Tilismi Kamal - 19 in Hindi Adventure Stories by Vikrant Kumar books and stories PDF | तिलिस्मी कमल - भाग 19

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तिलिस्मी कमल - भाग 19

इस भाग को समझने के लिए इसके पहले से प्रकाशित सभी भाग अवश्य पढ़ें -----------------🙏🙏🙏🙏🙏🙏


राजकुमार उत्तर दिशा की ओर बढ़ता चला जा रहा था । लगभग आधे घंटे चलने के बाद राजकुमार को एक पहाड़ी नजर आने लगी । जो दूर से दिखने में काले रंग की दिखाई दे  रही थी । राजकुमार अब और तेजी से कदम बढ़ाने लगा ।

राजकुमार उस पहाड़ी के नजदीक पहुंच गया । राजकुमार पहाड़ी पर चढ़ने के लिए पहला कदम ही रखा कि पहाड़ी पर जोर से बारिश शुरू हो गयी । 

राजकुमार बिना घबराए हुए पहाड़ी में चढ़ने लगा । राजकुमार लगभग आधी पहाड़ी चढ़ चुका था । बारिश पूरे जोर से हो रही थी । लेकिन तभी आकाश में बिजली तेजी से  चमकी । और एक भयानक गड़गड़ाहट की । 

राजकुमार समझ गया कि अब वह बिजुलिका के क्षेत्र में प्रवेश कर चुका है । राजकुमार अपने म्यान से तलवार निकाल कर हाथों में ले लिया और आगे बढ़ने लगा ।

राजकुमार अभी दो कदम ही बढ़ा था कि बादलों को चीरती हुई एक आकाशीय बिजली राजकुमार के पीछे पहाड़ी में जा गिरी । और एक जोर धमाके के साथ उस जगह की जमीन टुकड़े टुकड़े होकर बिखर गई। जमीन के टूटते ही राजकुमार का संतुलन बिगड़ गया ।

और वह आधी पहाड़ी से नीचे गिरने लगा । राजकुमार ने अपनी जादुई शक्ति से अपने आप को एक सुरक्षा कवच में ढक लिया । राजकुमार पहाड़ी से सीधा वही जाकर गिरा जँहा से उसने पहाड़ी चढ़नी शुरू की थी ।

सुरक्षा कवच में होने के कारण राजकुमार सुरक्षित था । इस बार राजकुमार ने पहाड़ी पर ऊपर जाने के लिए अपनी जादुई शक्ति का सहारा लिया । राजकुमार अपने शरीर को हवा में उड़ाया और पहाड़ी की चोटी पर पहुंचने के लिए उड़ चला ।

राजकुमार जैसे ही आधी पहाड़ी पर पहुंचा फिर से उस पर आकाशीय बिजली ने वार किया । लेकिन इस बार राजकुमार सतर्क था । उसने आकाशीय बिजली से अपने आप को बचा लिया । और हवा में उड़ते हुए पहाड़ी के चोटी पर पहुँचने लगा ।

राजकुमार चोटी के जितने नजदीक पहुंचता जा रहा था । आकाशीय बिजली उतनी ही जल्दी जल्दी वॉर करने लगी । लेकिन राजकुमार हर बार बचता हुया आखिर कार चोटी तक पहुंच गया ।

वँहा पहुंचने के बाद राजकुमार ने चारों तरफ नजरें दौड़ाई लेकिन उसे बिजुलिका कही नजर नही आई । राजकुमार परेशान हो गया उसे लगा कि नगीना ने उससे झूठ बोला है । 

राजकुमार यह सब सोच ही रहा था कि उसे चोटी के एक दिशा कि ओर एक प्रकाश हवा में प्रकट होते हुये दिखाई दिया । 

प्रकाश धीरे धीरे  एक आकृति में बदल रहा था । और जब आकृति पूरी तरह से बन गयी तो वह आकृति और किसी की नही बिजुलिका की थी । जिसका पूरा शरीर चमचमा रहा था।

राजकुमार समझ गया , यह और कोई नही बिजुलिका है । राजकुमार बिजुलिका से बात करने के लिए उसके करीब जाने लगा । बिजुलिका राजकुमार को अपनी ओर आते देखकर अपने दोनो हाथ ऊपर किये और कुछ मंत्र बोलने लगी । मंत्र पूरा होते आकाशीय बिजली बिजुलिका के हाथों में समाने लगी । 

बिजुलिका को ऐसा करते देखकर राजकुमार वही पर रुक गया । राजकुमार को समझने में देर नही लगी कि बिजुलिका उस पर हमला करने वाली है । राजकुमार तुरन्त अपने शरीर को सुरक्षा कवच में ढक लिया ।

इधर तब तक बिजुलिका के हाथों में आकाशीय बिजली समा चुकी थी । बिजुलिका हमला करने वाली ही थी कि उससे पहले ही राजकुमार तेजी से बोला - " बिजुलिका पहले मेरी बात तो सुन लो मैं यँहा पर किस लिए आया ? " 

लेकिन बिजुलिका ने राजकुमार की बात नही सुनी और उस पर आकाशीय बिजली छोड़ दी । राजकुमार सुरक्षा कवच में ढके होने के कारण चोट तो नही आई लेकिन आकाशीय बिजली ने राजकुमार को उठा कर पहाड़ी के नीचे फेंक दिया।

राजकुमार तेज गति से जाकर जमीन में टकरा गए । जिस जगह राजकुमार टकराये थे उस जगह एक बड़ा सा गड्ढा बन गया । राजकुमार फिर से उठे और हवा में उड़ते हुए बिजुलिका के पास पहुंच गए ।

बिजुलिका राजकुमार को सही सलामत देख कर आश्चर्य चकित थी कि इतना भयानक वार भी इसको कोई नुकसान नही पहुंचा सका । बिजुलिका ने फिर से हमले की तैयारी करने लगी ।

लेकिन इस बार बिजुलिका राजकुमार पर हमला कर पाती उससे पहले ही राजकुमार बिजुलिका से बोला - " देखो , मुझे तुमसे केवल कपालिका का पता जानना है , मैं तुमसे यँहा पर लड़ने नही आया हूँ मुझे कपालिका का पता बता दो मैं यँहा से चला जाऊंगा ।"

बिजुलिका बोली -" मैं तुम्हारी कोई गुलाम नही हूँ जो तुम्हें कपालिका का पता बताऊँ ? "

इतना कहने के बाद बिजुलिका ने राजकुमार के ऊपर फिर से  आकाशीय बिजली से हमला कर दिया । लेकिन राजकुमार इस बार फुर्ती से अपनी जगह से हट गया । आकाशीय बिजली राजकुमार के पीछे पहाड़ी से जा टकराई । पहाड़ी का वह हिस्सा कई टुकड़ो में बिखर कर अलग हो गया ।

राजकुमार समझ गया कि ये अब ऐसे नही मानेगी । राजकुमार अपना शरीर हवा में उड़ाया और बिजुलिका से बोला - "तुम साधारण तरीके से तो नही मान रहे हो इसलिए अब मुझे मजबूरन अपना तरीके से तुम्हे मनवाना पड़ेगा "

इसके बाद राजकुमार ने अपने शक्ति से हवा का एक बड़ा सा बवंडर प्रकट किया । बिजुलिका कुछ समझ पाती इससे पहले ही राजकुमार ने बिजुलिका को बवंडर में कैद कर लिया। और बवंडर में कैद बिजुलिका को लेकर तेजी से ऊपर की ओर उड़ने लगा ।

बिजुलिका बवंडर में कैद थी , लेकिन जितनी बार बवंडर से निकलने की कोशिश करती उतनी ही बार फिर उसी बवंडर में फस जाती । बवंडर इतनी तेजी से घूम रहा था कि उसके अंदर बिजुलिका की आकाशीय शक्ति भी काम नही कर रही थी ।

इधर राजकुमार ऊपर की ओर उड़ रहा था । तभी उसकी नजर रेत के विशाल मैदान ( रेगिस्तान ) पर पड़ी । राजकुमार बिना देर किये बवंडर को रेत के मैदान की ओर ले जाने लगा । बाहर निकलने के लिए बिजुलिका बवंडर के अंदर छटपटा रही थी ।

इधर राजकुमार रेत के मैदान के करीब पहुंच गया था । उसने हवा में ही बवंडर को रोक दिया । और एक किरण रेत के मैदान पर छोड़ दी । वह किरण रेत के अंदर एक सुरंग बनाने लगी । 

राजकुमार बिजुलिका को बवंडर से आजाद करके सुरंग में ले जाने लगा । सुरंग के अंदर थोड़ी दूर जाने के बाद राजकुमार रूक गया । और बिजुलिका को आजाद कर दिया ।

बिजुलिका आजाद होते ही राजकुमार पर हमला करने के लिए अपनी आकाशीय शक्ति का आवाहन किया लेकिन आकाशीय शक्ति बिजुलिका के पास नही आई । शायद बिजुलिका भूल गयी थी कि रेत के या जमीन के अंदर उसकी कोई भी शक्ति काम नही करती है।

अपने साथ ऐसा देखकर बिजुलिका चौंक गयी । राजकुमार अपने म्यान से तलवार निकाला और बिजुलिका के गले मे लगाते हुए बोला - " देखो मैं तुम्हे मारने या नुकसान पहुंचाने नही आया हूँ ।मुझे बस कपालिका का पता बता दो मैं यँहा से चला जाऊंगा अगर तुमने नही बताया तो मुझे मजबूरी वश तुम्हे मारना होगा । तो अब बताओ कपालिका कंहा मिलेगी?"

बिजुलिका राजकुमार का इस तरह का वर्ताव देखकर डर गई और न चाहते हुए भी कपालिका का पता बताने को मजबूर हो गयी । बिजुलिका बोली - " कपालिका का निवास लाल पहाड़ी के वीरान खंडहर में है लेकिन वह खंडहर कहाँ है ये मुझे नही पता , क्योकि वह अपने शक्तियों से खंडहर को एक जगह से दूसरे जगह बदलती रहती है । "

कपालिका का पता जानने के बाद राजकुमार बिजुलिका से बोला - " अगर ये सब पहले बता देते तो मुझे यह सब नही करना पड़ता , मैं तुम्हे आजाद कर रहा हूँ लेकिन अब मुझ पर हमला मत करना । "

बिजुलिका भी मान गयी । राजकुमार फिर से अपनी शक्ति द्वारा बिजुलिका को उसके निवास स्थान पर ले गया । लेकिन इस बार बिजुलिका बवंडर में कैद न होकर बल्कि आजाद होकर आई थी । 

अपने निवास स्थान पर बिजुलिका पहुंचने के बाद एक दिशा की ओर इशारा करते हुए कहा - " इस दिशा में ही लाल पहाड़ी है वँहा की जमीन लाल रंग की है इसलिए उसे लाल पहाड़ी बोलते है । "

राजकुमार बिजुलिका से विदा लिया और लाल पहाड़ी की दिशा की ओर उड़ चला। राजकुमार तेज गति से आगे बढ़ रहा था । लगभग आधे घंटे चलने के बाद राजकुमार को लाल पहाड़ी नजर आने लगी । 

राजकुमार लाल पहाड़ी मे उतर गया । पहाड़ी पूरी तरह से बंजर दिख रही थी । चारो तरफ की जमीन लाल रंग की दिखाई दे रही थी । 

राजकुमार चारों तरफ सावधानी से देखा फिर कपालिका के खोज में निकल पड़ा । कपालिका जो भूत , प्रेत , जिन्न आदि की स्वामिनी थी । राजकुमार को वीरान खण्डहर की तलाश थी जिसमें कपालिका का निवास था ।

राजकुमार बस कुछ कदम आगे ही बढ़ा था कि उसे अपने सामने एक भूत आता हुया दिखाई दिया जिसकी आंखे लाल रंग की तरह चमक रही थी । उसका पूरा शरीर एक काले कपड़े से ढका हुया था । 

राजकुमार भूत को अपने पास आते देखकर अपने आप को तुरन्त सुरक्षा कवच से ढक लिया । भूत राजकुमार के पास आया और गरजती आवाज में बोला - " तुम कौन हो और यँहा कैसे पहुंचे ? "

राजकुमार भूत को अपने बारे में और यँहा तक कैसे पहुंचा सब बता दिया , और लाल पहाड़ी पर क्यो आया है ये भी बताया । राजकुमार की बात सुनकर भूत जोर जोर से हँसने लगा और बोला - " यँहा से लौट जाओ वरना जिंदा नही बचोगे ? "

भूत की बात सुनकर राजकुमार जोर जोर हँसने लगा । राजकुमार को हँसता देखकर भूत आश्चर्य चकित हो गया । कि ये मौत के मुंह मे खड़ा है और हँस रहा है । राजकुमार भूत से बोला - " मुझे कपालिका के पास जाना है तुम मुझे वँहा तक पहुंचने का रास्ता बताओगे या नही ? "

भूत बोला - " ठीक है , मैं तुम्हे कपालिका का पता बता दूँगा । वह मेरी स्वामिनी है । लेकिन मेरी एक शर्त है ?" 

राजकुमार - " बताओ क्या है तुम्हारी शर्त ? "

भूत - " तुम्हे मुझसे लड़ना होगा यदि मैं हार गया तो तुम्हे कपालिका का पता बता दूँगा यदि मैं जीत गया तो तुम्हे यँहा से वापस जाना होगा ? बोलो शर्त मंजूर है । "

राजकुमार बोला - " मंजूर है । "

इसके बाद राजकुमार और भूत आमने सामने लड़ने वाली स्थिति में खड़े हो गए । पहला वार करते हुए भूत ने अपने हाथों से एक हरी किरण राजकुमार की ओर छोड़ दिया । लेकिन राजकुमार अपने जगह से फुर्ती से हट गया ।

भूत का वर खाली चला गया । भूत ने इस बार अपने दोनो हाथ ऊपर किये और राजकुमार के ऊपर पत्थरो की बारिश करने लगा । पत्थर राजकुमार के शरीर मे गिरने लगे । राजकुमार अपने शरीर मे पहले से सुरक्षा कवच पहने हुए था, इसलिए उसे कोई चोट नही लेकिन पत्थरो के बीच मे दब गया । 

राजकुमार के दबते ही भूत ने पत्थरो की बारिश बन्द कर दी । उसे लगा राजकुमार घायल हो गया है अब वह हार मान लेगा । तभी राजकुमार पत्थरों को उछालते हुए बाहर निकला । उछलते हुए एक दो पत्थर असावधान खड़े भूत के जा लगे ।

भूत को थोड़ी सी चोट लगी , लेकिन कुछ देर में फिर से सही हो गयी । राजकुमार को सही सलामत देखकर भूत थोड़ा परेशान हो गया । 

राजकुमार भूत को परेशान मुद्रा में देखकर बोला - " क्या हुया  , अभी से अपने हार के बारे में सोचने लगे ? "

भूत कुछ नही बोला और उसने अपने शरीर के कई रूप कर लिया । और सभी रूपो के साथ राजकुमार के ऊपर हमला करने लगा । लेकिन राजकुमार सभी से फुर्ती से बचता जा रहा था ।

राजकुमार ने भूत के एक रूप को अपनी तलवार से काट दिया लेकिन वह रूप फिर से जुड़ गया । राजकुमार समझ गया कि इन सभी मे असली भूत को पहचान कर ही इन नकली भूतों को मारा जा सकता है ।

तभी अचानक राजकुमार की नजर एक भूत के पैर में गई । उस भूत के पैर के नीचे की जमीन काली थी । इसी तरह सभी भूतों के पैर के नीचे की जमीन काली थी । लेकिन एक भूत के पैर के नीचे की जमीन लाल थी ।

राजकुमार को समझते देर नही लगी कि यही असली भूत है । राजकुमार एक पल की देर किए बिना उस भूत के पास गया और अपनी तलवार से एक जोरदार वॉर उसकी गर्दन में किया । 

गर्दन में वार होते ही असली भूत का सिर धड़ से अलग हो गया । और बाकी के नकली भूत गायब हो गए । केवल वँहा पर असली वाला भूत दिखाई दे रहा था । जिसकी गर्दन राजकुमार ने काट दी थी ।

तभी अचानक असली भूत की गर्दन  हवा में उड़ी और  अपने धड़ से जुड़ गई । भूत फिर से वैसे हो गया जैसे पहले था । राजकुमार थोड़ा चिंतित हो गया ।

तभी भूत राजकुमार से बोला - " राजकुमार तुम बहुत बुद्धिमान और साहसी हो । मैंने तुम पर तीन बार हमला किया लेकिन हर बार तुम बच गए । इसलिए अब मैं तुमसे नही लड़ूंगा । मैं अपनी हार मानता हूं । मैं तुम्हे कपालिका तक पहुंचने का रास्ता बताता हूँ । "

राजकुमार भूत की बात सुनकर खुश हो गया । भूत ने राजकुमार को एक अंगूठी देते हुए कहा - " ये अंगूठी पहन लो इसे पहने ही तुम मेरे रूप में आ जाओगे और कपालिका के पास जाने पर तुम्हे कोई भी नही पहचान नही पायेगा । तुम्हे केवल कपालिका ही पहचान पाएगी । कपालिका कही पर भी तुम्हे यह अंगूठी वँहा पहुंचा देगी । "

राजकुमार भूत से विदा लेकर अंगूठी को आदेश दिया । आदेश पाते ही राजकुमार को हवा में लेकर एक दिशा की ओर उड़ने लगी । राजकुमार को सफर में भूत प्रेत जिन्न आदि मिले लेकिन किसी ने भी राजकुमार का रास्ता नही रोका । अंगूठी राजकुमार को एक वीरान खंडहर में उतार दिया ।

राजकुमार वीरान खंडहर में कपालिका चुड़ैल की खोज करने लगा । राजकुमार वीरान खंडहर में इधर उधर टहल ही रहा था कि अचानक उसकी नजर दीवार पर बनी एक आकृति पर गयी जिस पर एक दरवाजा बना हुया था ।

राजकुमार उस दरवाजे को बड़े ध्यान से देखा और उसे छू लिया । दरवाजा छूते ही राजकुमार के आस पास कि हर चीज बदलने लगी और एक नया आकर लेने लगी ।

राजकुमार के देखते ही देखते वीरान खंडहर एक शानदार महल में बदल गया । राजकुमार हैरान खड़ा सब देख रहा था । तभी राजकुमार को एक स्त्री की गरजती हुई आवाज सुनाई दी जो बोल रही थी - " किसकी इतनी हिम्मत हो गई जो कपालिका के द्वारा बनाये गए वीरान खंडहर को महल में बदलकर उसमे प्रवेश कर लिया है ।"

राजकुमार जब यह सुना तो आवाज की दिशा की ओर पलटा तो देखा सामने एक औरत खड़ी थी जिसके गले मे हड्डियों की माला, माथे पर राख का तिलक , बड़ी बड़ी आंखे थी ।

राजकुमार जवाब में अपने बारे में , किसलिए आया है और क्यो आया है ? यह सब कपालिका को बता दिया । कपालिका राजकुमार की बात सुनकर बोली - " तो तुम मुझसे सागरिका के बारे मे जानने आये हो । लेकिन कपालिका तुम्हारी गुलाम नही है कि जो तुम पूछोगे वह तुम्हे बता देगी । तुम यँहा से जिंदा नही जा पाओगे राजकुमार । "

इतना कहने के बाद कपालिका ने अपनी आँखें बंद की और बोली - " मेरे प्रेत गुलामो यंहा प्रकट हो । "

कपालिका के इतना कहते ही वँहा ओर कई सारे प्रेत प्रकट हो गए। कपालिका ने उन्हें राजकुमार को मारने का आदेश दिया । गुलाम प्रेत राजकुमार को मारने के लिए आगे बढ़ने लगे ।

राजकुमार समझ गया ये लोग बातों से नही मानने वाले है । राजकुमार अपना धनुष बाण निकाला और एक अग्नि बाण गुलाम प्रेतों की तरफ छोड़ दिया । अग्निबाण हवा में उतने ही हिस्से में बंट गए जितने गुलाम प्रेत थे । बंटने के बाद अग्निबाण सभी गुलाम प्रेतों के जा लगे ।

तीर लगते ही सभी प्रेत जलने लगे और थोड़ी देर में जलकर राख हो गए । कपालिका अपना पहला वार बेकार जाते देखकर आग बबूला हो गयी । 

कपालिका ने अपनी आंख बंद की और मंत्र पढ़ने लगी । मंत्र पढ़ने के बाद गुलाम प्रेतों के राख पर फूंक दिया । फूँक पड़ते ही राख छोटे छोटे कीड़ो में बदलने लगे । कीड़े धीरे धीरे राजकुमार की तरफ बढ़ने लगे । 

राजकुमार ने इस बार अपनी जादुई शक्ति से अपने आस पास एक बड़ा सा घेरा बना लिया , और घेरे के किनारे किनारे जादुई आग लगा दी । आग की लपटें काफी ऊंची उठने लगी । जो कीड़ा राजकुमार के पास आने की कोशिश करता वह आग में जलकर मर जाता । और जो कीड़ा बचने की कोशिश करता उसे राजकुमार मार देता । इसी तरह से राजकुमार ने सारे कीड़े मार दिए ।

कपालिका अपना दूसरा वार भी बेकार जाते देखकर और बौखला गयी और गुस्से में गरजती हुई आवाज में बोली - " अबकी बार ऐसा वॉर करूंगी तेरी कोई भी शक्ति काम नही करेगी । "

इतना कहने के बाद कपालिका अपने शरीर का आकार राजकुमार के शरीर से दुगुना कर लिया और अपना बड़ा सा मुँह फैला लिया । कपालिका के मुंह फैलाते ही छोटे छोटे आकर के चमगादड़ निकलने लगे । 

थोड़ी देर में हजारों चमगादड़ कपालिका के आस पास मंडराने लगे । राजकुमार चुपचाप खड़े होकर यह सब देख रहा था और मन ही मन सोच रहा था कि ये क्या करने वाली है । थोड़ी देर बाद कपालिका के मुंह से चमगादड़ निकलने बन्द हो गए ।

कपालिका राजकुमार से बोली - " ये सभी चमगादड़ अमर है इनके ऊपर तेरी कोई भी शक्ति काम नही करेगी । ये सब तुझे नोच नोच कर खा जाएंगे ।अगर इन सब से बच सकता है तो बच । "

इतना कहने के बाद कपालिका ने चमगादड़ो को राजकुमार को मारने के लिए आदेश दिया । आदेश पाते ही चमगादड़ राजकुमार के ऊपर हमला करने के लिए बढ़े ।

राजकुमार अपने सोचा इनसे लड़ते हुए इनको मारना सम्भव नहीं कोई और तरीका निकालना होगा और तरीका निकालने के लिए सबसे पहले कपालिका के नजरों से हटना पड़ेगा । 

राजकुमार चमगादड़ो से बचने के लिए हवा में उड़ा और कपालिका के महल से बाहर जाने लगा । राजकुमार को भागता देखकर कपालिका जोर जोर से हँसने लगीं ।

इधर राजकुमार का पीछा हजारों चमगादड़ कर रहे थे । राजकुमार कपालिका के नजरो से ओझल हो चुका था । राजकुमार तेजी से हवा में उड़ रहा था और साथ ही साथ चमगादड़ो से बचने के लिए उपाय सोच रहा था ।

उड़ते उड़ते राजकुमार को अचानक एक उपाय सुझा । राजकुमार तेजी से एक ऐसी जगह पहुंच गया जँहा पर उसे कोई देख न सके । उस जगह पहुँचते ही राजकुमार बिना देर किए तुरंत चमगादड़ का रूप ले लिया और उस जगह से बाहर निकलकर उन्ही चमगादड़ो में शामिल हो गया।

इधर चमगादड़ राजकुमार को ढूंढ ढूंढ कर परेशान हो गए लेकिन राजकुमार नही मिला । राजकुमार मिलता भी कैसे क्योकि की वह उन्ही का रूप रखकर उन्ही के साथ शामिल था । आखिर थक हार कर चमगादड़ वापस कपालिका के पास लौट गए ।

कपालिका के पास पहुंचने पर चमगादड़ बोले - " स्वामिनी , वह राजकुमार न जाने अचानक कंहा गायब हो गया है हम लोग ढूढ़ ढूंढ कर परेशान हो गए लेकिन वह हमें नही मिला।"

कपालिका गुस्से में बोली - " तुम सब लोग नालायक हो किसी काम के नही हो । सब लोग अब मेरे मुँह में वापस समा जाओ ।"

इतना कहने के बाद कपालिका ने अपना बड़ा सा मुँह फैला दिया । सारे चमगादड़ धीरे धीरे कपालिका के मुंह मे सामने लगे । सभी चमगादड़ कपालिका के मुंह मे समा गए केवल राजकुमार बचा जो चमगादड़ बना हुया था ।

राजकुमार धीरे धीरे कपालिका के मुंह के पास गया । और अचानक कपालिका के गले मे पड़ी हड्डियों की माला को तोड़ दिया । माला टूटते ही जमीन में जा गिरा और उस माले से एक लाल हीरा बाहर निकल कर चमकने लगा ।

कपालिका अपना टूटते देखकर तुरन्त अपने असली आकार में आ गयी और लाल हीरा उठाने के लिए जैसे ही झुकी । उससे पहले ही चमगादड़ बना हुया राजकुमार उस लाल हीरे को उठा लिया । और चमगादड़ वाला रूप त्याग कर अपने असली रूप में आ गया । 

कपालिका यह सब देखकर बहुत ही ज्यादा बौखला गयी । कपालिका यह सोच भी नही सकती थी कि कोई उसके साथ ऐसा भी कर सकता है । कपालिका गुस्से में राजकुमार से बोली - " तुमने मेरे गुलाम का रूप रखकर ऐसा किया तभी मेरे गुलाम चमगादड़ तुझे ढूढ़ नही पाए । लाल हीरा मुझे वापस कर दो , मैं तुम्हे यँहा से जिंदा जाने दूँगी अगर नही किया तो मार दूँगी । "

राजकुमार बोला - " इस हीरे से तुम्हे कोई न कोई नुकसान है ये तो मुझे पता है इसलिए मैंने तुम्हें गले से हड्डियो की माला तोड़ी । अब क्या नुकसान है ये तो इस हीरे को तोड़ने पर ही पता चलेगा । "

राजकुमार इतना कहने के बाद हीरा को तोड़ने के लिए अपनी शक्ति का उपयोग करने ही वाला था कि तभी कपालिका गिड़गिड़ाते हुए राजकुमार से बोली - " उस हीरे को मत तोड़ो उसमे मेरी जान है अगर वह टूट गया तो मैं मर जाऊंगी । जो तुम कहोगे वह अब मैं करूंगी वह हीरा मुझे दे दो । "

राजकुमार बोला - " ठीक है तो , बताओ सागरिका कंहा मिलेगी ? " 

कपालिका बोली - " सागरिका जल की स्वामिनी है उसका निवास जल में है । इस पहाड़ी के उत्तर दिशा में उतर जाना कुछ दूर चलने पर  एक बहुत बड़ा जलाशय मिलेगा उस जलाशय का पानी अपना रंग बदलता रहता है । जब जलाशय का पानी नीला रंग में बदल जाये तब उस जलाशय में प्रवेश कर जाना । तुम्हे सागरिका वही पर मिलेगी । अब मैंने तुम्हें सागरिका का पता बता दिया । अब तो मेरा हीरा वापस कर दो । "

राजकुमार बोला - " ठीक है , हम आपका हीरा वापस कर देंगे लेकिन पहले तुम बचन दो की हीरा वापस करने के बाद तुम मुझ पर हमला नही करोगी और तुम्हारा कोई सेवक भी मुझ पर हमला नही करेगा । "

कपालिका बोली - " हम बचन देते है कि मैं और मेरा कोई भी सेवक तुम पर हमला नही करेगा । "

बचन मिलते ही राजकुमार ने कपालिका को हीरा वापस कर दिया । कपालिका से विदा लेकर राजकुमार लाल पहाड़ी के उत्तर दिशा की ओर नीचे जलाशय की तरफ उतरने लगा ।



                            क्रमशः......................🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺


यह भाग आप सबको पढ़ कर कैसा लगा यह अपनी सुंदर सी  समीक्षा देकर जरूर बताएं । और अगला भाग जैसे ही प्रकाशित करूँ , उसका नोटिफिकेशन आपको तुरन्त प्राप्त हो इसलिए मुझे जरूर फॉलो करें ।



विक्रांत कुमार
फतेहपुर उत्तरप्रदेश 
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