Dohen ka Sahityak Vivechan - 2 in Hindi Anything by Sonu Kasana books and stories PDF | दोहें का साहित्यिक विवेचन - 2

Featured Books
  • પ્રેમ સમાધિ - પ્રકરણ-122

    પ્રેમ સમાધિ પ્રકરણ-122 બધાં જમી પરવાર્યા.... પછી વિજયે કહ્યુ...

  • સિંઘમ અગેન

    સિંઘમ અગેન- રાકેશ ઠક્કર       જો ‘સિંઘમ અગેન’ 2024 ની દિવાળી...

  • સરખામણી

    સરખામણી એટલે તુલના , મુકાબલો..માનવી નો સ્વભાવ જ છે સરખામણી ક...

  • ભાગવત રહસ્ય - 109

    ભાગવત રહસ્ય-૧૦૯   જીવ હાય-હાય કરતો એકલો જ જાય છે. અંતકાળે યમ...

  • ખજાનો - 76

    બધા એક સાથે જ બોલી ઉઠ્યા. દરેકના ચહેરા પર ગજબ નો આનંદ જોઈ, ડ...

Categories
Share

दोहें का साहित्यिक विवेचन - 2

तेरा मेरा सब कहें,सब का कहे ना कोई।
जो सबको सबका कहे, प्रभु प्यारा सोई।।
इस दोहे का साहित्यिक विवेचन ।।

@ इस दोहे में एक गूढ़ दार्शनिक और आध्यात्मिक संदेश है। यहाँ "तेरा" और "मेरा" के माध्यम से भेदभाव और स्वार्थ की भावना की ओर संकेत किया गया है, जो मनुष्य के अहंकार से जुड़ी होती है। दोहे का पहला भाग "तेरा मेरा सब कहें, सब का कहे ना कोई" इस बात पर प्रकाश डालता है कि लोग अक्सर चीजों को अपने और दूसरों के बीच विभाजित करते हैं—अपने और पराए का भेद करते हैं। यह स्वार्थ और व्यक्तिवाद को दिखाता है, जहाँ हर कोई चीजों को अपने दृष्टिकोण से देखता है और अपने स्वार्थ के अनुसार कार्य करता है।

दूसरे भाग "जो सबको सबका कहे, प्रभु प्यारा सोई" में कहा गया है कि जो व्यक्ति सबको एक समान देखता है, बिना किसी भेदभाव के, वही ईश्वर का प्रिय होता है। यहाँ पर संत या ज्ञानी व्यक्ति की बात हो रही है, जो आत्मा के स्तर पर सभी को एक देखता है और किसी भी प्रकार के 'मेरा-तेरा' के भेद में नहीं फंसता। यह व्यक्ति निस्वार्थ, उदार और समानता का आदर्श होता है।

साहित्यिक दृष्टिकोण से यह दोहा संत साहित्य की धारा में आता है, जहाँ ईश्वर के प्रति समर्पण, निस्वार्थता, और मानव-मानव के बीच एकता पर जोर दिया जाता है। यह दोहा मानवता के मूल सिद्धांतों की वकालत करता है और हमें अपनी सीमित दृष्टि से ऊपर उठने का संदेश देता है।
इस दोहे की साहित्यिक विशेषताओं को कई दृष्टिकोणों से देखा जा सकता है, जैसे भाषा, अलंकार, भाव, और शैली। आइए इन विशेषताओं पर क्रमशः विचार करते हैं:

1. **भाषा**:
- **सरल और प्रवाहपूर्ण भाषा**: इस दोहे में सरल और सहज हिंदी भाषा का प्रयोग किया गया है, जो जनमानस के बीच आसानी से समझी जा सके। यह संत साहित्य का एक महत्वपूर्ण गुण है, जहाँ जटिल शास्त्रीय भाषा के बजाय सामान्य बोलचाल की भाषा का उपयोग किया जाता है।
  
- **प्राकृतिक और स्पष्ट अभिव्यक्ति**: दोहे में प्रयोग किए गए शब्द सामान्य हैं लेकिन उनके माध्यम से गूढ़ आध्यात्मिक संदेश व्यक्त किया गया है। यह संत साहित्य की एक खास विशेषता है कि गहन दार्शनिक विचारों को सामान्य और समझने योग्य भाषा में व्यक्त किया जाता है।

2. **अलंकार**:
- **तुलनात्मकता (उपमा)**: "जो सबको सबका कहे, प्रभु प्यारा सोई" में अप्रत्यक्ष रूप से ईश्वर और सच्चे भक्त के बीच तुलना की गई है। जो व्यक्ति निस्वार्थ और सभी को समान देखता है, वह ईश्वर का प्रिय हो जाता है। 

- **अनुप्रास अलंकार**: शब्दों की ध्वनि में लयबद्धता पैदा करने के लिए "कहे" शब्द का पुनरावृत्ति (अनुप्रास) है, जिससे काव्य में मधुरता आती है। यह दोहा सहज ही पाठक या श्रोता के मन को आकर्षित करता है।
   3. **भाव पक्ष**:
- **आध्यात्मिक भाव**: दोहे में जीवन के गहरे आध्यात्मिक सत्य को उजागर किया गया है। इसमें आत्म-अहंकार, भेदभाव और स्वार्थ की निंदा की गई है और समभाव, समर्पण, और निस्वार्थता की महिमा की गई है।
  

- **सामाजिक समरसता**: यह दोहा सामाजिक समरसता और एकता का संदेश देता है। "तेरा-मेरा" जैसे भेदभाव सामाजिक विभाजन का प्रतीक हैं, जबकि "सबका" एकता और सहयोग का प्रतीक है।

 4. **शैली**:
- **संत साहित्य की शैली**: यह दोहा संतों की शैली में लिखा गया है, जहाँ सरल भाषा और छोटे वाक्यों के माध्यम से गहन दर्शन और आध्यात्मिकता व्यक्त की जाती है। इस प्रकार की शैली लोक साहित्य में भी लोकप्रिय है क्योंकि यह आम जन के बीच सुलभ और समझने योग्य होती है।

- **नीतिपरक शैली**: यह दोहा नीतिपरक शैली का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। इसमें व्यक्ति के जीवन में एक नैतिक दिशा दिखाने का प्रयास किया गया है। यह नैतिकता के साथ ईश्वर की प्राप्ति के मार्ग को भी इंगित करता है।

5. **छंद**:
- **दोहा छंद**: यह रचना दोहा छंद में रचित है, जो भारतीय साहित्य में विशेष रूप से संत और भक्त कवियों द्वारा प्रयोग किया जाने वाला प्रमुख छंद है। इसमें 13-11 की मात्रा व्यवस्था होती है, जो इसे लयात्मक और सहज बनाती है। इस छंद का उपयोग ज्ञानवर्धक और शिक्षाप्रद बातों को कहने के लिए प्रचलित है।

6. **प्रतीकात्मकता**:
- "तेरा-मेरा" के माध्यम से स्वार्थ और भेदभाव का प्रतीक दिया गया है।
- "सबका" शब्द एकता, उदारता, और समभाव का प्रतीक है।
- "प्रभु प्यारा सोई" में ईश्वर के साथ सच्चे प्रेम और निस्वार्थता का संबंध बताया गया है।

#निष्कर्ष:
यह दोहा साहित्यिक दृष्टिकोण से अत्यंत समृद्ध है। इसकी सरल भाषा, गहन अर्थ, और सुंदर अलंकार इसे एक प्रभावी काव्य रचना बनाते हैं। यह न केवल आध्यात्मिक विचारधारा का प्रतीक है, बल्कि सामाजिक और नैतिक मूल्यों को भी प्रस्तुत करता है, जो इसे विशिष्ट साहित्यिक कृति बनाता है।