Tilismi Kamal - 24 in Hindi Adventure Stories by Vikrant Kumar books and stories PDF | तिलिस्मी कमल - भाग 24

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तिलिस्मी कमल - भाग 24

इस भाग को समझने के लिए इसके पहले से प्रकाशित सभी भाग अवश्य पढ़ें ...........................💐💐💐💐💐💐💐💐💐


राजकुमार तिलिस्मी महल के जिस कक्ष में उपस्थित था उस कक्ष से बाहर निकलने के लिए कोई रास्ता नही दिख रहा था।तभी राजकुमार की नजर दीवार कोने में बनी एक खूंटी पर गई जो नीचे की ओर मुड़ी हुई थी।

खूँटी के नीचे चारो जानवर गाय , हाथी , घोड़ा और शेर के चिन्ह बने हुए थे। राजकुमार धरमवीर के दिमाग मे तरह - तरह के विचार उत्पन्न होने लगे , क्योकि इसी तरह के चित्र  कमरे के चारो दीवार में बने है।

राजकुमार धर्मवीर चित्रों के बारे में सोच ही रहा था कि तभी उसने सोचा क्यों ना खूंटी को थोड़ा सा हिला डुला कर देख लिया जाए। राजकुमार धरमवीर वैसे ही बहादुर थे अतः उन्होंने बिना किसी खतरे के बारे में सोचे बिना खूंटी को घुमा दिया । 

खूंटी के घूमते ही कक्ष की चारों दीवारें अपनी जगह पर नीचे को धंसने लगी । चारों दीवारें अपनी जगह पर जैसी ही पूरी धंस गयी । वैसे ही राजकुमार अपने आस पास का नजारा देखकर भयभीत हो गया।

कक्ष के चारो दीवारों की तरफ एक छोटी सी नहर बनी थी जिसमे बड़े बड़े मगरमच्छ तैर रहे थे । इसके आगे जिस दीवार की तरफ शेर का चित्र बना था उस ओर कई सारे शेर अधकटे हालत में मरे पड़े थे । 

इसी तरह अन्य दीवारों की तरफ अन्य जानवर जिनका जिस ओर चित्र बना था उस ओर उसी जानवर की यही हालत थी जैसे शेर की तरह थी। राजकुमार यह सब दृश्य देखकर भयभीत और द्रवित हो गया कि यह सब कैसे हुआ और कौन कर सकता है ?

राजकुमार यह सब सोच ही रहा था तभी उसे किसी की कराहने की आवाज सुनाई दी । राजकुमार ने पलट के देखा तो एक गाय दर्द के कारण कराह रही थी।

राजकुमार वनदेवी द्वारा दी गयी शक्ति का उपयोग करके उड़ते हुए कराहती गाय के पास गया । राजकुमार जैसे ही गाय के पास गया वैसे ही गाय बोली - " रुकिए राजकुमार धरमवीर , मुझे मत छूना अगर तुमने मुझे छू लिया तो तुम भी मेरे जैसे बन जाओगे "।

राजकुमार गाय के मुंह से अपना नाम सुनकर आश्चर्यचकित हो गया कि गाय बोलती भी है और मेरा नाम  भी जानती है ।

राजकुमार विस्मित होते हुए गाय से बोलें - " आप कौन है  और आपको मेरा नाम कैसे पता है?"

गाय कराहती हुई बोली - " राजकुमार मुझे किसी भी व्यक्ति या जानवर का भूतकाल देखने की शक्ति प्राप्त है ,इसलिए मैं तुम्हारे बारे में सब जानती हूं कि तुम यंहा क्यो आये हो और क्या कर करने आये हो ?"

गाय को दर्द से कराहते देखकर राजकुमार उदास मन से बोले - " आपका दर्द मुझसे देखा नही जा रहा है आप अपना दर्द दूर करने का उपाय बताइए जिससे मैं आपका दर्द जल्दी से जल्दी दूर कर सकूँ ।"

गाय राजकुमार से कराहते हुये बोली - " मुझे पता था राजकुमार की सबसे पहले तुम मुझसे यही पूछोगे । आप एक बहुत दयालु और नेकदिल इंसान हो राजकुमार। यंहा जितने भी जानवर सभी एक तिलिस्म के वजह से है, हमे यंहा पर मायासुर ने अपने तिलिस्म के जादू से ऐसा कर दिया है । वही हमे ठीक कर सकता है ।" 

राजकुमार ने गाय से कहा - " मायासुर मुझे कँहा पर मिलेगा ? उसे कैसे अपने वश में किया जा सकता है ?"

गाय राजकुमार से बोली - "मायासुर रोज रात के तीसरे पहर यंहा आता है और हम लोगो की ऐसी स्थित करके चला जाता है । और उसे वश में करने के लिए उसके गले मे पड़ी माला को प्राप्त करना होगा । माला में चार बड़े बड़े मोती है और बीच मे लाल मणि है । मणि को हाथ मे ले लेना ,वह तुम्हारी हर बात मानेगा।"

राजकुमार गाय की बात सुनकर सोचने लगा क्यो न इस महल का चक्कर लगा लिया जाए शायद यंहा से बाहर निकलने का कोई रास्ता मिल जाये ।

राजकुमार वनदेवी की जादुई शक्ति से अपने आप को सुरक्षा कवच में घेर लिया ताकि कोई अचानक खतरा भी आ जाये तो उसे कोई नुकसान न पहुंचे। राजकुमार महल की एक दिशा की ओर चलने लगा ।

राजकुमार अभी कुछ ही देर आगे चला था तभी उसे अपने पीछे किसी की सरसराने की आवाज सुनी । आवाज सुनते ही राजकुमार पलटकर देखी की लाखों मकड़ियां उसके पीछे पीछे आ रही थी । राजकुमार के पलटते ही मकड़ियां राजकुमार के ऊपर हमला कर दिया लेकिन राजकुमार सुरक्षा कवच में था इसलिए उसे कुछ नही हुआ लेकिन मकड़ियां राजकुमार को इस तरह ढक लिया कि उसका कोई भी अंग नही बचा था । 

राजकुमार को कुछ भी दिखाई नही दे रहा था । राजकुमार न चाहते हुए अपने जादुई शक्ति से अपने सुरक्षा कवच के चारो तरफ आग लगानी पड़ी । आग लगते ही मकड़ियां मरने लगी लेकिन जितनी मकड़ियां मरती थी उससे ज्यादा और पैदा हो जाती थी। राजकुमार भी कुछ सोच नही पा रहा था कि इन मकडियों से कैसे छुटकारा पाया जाए । 

ऐसे ही न जाने कितने समय तक होता रहा है। राजकुमार को पता ही नही चला कि कब रात हो गयी और तीसरा पहर चालू हो गया। अचानक जो मकड़ियां राजकुमार पर हमला कर रही थी वही मकड़ियां अब धीरे धीरे एक जगह जाने लगी । राजकुमार यह सब देख थोड़ा सोच में पड़ गया कि आखिर ये मुझ पर हमला छोड़ कर कँहा जाने लगी ।

वह मकड़ियां दीवार के कोने में खड़े एक व्यक्ति के शरीर मे समाने लगी । धीरे धीरे  सभी मकड़ियां उसके शरीर मे समा गई । राजकुमार को अंधेरे के कारण व्यक्ति का चेहरा समझ मे नही आ रहा था । 

थोड़ी देर में वह आदमी राजकुमार के पास आया जिसके चेहरे पर केवल एक ही आंख थी । गले मे वही माला पड़ी हुई थी जिसके बारे में गाय ने राजकुमार को बताया था।

राजकुमार माला को देखते ही समझ गया कि यही मायासुर है , इसे ही अपने वश में करना है।

राजकुमार को देखकर मायासुर गरजती हुई आवाज में बोला - " तुम कौन हो ? और यँहा पर कैसे पहुंचे? "

राजकुमार मायासुर को अपना परिचय दिया और कैसे पहुंचा और यँहा पर क्यो आया सब बता दिया। 

राजकुमार का परिचय जानने के बाद मायासुर बोला - " राजकुमार अगर अपनी जान की सलामती चाहते हो तो वापस लौट जाओ अन्यथा बेमौत मारे जाओगे ।"

राजकुमार मायासुर की बाते सुनकर हंसकर बोला - " जो व्यक्ति मौत को हर रोज चुनौती देकर जीतता चला आ रहा है उसे तुम मौत की धमकी दे रहे हो । अगर तुम जीवित रहना चाहते तो ये सभी जानवर को अपने तिलिस्म से आजाद कर दो और मुझे अजीबो गरीबो पक्षी के पास पहुंचा दो । "

राजकुमार की बाते सुनकर मायासुर पागलों की तरह हंसने लगा । हँसते हँसते अचानक उसने राजकुमार की तरफ एक किरण छोड़ दी । किरण राजकुमार के सुरक्षा कवच टकरा दूसरी तरफ चली गयी ।

इस तरह से अचानक अपने ऊपर हमला देख कर असावधान खड़ा राजकुमार चौक गया । और चौकने के साथ साथ सतर्क भी हो गया।

राजकुमार भी पलटवार में अपने तीर कमान से एक तीर मायासुर की ओर छोड़ दिया लेकिन मायासुर अपने तिलिस्मी शक्ति से तीर को हवा में गायब कर दिया।

मायासुर ने अबकी बार राजकुमार के ऊपर अपनी तिलिस्मी शक्ति से पत्थरो की बारिश कर दी । राजकुमार के ऊपर तब तक बारिश होती रही जब तक राजकुमार पत्थरों के नीचे दब नही गया ।

मायासुर इधर खुश था , उधर राजकुमार वनदेवी की जादुई शक्ति अपने आप को एक मक्खी के रूप में कर लिया । और पत्थरों के छेदों से बाहर निकल आया।

मायासुर इधर सोच रहा था कि वह पत्थरो के नीचे फसा बाहर निकलने के लिए छटपटा रहा होगा। लेकिन उधर राजकुमार मक्खी के रूप में बाहर निकल कर मायासुर के पास गया।

मायासुर के गले मे पड़ी माला के पास गया अपने मक्खी के रूप में अपने आंख से माला के धागा की तरफ एक किरण छोड़ दी माला के धागा में किरण लगते ही माला टूट कर नीचे गिर गया।

माला के नीचे गिरते ही राजकुमार मक्खी का रूप त्याग कर तुरंत अपने असली रूप में आ गया और माला के मोती तथा लाल मणि को अपने हाथ मे ले लिया। यह सब इतनी जल्दी हुया की मायासुर समझ ही नही पाया।

वह राजकुमार के हाथ मे माला देखकर घबरा गया। और माला वापस लेने के लिए दौड़ा लेकिन तब तक राजकुमार अपने आप को सुरक्षा कवच में घेर लिया।

राजकुमार मायासुर से बोला अगर तुम अपने जान की सलामती चाहते हो तो इन सब जानवरो को छोड़ दो और मुझे अजीबो गरिबो पक्षी के पास पहुंचा दो क्योंकि मुझे पता है कि तुम्हारी जान माला के लाल मणि में है ।

मायासुर अपनी जान बचाने के लिए राजकुमार के आगे गिड़गिड़ाने लगा । राजकुमार मायासुर से बोले - " तुम इन जानवरों को ठीक कर दो और मुझे पक्षी के पास पहुंचा दो मैं तुम छोड़ दूंगा । "

मायासुर न चाहते हुए भी जान बचाने के लिए बोला - इन जानवरों को सही करने के लिए माला के चारो मोती को तोड़ना पड़ेगा । और पक्षी तक पहुंचने के लिए तुम्हे मेरे साथ चलना होगा । "

राजकुमार ने एक पल की देरी किये बिना माला के चारों मोती को जादुई शक्ति से तोड़ दिया । मोती के टूटते ही सभी जानवर जीवित हो गए और वही पहुंच गए जंहा से मायासुर इन्हें लेकर आया था।

मायासुर राजकुमार से बोला  -"अब तुम मेरे पीछे चलो तुम्हे मैं पक्षी तक पहुंचा दूं ।"

इतना कहने के बाद मायासुर एक दिशा की ओर चलने लगा  । राजकुमार भी मायासुर के पीछे चलने लगा । मायासुर राजकुमार को महल के ऐसे  कमरे में ले गया जंहा चारों तरफ तिलिस्म से सम्बंधित कुछ न कुछ दीवार में चित्र बने हुए थे ।

एक चित्र अजीबो गरीबो पक्षी का बना हुआ था । मायासुर  राजकुमार से बोला - "तुम उस चित्र के पास खड़े हो जाये उसके बाद मैं अपने तिलिस्मी जादू से तुम्हे उस पक्षी के क्षेत्र के सीमा के पास पहुंचा दूंगा क्यो की उस पक्षी के क्षेत्र के अंदर मेरी शक्तियां काम नही करती है उसके आगे तुम खुद उस पक्षी तक पहुचने का रास्ता खोजना । तुम जैसे ही पक्षी के पास पहुंच जाओगे मेरी लाल मणि मेरे पास आ जायेगी ।"

राजकुमार बोला -" ठीक है लेकिन तुम अब अपनी तिलिस्मी शक्ति का गलत उपयोग न करना अगर तुमने गलत उपयोग किया तो मुझे कहि न कही से पता चल ही जायेगा  उसके बाद मैं तुम्हे जीवित न छोडूंगा इसलिए आगे से ध्यान रखना कोई गलत काम न करना ।"

मायासुर ने कहा - " ठीक है आगे से कोई गलत काम नही करूंगा ।"

इसके बाद राजकुमार उस चित्र के पास गया । मायासुर अपनी शक्ति से राजकुमार को अजीबो गरीबो पक्षी के क्षेत्र के सीमा में पहुंचा दिया । राजकुमार के पास अभी भी लाल मणि थी। 

राजकुमार पक्षी के क्षेत्र की सीमा पार करके उसमें प्रवेश कर गया। राजकुमार अभी कुछ दूर  ही चला था तभी  उसे  एक अजीबो गरीबो पक्षी दिखा । जिसके चोंच  की जगह शेर का मुंह था ।पैर घोड़े के तरह थे । पूंछ गाय की तरह व शरीर हाथी जैसा था ।

राजकुमार ने अंदाजा लगाया कि यह वही पक्षी है जो मुझे तिलिस्म के अगले द्वार तक पहुंचने में मदद करेगा। राजकुमार पक्षी के पास गया । और अपने आने का कारण बताया । 

पक्षी राजकुमार से बोला - क्या तुम तिलिस्मी फल लाये हो  क्योकि उसी के द्वारा तुम अगले तिलिस्मी द्वार में पहुंच पाओगे।

राजुकमार बोले  - हाँ लाया हूँ।

इसके बाद अजीबो गरीबो पक्षी राजकुमार को अपने साथ लेकर एक दिशा की ओर चल दिया । लगभग एक किस चलने के बाद एक गुफा दिखाई दी । दोनों लोग गुफा के अंदर चले गये । गुफा के अंदर कुछ दूर चलने पर राजकुमार को एक पानी की दीवार मिली जिसमे एक छोटा सा छेद बना हुआ था ।

पक्षी राजकुमार से बोला  - "इस छेद में तुम तिलिस्मी फल डाल दो , फल डालने के बाद दीवार से एक पानी की धार निकलेगी जो तुम्हे तिलिस्म के अगले द्वार तक पहुंचा देगी ।"

इसके बाद राजकुमार ने तिलिस्मी फल को छेद में डाल दिया । फल डालने के बाद दीवार से एक पानी की धार निकली और राजकुमार को लपेटकर अपने अंदर समेट लिए।


राजुकमार तिलिस्म के अगले द्वार में पहुंच गया जंहा चारों तरफ पानी ही पानी था। राजकुमार पानी मे तैर रहा था। राजकुमार वनदेवी की जादुई शक्ति  द्वारा हवा में उड़ने के लिए तैयार हुया था कि तभी राजकुमार के शरीर मे एक रस्सी जैसी भुजा आकर लिपट गयी ।और राजकुमार को पानी के नीचे घसीट लिया ।

                                         क्रमशः ..................💐💐💐💐💐

अगला भाग जैसे ही अपलोड करू , उसका नोटिफिकेशन आप तक सबसे पहले पहुंच जाए इसलिए मुझे जरूर फॉलो करें । और यह भाग आपको पढ़कर कैसा लगा अपनी सुंदर समीक्षा देकर जरूर बताएं । अगला भाग आने तक सबको राम राम🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏



विक्रांत कुमार
असोथर फतेहपुर 
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