Tilismi Kamal - 25 in Hindi Adventure Stories by Vikrant Kumar books and stories PDF | तिलिस्मी कमल - भाग 25

Featured Books
  • You Are My Choice - 40

    आकाश श्रेया के बेड के पास एक डेस्क पे बैठा। "यू शुड रेस्ट। ह...

  • True Love

    Hello everyone this is a short story so, please give me rati...

  • मुक्त - भाग 3

    --------मुक्त -----(3)        खुशक हवा का चलना शुरू था... आज...

  • Krick और Nakchadi - 1

    ये एक ऐसी प्रेम कहानी है जो साथ, समर्पण और त्याग की मसाल काय...

  • आई कैन सी यू - 51

    कहानी में अब तक हम ने देखा के रोवन लूसी को अस्पताल ले गया था...

Categories
Share

तिलिस्मी कमल - भाग 25

इस भाग को समझने के लिए इसके पहले से प्रकाशित सभी भाग अवश्य पढ़ें ............💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐


राजकुमार के शरीर मे वह भुजा तेजी से कसाव करते हुए पानी के अंदर घसीट रही थी । राजकुमार का पानी के अंदर दम घुटने लगा । तभी अचानक  राजकुमार के शरीर से आरीदार चकरी अस्त्र निकल आये और भुजा को काट दिया ।

राजकुमार को मुसीबत में देखते हुए वनदेवी की जादुई शक्ति आरीदार चकरी स्वयं प्रकट हो गयी थी । राजकुमार की रक्षा करने के लिए ।

राजकुमार का शरीर जैसे कसाव से छूटा वैसे ही राजकुमार तेजी से पानी के सतह पर पहुंचा और सांस ली । तब राजकुमार को लगा कि उसकी जान वापस आ गयी। राजकुमार बिना एक पल की देरी किये हुए अपने आप को सुरक्षा कवच में ढक लिया । और हवा में उड़ने लगा।

उधर पानी के अंदर भुजा कटते ही पानी मे हलचल मचनी शुरू हो गई । हलचल इतनी तेज थी कि पानी मे लहरे बनने लगी। और जब लहरे हटी तो एक विशालकाय जीव बाहर निकलकर आ रहा था ।

राजकुमार उस जीव को देखकर आश्चर्य चकित हो गया। विशालकाय जीव के आठ भुजाएं थी । एक बड़ी सी आंख  ।जैसे ऑक्टोपस होता है वैसे ही वह जीव था।

वह जीव अपनी एक भुजा कटने के कारण पागलों की तरह चीख रहा था और राजकुमार को पकड़ने के लिए बाकी भुजाएं पानी मे इधर उधर पटक रहा था । लेकिन राजकुमार हवा में इतनी ऊंचाई में थे की उस जीव की भुजाएं वँहा तक पहुंच ही नही सकती थी ।

लेकिन तभी  अचानक उस जीव की आंख से एक नीली किरण निकली और राजकुमार के सुरक्षा कवच से टकरा गई जिससे सुरक्षा कवच टूट गया। सुरक्षा कवच टूटते ही जीव ने तुरंत दूसरी नीली किरण छोड़ दी लेकिन राजकुमार इस बार सतर्क था उसने जादू से अपने शरीर को वँहा से गायब करके दूसरे जगह प्रकट कर लिया । जीव की नीली किरण बिना कोई नुकसान किया आगे निकल गई ।

जीव अपना खाली वॉर जाता देखकर पागलों की तरह अपनी भुजाएं से गोल गोल लाल छल्ले इधर उधर मारने लगा । राजकुमार गायब होकर जंहा भी प्रकट होता वँहा पर कोई न कोई छल्ला पहुंच जाता ।

राजकुमार छल्लो से बचने के लिए जादू से अपने हाथ मे धनुष तीर प्रकट किया और जितने छल्ले जीव के भुजा से  निकलते उतने ही तीर वह अपने धनुष से छोड़ देता । तीर से छल्ले टकराते ही गायब हो जाते। लेकिन जितने छल्ले गायब हो जाते उससे दुगुना छल्ले उस जीव के भुजा से फिर से प्रकट हो जाते ।

राजकुमार अब परेशान हो गया । उसने सोचा क्यों न इस जीव की भुजा ही काट दी जाये। इतना सोचते ही राजकुमार अपने जादुई धनुष से एक साथ सात तीर प्रकट किया और जीव की बची सात भुजाओं की ओर छोड़ दिया।

भुजाओं में तीर लगते ही भुजाएं कटकर पानी मे इधर उधर बह गई । जो लाल छल्ले हवा में राजकुमार के पास आ रहे थे वे सभी छल्ले गायब हो गए ।जीव दर्द से और तेज चीखने लगा ।

जीव के चीखने से हवा में बवंडर बनने लगा । बवंडर जीव की चीख के कारण इतनी तेज घूम रहा था कि राजकुमार बवंडर की ओर खिंचता जा रहा था।

राजकुमार के बचने का अब एक ही चारा था कि वह जीव को मार दे । राजकुमार ने वनदेवी की जादुई शक्ति से हवा में एक आग का गोला प्रकट किया और जीव की ओर छोड़ दिया । आग का गोला जीव के मुंह के रास्ते होते हुए उसके गले मे फट गया।

गोला के फटते ही जीव का सर छिन्न भिन्न होकर इधर उधर छितरा गया । जीव के मरते ही सबकुछ वैसे ही शांत हो गया जैसे वँहा पर कुछ हुए ही नही।

राजकुमार अब थोड़ा राहत की सांस ली । जीव से  लड़ाई झगड़े में राजकुमार काफी थक चुका था। अब उसको आराम की जरूरत थी । इधर अब धीरे धीरे अंधेरा भी हो रहा था।

राजकुमार हवा में जादू से एक उड़नखटोला प्रकट किया । और उसमें बैठ गया। उसके बाद उड़न खटोले सहित खुद को सुरक्षा कवच में घेर लिया। और उड़न खटोले में लेट गया। थकान के कारण राजकुमार को जल्द ही नींद आ गई।

उड़नखटोला हवा में विशाल समुद्र के ऊपर उड़ने लगा । न जाने कितनी देर तक राजकुमार सोता रहा। जब राजकुमार की नींद खुली तो उसने आपको ताजा व फुर्तीला महसूस किया। सुबह की हल्की हवा का झोंका , सामने पानी मे उगते सूरज की किरण राजकुमार को पड़ रही थी। प्रकति का बहुत शानदार नजारा था ।

राजकुमार नजारे को देख कर एक अलग ही ऊर्जा को महसूस कर रहे थे । अब राजकुमार को तैरता हुआ अदृश्य द्वीप की तलाश थी । जिसका न तो रास्ता दिख रहा था और न ही कोई रास्ता बताने वाला नजर आ रहा था।

फिर राजकुमार के अंदर एक जिद्द थी जब यँहा तक पहुंच गए तो आगे तक पहुंचने का कोई न कोई रास्ता मिल ही जायेगा । बस यही निश्चय करके एक अनजान दिशा की ओर बढ़ चला ।

राजकुमार काफी देर तक इधर उधर घूमता रहा इस आस से कही किसी न किसी जगह स्वर्ण पंख चमकेगा तो अदृश्य द्वीप का पता चल जाएगा । लेकिन राजकुमार को कुछ पता नही चल पा रहा था ।

सूर्य भगवान भी अपना ताप धीरे धीरे बढ़ा रहे थे। राजकुमार पानी मे बढ़े जा रहे थे तभी राजकुमार की नजर पानी मे तेजी से तैर रही एक नन्ही जलपरी पर नजर पड़ी जिसके पीछे दो विशालकाय मगरमच्छ पड़े हुए थे ।

राजकुमार ने एक पल की देर किए बिना जादुई धनुष से दो तीर दोनों मगरमच्छ के ऊपर छोड़ दिया । मगरमछ अपने ऊपर अचानक हुए हमले से डर गये । और वे राजकुमार का कुछ कर भी नही सकते थे इसलिए वे भागने में ही भलाई समझे । और दोनों मगरमछ वँहा से तुरंत भग गए।

नन्ही जलपरी  समुद्र में किसी अनजान द्वारा अपनी मदद करते देख कर रुक गई । राजकुमार नन्ही जलपरी के पास गए और अपने उड़नखटोला में बैठाने के लिए हाथ बढ़ाया लेकिन नन्ही जलपरी राजकुमार का हाथ नही  पकड़ा और पीछे हट गई ।

राजकुमार समझ गया कि नन्ही जलपरी उससे डर रही है ,तब राजकुमार नन्ही जलपरी से कहा - " आप मुझसे मत डरिये । मैं आपको कोई नुकसान नही पहुंचाऊंगा । अगर नुकसान पहुंचाना होता तो आपको क्यो बचाता ? "

नन्ही जलपरी राजकुमार की बात उनकर उसके उड़नखटोले में आ गई । उसके बाद नन्ही जलपरी राजकुमार से पूछा  - " आप कौन हो और यँहा क्यो आये हो ? "

राजकुमार जवाब में इतना बोले - "  मेरा नाम धर्मवीर है । मुझे तैरते हुए अदृश्य द्वीप की तलाश है जो इसी समुद्र में कही तैर रहा है । " 

नन्ही जलपरी राजकुमार से बोली - " अदृश्य द्वीप में तो हमारे कुल देवता का मंदिर है , उसके बारे में मेरे माता पिता ही बता सकते है जो जलपरी लोक के राजा है । और ये जानने के लिए आपको मेरे साथ मेरे लोक में चलना होगा । "

इतना कहने के बाद नन्ही जलपरी ने राजकुमार को एक अंगूठी दी आए कहा - " इसे आप पहन लीजिए जिससे आपको पानी के अन्दर सांस लेने में कोई दिक्कत नही होगी और आपको मेरे लोक कोई बंदी नही बनाएगा । "

इसके बाद राजकुमार अंगूठी पहन ली और उड़नखटोले को हवा में गायब कर दिया । राजकुमार नन्ही जलपरी के साथ पानी मे कूद गया । और नन्ही जलपरी के पीछे पीछे चलने लगा ।

कुछ देर तक चलने के बाद राजकुमार को पानी के अंदर एक शानदार महल नजर आने लगा । राजकुमार महल के करीब जैसे पहुंचा वैसे ही राजकुमार को महल के पहरेदारों ने घेर लिया लेकिन नन्ही जलपरी जो कि राजकुमारी थी उसके कहने पर पहरेदारों ने उन्हें राजकुमारी के साथ अंदर जाने दिया ।

नन्ही जलपरी अपने माता पिता के पास पहुंची और अपने ऊपर हमले से लेकर राजकुमार ने उसे कैसे बचाया और यँहा पर क्यो आये है  सब बताया।

नन्ही जलपरी के पिता ने राजकुमार का आभार व्यक्त किया । और अदृश्य द्वीप में क्यो जाना चाहते है इसका कारण पूछा तो राजकुमार सबकुछ सच सच बता दिया ।

राजकुमार की बातें सुनने के बाद नन्ही जलपरी के पिता बोले - " राजकुमार तुम्हारा उद्देश्य नेक है इसलिए तुम उस द्वीप तक जरूर पहुंचोगे । वह द्वीप इस समय तैरते हुए उत्तर दिशा की ओर बढ़ रहा है । तुम जैसे ही उसके नजदीक पहुंचोगे तुम्हारे पास जो स्वर्ण पंख है वह चमकने लगेगा ।" 

इसके बाद नन्ही जलपरी के पिता ने राजकुमार को अपने राज्य का एक मोहर लगा हुआ सोने का सिक्का दिया और कहा - "  तुम जैसे ही द्वीप में पहुंचने वाले होंगे वैसे ही उस द्वीप की रक्षा करने वाली शक्तियां तुम्हे घेर लेंगी । जैसे ही तुम पर वे हमला करने की तैयारी करे वैसे ही तुम ये सोने का सिक्का दिखा देना वे शक्तियां कुछ नही करेगी और तुम्हे द्वीप में प्रवेश कर जाने देगी । इसके बाद तुम हमारे कुलदेवता के मंदिर में चले जाने । वँहा के पुजारी के ये सिक्का दिखा देना और  विशाल बरगद के पेड़ के बारे में पूछ लेना जो तुम्हे बता देंगे । " 

राजकुमार इतना जानने के बाद नन्ही जलपरी के पिता का धन्यवाद किया । और नन्ही जलपरी को प्यार से सहलाया और सभी से विदा लेकर उत्तर दिशा की ओर चल दिया ।

राजकुमार पानी से बाहर आकर उत्तर दिशा की ओर बढ़ रहा था राजकुमार जैसे जैसे द्वीप के पास पहुंच रहे थे वैसे वैसे स्वर्ण पंख चमक रहा था । राजकुमार भी मंजिल के नजदीक पहुंचने पर खुश हो रहे थे ।

राजकुमार थोड़ी दूर और पहुंचे ही थे कि स्वर्ण पंख की चमक बहुत तेज हो गयी । राजकुमार को अदृश्य द्वीप नजर आने लगा । तभी राजकुमार को अपनी ओर आते हुए कुछ किरणे दिखाई दी । 

किरणें राजकुमार को घेर लिया और धीरे धीरे मानव के आकृति में आकर में राजकुमार के ऊपर हमला करने वाले ही थे तभी राजकुमार ने जलपरी के  पिता द्वारा दिया गया सोने का सिक्का उन शक्तियों के आगे कर दिया ।

आकृतियां राजकुमार के ऊपर हमला करना रोक दिया और अदृश्य द्वीप में प्रवेश करने दिया । राजकुमार सबका आभार जताते हुए । नन्ही जलपरी के कुल देवता के मंदिर की बढ़ चले । 

थोड़ी देर में राजकुमार मंदिर के पास पहुंच गए जंहा पुजारी जी मंदिर में पूजा कर रहे थे । राजकुमार मंदिर के बाहर पुजारी जी का इंतजार करने लगे। 

थोड़ी देर में पुजारी जी बाहर निकले । राजकुमार पुजारी जी को सोने का सिक्का दिखाते हुए सभी बातें बता दिया ।पुजारी जी सब सुनकर राजकुमार से बोले - " यँहा से एक कोस दूर जाने के बाद तुम्हे एक विशाल बगीचा दिखाई देगा जिसके मध्य में एक विशालकाय बरगद का पेड़ है उसी में गरुड़ पक्षी का निवास है ।  " 

राजकुमार पुजारी जी का धन्यवाद किया और उनके बताए रास्ते मे चक दिया । लगभग एक कोस चलने के बाद राजकुमार को बगीचा नजर आने लगा । राजकुमार बगीचे के नजदीक पहुँचा । तभी राजकुमार को लगा कि उसके ऊपर कोई नजर रख रहा है ।

राजकुमार और सतर्क होकर अब बगीचे के अंदर बढ़ने लगा । राजकुमार को बगीचे की सुंदरता देखकर ऐसा लग रहा था कि वह किसी स्वर्ग कब बगीचे में आ गया हो ।

राजकुमार इसी तरह सुंदरता देखते हुए  पेड़ के नजदीक  पहुंच गया । राजकुमार पेड़ को छूने वाले ही थे तभी वँहा पर अचानक गरुड़ पक्षी प्रकट हो गए ।

राजकुमार गरुड़ पक्षी को प्रणाम करते हुए बोले  - "  हे !  गरुड़ पक्षी आपको राजकुमार धर्मवीर का प्रणाम । आप बहुत देर से मेरे ऊपर नजर रख रहे है ये मैं पहले ही समझ गया था । जब मैं इस बगीचे में प्रवेश किया था । इसलिए कृपा करके मुझे तिलिस्म के अंतिम द्वार में पहुंचने के लिए रास्ता बता दीजिए । "

गरुड़ पक्षी अंतर्यामी थे अतः उन्होंने राजकुमार के परामर्श को स्वीकार करते हुए बोले  - " राजकुमार मुझे तुम्हारा ये तरीका पसंद आया । जो तुम्हारे पास स्वर्ण पंख है उसे तुम इस बरगद के पेड़ में एक डाल में रख देना । जैसे ही स्वर्ण पंख को रखोगे पेड़ दो हिस्सों में बट जाएगा और बीच मे एक द्वार प्रकट हो जाएगा उसमें तुम प्रवेश कर जाना । प्रवेश करते ही तुम अंतिम तिलिस्मी द्वार में पहुंच जाओगे । " 

राजकुमार गरुड़ पक्षी को प्रणाम किया और बरगद के पेड़ के एक डाल में स्वर्ण पंख रख दिया । स्वर्ण पंख रखते ही बरगद का पेड़ दो हिस्सों में बट गया और एक द्वार नजर  आने लगा जो गोल गोल घूम रहा था ।

राजकुमार एक पल की देर किए बिना द्वार में प्रवेश कर गए । राजकुमार के द्वार में प्रवेश करते ही बरगद का पेड़ पहले जैसा हो गया । इधर राजकुमार एक तालाब के किनारे प्रकट हुआ ।

राजकुमार तालाब की ओर देख कर खुशी से फुले नही समा रहा था आज राजकुमार की मंजिल उसके सामने थी जिसके लिए वह कई महीनों से सफर कर रहा था ।

तालाब में  तरह तरह के रंग बिरंगे कमल खिले हुए थे जिनके बीच एक कमल ऐसा जिसके चारों ओर एक सुरक्षा घेरा बना हुआ था ।

राजकुमार कमल का सुरक्षा घेरा को देखते ही समझ गया यही तिलिस्मी कमल है जो मेरे पिता व वनदेवी जी के पति के प्राण बचा सकता है ।

राजकुमार तिलिस्मी कमल के पाने के चाहत में यह भूल गया था कि उसकी रक्षा एक ब्रम्ह राक्षस करते है। राजकुमार तिलिस्मी कमल प्राप्त करने के लिए कदम आगे ही बढ़ाया था कि तभी उनके सामने स्वयं ब्रम्ह राक्षस   प्रकट हो गए ।

राजकुमार ब्रम्ह राक्षस को देखकर अपने बढ़ते हुए कदम को रोक लिया । और ब्रम्ह राक्षस से लड़ने के लिए तैयार होकर खड़े हो गए ।


                        क्रमशः .............💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐




अगला भाग जैसे ही अपलोड करू उसका नोटिफिकेशन आपके पास सबसे पहले पहुंच जाए इसलिए मुझे जरूर फॉलो करें । और अपनी सुंदर सी समीक्षा देकर यह जरूर बताएं यह भाग आपको पढ़कर कैसा लगा  ? अगले भाग तक सभी पाठकगण को मेरा राम राम 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏


विक्रांत कुमार
असोथर फतेहपुर
उत्तर प्रदेश
✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️