल को घेरकर खड़ी  है।“

 

सोनाली सोमेश के साथ नदी किनारे बैठी, बात कर रही है। उसने बुझे मन से कहा,

 

मेरा तो अब कहीं दिल नहीं लगता।

 

हाँ सोना दीदी, आपका दिल तो निहाल भैया साथ ले गए हैं।  यह कहकर वह ज़ोर से हँसा। 

 

मैं रिमझिम की बात कर रही हूँ, उसने चिढ़ते हुए जवाब दिया।  

 

वैसे आजकल राजवीर भैया भी कहीं दिखाई नहीं देते?

 

मुझे क्या पता, वो भी कुछ न कुछ कर ही रहा होगा।  

 

आप क्यों नहीं वहाँ चली जाती, आपके बापू के पास भी बहुत पैसा है।  

 

“पैसे से क्या होता हैं, बापू माने भी तो सही।“ उसने मुँह बनाते  हुए कहा।  सोमेश कुछ देर तक सोचता रहा और फिर उसके कान में धीरे से कुछ बोला।  

 

इस तरक़ीब से बापू मान जायेंगे। 

 

कोशिश करने में क्या जाता है। अब दोनों मुस्कुराने लगें।

 

रात के समय निहाल और नंदन एक ढाबे में बैठकर खाना खा रहें हैं । अक्सर ऐसा ही होता है, कुछ दिन घर का खाना खाने के बाद, उन्हें बाहर के खाने का मन  करता है। नंदन ने एक रोटी का निवाला मुँह  में डालते हुए कहा,” हमें  भी बाहर के खाने की लत लग गई  है।“

 

इसमे तेरी गलती है,  तुझसे खाना बनता नहीं और मैं सुबह शाम का खाना बनाकर थक जाता हूँ।

 

“यार!! तेरे घरवालों ने तुझे सब सीखा दिया है। मुझे तो मेरी बहनों ने काम ही नहीं करने दिया। चलो अच्छा है, सोना को आसानी होगी,” उसने हँसते हुए कहा।

 

यार सोना की भी याद आती है। काश!!! वो भी यहाँ आ सकती।

 

उसके बापू  नहीं मानेगे !!! नंदन ने प्याज़ का टुकड़ा मुँह  में  डालते  हुए कहा।

 

तभी उन  दोनों के पास समीर और अजय आकर बैठ गए, दोनों उसको देखकर हैरान हुए। “सोनू !! हमारे लिए भी दाल फ्राई और तंदूरी रोटी।“

 

“और निहाल हम भी तेरे साथ ही खा लें।“ निहाल ने ख़ुशी से सिर हिला दिया। अब समीर ने सोनू से दारू  भी मंगवाई तो वह एक बोतल के साथ दो गिलास वही रख  गया। समीर उन दोनों के गिलास में भी दारू  डालने लगा तो उसने मना  किया, “नहीं यार !! हम  नहीं पीते।“ “अरे !! पैसे तो मेरी जेब से जा रहे हैं,” “बात  पैसो  की नहीं है। हम नहीं  पीते।“ नंदन ने भी ना में सिर हिलाया। तभी निहाल बोला, “हमारा तो हो गया, तू आराम से खाना खा।“ अब उन्होंने सोनू को बिल दिया और वहाँ से उठकर  चले गए। “डरपोक कहीं का!!!” समीर शराब का एक घूँट भरते हुए बोला।

 

सोनाली रिमझिम के नाना नानी से मिलकर वापिस घर की ओर जा रही है। तभी उसने देखा कि उसकी दीदी किसी को मुस्कुराका देखते हुए हाथ हिला रही है। उसकी दीदी तो जल्दी जल्दी घर चली गई।  मगर सोना से रहा नहीं गया और वह उस ओर जाने लगी जहाँ से दीदी आ रही थी, उसने वहाँ जाकर देखा तो वह बिरजू अपने घर की ओर  जा रहा है। “यह दीदी  और बिरजू भैया के बीच में  क्या चल रहा है।“ यह सोचते हुए उसके माथे पर बल पड़  गए।

 

अगल दिन कोचिंग में सभी स्टूडेंट्स आकर बैठ गए हैं, सर ने पढ़ाना शुरू कर दिया, तभी एक स्टूडेंट  के आने से क्लॉस में पढ़ाते सुधांशु सर का ध्यान भंग हुआ, निहाल ने देखा तो उसकी आँखे हैरानी से बड़ी हो गई, “यह यहाँ?” वह बोला।