Bekhabar Ishq - 14 in Hindi Love Stories by Sahnila Firdosh books and stories PDF | बेखबर इश्क! - भाग 14

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बेखबर इश्क! - भाग 14

"क्या बकवास प्लान है, किस लड़की से जा कर कहूं की एक साल के लिए वो किसी को दुल्हन बन जाए,जूते से मार कर भगा देगी मुझे!"....विवेक इशांक के सामने झूंका,तभी इशांक ने अपनी पैनी निगाहे उसकी ओर उठाई,दोनो की नजरे जैसे ही एक दूसरे से टकराई,विवेक मासूमियत से खड़ा हो गया....."अच्छा मैं देखता हूं, पटाता हूं किसी का।।"

ऐसा कहने के बाद विवेक अपने सिर के बालों को नोचते हुए वहां से चला गया और इशांक मैरेज कॉन्ट्रकैट के लिए अपनी शर्ते नोट करने लगा।।
_________________

दूसरे दिन इशांक ऑफिस से निकल रहा था,तभी ना जाने कहां से अचानक विवेक उसके सामने आ धमका,पूरे तीस घंटे से गायब विवेक को सामने देख इशांक ने कुछ भी पूछने से पहले अपने सिर को हल्के से हिलाते हुए आंखो फैलाई,जिसे देख विवेक ने कहा...."हो गया,मुझे एक लड़की मिल गई!"

"कौन है...वो!".... इशांक ने गंभीरता पूर्वक पूछा।।

विवेक ने दबी सी आवाज में कहा....एक बैक स्टेज डांसर है, उम्र तेईस साल,रंग गोरा और एक्टिंग करने में माहिर,मैने उसे हर एक चीज समझा दिया है,और वो कल सुबह आपसे मिलना चाहती है!"

"एक बैक स्टेज डांसर!".... इशांक ने हैरानी से कहा..."तुम्हे ये लड़की मिली कहां से,कहीं ये कोई फ्रॉड तो नही!"

"नही वो फ्रॉड नही है,काफी सालों से मैं उसे जानता हूं,,वो मेरी क्लासमेट थी,बहुत मुश्किल से उसे मनाया है,कल प्लीज उसके साथ अच्छे से बिहेव करना,लड़की के पास होते ही जो खुजली आपको होती है,उसे कंट्रोल में रखियेगा,अगर कोई गलती हुई तो...वो भी छोड़ कर भाग जाएगी और मेरे पास कोई बैकअप प्लान नही है,,वो अपनी भी कुछ शर्त एड करवाना चाहती है,इसलिए ध्यान से,मैं उसे कल सुबह आपके होटल में ले आऊंगा".....विवेक ने कहते हुए ना जाने कितनी बार इशांक को अपनी तर्जनी उंगली दिखाई,और अंत में अपने ब्लेजर के आगे के दोनो बटन खोल कर, टाई की नॉट ढीली कर ली,केबिन में लगे चेयर पर बैठते हुए उसने फिर से कहना शुरू किया....." आप मिस रेविका से शादी क्यों नही कर लेते,आप तो उनसे एक बार कहेंगे वो आपसे सात जन्म के लिए शादी कर लेंगी,इन सब चक्करों से आजाद हो जाएंगे हम!!"

"रेविका??"..... इशांक अपनी सीट से खड़ा हुआ और सामने कुर्सी पर पास कर बैठे विवेक को अजीब तरह से घुटने लगा,जिसे महसूस कर विवेक बोला....."पूरी इंडस्ट्री जानता है की वो आप पर कितना मरती है,और फिर कितनी होशियार भी तो है,उनकी बनाई मिनी फाइल ने टेक्नोलॉजी डिप्रेटमेंट में तहलका मचा दिया था,उनका आईक्यू और आपका आईक्यू टकर का होगा,उनकी तरह जीनियस लड़की मैने आज तक नही देखी है.....

विवेक अपनी बात खत्म भी ना कर सका था,की तभी दरवाजे से एक बोल्ड और दिल लूभावन आवाज केबिन के चारो दीवालों से टकराई......"क्या यहां मेरी बात हो रही है?"


पीछे पलटने पर विवेक ने दरवाजे पर हाथ रखी एक लड़की को खड़ा देखा,वो इस तरह खड़ी थी,मानो मॉडलिंग के लिए पोज दे रही थी,उसकी छरहरी कमर हल्की सी निकली हुई थी और उसने खुद को दरवाजे की चौखट पर झूंका रखा था, कथी रंग की फिटिंग फ्रॉक में  उसके गोरे लंबे सुडौल पैरों में सफेद हाई हील्स नजर आ रही थीं।।

"ये तो सच है की मैं जीनियस हूं,लेकिन क्या मैं खूबसूरत नही लगती?".....कहते हुए वो सीधा हुई और अपने दोनो हाथों को सीने पर बांध अंदर की ओर बढ़ने लगी,उसे वहां देख इशांक ने कुछ भी रिएक्ट ना किया और वापस अपने चेयर पर बैठ लैपटॉप ऑन करने लगा।।

बचपन में अपने परिवार से बिछड़ जाने के बाद रेविका को देवसिंह खानदान ने तब अपना लिया,जब एक सेलिब्रेशन के दौरान उसे बंगले में खाने की चोरी करते हुए पकड़ा गया,तब से लेकर आज तक वो इशांक के दिल में अपने लिए जगह बनने की कोशिश में लगी हुई थी,पर ना कामयाबी ने जैसे उसकी हिम्मत ही तोड़ देती थी,इशांक द्वारा अनदेखा किए जाना उसे अच्छे से समझ आता था,लेकिन फिर वो इशांक के वर्किंग टेबल पर बैठ गई,एक के ऊपर एक पैर को चढ़ते हुए उसने अपनी दोनो हथेली को टेबल पर टिका लिया......"मुझे नही बताओगे की तुम दोनो किस बारे में बाते कर रहे थे?"

रेविका के बैठने के तरीके को देख इशांक तुरंत वहां से उठा और अपने सभी कंप्यूटर ऑफ कर विवेक से ये कहते हुए निकल गया की...,"मैं सुबह होटल पहुंच जाऊंगा, उस लड़की को भेज देना।।"

"ठीक है.... सर".... जवाब देने से पहले विवेक ने रेविका के चेहरे पर आए सदमे के भाव पर गौर किया,हालांकि इशांक केबिन से बाहर निकलता उससे पहले ही वो बोल पड़ी...."तुम होटल में लड़कियों से क्यों मिल रहे हो,आखिर तुम दोनो के दिमाग में चल क्या रहा है??"

"अपने काम पर ध्यान दो,ये मत भूलना की तुम्हे मै इसलिए झेलता हूं... क्योंकि तुम्हे डैड ने अपने साथ रहने की इजाजत दे दी थी,और बिना इजाजत मेरे केबिन में आ कर इस तरह बैठने से तुम मुझे शर्मिंदा करती हो".....दरवाजे को खोल इशांक ने बिना पलटे ही कहा,उसकी सुगठित शारीरिक बनावट में अकड़न देख रेविका झट से समझ गई की उसका यहां आना इशांक को जरा भी पसंद नही आया है,इसलिए उसने आहिस्ते से उससे कहा....."मुझे माफ करना!"। 

इतना कह उसने इशांक के निकलने तक का इंतजार नही किया और टेबल से उतर कर तेजी से बाहर चली गई,,अपने दिल में ठोस यकीन होने के कारण की इशांक अपनी गहरी नफरत के कारण किसी लड़की का नही होगा,वो हमेशा निश्चिंत रहती थी,और अंत में उसके साथ शादी के सपने सजाया करती।।।

(क्रमश:)