Udaipur
एक फैक्ट्री के बाहर एक आदमी अपने दोनों हाथ अपनी पीठ के पीछे करके खड़ा हुआ था। वो बहुत ध्यान से उस फैक्ट्री को देख रहा था, उसके पीछे एक दूसरा आदमी खड़ा था और उसके आस पास कई और लोग खड़े थे, उन सभी के हाथों में बंदूकें थी। तभी एक आदमी उनके पास आके अपना सर झुका के उसे कहता है —" सिकंदर सर आप यहाँ"
सिकंदर बिना उसकी तरफ़ देखे ही उस्से कहता है, —"क्यूँ राजेश हम यहाँ नहीं आ सकते क्या"
राजेश उसकी बात सुनकर जल्दी से बोला—" कैसी बात कर रहे हो सर आप ,ये सब तो सर का ही है आपको यहाँ आने से भला कौन रोक सकता है,"
फिर वो थोड़ा रुक कर बोला —"मैं तो इसीलिये पूछ रहा था, कि कभी आप इस बंद फैक्ट्री को देखने नहीं आये सिर्फ फोन पर ही बात करते थे और आज तो मालिक भी आये हैं।" इतना बोल वो चुप हो गया
तभी वो आदमी जो फैक्टरी को ध्यान से देख रहा था वो, अपनी तेज मगर शांत आवाज मैं बोला—" अब इस फैक्ट्री के खुलने का समय आ गया है राजेश।" उस आदमी की आवाज में एक अलग ही रुतबा था, यह है अर्जुन सिंह राणावत
उसकी बात सुनकर राजेश बोला —"लेकिन सर वो खुराना"
राजेश की बात का जवाव देते हुए अर्जुन बोला —"उस खुराना से मिलने का भी समय आ गया है। " इतना बोल अर्जुन अपनी गाड़ी की तरफ बड़ जाता है।
उसे जाते देख वहाँ खड़े बाकी लोग भी अपनी अपनी गाड़ी में बैठ जाते हैं और सिकंदर ,अर्जुन की गाड़ी में आँगे वाली सीट पर बैठ जाता है। सिकंदर, अर्जुन का पर्सनल बॉडीगार्ड और खास आदमी था।
उनकी गाड़ियाँ हबा से बातें करते हुए थोड़ी ही देर में एक घर के बाहर जाके रुकती हैं। ये खुराना कंस्ट्रक्शन के मालिक विजय खुराना का घर था।
सिकंदर जल्दी से गाड़ी से बाहर निकल पीछे का गेट खोलता है, अर्जुन अपने पावरफुल औरा के साथ गाड़ी बाहर निकलता है।
तभी उस घर के बाहर खड़े गार्ड अर्जुन का रास्ता रोकते हैं। ये देख अर्जुन के आदमी जल्दी से अपनी-अपनी बंदूकें निकाल उन सबको सर पर रख देते हैं। तभी सिकंदर अपना हाथ दिखा कर अपने लोगों को अपनी बंदूकें नीचे करने को कहता है।
फिर अर्जुन के आदमी, खुराना के आदमियों को साइड करते हैं।, उसके बाद अर्जुन उनके बीच से होते हुए घर के अंदर दाख़िल होता है। घर में खुराना अपने लिविंग रूम के सोफे पर बैठा था, अर्जुन सीधा जाके उसके सामने वाले सोफे पर आके बैठ जाता है।
अर्जुन जिस तरह बैठा था,वो इस समय किसी राजा की तरह लग रहा था ।
अर्जुन को अपने सामने देख खुराना गुस्से से अपनी जगह से खड़ा होता है, खुराना की आँखों में भी गुस्सा साफ दिखाई दे रहा था। खुराना, अर्जुन को घूरते हुए गुस्से से कहता है—"तुम यहाँ क्या करने आये हो।"
खुराना की बात का जवाब देते हुए अर्जुन अपने चेहरे पर एक शातिर मुस्कान के साथ बोला —"कमाल करते हो खुराना, घर आये मेहमान से इस तरह पेश आया जाता है"
फिर अर्जुन , अपने सेकुरिटी हेड सिकंदर को इशारा करता है, उसका इशारा पाकर सिकंदर अपने साथ लाए कुछ फाइलें अर्जुन को दे देता है।
अर्जुन उन फाइलों को खुराना को देते हुए कहता है—" ये उस फैक्ट्री के पेपर्स हैं, आज से वो फैक्ट्री ASR की हुई "
अर्जुन की बात पर खुराना गुस्से से उसकी की तरफ देख बोला —"तुम जानते हो मैं क्या कर सकता हूं।"
तभी अर्जुन अपनी जगह से खड़ा हुआ और खुराना की आँखों में आँखें डाल कर बोला—" लेकिन तुझे अंदाज़ा नहीं है मैं क्या क्या कर सकता हूँ तेरे साथ।"
उसकी बात पर खुराना गुस्से में चिल्लाते हुए बोला —"अर्जुन सिंह राणावत, भूलो मत तुम इस भक्त मेरे इलाक़े मैं खड़े हो। तुम्हारे साथ तुम्हारे ये आदमियों की भी जान जा सकती है।"
खुराना का इतना कहना था की तभी अर्जुन अपनी जेब से बंदूक निकाल खुराना के माथे पर प्वाइंट करते हुए गुस्से से उसकी आँखों मैं देख कहता है—"अगर आज के बाद मेरी फैक्ट्री या मेरे किसी आदमी की तरफ आँख भी उठाई तो तेरी माँ की कसम खाके कहता हूंँ, तेरे इसी घर में तुझे जिंदा गाड़ दुंगा।"
अर्जुन का गुस्सा देख तो एक बार के लिए उसके आदमी भी डर गए। लेकिन सिकंदर, अर्जुन के साथ पिछले 10 साल से था। वो उसकी रग रग से वाकिफ़ था।
बात को समालते हुए,सिकंदर बोला- "खुराना इस बार हम सिर्फ बात करने आए थे, अगली बार हमारी किसी चीज पर नजर डाली ना तो याद रखना।"
उसके बाद अर्जुन अपनी आँखों पर शेड्स लगाकर वहाँ से निकल जाता है।
अगला दिन
सुबह का वक्त
सुबह का वक्त
उदैपुर
फोन के अलार्म की घंटी की आवाज नूर के कमरे में आ रही थी और नूर मजे से कम्मल ओड के सो रही थी। अलार्म भी बेचारा बज —बज के थक चुका था, पर मजाल है, जो नूर की नीदं खुल जाए, तबी कमरे में एक वरिष्ठ आयु की महिला आती हैं, उन्होंने एक सिंपल सी साड़ी पहनी थी, उनकी उम्र करीब 65 साल होगी, लेकिन उनके चेहरे से उनकी उमर् हिसाब लगाना मुश्किल था। उन्होंने अंदर आके देखा अलार्म बिचारा बजे जा रहा है।
फिर उन्होंने नूर के मुंह से कम्मल उठाया ,वो नूर को देख कर अपने सर पर हाथ रख बोलीं , "हे भगवान ये लड़की भी ना,"
वो नूर को उठाते हुए बोलीं , "नूर मेरी बच्ची उठ जा देख तेरा बाप कबसे तेरा नीचे इंतजार कर रहा है।"
उनकी आवाज सुन नूर उठी और अपनी अलसाई आवाज में उस औरत की तरफ देख बोली, " बाप नहीं दादी ,वो पापा हैं मेरे"
यह है नूर उम्र 19 साल, नूर एक स्मार्ट यंग लड़की है। प्रिटी फेस सोफ्ट चीकस् और गुलाबी लिप्स, उसकी आँखें बड़ी बड़ी हैं। कृष्णा बेहद ही खुबशुरत है। उसकी आँखें सागर की तरह गहरी और खूबसूरत हैं।
नूर की बात उसकी दादी अपना मुह् तेडा करते हुए बोलीं , " मेरे लिए तो वो तेरा बाप ही है, अब चल जल्दी से उठ जा मैं तेरे लिए गरमा गरम पराठा बना रही हूँ। "
तभी नूर अपनी जगह से खड़ी हुए और अपने रूम मैं रखे music system के पास जाकर उस पर गाना लगा दिया और नाचने लगी, गाने के बोल कुछ ऐसे थे।
नीले नीले अंबर पर चाँद जब आये
प्यार बरसाये हमको तरसाए
ऐसा कोई साथी हो ऐसा कोई प्रेमी हो
प्यास दिल की बुझा जाए
हो ठंडे ठंडे झोंके जब बालों को सहलाये
तपती तपती किरनें जब गालों को छू जाए
ठंडे ठंडे झोंके जब बालों को सहलाये
तपती तपती किरनें जब गालों को छू जाए
साँसों की गर्मी को हांथों की नरमी को
मेरा मन तरसाए कोई तो छू जाए
ऐसा कोई साथी हो ऐसा कोई प्रेमी हो
प्यास दिल की बुझा जाए
नीले नीले अंबर पर चाँद जब आये
प्यार बरसाये हमको तरसाए
ला ला ला ला ला ला
ला ला ला ला ला ला ला ला ला ला ला
तभी नूर की दादी ने music system बंद कर दिया, ये देख नूर बोली , " दादी",
नूर की बात को बीच में रोकते हुए ही उसकी दादी बोलीं, " अब कुछ नहीं चुप चाप नीचे चल।"
नूर ने उनकी बात सुन उनके गले लग, उनके गाल पर किस कर दिया, इस बात पर दादी अपना गाल साफ करते हुए नूर से बोलीं, "बड़ी हो गई है तू अब ये बचपना छोड़ दे। जल्दी से नीचे आ जा अब।"
नूर उनकी इस बात पर उनके गाल किछते हुए बोली, " बचपना तो हम सब मैं है दादी, बस उम्र में थोड़े बड़े हो गए हैं।"
उसकी बात सुनकर उन्होंने अपना सिर हिला दिया।
यह हैं , शांति देवी , नूर की दादी।
शांति जी, नूर की cupboard से उसके कपड़े निकाल उसे देते हुए बोलीं , "अब जल्दी से जाकर नहा ले कॉलेज भी जाना है और भी बहुत सारे काम हैं।" इतना बोल वो कमरे से बाहर चली जाती हैं।
थोड़ी देर बाद
नूर जल्दी -जल्दी तैयार होकर भागते हुए कमरे से बाहर आती है, और फिर जल्दी- जल्दी नाश्ता करने लगती है, नूर को इतनी जल्दबाजी मैं सब करते देख, उसकी दादी ने अपने सिर पर हाथ रखकर लिया फिर वो उसे देख बोलीं, " ऐ नूर आराम से बैठके नास्ता कर, पहले तो जल्दी जगा नहीं जाता फिर देर होने पर भागती है, पता नहीं कब सुधरेगी ये लड़की।"
नूर मुँह मैं पराठा दवाते हुए अपनी दादी से बोली, " अभी आपके लेक्चर का समय नहीं है दादी, मैं पहले ही लेट हो चुकी हूँ, सब इंतज़ार कर रहे होंगे।" इतना बोल वो जल्दी से वहाँ से निकल गयी।
उसे जाते देख शांति जी उपर देखते हुए बोलीं, " उफ़ ये नूर, भगवान् समाल लेना इसे।"