Narbhakshi Aadmi - 4 in Hindi Adventure Stories by Abhishek Chaturvedi books and stories PDF | नरभक्षी आदमी - भाग 4

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नरभक्षी आदमी - भाग 4

अदृश्य संकट का उदय

काली वन की शांति और समृद्धि बरसों तक बनी रही। गाँववालों ने देवी के आशीर्वाद से एक खुशहाल जीवन जीया। बच्चों की हँसी, त्योहारों की रौनक, और खेतों की लहलहाती फसलें—यह सब उस शांति का प्रमाण थीं, जो देवी के बलिदान और गाँव की एकता ने लाई थी। 

लेकिन, जैसा कि अक्सर होता है, समय के साथ लोग अपनी जड़ों और परंपराओं को भूलने लगते हैं। नई पीढ़ी के लोग, जिन्होंने कभी उस अंधेरे का सामना नहीं किया था, धीरे-धीरे उस परीक्षा और संघर्ष की कहानियों को महज एक किंवदंती समझने लगे। वे मानते थे कि अब काली वन में कोई खतरा नहीं बचा था, और देवी का मंदिर सिर्फ एक पुरानी मान्यता का हिस्सा था।

गाँव के कुछ लोग, जिनमें युवा अधिक थे, ने जंगल के भीतर गहराई तक जाने और वहाँ नए घर बसाने का सोचा। उन्हें लगता था कि अब किसी भी प्रकार का डरने का कारण नहीं है, और काली वन की भूमि उपजाऊ और समृद्धि से भरी थी। 

लेकिन बूढ़ा रक्षक, जो अब काफी वृद्ध हो चला था, ने उन्हें आगाह किया। उसने कहा, "काली वन का दिल अभी भी बहुत गहरा है। यह वन जितना हमें शांति देता है, उतना ही यह अपने भीतर रहस्यों को छुपाए हुए है। देवी ने हमें इस वन की सुरक्षा का दायित्व दिया है, लेकिन अगर हम उस दायित्व से विमुख होते हैं, तो वन का संतुलन बिगड़ सकता है।"

युवाओं ने उसकी बातों को अनसुना कर दिया। उन्हें लगा कि यह सिर्फ एक बूढ़े आदमी का वहम है, जो समय के साथ बदलते युग को समझ नहीं पा रहा है। उन्होंने अपनी योजना को आगे बढ़ाया और जंगल के अंदर गहराई में बसना शुरू कर दिया। 

शुरुआत में सब कुछ सामान्य लग रहा था। नई बस्तियाँ बसाई गईं, और लोग वहाँ खुशी-खुशी रहने लगे। लेकिन कुछ समय बाद, अजीब घटनाएँ होने लगीं। लोग कहते थे कि रात में, जंगल के भीतर से एक अजीब-सी सरसराहट सुनाई देती थी, मानो कोई भारी साँसें ले रहा हो। कुछ लोगों ने तो यह भी दावा किया कि उन्होंने रात में एक अदृश्य परछाईं देखी, जो उनके पीछे-पीछे चलती थी।

धीरे-धीरे, गाँववालों के बीच बेचैनी बढ़ने लगी। वे उस अदृश्य शक्ति के बारे में सुनने लगे, जो उनकी नई बस्तियों के आसपास मंडरा रही थी। लेकिन कोई उसे देख नहीं सकता था। यह एक नया खतरा था—एक ऐसा संकट, जो दिखता नहीं था, लेकिन उसकी मौजूदगी महसूस की जा सकती थी।

गाँव के मुखिया ने इस संकट का सामना करने के लिए एक सभा बुलाई। बूढ़े रक्षक ने सभा में कहा, "यह अदृश्य संकट वन के संतुलन को बिगड़ने का संकेत है। देवी ने हमें चेताया था कि अगर हमने अपने दायित्व को भुलाया, तो वन की शक्ति जाग जाएगी। हमें तुरंत देवी के मंदिर में जाकर प्रार्थना करनी चाहिए और वन से माफी मांगनी चाहिए।"

मुखिया और गाँव के बुजुर्गों ने रक्षक की बात मानी। वे जानते थे कि इस अदृश्य संकट का सामना करने के लिए उन्हें फिर से एकजुट होना होगा। 

गाँव के लोग देवी के मंदिर में इकट्ठे हुए और एक बड़ी पूजा का आयोजन किया। सभी ने मिलकर देवी से माफी मांगी और उनसे अपनी रक्षा करने की प्रार्थना की। 

उस रात, जब पूजा समाप्त हुई, तो गाँव के चारों ओर अचानक से एक अजीब-सी हवा चलने लगी। यह हवा पहले से कहीं ज्यादा ठंडी और भारी थी। जंगल के भीतर से फिर से वही अदृश्य परछाईं उभरी, लेकिन इस बार वह सीधे मंदिर की ओर बढ़ने लगी। 

देवी का मंदिर, जो सदियों से शांति का प्रतीक था, अब उस अदृश्य संकट के सामने था। लेकिन जैसे ही वह परछाईं मंदिर के करीब पहुँची, मंदिर के चारों ओर एक दिव्य प्रकाश फैल गया। वह प्रकाश इतना प्रचंड था कि परछाईं चीखते हुए पीछे हट गई और धीरे-धीरे गायब हो गई।

गाँववालों ने महसूस किया कि देवी ने एक बार फिर उनकी रक्षा की थी। उन्होंने समझा कि वन का संतुलन बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण था। 

उस दिन के बाद, गाँव के लोग देवी के मंदिर और काली वन का सम्मान पहले से भी ज्यादा करने लगे। उन्होंने सीखा कि प्रकृति और उसकी शक्तियों के साथ सामंजस्य बनाए रखना ही सबसे बड़ी बुद्धिमानी थी। 

काली वन में फिर से शांति लौट आई, लेकिन इस बार गाँव के लोग कभी भी अपनी जड़ों को नहीं भूले। वे जानते थे कि काली वन एक रहस्यमयी और पवित्र स्थान था, जहाँ अच्छाई और बुराई के बीच संतुलन बनाए रखना जरूरी था।

बूढ़े रक्षक की बातों ने गाँव के लोगों के दिलों में एक गहरी छाप छोड़ी। उन्होंने उसे एक महान रक्षक और शिक्षक के रूप में सम्मानित किया, जिसने उन्हें उनके सबसे बुरे संकटों से उबारा। 

कहते हैं, काली वन और गाँव का यह संतुलन अब पीढ़ियों तक बनाए रखा जाएगा, क्योंकि गाँव के लोग अब जानते थे कि इस अदृश्य संकट के बाद, वे कभी भी प्रकृति की शक्तियों को हल्के में नहीं लेंगे। काली वन अब हमेशा के लिए एक शांतिपूर्ण, समृद्ध, और पवित्र स्थान बन गया, जहाँ देवी की कृपा और गाँववालों की एकता का वास था।


अगले भाग में जारी है....
आख़िरी चुनौती......