चलिए फिर से पीछे अतीत में चलते हैं और जानते हैं कि मोहनलाल को पत्र मिलने के बाद क्या हुआ।😌
मोहनलाल को पत्र मिलने के बाद नागराज सांप में बदल गया। कुछ देर बाद देविका, दक्ष और मोहनलाल मंदिर से पत्र और किताब लेकर लौट रहे थे।💭
रास्ते में अचानक तेज बारिश होने लगी। बारिश की वजह से पत्र और किताब भीग गए। .☹️
इस सबके बीच मोहनलाल ने पत्र को एक किताब में रखकर अपने पास रख लिया और एक अतिरिक्त कपड़े से ढक दिया।💔
चलते-चलते बहुत देर हो गई, लेकिन बारिश रुकने का नाम नहीं ले रही थी। तीनों बीच में एक बड़े बरगद के पेड़ के नीचे एक साथ रुक गए। ⏳
मोहनलाल पत्र और दोनों बच्चों को संभालता है और उन्हें पेड़ के नीचे बैठा देता है। पेड़ के पास बहुत सी झाड़ियाँ हैं, हो सकता है झाड़ियों के अंदर साँप और बिच्छू हों।💬
"पापा, यह पेड़ खतरनाक लग रहा है," देविका ने कहा। "हाँ, पर हमें यहीं रहना है," मोहनलाल ने कहा। "जब तक बारिश नहीं रुक जाती, हम यहीं रहेंगे।" दक्ष ने आँखें उठाईं और पेड़ के अन्दर देखा। "यहाँ कोई साँप या बिच्छू है?" उसने पूछा।😝😃
"चुप रहो दक्ष," मोहनलाल ने कहा। "हम जल्दी ही निकल जाएँगे।" "अच्छा, अब क्या?" देविका ने पूछा।
"हम बारिश रुकने तक यहीं रहेंगे," मोहनलाल ने जवाब दिया। "फिर हम घर चलेंगे।"
तीनों पेड़ के नीचे बैठकर आराम कर रहे थे। झाड़ियों से एक साँप निकलकर मोहनलाल के सामने खड़ा हो गया। मोहनलाल हाँफने लगा; वह बहुत डरा हुआ था। देविका और दक्ष को एक तरफ धकेलकर मोहनलाल साँप के सामने खड़ा हो गया। पेड़ की एक शाखा नीचे की ओर झुकी हुई थी; डर के मारे उसने पेड़ की उस शाखा को तोड़ दिया और उसे हाथ में पकड़ लिया। मोहनलाल खुद भी बहुत डरा हुआ था क्योंकि उसने साँप को डंडे से भगाया था। अचानक साँप आगे बढ़ने लगा। दक्ष और देविका पीछे खड़े होकर सब देख रहे थे।💕
सांप आगे बढ़ने लगा। अचानक देविका आगे आकर मोहनलाल के सामने खड़ी हो गई। देविका के माथे की रोशनी अपने आप तेज होने लगी। उसकी मणि (सांप का मोती) अपनी शक्तियां दिखा रही थी। उस रोशनी को देखकर सांप पीछे हट गया और अपने आप वापस आ गया। मोहनलाल की सांसें रुक गई थीं, उसे डर था कि कहीं सांप देविका को न डस ले... सांप को वापस जाता देख मोहनलाल ने देविका की तरफ देखा और देविका से पूछा, तुम ठीक तो हो? देविका पूछने लगी कि बाबा यहां क्या हुआ। सांप कहां गया? उसे किसने भगाया? वो ऐसा इसलिए पूछ रही थी क्योंकि कुछ देर पहले जब वो सामने आकर खड़ी हुई थी, तो वो उसकी मणि (सांप का मोती) के वश में थी, इसलिए अब उसे कुछ नहीं हुआ। जैसे ही मणि ने अपनी शक्तियों से सांप को भगाया, देविका फिर से सामान्य हो गई.... 😶
आसमान साफ हो गया और बारिश बंद हो गई। हवा में एक अजीब सी खामोशी छा गई, मानो जंगल खुद देविका को देख रहा हो। मोहनलाल बहुत घबरा गया था।🥶
अचानक, पेड़ों के बीच से एक हल्की सी आवाज़ गूंजी। तीनों ने आवाज़ की ओर देखा।
"वह क्या है?" दक्ष ने चिंता से भरी आवाज़ में पूछा।
मोहनलाल के चेहरे पर गंभीरता आ गई। "मुझे नहीं पता, दक्ष। लेकिन यह हमें जल्दी से यहाँ से निकल जाने की चेतावनी है।"😳😧
गुंजन तेज़ होती गई, और हवा में एक अलौकिक ऊर्जा का कंपन होने लगा। ऐसा लग रहा था मानो कोई अजीब शक्ति देविका के रत्न की ओर आकर्षित हो गई हो।😵🤯
"चलो, चलते हैं," मोहनलाल ने समूह को जल्दी करने का आग्रह करते हुए कहा। देविका बिल्कुल भी नहीं डरी और बोली, "बाबा, चलो थोड़ी देर और यहीं रुकते हैं और देखते हैं कि यह किसकी आवाज़ है।" मोहनलाल डर गया😶🌫
💫मोहनलाल दोनों बच्चों को लेकर वहाँ से चला जाता है। घर पहुँचते ही मोहनलाल ने दरवाज़ा खोला, अचानक मोहनलाल को घर के अंदर एक साँप दिखाई दिया मानो साँप उनके पीछे घर तक आ गया हो। देविका और दक्ष को कमरे की तरफ इशारा करते हुए मोहनलाल ने कहा, वहाँ तुम्हारा कमरा है, जाओ और कपड़े बदल लो। मैं खाना बना लूँगा, मोहनलाल खाना बना रहा था, अचानक फिर से एक अजीब सी आवाज़ सुनाई दी। उसने पीछे मुड़कर देखा तो वहाँ कोई नहीं था। उसे लगा कि यह एक भ्रम है और उसने फिर से खाना बनाना शुरू कर दिया..😌💫
मोहनलाल ने खाना बनाने में अपना ध्यान केंद्रित किया, लेकिन उसके मन में एक अजीब सी अनिश्चितता थी। वह सोच रहा था कि क्या वह साँप वास्तव में उनके पीछे घर तक आया था या यह उसकी कल्पना थी।💭
जैसे ही उसने खाना बनाना पूरा किया, देविका और दक्ष कपड़े बदलकर बाहर निकल आए।
"बाबा, खाना तैयार है?" देविका ने पूछा।
"हाँ, बेटा, खाना तैयार है," मोहनलाल ने मुस्कराते हुए कहा।
वे तीनों खाना खाने बैठ गए, लेकिन मोहनलाल को वह अजीब सी आवाज़ फिर से सुनाई दी। इस बार वह आवाज़ थोड़ी ज्यादा स्पष्ट थी।
"क्या हुआ, बाबा?" देविका ने पूछा, मोहनलाल के चेहरे पर चिंता देखकर।
"कुछ नहीं, बेटा, बस एक अजीब सी आवाज़ सुनाई दी," मोहनलाल ने कहा।दक्ष ने अपनी आँखें फाड़कर कहा, "क्या यह वह साँप है जो हमारे पीछे आया था?"मोहनलाल ने दक्ष को शांत करने की कोशिश की, "नहीं, बेटा, वह साँप यहाँ नहीं है।लेकिन जैसे ही उन्होंने खाना खत्म किया, वह आवाज़ फिर से सुनाई दी, इस बार और ज्यादा स्पष्ट।😶🌫⏳💕
मोहनलाल ने अपनी आँखें उठाकर देखा, और उसके हृदय में एक अजीब सी डर की भावना उत्पन्न हुई।
क्या वह साँप वास्तव में उनके घर में था?😶
क्या वह उन्हें खतरे में डाल रहा था?
☹️☹️
मोहनलाल को पता नहीं था, लेकिन वह जानता था कि उसे अपने परिवार की रक्षा करनी होगी।😶🌫
मोहनलाल ने अपने परिवार को शांत करने की कोशिश की, लेकिन उसके मन में एक अजीब सी चिंता थी। वह सोच रहा था कि क्या वह साँप वास्तव में उनके घर में था और क्या वह उन्हें खतरे में डाल रहा था।"मैं जाकर देखता हूँ," मोहनलाल ने कहा और वह कमरे से बाहर निकल गया।
देविका और दक्ष एक दूसरे की ओर देखकर डरने लगे।💭
"दीदी, क्या होगा?" दक्ष ने पूछा।
"कुछ नहीं, दक्ष," देविका ने कहा। "बाबा आकर बताएंगे।"💕
💭मोहनलाल ने पूरे घर में ढूंढा, लेकिन उसे कहीं भी साँप नहीं मिला। वह सोच रहा था कि शायद वह अपनी कल्पना कर रहा था।
💫जैसे ही मोहनलाल कमरे में आया तो उसने देविका के माथे में एक अजीब सी चमक फिर से देखी वह ये सोचने पर मजबूर हो गया की आखिर ये चमक है कि चीज कि जो मंदीर में हुई घटनाओ के बाद बार बार दिखाई दे रही है।। अचानक मोहनलाल को या आया की उसको पत्र पढ़ना है 💭💭💕पत्र पढ़ने पर ही उसको कुछ पता चल सकता है।। मोहनलाल किताब और पत्र उठाकर लाते है।। ये क्या पत्र राश्ते में आई बारिश कि वजह से पूरा भीग चुका था ☹️।।उसकी इंक फैल गयी थी। मोहनलाल ने जैसे ही पत्र खोला तो वह दुखी हो गया क्योंकि इंक फैलने की वजह से सारे शब्द अच्छे से नही दिख पा रहे थे।। फिर भी मोहनलाल ने अपना पूर्ण प्रयास करके उसको पढ़ा।।💫.......
क्या आप जानते हैं कि वह अजीब सी आवाज़ किसकी है??🗯 वह साँप कौन है जो उनका पीछा कर रहा है?🙊
जानने के लिए नोवेल पढ़ते रहें।🥰