Nagin aur Rahashymayi Duniya - 1 in Hindi Fiction Stories by Hudda books and stories PDF | नागिन और रहस्यमयि दुनिया - 1

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नागिन और रहस्यमयि दुनिया - 1

 वैसे तो इस संसार में अरबों आकाशगंगाएं हैं उन सभी आकाशगंगाओं में से एक हैं  हमारीआकाशगंगा (मिल्कीवे) इसी आकाशगंगा का एक छोटा सा हिस्सा है हमारा ग्रह पृथ्वी, इसी पृथ्वी के अंदर बहुत सारे देश में से एक है भारत। 


भारत के एक छोटे से राज्य सिक्किम में रहने वाली लड़की है देविका। उसका गाँव बहुत छोटा और सुंदर है लेकिन गाँव में संसाधनों की बहुत कमी है। पढ़ाई के लिए आस पास कोई अच्छा स्कूल नहीं था और कोई अस्पताल या क्लिनिक भी नहीं। इन सभी चीजों के चलते, और लोगों की पुरानी विचारधारा की वजह से लड़कियों का पढ़ना ज्यादा उचित नहीं समझा जाता और उनका घर के काम में सहयोग करना ही ज्यादा बेहतर माना जाता है।


लड़कियों का घर के कामो में हाथ बटाना झाड़ू पोचा करना, बर्तन साफ ​​​​करना और घरो की चार दीवारों के अंदर रहकर अपना जीवन जीना ही उनके जीवन का हिस्सा बन गया है। देविका बेहद सुंदर और बिल्कुल किसी परी की तरह दिखने वाली एक साधारण सी लड़की है। उसकी आंखें हल्के नीले रंग की उसका रंग गोरा और बाल घुंघराले, घने और लम्बे है। वह इतनी सुंदर है कि कोई भी उसे देखकर उसकी आंखों में खो जाता और सम्मोहित हो जाता। बाहरी सुंदरता के अलावा भी वह बहुत गुणवान और बुद्धिमान है। देविका की विचारधारा बाकी लड़कियों से अलग है और वह एक स्वतंत्र जीवन जीना चाहती है। एक ऐसा जीवन जहां वह खुली सांस ले सके, अपनी मर्जी से सारे निर्णय ले सके और जीवन में कुछ अच्छा लक्ष्य हासिल कर सके। सामाजिक अपेक्षाओं और पिता की शुरुआती अनिच्छा के बावजूद, देविका के दृढ़ संकल्प और बुद्धि ने उसे आगे बढ़ाया। उसने अपने पिता को अपनी शिक्षा जारी रखने की अनुमति देने के लिए राजी किया और वह स्कूल में अव्वल रही।




अगर कोई व्यक्ति देविका की आंखों में एक मिनट से ज्यादा देख लेता हैं, तो देविका के माथे के बीच एक अजीब सी नीले रंग की रोशनी दिखाई देने लगती है और व्यक्ति सम्मोहित होने लगता है। कुछ दिन तक वह व्यक्ति केवल उसी के ख्यालों में ही खो जाता है। आख़िर क्यों लोग उसकी आँखों को ज्यादा देर देख लेने से सम्मोहित हो जाते है , यह बात देविका को सोचने पर मजबूर करने लगी है। वह रोज़ इन सवालों का जवाब ढूंढती और अपने पिता जी से ऐसा होने का कारण पूछती है। लेकिन उसके पिताजी यह बोल कर उसकी बात टाल देते हैं कि 23 साल की उम्र में तुमको सभी सवालों के जवाब खुद मिल जायेंगे। यह सुनकर देविका दूसरे कामो में लग जाती है और इस विचार को अपने अंदर से निकाल देती है लेकिन सवाल सुनते ही उसके पिताजी मोहन लाल घबरा जाते है और यह बोलकर की में मंदीर जा रहा हु वहाँ से चले जाते है। जैसे ही मोहन लाल  घर से बाहर निकले देविका ने कहा बाबा जल्दी वापस आ जाना... ठीक है देविका में कुछ ही देर बाद वापस आ जाऊंगा।। 


यह मेरी पहली स्टोरी है अगर आप सभी को पढ़ने के बाद अच्छी लगती है या बुरी लगती है तो कृपया कंमेंट में जरूर बताना।