नही, आई एम सॉरी...लेकिन आप आगे क्यों नहीं चल रही,,,कुछ हुआ हुआ है क्या?आप क्या सोच रही है?"..... कनिषा ने मासूम सा चेहरा बना कर पूछा,जिस पर असिस्टेंट ने जवाब दिया....."मुझे एक बहुत जरूरी काम याद आ गया है,एक काम करो बिल्कुल सामने वाले केबिन में चली जाओ,वही सीईओ का केबिन है,उन्हे अपना इंट्रो देने के बाद रिज्यूम दिखाना और हां ज्वाइनिंग लेटर पर साइन जरूर करवा लेना!"
"ठीईईईक है,पर क्या आप नही चल सकती?".... कनिषा ने पूछा,हालांकि जवाब देने सी पहले ही असिस्टेंट वहां से भाग गई....."क्या ये पागलों का ऑफिस है?.... भागती असिस्टेंट को देखते हुए कनिषा खुद में ही बड़बड़ाई और केबिन की ओर बढ़ने लगी।।
दरवाजे तक पहुंच उसने उस पर नॉक करते हुए पूछा....."मे आई कम इन?"
"येस".....अंदर से आवाज आते ही कनिषा ने दरवाजे पर धक्का दिया और नजरे नीचे किए बोली....."गुड मॉर्निंग सर!"
"तुम कौन हो?ऑफिस में पहले कभी देखा नहीं!"..... इशांक के असिस्टेंट विवेक ने कनिषा को ऊपर से नीचे तक अब्जॉर्ब करने के दो पलों के बाद पीछा।।।
"मैं इंटर्नशिप के लिए अप्वाइंट की गई हूं,मेरा नाम कनिषा रेड्डी है,आपसे मिल कर खुशी हुई!".... कनिषा ने जैसे ही ये कहा,अपनी कुर्सी पर सिर झुका कर बैठे इशांक ने नजरें ऊपर कर ली,,अपने केबिन के दरवाजे पर दो महीने पहले मिली लड़ाकू लड़की को खड़ा देख, इशांक अपनी जगह से खड़ा हुआ,एक पल के लिए उसे अपनी नजरों पर यकीन नही हुआ,पर जब उसने अपनी जिंदगी में चल रही उथल पुथल के बारे में सोचा,उसे इस नजारे पर यकीन करना ज्यादा मुश्किल ना लगा!
"तुम्हे कम्पनी में इंटर्नशिप के लिए चुना है?"..... इशांक बड़ी ही बेरूखे तरीके से चिल्लाया।।
अचानक आई इस तेज आवाज से कनिषा ना का पूरा शरीर थरथरा गया,और उसने अपने कदमों को पीछे घसीट लिया,विवेक के चेहरे पर देखते हुए जब उसने अपने गर्दन को तनना शुरू किया,उसे पीछे इशांक का वही भावशून्य चेहरा दिखाई पड़ गया,अपने मुंह पर हाथ रख उसने विवेक से हकलाते हुए पूछा......"आप.... ही सीईओ...हैं ना? प्लीज हां में जवाब देना!"
"माफ करना,लेकिन मैं हां में जवाब नही दे सकता!"....सामने से हटते हुए विवेक ने इशांक की ओर इशारा किया और कहा......"ये हैं मिस्टर इशांक देवसिंह,कम्पनी के सीईओ!"
विवेक की बात अपनी पूरी भी ना हो सकी थी,की उसकी बात को बीच में ही काटते हुए इशांक ने गुस्से से कहा....."गेट आउट,मैं तुम्हे इस कंपनी में इंटर्नशिप के लिए स्वीकार नही करता!"
"क्यायायाआ??...पर क्यों?"..... कनिषा ने कहने से पहले अपने थूक को निगल लिया....."मैने सभी कंपनी को रिजेक्ट कर दिया,ताकि यहां काम कर सकूं,और आप मुझे बेवजह ही निकाल रहे हैं!"
"मैं यहां का सीईओ हूं,इसलिए किसी को निकालने के लिए मुझे वजह की जरूरी नही पड़ती,गेट आउट".....कहते कहते इशांक के दिमाग में दो महीने पहले, कनिषा द्वारा कही हर एक बात घूम गई,शादी के लिए लड़की ना मिलने पर पहले से ही फ्रस्टेटेड ईशांक कनिषा को सामने देख और अधिक झल्ला गया।।।
दूसरी कंपनी में भी नौकरी मिलने की नाउम्मीदी को गिरते हुए कनिषा ने मन ही मन सोचा...."उस दिन के लिए सॉरी कह दूं क्या?... उम्मम्म,कह ही देती हूं,जरूरत के सामने तो गदहे को भी बाप बनाना पड़ता है!....इतना सोच वो केबिन के अंदर दाखिल हुई और इशांक के सामने अपना रिज्यूम रखते हुए बोली......"आपको पहले मेरा रिज्यूम देखना चाहिए,और उस दिन के लिए.... सो...सॉरी,मैं उस दिन मेंटली डिस्टर्ब थी,जिसके कारण वो सब कुछ हो गया,आप भी तो सोचिए ना मेरे रिज्यूम पर इंटर्नशिप के लिए आपकी कंपनी का नाम लिखा है,ऐसे में दूसरी कंपनी जा कर कौन सा रीजन दूंगी यहां से निकाले जाने का,और पहले दिन ही यहां से निकाले जाने के ठप्पा के साथ कौन सी कंपनी मुझे जॉब देगी......
इशांक जो आपकी कॉन्ट्रैक्ट मैरेज को लेकर काफी उलझा हुआ था,,उसने कनीषा की एक भी बात पर गौर ना किया,हालांकि कनिषा की बंद ना होने वाली आवाज उसे आगे का प्लान बनाने में डिस्टर्ब जरूर कर रही थी,शायद यही कारण था की कनिषा का गुस्सा विवेक पर निकालते हुए वो चिल्लाया....."कहीं से भी एक लड़की ढूंढ कर लाओ,मुझे ये पेपर्स आज शाम तक विक्रम के मुंह पर मरना,क्या इतनी सी बात तुम्हे समझ नही आ रही?"....चिल्लाते हुए उसने हाथ में लिए पेन को टेबल पर फेंक दिया और आगे बढ़ कर दांत पीसते हुए विवेक से बोला....."मुझे उस पेपर पर किसी भी एक लड़की का साइन चाहिए,कोई भी ऐसी लड़की जो अपनी शर्त ना लगाए,क्या तुमसे एक लड़की अरेंज नही हो रही?मैं ये डीला ऐसे ही नहीं हार सकता,कहीं से भी एक लड़की का साइन लाओ!"
"आप इतना भड़के हुए क्यों है,मैने लड़की अरेंज तो किया था,आपको ही वो पसंद नही आई तो,थोड़ा और वक्त तो दीजिए,दूसरी ढूढने के लिए".....विवेक का कहना खत्म ही हुआ था,की उसी पल उन दोनो के बीच एक पतला गोरा हाथ आ गया,जिसके हाथ में हल्के हरे रंग का पेपर था, उस पर नजरे पड़ी ही थी,की कनिषा जो पेपर पकड़े खड़ी थी बोली......"लड़की बाद में ढूंढना,पहले साइन कर दो,मुझे क्लास भी अटेंड करना है,क्या आप अपनी पर्सनल लाइफ को प्रोफेशनल से मिक्स कर के रखते हैं?देखिए बात बिल्कुल साफ है...आप ऑफिस या काम के थ्रू मुझसे उस दिन का बदला नही ले सकते,जब हम दोनो ऑफिस के बाहर होंगे तब मैं आपको बदला लेने का पूरा मौका दूंगी।।
"एक सेकंड के अंदर यहां से"....कहते हुए इशांक ने कनीषा के हाथ से पेपर लिया और जमीन पर पटकते हुए उस पर भी चिल्लाया...."निकल जाओ!"
"अरे आप तो बड़े बत्तमी"....आगे कुछ भी कहने से पहले कनिषा ने अपने जीभ को काट लिया और अगले ही पल अपने शब्दो को मुंह में जो पलटे हुए बोली...."प्लीज मुझे यहां इंट्रशिप करने दो,एक साल ही तो करना है,फिर मैं अपना जॉब किसी दूसरी कंपनी में ढूंढ़ लूंगी,अभी मेरी मुश्किलें क्यों बढ़ा रहे हैं आप??"
दूसरी ओर इशांक ने जैसे ही पेपर नीचे फेंक विवेक की नजरे उन पेपर्स पर पड़ी, जिसपे साफ साफ अक्षरों में लिखा था..."मैरेज कॉन्ट्रैक्ट"...उसे देख वो कुछ पलों तक स्तब्ध खड़ा सोचता रहा है की आखिर वो पेपर कनिषा के पास कैसे आया,,तभी केबिन का दरवाजा खुला और इशांक का वकील अपने हाथ में एक सफेद पेपर लिए आने लगा।।
उसे देखते ही इशांक ने कनिषा से बहस करना छोड़ उससे पूछा....."हर्षित कॉन्ट्रैक्ट बना लिया??"
उसका वकील कुछ कह पता उससे पहले ही कनिषा बोली..."हेलो !अंधे आदमी!"
"चुप हो जाओ,गलती तुम्हारी थी,तुम मुझसे टकराई थी".....हर्षित ने कहा,जिस पर ईशांक ने कनिषा की ओर ऐसे देखा,मानो वो उसे अभी निगल जाएगा।।
इधर उनकी बातों को सुनते हुए विवेक अपने दिमाग में पूरी कहानी समझ गया,और नीचे बैठ कर पेपर उठाने लगा,उसी पल अचानक उसे कुछ सूझा और पेपर लेकर खड़ा होते ही उसने इशांक की बाह पकड़ उसे एक और खींच लिया...."सर!आप क्यों उस लड़की के पेपर साइन नही कर रहे,आपको पता भी है,वो हर साल अपने कॉलेज में टॉप करती है,और उसका बनाया प्रोजेक्ट इंटरनेशनल लेवल पर सेलेक्ट हुआ था,हमारी कंपनी को इसी तरह के यंगस्टर्स चाहिए,तभी तो न्यू आइडिया मिलेगा!"
"तुमने चेक तो किया है ना...मुझे लगता है इसने ये सारी डिग्री धमका कर हासिल की है,इसके बोलने का तरीका नही सुना..निहायती मुंहफट लड़की है,,कही सब फर्जी तो नही है!".....
"नही है,आप साइन कीजिए,पहले इसे यहां से भेजते हैं,फिर लड़की के बारे में सोचते हैं!".....
"रेटिंग्स देने में बस थोड़ा वक्त लगेगा🥹🥹"