Nagin aur Rahashymayi Duniya - 2 in Hindi Fiction Stories by Neha Hudda books and stories PDF | नागिन और रहस्यमयि दुनिया - 2

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नागिन और रहस्यमयि दुनिया - 2

                
             नागराज और उनसे जुडा रहस्य

देविका के पिताजी मोहन लाल मंदीर क्यों जातें हैं?? देविका के पिताजी मंदिर जाते समय बहुत घबराए हुए और डरे हुए थे क्योंकि देविका के सवालों ने अतीत के पन्नों को फिर से देखने के लिए उन्हें मजबूर कर दिया था। वे मंदिर की तरफ जाते हुए बहुत सारी अतीत की बातें सोच रहे हैं जिनमें से एक था मोहन लाला के परममित्र नागराज की मणि का रहस्य और देविका के आने वाले भविष्य की कड़ी भी इसी राज के साथ जुड़ी हुई है। 

देविका के पिताजी मंदिर में प्रवेश करते ही यह निश्चित करते हैं कि मंदिर में कोई है तो नहीं और यह पुष्टि होने के बाद कि कोई नहीं है वह एक बड़ी सी पेंटिंग के सामने खड़े हो जाते हैं। विशाल पेंटिंग मोहनलाल के मित्र नागराज की थी। 



वह उस पेंटिंग की तरफ देखते हैं, पेंटिंग में नागराज ने एक मुकुट पहना हुआ था। उस मुकुट की तरफ मोहनलाल थोड़ी देर देखते हैं। मोहन लाल के हाथ में एक छोटा डब्बा है, जिसे वह धीरे-धीरे जमीन पर रखते है। डब्बे को नीचे रखने के बाद खोलते हैं तो उसके अंदर एक गहरा हरे रंग का छोटा पत्थर रखा हुआ है। मोहन लाल ने धीरे-धीरे उस पत्थर को उठाया और नागराज की पेंटिंग के मुकुट में लगा दिया। मुकुट में पत्थर लगते ही मुकुट के अंदर से बहुत सारी रोशनी निकलने लगी और देखते ही देखते वह पेंटिंग एक दरवाजे में बदल गई। आख़िर क्या था इस दरवाजे के पीछे क्या आपको पता है?? दरवाजा धीरे-धीरे खुलता रहा और रोशनी भी कम होती रही दरवाजा पूरा खुलने पर मोहन लाल दरवाजे के अंदर चले जाते हैं। मोहन लाल के अंदर जाते ही दरवाजा बंद हो गया और वहां फिर से पेंटिंग दिखने लगी। दरवाज़े के अंदर था एक महल और वह महल किसी ओर का नहीं बल्कि नागराज का था। नागराज असल में एक इच्छाधारी नाग थे जोकी देविका के बचपन में कड़ी तपस्या के लिए मंदिर गए थे लेकिन उनकी तपस्या पूरी न होने की वजह से अब वे अपना इंसानी रूप धारण नहीं कर सकते। अब नागराज केवल सांप के रूप में ही उस महल के अंदर रहते है।आख़िर क्यों नहीं हुई थी नागराज की तपस्या पूरी ऐसा कौन सा कारण था?इसका कारण थी देविका वह नागराज की तपस्या के समय केवल 3 साल की थी । चलो चलते हैं अतीत में और जानते हैं कि क्या हुआ था उस तपस्या की रात। 

नागराज एक पंडित का रूप धारण कर उस मंदिर के पुजारी बने हुए थे। नागराज पुजारी की तरह अपना जीवन व्यतीत करते थे। मोहन लाल भी रोजाना देविका के साथ मंदिर जाने लगे। अब मोहन लाल और पुजारी की रोजना बाते होने लगी और दोनों एक दूसरे को अच्छे से जान गए । माहिनो बीत गए और उनकी बातें होती रही कब दोनों अच्छे मित्र बन गए मोहन लाल और पुजारी को पता भी नहीं लगा। दोस्ती गहरी होने तक मोहन लाल को यह बिल्कुल भी अनुमान नही था कि नागराज ही पुजारी है जो अब उनके अच्छे मित्र हैं। नागराज ने इस बात को रहस्य ही रखा की वह एक इच्छाधारी नाग है। 

नागराज का एक पुत्र भी था जिसका नाम दक्ष था। दक्ष उस समय पाँच साल का था जिस समय देविका की वजह से नागराज की तपस्या भंग हुई थी। 25 वर्ष की आयु तक दक्ष के अंदर कोई भी शक्तियाँ नहीं है और वह एक साधारण इंसान है। 25 वर्ष पूर्ण होने के बाद ही दक्ष भी अपना सांप का रूप धारण कर सकता है। 25 की उम्र के बाद वह भी अपने पिता जी की तरह इच्छाधारी नाग बन जायेगा।