जब जापान में अपनी मीटिंग से लौटते हुए,उसे वकील ने कॉल किया और बताया की,जिस संपति के हिस्सदारी के लिया वो क्लेम कर रहा है,उस संपति पर उसके सौतेले पिता ने शर्तें लगा दी है,जिसमे उसे तीन दिन के भीतर शादी कर लेना है,वरना ये महीना खत्म होते ही,वो हमेशा के लिए संपति से अपना दावादारी खो देगा, इस शर्त से इशांक कुछ बौखला सा गया,जिसे अपनी जिंदगी में कभी लड़की को शामिल नहीं करना था,अपने मकसद को पूरा करने के लिए उसे वहीं करने को मजबूर कर दिया गया था, यकीनन मिस्टर मेहरा ने ये शर्त जान बूझ कर लगाई थी,ताकि धोखे से हड़पे गए उसकी ही संपति से उसे अलग कर दे।।
अपने प्लान से विपरित परिस्थिति को बिगड़ा देख चेहरे पर गुस्से की लाली छा गई,जोरदार मुठ्ठी बांधने से हाथों की नसे नजर आने लगी,लेकिन इससे पहले की वो अपने आपे से बाहर निकलता टैक्सी ड्राइवर ने कहा......"वी हैव रिच्ड, डोंट नो फॉर हाउ लॉन्ग आई हैव बीन कॉलिंग यू!(हम पहुंच गए,पता नही कब से आपको आवाज लगा रहा हूं)"
ड्राइवर की आवाज से इशांक की सोच का रुख दूसरी ओर मुड़ा और टैक्सी से उतर वो अपने होटल रूम में चाल गया,काफी सोचने के बाद उसने जापान की अपनी सारी मीटिंग कैंसिल की ओर पहली फ्लाइट ले कर इण्डिया वापस लौट आया,,,घर की ओर बढ़ते हुए उसने अपने असिस्टेंट विवेक को मैसेज लिखा...."जल्द से जल्द आ कर मुझे बंगले पर मिलो!"
दूसरी ओर विवेक को इशांक का मैसेज मिला, तो उसके इतनी जल्दी जापान से लौटने पर उसे हैरानी हुई,,इसलिए कन्फर्म करने के लिए उसने कॉल किया,पहली रिंग में ही इशांक ने कॉल रिसीव कर लिया....."हां बोलो!!"
"आप जापान से लौट आएं हैं?"....
"बकवास करने का वक्त नहीं है,जल्दी से मुझसे आ कर मिलो!".....
"कुछ अर्जेंट है,पक्का कोई गड़बड़ हुई है ना?"....
"मेरी बात ध्यान से सुनो,तुम जहां कहीं भी हो,एक सेकंड के भीतर वहां से निकलो,अगले पंद्रह मिनट में तुम मुझे मेरे घर पर दिखने चाहिए!".....
"अच्छा आ रहा हूं!"......इतना कह विवेक ने कॉल रख दिया और ऑफिस में चल रही मीटिंग को डिस्मिस कर जल्दी से वहां से भागा।।
घर पहुंचने पर उसने इशांक को परेशान सा अपने सोफे पर बैठे देखा,उसकी स्तम्मक निगाहे अपने टैबलेट के स्क्रीन पर गाड़ी हुई थी,और एक दूसरे में उलझी उंगलियां ना जाने किस सोचवाट को बुन रही थी।।
"क्या हुआ है?कुछ बहुत बड़ी गड़बड़ी आ गई है क्या?क्या जापान में पीआई सिक्योर्टी सिस्टम के अपडेट की बात फाइनल नही हो पाई,क्या वो अपनी टेकनॉल्जी से हमें सपोर्ट नहीं करेंगे".....
"शांत रहो....और ये देखो!".... इशांक ने सामने रखें टेबल पर अपने टैबलेट को फेंका,और खड़े हो कर कहीं कॉल मिलाने लगा,जब तक की विवेक ने टैबलेट उठाया और उसमे खुले एक डॉक्यूमेंट को पढ़ने लगा।।
इधर इशांक ने अपने वकील को कॉल किया और उससे बोला....."उससे नोटिस भेजो की मैं शादी कर रहा हूं,वो आधी संपत्ति मेरे नाम करने की तैयारी करे!"
वो फोन पर लगा ही हुआ था की उसी पल विवेक अपने मुंह को हथेली से ढके चिल्लाया...."क्या बकवास कर रहा है ये मेहरा, इसने जान बुझ कर ऐसी शर्त लगाई है,वो अच्छे से जानता है आप लड़कियों के चक्कर में नही पड़ना चाहते,फिर भी इसकी हिम्मत तो देखो,आप कहे तो मैं इसे सब सिखाऊं!"
"नही!"....इशांक ने फोन को कान से लगाए हुए विवेक को जवाब दिया और वापस फोन पर बोला...."जल्द से जल्द मेरे लिए एक लीगल कॉन्ट्रैक्ट तैयार करो,एक मैरेज कॉन्ट्रैक्ट एक साल के लिए!"
"किसके साथ? क्या आपको दुल्हन मिल गई,आपने कब अरेंज किया,जापान से ही लेकर आए हैं क्या?".....फोन को दूसरी ओर से उसका वकील कोई सवाल पूछता उससे पहले ही विवेक आगे बढ़,इशांक से हैरानी से पूछने लगा,जिस पर इशांक ने अपने होंठो के बीच उंगली रख उसे चुप रहने का इशारा कर दिया।।
"मेरी नाम को जगह "ए" और लड़की के नाम की जगह "बी" का इस्तमाल करना,ताकि कॉन्ट्रकैट किसी की नजर में आने के बाद भी पहुंचना ना जा सके,ये कॉन्ट्रैक्ट सिर्फ मेरे और उस लड़की के बीच ही होगा, सिग्नेचर ही प्रूफ होगा,शादी के इस रिश्ते के लिए कुछ शर्ते होंगी,जिसे प्वाइंट वाईस मेंशन करना,शादी के खत्म होते ही मैं "बी" (लड़की) को चार करोड़ दूंगा,और अगर वो कॉन्टैक्ट तोड़ती है,तो उसे मुझे इसका चार गुना देना होगा,बाकी की शर्ते मै डिस्कस करना चाहता हूं,इसलिए तुम मुझसे आ कर मिलो!"......
"ओके सर...लेकिन क्या अपने "बी"(लड़की) ढूंढ लिया है??".....आगे से वकील ने पूछा,जिसे सुन इशांक ने अपनी नजरे सामने जिज्ञासुवश खड़े विवेक की ओर किया, इशांक की विश्वसित नजरों को अपने ऊपर गड़ा देख अचानक विवेक ने अपनी आंखे फैलाई और अपने हाथों से सीने पर रखते हुए चिल्लाया....."मैं नही करूंगा आपसे शादी,भाले ही आप के दिल में मेरे लिए कोई फीलिंग्स होगी,लेकिन मेरे दिल में कुछ नही है और मैं किसी लड़की से शादी करना चाहता हूं,समझे आप।।"
"शट अप.... इशांक ने सोफे पर रखे एक कुशन को उठा कर विवके के चेहरे पर मारा,लेकिन लगने से पहले ही विवेक ने कुशन को रोक लिया और फिर कहने लगा...."क्या आप चाहते हैं,की मैं आपकी दुल्हन बन जाऊं,एक साल के लिए"....कहते कहते विवेक अपने ख्यालों के सागर में गोते खाने लगा,जिसमे उसने सुर्ख ला रंग की साड़ी पहन रखी थी,और सुहागसेज पर ऐसे घूंघट निकाल कर बैठा था,जैसे वो कोई दुल्हन हो,इशांक जो उसके सामने बैठा उसके घुंगट को उठाने वाला ही था की तभी विवेक चिल्लाया....."कितना वाहियात ख्याल है,मैं उस टाइप का नही हूं!"
अपने ख्यालों से निकलते हुए विवेक ने हाथ में पकड़े कुशन को अपने सीने से लगाया और आहिस्ता आवाज में पूछा....."आपको लड़कियां पसंद है,तो कहीं इसकी वजह ये तो नही की आप मुझमें इंट्रेस्टेड हो गए हैं?"
"फालतू बातों की जगह काम करोगे!".....इशांक ने कहने से पहले विवेक के हाथ से कुशन छीन लिया और सोफे पर बैठ गया,गंभीरता से उसने फिर से कहा....."मेरे लिए एक लड़की ढूंढो,जो मेरे कॉन्ट्रैक्ट पर साइन करने को तैयार हो जाए,लड़की सिंपल और गरीब रहेगी तब भी चलेगा,वैसे भी मैं उससे एक साल के अंदर तलाक ले लूंगा,,और गरीबों को लालच देना ज्यादा आसान होता है, वैसे भी ये दुनिया लालच से भरी हुई है,,इस काम से लिए तुम्हारे पास मात्र दो दिन है,इस मामले को जल्द से जल्द खत्म करो,मुझे इस नाटक में अपना वक्त बर्बाद नही करना।।"