Kamuk Pretni - Promo in Hindi Horror Stories by सोनू समाधिया रसिक books and stories PDF | कामुक प्रेतनी - (ट्रेलर+प्रोमो)

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कामुक प्रेतनी - (ट्रेलर+प्रोमो)

तेज तूफानी रात में किशनपुर के जंगल से सटा डाक बंगला मॉमबत्तियों की रोशनी से जगमगा रहा था, बाहर बिजली की तेज गड़गड़ाहट और प्रकाश में अमावस की रात के अंधेरे में लुप्त प्रायः कभी-कभी तेज गिरती पानी की बूँदो के बिखराव से उत्पन्न धुंध में आसपास के दैत्याकार वृक्ष भीगते हुए दीप्तिमान हो जाते। पेड़ों की पत्तियों पर गिरतीं बरसात की बूंदें तथा बरसाती कीड़े अकर्ण प्रिय मिश्रित ध्वनि उत्पन्न कर रहे थे। 

इसी शोरगुल में, डाक बंगले का एक कमरा तेज हवा के थपेड़ों की वजह से बेतहाशा लहराते पर्दों और बंद पड़ीं खिड़कियों के टकराने की आवाज के साथ कामक्रीड़ा में लिप्त जोड़े की मादक आहों एवं सिसकियों गुंजायमान हो रहा था। 

हमबिस्तर खूबसूरत निर्वस्त्र युवती अपने साथी युवक को अपनी कोमल बाहों और पैरों से अपने सीने से सख्ती से लिपटाए हुए अपनी आँखे बंद करके और तेज सिसकियों के साथ चरमसुख का अनुभव कर रही थी। 
तेज बरसात की वजह से सर्द होती रात का लुफ्त दोनों पूरे जोश के साथ एक दूसरे को परमसुख का अनुभव कराके उठा रहे थे। 
कुछ क्षण बाद उस युवती ने मुस्कुराते हुए अपने साथी को बिस्तर पर लिटा कर उसके ऊपर सवार हो गई। दोनों की गतिविधियों में तेजी आ चुकी थी और देखते ही देखते सारा कमरा, दो जिस्मों के परस्पर टकराव से उत्पन्न ध्वनि, तेज आहों और सिसकियों से गूंजता हुआ, एकदम से शांत हो गया। 
वह युवती और उसका साथी युवक तेज सांसें भरते हुए निढाल होते चले गए। तभी वह युवती बिना कुछ कहे मुस्कुराते हुए उस युवक के सीने, गर्दन, कान को चूमते हुए उसके होंठों को चूमने लगी। 

सहसा उस युवती की आंखों की रंगत बदलने लगी, तो वह धीरे से उस युवक के कानों में फुसफुसाई, 

“जान! चलो.... अब हम दोनों के जुदा होने का वक़्त आ गया है..।” 


“य्य्ये.... ये तुम क्या कह रही हो? और.... और तुम्हें ये क्या हो रहा है?..... तु... तुम लड़की नहीं हो....... प्लीज मुझे मत मारो....... आहह.... ।” 


उस युवक के सीने पर अपने नुकीले नाखून फेर रही उस खूबसूरत युवती ने एक झटके से अपना पंजा उस युवक के सीने में गढ़ा दिया और पलक झपकते ही उसका दिल उसके सीने को फाड़ कर बाहर निकाल लिया। जिससे उस युवक की दहशत भरी चीख़ उस डाक बंगले में गूँज उठी। उस युवक के सीने से खून के फव्वारे के साथ उसकी आँख, नाक और मुँह से खून उबाल मारकर निकल पड़ा और अंत में 
उस युवक ने तड़पते हुए अपना दम तोड़ दिया। 

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ये बाकया मध्य प्रदेश के मोहिनीगढ़ कस्बे के पास के गाँव किशनपुर का है। वह गाँव 90 के दशक में जखिन प्रेतनियों के प्रभाव से ग्रसित था।
ये प्रेतनियां काली शक्तियों की स्वामिनी होने के कारण वो किसी भी सुंदर महिला का रूप धारण कर दिन या रात को किसी भी नौजवान को अपने कामुक और आकर्षक शरीर से रिझा लेतीं थीं।
इसके बाद वो अपने शिकार से अपनी काम वासना की तृप्ति कर अपनी पूजा में उसकी बलि दे कर खुद का यौवन और शक्तियां बरकरार रखतीं थीं।

ये किवंदिंतियां और ग्रामीण मान्यताएं आज भी वहां के आसपास के क्षेत्रों में प्रचलित हैं।
वहाँ के ग्रामीण भी दावा करते आयें हैं कि उन्होंने उस जखीन प्रेतनी को देखा या फिर उनके साथ हमबिस्तर हुए थे।

लेकिन आज विज्ञान और प्रौद्योगिकी का दौर चल रहा है, तो ऎसी बातें केवल मिथ्या और डरावनी कहानियाँ पढ़ने के शौकीन लोगों के लिए मनोरंजन का साधन मात्र हैं।

ध्यान रखें कि ये नमूना (ट्रेलर/प्रोमो)केवल पुस्तक के विषय और विधा के प्रकटीकरण हेतु है। कहानी पढ़ने के लिऐ आपको नीचे दिए गए निर्देशों को पढ़े और उनका अनुसरण करें। कहानी अच्छी है, जहां आपको हॉरर, थ्रिलर, सस्पेंस, एडवेंचर, मिस्ट्री, रोमांस भरपूर मिलेगा।

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