Pratishodh - 2 in Hindi Adventure Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | प्रतिशोध - 2

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प्रतिशोध - 2

उस मर्द के घर पहुंचते ही वह छुई मुई और मितभाषी का चोला उतारकर फेंक देती और वाचाल हो जाती
"अरे मैं तुम्हे अपने साथ घर तो ले आया लेकिन तुंमने यह तो बताया ही नही कितने पैसे लोगी?
"कभी कोठे पर गए हो
आदमी उसकी बात सुनकर शरमा जाता तब वह कहती,"कोठे पर मोलभाव करना पड़ता है।कीमत तय हो जाने पर पहले कोठे वाली पैसे ले लेती है तब अपने बदन को छूने देती है।कोठेवाली क्यो कॉल गर्ल भी यही करती है,"वह बोली लेकिन मैं कोठेवाली जैसे या उन कॉलगर्ल की तरह नही करती।"
"तो तुम क्या करती हो?"वह आदमी उससे पुछता
""पहले मेरे शरीर को बरतो उसका उभोग करो और तुम्हे कितनी संतुष्टि मिलती है।उसके अनुसार पैसे दो
"इसमें तो तू।म घाटे में राह सकती हो
"फायदे में भी रह सकती हूँ।हो सकता है सामने वाला खुश होकर मेरी उम्मीद से ज्यादा दे दे।"
कई बार उसे ऐसे मर्द भी मिलते जो उतावले नजर आते।वह घर ले जाते ही उस पर टूट पड़ने का प्रयास करते तब वह बोलती
काहे इत्ते उतावले हो रहें हो।जब अक्खा रात साथ गुजारनी है तो तसल्ली रखो
और ग्राहक फिर शांत हो जाता।ग्राहक के घर मे प्रवेश करते ही उसका पहला सवाल होता
साहब दारू वार पीते हो या नही
शराब तो अब आम प्रचलन में आ गयी हैं कम से कम मुम्बई जैसे महानगर मे तो दारू न पीने वाले कम ही होंगे।शराब पीने वाले का शिकार करने में उसे ज्यादा मेहनत नही करनी पड़ती थी।वह दारू पीने वाले को प्यार मनुहार करके इतनी शराब पिला देती थी कि आदमी को अपने तन मन और वाणी पर नियंत्रण ही नही रहता था।शराब के नशे में डूबने के बाद आदमी रानी के शरीर को ज्यादा भोग भी नही पाता था।और एक बार नींद के आगोश में जाने के बाद घोड़े बेचकर ऐसा सोता कि
कभी भूले भटके उसके पल्ले ऐसा ग्राहक भी पड़ जाता जो दारू नही पिता हो।ऐसे ग्राहक का शिकार करने में उसे बड़ी मसक्कत करनी पड़ती थी।ऐसा ग्राहक सोने से पहले उसके शरीर का भरपूर उपभोग करता।उसके शरीर का कचूमर निकाल देता।पूरी तरह शारीरिक सुख पाने के बाद ही गहरी नींद में सोता।भले ही उसका शिकार गहरी नींद में सो जय वह कोई रिसके नही
लेती थी।वह नींद में सोये शिकार को नशीली दवा सूंघा देती थी।और शिकार नींद में ही बेहोश हो जाता।तब रानी बड़े ही इत्मीनान से पूरे घर की तलाशी लेती थी।वह कीमती सामान नगदी और जेवर ही चुराती थी।ये सामान ऐसा था जिसे वह बेहद आराम से चुराकर ले जा सकती थी।
रानी मर्दो को अपने जाल में फंसाकर उन्हें लूटने का यह काम पिछले एक साल से कर रही थी।
रानी का जन्म न तो ऐसी जाति में हुआ था जो शरीर बेचने का धंधा करती है।न ही उसने इस धंधे को अपनी खुशी से अपनाया था।उसे उमेश की बेवफाई ने इस धंधे में धकेलने को मजबूर किया था
उमेश का नाम होठो पर आते ही उसकी आंखें लाल हो गयी और क्रोध चेहरे पर साफ झलकने लगा।
साला कुत्ता
मादर
बहन
और उसने ढेर सारी गंदी गालियां मुँह से बक डाली।उमेश ने उसके साथ जो किया उससे उसे मर्दो से नफरत हो गयी थी