Bekhabar Ishq - 19 in Hindi Love Stories by Sahnila Firdosh books and stories PDF | बेखबर इश्क! - भाग 19

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बेखबर इश्क! - भाग 19

अपने केबिन में इधर से उधर टहलते हुए उसे आधा घंटा ही बीता होगा कि उसी पल केबिन का दरवाजा खुल,बाहर से विवेक ने अपना सिर अंदर घुसाया और इशांक की ओर मुस्कुराते हुए देख बोला......"एक आइडिया तो है,अगर गुस्सा ना हो तो बताऊं!"

उसके सवाल पर जवाब देने के बजाए इशांक ने उसे घूरा उसी पल हर्षित ने भी अपना सिर अंदर की ओर धकेला और बोला....."क्यों ना आप मिस कनीषा के साथ मिल कर उन्हे एक साल की दुल्हन बनाने के लिए मना ले,मेरा मतलब है....यही एक रास्ता है,इसके अलावा कोई और रास्ता नही है,ऊपर से वक्त भी कम है, प्लीज आप दिमाग से काम लीजिए।।"

उन दोनो की बात सुन इशांक मुस्कुराया जिसे देख विवेक और हर्षित के चेहरे पर राहत नजर आने लगी,,एक दूसरे को हंसते हुए देख वो बधाई देते,उससे पहले ही इशांक फिर से चिल्लाया....."दोनो चहते हो मैं उस लड़की के पास जा कर गिड़गिड़ाऊं,ऐसा कभी नही होगा, इशांक देवसिंह आज तक किसी के सामने नहीं झुंका,तुम दोनो में से किसे ये आइडिया पहले आया था?"

इशांक के पूछने के तरीके को देख विवेक ने कहा...."दोनो को साथ ही आया था,लेकिन अब क्या कर सकते है,आप दोनो ने पहल ही साइन कर दिया है,जब किस्मत ही यही चाहती है,तो आप इसे रोक देंगे क्या,आप उनसे बात तो कर के देखिए,आप जैसे फेमस और परफेक्ट आदमी से शादी करने के लिए कौन लड़की नही मांगेगी,आपके चेहरे पर जो चार्म है वो तो स्पेन के प्रिंस के चेहरे पर भी नही होगा।।"

दरवाजे की ओर बढ़ उसे बंद कर करने के लिए दबाव देते हुए इशांक ने कहा...."मुझे बेवकूफ समझा है,तुम्हे लगता है,मैं तुम्हारी बातों में फस जाऊंगा,मैं कभी उसे मिलने नही जाऊंगा,अब जाओगे या इसी दरवाजे में तुम दोनो का गर्दन दबा दूं!"

"नही रहने दो,हम जाते हैं!"....कहते हुए विवेक ने हर्षित ने जबरदस्ती दरवाजा खोला और बाहर चले गए।।
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शाम सात बजे:–

एक रेस्टोरेंट के बीचों बीच टेबल पर इशांक बड़ी ही गंभरीता और तनाव के साथ बैठा था,उसके हाथ वाइन के गिलास पर कसे हुए थे और हर एक मिनट बाद वो उस गिलास को अपने होंठो तक उठा लेता था,पीछे टेबल पर पीठ फेरे दो और लड़के बैठे थे,रात का पर होने के बावजूद भी दोनो के आंखो पहर काला चश्मा लगा हुआ था,और दोनो ने चेहरे पर मास्क पहन हुआ था,एक दूसरे से लग कर बैठे दोनो हर दो सेकेंड बाद पीछे घूम कर इशांक पर नजर बनाए हुए थे,तभी उनमें से एक फुसफुसाया....."मत देखो बार बार,उन्हे शक हो जायेगा,इतनी मुश्किल से तो वो माने हैं, मिस कनिषा से मिलने के लिए,दिन भर में इतनी बार उनके कंधे दबाए की मेरी कलाई में दर्द हो गया है।।

"विवेक!क्या तुम्हे लगता है,इनसे मिलने के बाद वो शादी के लिए मानेगी,सकल से खडूस नही लगते".....दूसरे ने कहा।।

"हर्षित मेरे भाई,बड़े बुजुर्ग कह गए है,जो आदमी शुभ शुभ ना बोले,उसे किसी कुआ में फेंक आना चाहिए,अपने साथ ऐसा ही कुछ चाहते हो क्या?शुभ शुभ बोली वरना हम दोनो तो गए काम से,किसी भी हालत में मिस कनिषा को मानना ही होगा!"......

दूसरी ओर कनिषा को ऑफिस की ओर से कॉल कर मिलने बुलाया गया था,इसलिए आते ही उसने  रिस्टोरेंट में अपनी नजरे दौड़ाई,एक चेयर पर इशांक को बैठे देख पहले उसने कई गहरी सांसे भरी और फिर जा कर उसके सामने खड़ी होते हुए बेसलिका  से बोली.....
"ऑफिस का काम ऑफिस हॉर्स में नही करते क्या आप,मुझे रात के इस वक्त मिलने क्यों बुलाया,जल्दी बोलिए ,मुझे हॉस्टल भी लौटना है,इससे पहले वार्डन गेट बंद कर दे,और मुझसे डिनर या ड्रिंक ऑर्डर करने के लिए कहिएगा मत,क्योंकि मैं खा कर आई हूं,ज्यादा फॉर्मल होने की जरूरत भी नहीं है"

"बैठ जाओ".... इशांक ने उसकी ओर बिना देखे कहा।।

इशांक के ठीक सामने की कुर्सी को खीच कर उस पर बैठते हुए कनिषा ने इशांक के हाथ में पकड़े वाइन को देखा और होंठ भींचते हुए खुद में बड़बड़ाई...."कितना अजीब है,लड़की से मिलने आया है,और वाइन पी रहा है,आखिर ये दिखाना क्या चाहता है!"

वाइन का एक और घुट अपने गले से नीचे उतारते हुए इशांक ने सीधे कनिषा की आंखो में देखा और बिना बात को घुमाए बोला....."मैं चाहता हूं की तुम मुझसे शादी कर लो"



"क्या".... कनिषा के सोच से उलट जब इशांक शादी की बात की, सामान्य से अधिक तेज आवाज में कनिषा ने पूछा, हालांकि अगले ही पल उसने अपनी आवाज धीमी कर दी...."कहीं आपको पहली नजर का प्यार तो नही हो गया ना,जब हम मिले थे!"....कुर्सी से उठ कर अपने हाथ हवा में लहराते हुए उसने फिर से कहा...."देखिए मैं बिल्कुल भी इंटरेस्टेड नही हूं।।"


कनिषा की ओर गंभीरता से देखते हुए इशांक ने कहा...."खुद को कुछ ज्यादा ही नही समझ रही हो, सच में शादी नही करनी,ये एक साल का कॉन्ट्रैक्ट होगा,बस तुम्हे एक्टिंग करना।।

"एक्टिंग".....कहते हुए कनिषा तल्खी से हंसी और फिर नीचे झुक कर फर्श पर कुछ ढूढने लगी।।

"क्या ढूंढ रही हो?"....इशांक ने उसके झुके हुए शरीर को निहारते हुए पूछा,जिस पर कनिषा बेझिझक खड़ी ही और हंसते हुए बोली....."आपका दिमाग जो शायद यही आस पास गिर गया होगा,या कहीं अपने महंगे कार में तो नही छोड़ आए ना!"

"बकवास बंद करो,और चुप चाप बैठ जाओ,मेरे पास और कोई चारा नहीं है,,तुम्हारी हड़बड़ी और अंधेपन के कारण आज मैं इस मुसीबत में फंसा हूं!"....इतना कह इशांक ने अपने बगल में रखे फाइल को कनिषा को ओर सरका दिया...."अगर इस पर साइन नही किया होता,तो तुम्हारी जगह कोई और बैठी होती यहां, खोलो उसे!"

"क्या है ये?"....पूछते हुए कनिषा ने फाइल खोला तो उसे एक मैरेज कॉन्ट्रैक्ट दिखा जिस पर अपना साइन देख,उसका मुंह खुला का खुला रह गया,,सदमे कारण उसके पैर खड़े ना रह सके और अगले ही पल वो वापस चेयर पर बैठ गई,उसके एक्सप्रेशन देख इशांक को लगा जैसे अब कनिषा को डराना आसान हो जायेगा।।

हालांकि की वो कुछ कहता उससे पहले ही कनिषा आंखे फाड़े बोली....."कितना अच्छा कॉपी की है,मेरी सिग्नेचर की,,किसी प्रोफोशनल से करवा कर मुझे बेवकूफ बनाने आएं हैं।।"

"ये तुमने ही किया है....आज मेरे ऑफिस में".... इशांक ने कहने से पहले वाइन के गिलास को टेबल पर रख दिया।।

"मैं ऐसी गलती कर ही नहीं सकती!....

"आज ऑफिस में आते हुए,तुम मेरे लॉयर से टकराई थी,उसी वक्त तुमने अपनी बेवकूफी से पेपर बदल लिए थे,और लीगली मेरी वाइफ बन बैठी,मैं तुम्हे प्यार से समझाने आया हूं,मान जाओ....वरना इस कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर तुमसे जबरदस्ती शादी के करने लिए मुझ पर कोई करवाही नही होगा।।".....

इशांक की धमकी जैसी बातों से कनिषा एक पल के लिए डर गई,,हालांकि उसने जाहिर ना किया और दूसरे ही पल   टेबल से फाइल को मार कर नीचे गिरा दिया....."आप मुझे डराने आए हैं...तो भूल जाइए,मैं इस कॉन्ट्रैक्ट मैरेज को नही मानती,और ना ही मैं इस बकवास में आपका साथ देने वाली हूं,समझे आप....कोई दूसरी लड़की को ढूंढ़ लीजिए और इस कॉन्ट्रैक्ट को कचड़े में फेंक दीजिए।।"

इतना कह कनीषा ने गुस्से में अपना बैग पकड़ा और उसे लेकर रेस्टोरेंट के बाहर चली गई,वहीं इशांक बिना हिले डुले बैठा चुप चाप गुस्से को दबाते हुए ड्रिंक करता रहा।।
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सुबह कनिषा अपने हॉस्टल से कॉलेज के लिए निकली,उसे दूर से ही इशांक ने पहचान लिया,अपनी कार से निकल कर उसने अपने सेट बालों में हाथ लगाया और थोड़ा सिर झुंकाए चलने लगा।।

अचनाक अपने सामने कनिषा ने जब इशांक को देखा,उसने अपने चेहरे को हाथ में पकड़े किताब के पीछे छुपा लिया और एकदम से रास्ता बदल कर चलने लगी,उसे ऐसा करता देख इशांक ने भी जल्दी से उसके पीठ पर लेट बैग को पकड़ा और सपाट लहजे में बोला....."हमे आज शाम तक पूरे रिचुअल के साथ शादी करना है,तुम्हारी बेवकूफी के कारण मैं अपना रिवेंज नही छोड़ सकता।।"

अपने पूरे शरीर को इशांक के पकड़ के विपरीत खींचते हुए कनिषा बड़बड़ाई......"ओह गॉड किस मुसीबत में फस गई"....कहते हुए उसने खुद को इशांक की ओर मोड़ा और मासूमियत से पलकों को झपकाते हुए बोली...."मिस्टर सीईओ!आपको मेरी जैसे मामूली लड़की से इतना प्यार हो गया है,की...आप शादी के लिए प्रपोज कर रहे है,मानती हूं की मैं सुंदर हूं और मुझे प्यार करना बहुत आसान है,लेकिन मैं आपसे शादी करने में बिल्कुल इंट्रेस्डेट नही हूं,पहले मुलाकात से ही आप मुझे पसंद नही है,आपकी सकल नही देखनी मुझे।।"

इतना कह कनिषा वहां से जाने के लिए मुड़ी तभी उसकी नजर अपने रूममेट्स पड़ी जो एक दूसरे से बाते करते हुए उसी ओर आ रही थी,फिर से अपने चेहरे को किताब के पीछे छुपाते हुए वो इशांक की ओर पलटी और उसके आगे हाथ जोड़ बोली...."मेरा बैग छोड़िए मेरी दोस्त आ रही है,वो हमारे बारे में कुछ भी सोचने लगेंगी,वैसे ही उस वीडियो की वजह से बहुत पंगे हो चुके हैं"

"कुछ देर पहले मुझसे शादी नही करना चाहती थी,मेरी सकल नही देखनी थी तुम्हे,तो फिर से सब क्या है?".... इशांक ने पूछा,जिस पर कोई ध्यान ना देते हुए कनिषा ने अपने सिर को हल्के से घुमा कर पीछे देखा,उसकी दोस्त अब वहां नही थी,जिसे देख उसे थोड़ा राहत मिली और अगले ही पल उसने अपना हाथ नीचे कर लिया...."हां!नही देखनी,आपकी सकल अपनी लाइफ में कभी नही देखनी,और शादी का तो चांस ही नही है, राई के दाने जितनी भी नही,इसलिए मैं वार्निंग दे रही हूं की दुबारा मुझसे शादी के लिए मत कहना,,, ओके,,बाय"....इतना कह कनिषा ने अपने बैग को कंधे से उतार और इशांक की पकड़ से उसे खींच कर अलग करते हुए जाने लगी।।

"मैं तुमसे शादी कर के रहूंगा,तुम अगर सीधे से नही मानती तो मैं उस कॉन्ट्रैक्ट तोड़ने के पेलेंटी के तौर पर तुमसे चार गुणा अधिक पैसे लूंगा"..... इशांक अकड़ते हुए बोला।।

"क्या?"....उसकी बात सुन कनिषा रुकी।।

"मैं स्मार्ट हूं, मिलीनियर हूं और फेमस भी,अगर तुम मुझसे शादी करती हो तो,मैं तुम्हे पैसे भी दूंगा,फिर बताओ मुझमे ना पसंद क्या है?".....

थोड़ी देर की चुप्पी के बाद इशांक को तिरछी निगाह से घूरते हुए...."हर एक चीज से,मुझे आपका ये अच्छे बनने का नाटक और डबल पर्सनलटी से बहुत चिढ़ होती है,ऊपर से ये मोनोनीकस डायनासोर जैसा चेहरा.....

"मोनोनीकस डायनासोर...सीरियसली?"...... इशांक ने हैरानी से कहा,तभी दोनो के कानो मे किसी के हंसने की आवाज पड़ी,पीछे पलटने पर दोनो ने विवेक और हर्षित को खड़ा देखा, जो मुंह फाड़े हंसे जा रहे थे।।

असहजता से झेपते हुए कनिषा ने कहा...."मैं अब चलती हूं,बाय।।"  

(बिना कहे रेटिंग्स मिल सकता है क्या?🥹🥹)