Tilismi Kamal - 18 in Hindi Adventure Stories by Vikrant Kumar books and stories PDF | तिलिस्मी कमल - भाग 18

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तिलिस्मी कमल - भाग 18

इस भाग को समझने के लिए इसके पहले से प्रकाशित सभी भाग अवश्य पढ़ें ----------------🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏


राजकुमार मानवरूपी पेड़ के कैद में था । कैद से छूटने के लिए राजकुमार जितना छटपटाता , उतनी ही तेजी से मानवरूपी पेड़ राजकुमार को अपने जड़ो और शाखाओं में जकड़ता जा रहा था । राजकुमार को ऐसा लग रहा था मानो उसकी हड्डियों को किसी ने तोड़ दिया हो । राजकुमार दर्द की वजह से कुछ समझ नही पा रहा था कि वह क्या करे कि इस मानवरूपी पेड़ से छुटकारा मिल जाये ।

तभी अचानक मानवरूपी पेड़ दर्द से कराहने लगा । राजकुमार आश्चर्य चकित था कि यह खुद मुझे कैद किये हुए है , कराहना तो मुझे चाहिए ये क्यो कराह रहा है ? तभी राजकुमार को अहसास हुया की उसके अंगों में कोई चीज चल रही है ।

राजकुमार अपने अंगों की तरफ देखा तो चौंक गया । राजकुमार के अंगों से गोल गोल आरीदार चकरी निकलकर मानवरूपी पेड़ के जड़ो और शाखाओं को काट रहा था । 

मानवरूपी पेड़ की जड़ें और शाखाएं कटकर राजकुमार के शरीर से अलग हो गई । राजकुमार अभी भी स्तब्ध रूप में खड़ा हुया था । तभी राजकुमार को अपने अन्तर्मन से आवाज सुनाई दी , " राजकुमार यह वनदेवी की शक्ति है जो तुम्हे असहाय देखकर स्वतः तुम्हारे शरीर मे प्रकट होकर तुम्हारी मदद कर रही है । "

अपने अन्तर्मन की आवाज सुनकर राजकुमार को बड़ी राहत महसूस हुई । इधर दूसरे मानवरूपी पेड़ अपने साथी की ऐसी हालत देखकर उनकी हिम्मत नही पड़ी कि राजकुमार के ऊपर हमला करे । राजकुमार मानवरूपी पेड़ो को पार करते हुए कालिका चुड़ैल की गुफा तक पहुंच गया ।

कालिका चुड़ैल के पास जाना इतना आसान नही था । गुफा का द्वार एक बड़े पत्थर से बंद था । गुफा के द्वार के ऊपर एक बड़ा सा मुखौटा लगा हुया था । राजकुमार गुफा के द्वार को चारों तरफ से घूमफिर देखा शायद कही से कोई रास्ता हो अंदर जाने का।

राजकुमार जांच परख कर ही रहा था कि अचानक उसका हाथ गुफा के पत्थर से छू गया । पत्थर में हाथ छूते मुखौटे से एक तेजी से अग्नि ज्वाला निकली और पत्थर में उस जगह टकरा गई जंहा राजकुमार का हाथ छू गया था ।

अचानक ऐसा होते देखकर राजकुमार चौंक गया । और तेजी से पत्थर से दूर हो गया । राजकुमार सतर्क हो गया । उसने गुफा के द्वार को खोलने के लिए अपने हाथों से एक जादुई किरण पत्थर की ओर छोड़ी । किरण पत्थर से जा टकराई । किरण के टकराते ही मुखौटे से फिर से अग्नि ज्वाला निकली और उसी जगह जा टकराई जंहा पर किरण टकराई थी ।

राजकुमार का वार बेकार चला गया । अपना वार खाली जाता देखकर राजकुमार इस बार मुखौटे पर वार करने की सोची और देर किए बिना मुखौटे पर एक किरण छोड़ दी , मुखौटे में किरण लगते ही मुखौटा टूटकर बिखर गया , और गुफा का पत्थर एक तरफ सरक गया ।

राजकुमार खुश हो गया । राजकुमार देर किए बिना गुफा में प्रवेश कर गया । गुफा में अंधेरा ही अंधेरा नजर आ रहा था , लेकिन गुफा के अंदर से किसी की मंत्र पढ़ने की आवाज आ रही थी । राजकुमार गुफा के एक दीवार से सट गया । और आवाज की दिशा की ओर धीरे धीरे बढ़ने लगा ।

राजकुमार थोड़ी देर में आवाज आने वाली जगह पर पहुंच गया , जंहा पर कालिका चुड़ैल यज्ञ के सामने बैठ कर मंत्र पढ़ रही थी । यज्ञ कुंड के पास मानव खोपड़ी रखी थी । कालिका के आस पास चार मुर्दे मानव पहरा दे रहे थे ।

तभी कालिका ने अपना हवन यज्ञ रोका और राजकुमार की ओर पलटते हुए कहा - "आओ राजकुमार मैं तुम्हारा ही इंतजार कर रही थी और यह हवन यज्ञ तुम्हारी बलि के लिए ही कर रही हूं ।"

इतना कहने के बाद कालिका जोर जोर से हँसने लगी और अपने पास पहरे दे रहे चारो मुर्दे मानव को राजकुमार को पकड़कर लाने का आदेश दिया । चारो मुर्दे मानव राजकुमार को पकड़ने के लिए चल दिये ।

राजकुमार अपने म्यान से तलवार निकाली और चारों मुर्दे मानव से लड़ने के लिए तैयार हो गया । चारों मुर्दे राजकुमार के पास आये और लड़ने लगे । कुछ देर में राजकुमार चारो मुर्दे मानव को अपनी तलवार से काट कर टुकड़े टुकड़े कर दिए ।

इसके बाद राजकुमार कालिका चुड़ैल की ओर पलटा और बोला तुम्हारे गुलाम तो बड़े कमजोर निकले जल्द ही सब मौत के हवाले हो गए ।" 

कालिका हँसते हुए बोली - " राजकुमार , ये तो पहले से मरे हुए है इन्हें क्या मरोगे ? जरा पीछे पलट कर देख तो लो ।"

राजकुमार तुरन्त पलटा । चारो मुर्दे मानव के कटे हुए अंग फिर से जुड़ रहे थे और कुछ देर में पूरी तरह से जुड़ गए । वे चारो ऐसे लग रहे थे जैसे उन्हें कोई चोट ही नही लगी हो ।

वे चारों मुर्दे मानव राजकुमार को पकड़ने के लिए फिर से राजकुमार के पास गए ।राजकुमार फिर से उनसे लड़ने लगा लेकिन इस बार चारों मुर्दे मानव ने राजकुमार को पकड़ लिया । इधर कालिका चुड़ैल ने अपने मंत्र पूरे कर लिए थे । 

राजकुमार की बलि देने के लिए कालिका अपने हाथ मे गनासा लिए राजकुमार की ओर बढ़ रही थी । राजकुमार अभी भी चारों मुर्दे के पकड़ में था । 

तभी अचानक राजकुमार के शरीर से छोटे छोटे आरीदार चकरी निकली और चारो मुर्दे मानव के हाथ काट दिए । हाथ कटते ही राजकुमार आजाद हो गया । 

आजाद होते ही राजकुमार के शरीर से एक अग्नि किरण निकली और चारो मुर्दे मानव के जा लगी । किरण लगते ही चारो मुर्दे मानव जलने लगे और थोड़ी देर में राख की ढेर में बदल गए ।

कालिका यह सब देख बौखला गयी । उसका सबसे मजबूत वार बेकार चला गया था । राजकुमार कालिका की ओर पलटा और बोला - " मुर्दे मरा नही करते है लेकिन जल जाते है।"

इतना कहने के बाद राजकुमार तेजी से हवा में उड़कर कालिका के यज्ञ के पास गया और एक मुट्ठी राख निकालकर अपने हाथ मे ले लिया । 

कालिका अभी भी भौचक्की सी खड़ी थी । राजकुमार उतनी ही तेजी से वापस कालिका चुड़ैल के पास आ गया जैसे यज्ञ के पास गया था । बिना देर किए राजकुमार ने यज्ञ की राख कालिका चुड़ैल के ऊपर डाल दी ।

राख पड़ते ही कालिका चुड़ैल दर्द से चिल्लाने लगी । कालिका के जिस जिस अंग में यज्ञ की राख पड़ी थी वँहा पर छोटे छोटे घाव बन गए थे । 

राजकुमार भी यह सब देख आश्चर्य चकित था कि राख को डालते ही कालिका मेरी बस में हो जाएगी लेकिन इसके तो घाव बन गए । कालिका दर्द से परेशान होकर राजकुमार से बोली - " मुझे इस दर्द से छुटकारा दिला दो मैं तुम्हारी हर बात मानूँगी । "

राजकुमार - " लेकिन मुझे इसका उपाय नही पता है मैं तुम्हे कैसे दर्द से छुटकारा दिला सकता हूँ ? "

कालिका - " किसी तरह से मेरे शरीर के अंगों से यज्ञ की राख हट जाए तो मैं पुनः ठीक हो जाऊंगी ।" 

राजकुमार - " ठीक है तुम्हारे शरीर के अंगों से राख हटा सकता हूँ लेकिन तुम अगर ठीक हो गई तो मुझ पर से हमला करोगे । इसलिए मैं तुम्हारी मदद नही करूँगा । "

राजकुमार का ऐसा जवाब सुनकर कालिका बोली - " हम वचन देते है हम आपको कोई नुकसान नही पहुचायेंगे । अब तो मुझे इस दर्द से छुटकारा दिला दो ।"

राजकुमार मान गया । और उसने जादुई शक्ति से कालिका के ऊपर पानी की बौछार कर दी , जिससे कालिका के ऊपर से यज्ञ की पूरी राख बह गई और साथ ही साथ कालिका के घाव फिर से भर गए । ऐसे हो गए जैसे कोई घाव रहा ही नही । 

कालिका राजकुमार का शुक्रिया किया । और यँहा तक आने का कारण पूछा। राजकुमार अपने यँहा आने का कारण बता दिया । और आगे जो जो करना है वह सब भी बता दिया।

कालिका बोली ठीक है आगे अपना ध्यान रखना । मैं तुम्हे नगीना के क्षेत्र नागवन में पहुंचा देती हूं । इसके बाद कालिका ने अपने पास कोई जादुई जड़ी निकाली और राजकुमार को देते हुए कहा - " यह जादुई जड़ी है यह जब तक तुम्हारे पास रहेगी कोई भी सांप तुम्हे नुकसान नही पहुँचा पायेगा । यह केवल नगीना पर असर नही करेगी । आगे का सफर तुम्हारा अच्छा गुजरे यही मेरी दुआ है , अलविदा ।  "

इतना कहने के बाद कालिका ने राजकुमार के ऊपर कोई मंत्र फूंका । राजकुमार गुफा से गायब हो गया और अपने आप को एक विशाल जंगल मे पाया । शायद यही नागवन था ।राजकुमार ने अपने मन ही मन में कालिका का धन्यवाद किया ।और नगीना की खोज में निकल पड़ा ।

नगीना , सांपो की मल्लिका थी। जिसका निवास स्थान एक विशालकाय पेड़ था । राजकुमार नागवन में प्रवेश कर चुका था । राजकुमार धीरे  धीरे जंगल के अंदर बढ़ रहा था । पूरे जंगल मे सांपो की आवाज सुनाई दे रही थी । राजकुमार सावधान होकर बढ़ता चला जा रहा था 

तभी अचानक एक नाग पीछे से आकर राजकुमार के पैर में काट लिया । राजकुमार को अहसास हुया की उसके पैर में कुछ चुभा है । राजकुमार ने पीछे पलटकर देखा तो एक साँप अपना फन फैलाये बैठा हुया था ।

राजकुमार के पास कालिका चुड़ैल के द्वारा दी हुई जादुई जड़ी थी इसलिए राजकुमार को नाग के द्वारा काटने पर कोई असर नही हुया । राजकुमार  उस नाग को नुकसान पहुंचाए बिना आगे बढ़ गया ।

इधर नाग राजकुमार को सही सलामत देखकर आश्चर्य चकित था कि वह जिंदा कैसे बच गया ? वह नाग फिर से राजकुमार के पास गया । इस बार वह राजकुमार के सामने जा कर पैर में फिर से काट लिया । 

इस बार भी राजकुमार को कुछ नही हुया । नाग ऐसा देखकर गुस्सा हो गया और गुस्से में कई बार राजकुमार को काटा लेकिन राजकुमार को कुछ नही हुया । राजकुमार चुपचाप खड़ा होकर मुस्कुरा रहा था ।

तभी अचानक राजकुमार के दिमाग मे कुछ कौंधा । राजकुमार ने साँप को पकड़ लिया और उससे बोला - " तुम कोई साधारण सांप नही हो । मुझे नगीना के पास जाना है तुम मुझे नगीना तक पहुंचने का रास्ता बताओ नही तो मैं तुम्हे मार दूँगा । "

नाग राजकुमार की बात सुनकर घबरा गया और बोला - " मुझे मत मारो मैं तुम्हे नगीना तक पहुंचने का रास्ता बता दूँगा । "

राजकुमार  नाग को छोड़ते हुए बोला -  " ठीक है , बताओ । "

नाग - " नगीना का निवास एक विशालकाय पेड़ पर है उस पेड़ में उसकी एक अलग दुनिया है उस तक पहुंचने के लिए तुम्हे अदृश्य रूप में जाना होगा । उसकी दुनिया मे कई नगीना है या यह कह सकते हो कि नगीना के कई रूप है । जो असली नगीना है उसके माथे के बीचों बीच नागमणि लगी हुई है लेकिन वह अपने नागमणि को सुरक्षा कवच से ढके रहती है उसे तभी पहचाना जा सकता है जब वह अपना रूप बदल रही हो क्योकि रूप बदलते वक्त उसका सुरक्षा कवच हट जाता है । "

इतना सब बताने के बाद नाग राजकुमार से फिर से बोला - " मैं तुम्हे केवल विशालकाय पेड़ तक पहुंचा दूँगा आगे तुम खुद जाना । "

राजकुमार ने कहा ठीक है । इसके बाद नाग राजकुमार को लेकर चल दिया । कुछ घण्टे तक चलने के बाद नाग एक जगह रूक गया । और एक तरफ इशारा करते हुए बोला - " यँहा से सीधे चले जाना तुम्हे विशालकाय पेड़ दिख जाएगा । इसके आगे मैं नही जाऊंगा क्योकि आगे अब बहुत खतरा है । विशालकाय पेड़ में नागों का वास है जो उस पेड़ की रक्षा करते है । आगे अब संभल के जाना। मैं अब यँहा से जा रहा हूँ । "

इतना कहने के बाद नाग वँहा से चला गया । राजकुमार ने अपने आप को अदृश्य रूप में किया और विशालकाय पेड़ की तरफ चल दिया । राजकुमार विशालकाय पेड़ के पास पहुंच गया । 

विशालकाय पेड़ के चारो ओर नागों का पहरा था। राजकुमार अदृश्य रूप में था इसलिए उसे कोई भी नाग देख नही पा रहे थे । राजकुमार विशालकाय पेड़ के चारो तरफ चक्कर लगा रहा था लेकिन उसे अन्दर जाने के लिए कोई रास्ता नही दिखाई दे रहा था ।

तभी राजकुमार ने देखा कि एक नाग विशालकाय पेड़ के एक खोखले भाग में घुस गया । लगभग एक दो घण्टे बीत जाने के बाद भी वह नाग उस खोखले भाग से वापस नही आया तो राजकुमार तुरन्त समझ गया कि यही नगीना तक पहुंचने का रास्ता है ।

राजकुमार अदृश्य रूप में था ही उसने बिना देर किए हुए वनदेवी द्वारा दी हुई जादुई शक्ति से अपने आप को एक भौंरे के रूप में कर लिया । और उड़ते हुए विशालकाय पेड़ के खोखले भाग में प्रवेश कर गया ।

राजकुमार विशालकाय पेड़ के अंदर की दुनिया देखकर दंग रह गया । मानो वह स्वर्ग में पहुंच गया हो राजकुमार नगीना के दुनिया खो गया । इसके बाद वह और आगे गया । राजकुमार और आगे गया तो उसे कई सारी औरते दिखाई दी लेकिन सभी औरते एक ही रूप की थी ।

राजकुमार समझ गया कि इन्ही में से कोई असली नगीना है । तभी राजकुमार हवा में उड़ते हुए एक नगीना से टकरा गया । उसके टकराते ही नगीना जैसी दिखने वाली औरत सतर्क हो गयी । 

उसने कोई मंत्र फूंककर हवा में छोड़ दिया । मंत्र के असर से राजकुमार का अदृश्यरूप हट गया । वह सबको दिखने लगा ।और नगीना जैसे दिखने वाली औरत ने राजकुमार को पकड़ लिया और बोली - " तुम कौन हो ? जो भी हो अपने असली रूप में आओ क्यो की हमारी दुनिया मे कोई साधारण व्यक्ति आ ही नही सकता है । "

राजकुमार अब अपने असली रूप में ही आना उचित समझा । उसने तुरन्त भौरें वाला रूप त्याग कर अपने असली रूप में आ गया । राजकुमार के असली रूप में आते ही नगीना के जैसे दिखने वाली कुछ औरतों ने नाग रूप में आकर राजकुमार के शरीर मे लिपट कर चारों तरफ से जकड़ लिया।

राजकुमार विरोध नही किया और चुपचाप उनके कैद में हो गया । राजकुमार बोला - " मुझे पता है तुम लोगो के बीच मे ही असली नगीना है मुझे उससे मिलना है । इसलिए असली नगीना मेरे सामने आ जाये । "

राजकुमार की ऐसी बाते सुनकर वँहा पर उपस्थित सभी नगीना हँसने लगी । और उनमें से एक बोली - " हमारे कैद में तुम हो और आदेश हमे दे रहे हो ।  "

ऐसी बात सुनकर राजकुमार धरमवीर हँसते हुए बोला - " तुम लोग सोच रहे हो कि मैं विवश होकर कैद हुया हूँ तो तुम लोगो की गलतफहमी है मैं खुद कैद हुया हूँ ।  देखो मुझे किसी को कोई नुकसान नही पहुँचाना है मुझे तो केवल नगीना से बिजुलिका तक पहुंचने का रास्ता पूछना है । अगर तुम लोगो ने मेरी बात नही मानी तो मुझे मजबूरन अपने तरीके से असली नगीना को खोजना होगा जिस में तुम लोग घायल भी हो सकते हो । "

राजकुमार की ऐसी बातें सुनकर नगीना जैसे दिखने वाली सभी औरते और तेज से हँसने लगी । राजकुमार समझ गया कि ये लोग ऐसे नही मानेगी । राजकुमार ने जादुई शक्ति  का आवाहन किया । 

तभी राजकुमार के शरीर से छोटे छोटे आरीदार चकरी निकलने लगीं और जो नगीना नाग रूप में राजकुमार को लपेटे हुए थे उन्हें धीरे धीरे काटने लगी । राजकुमार के शरीर से जो नगीना लिपटी थी वह दर्द से चिल्लाने लगी । ऐसा होते देखकर जो बाकी नगीना हँस रही थी उन सबकी हँसी रूक गई ।

राजकुमार सभी से बोला - " अभी भी समय है जो असली नगीना है वह मेरे सामने आ जाए वरना मेरे शरीर मे जितने लोग लिपटे हुए है सब मारे जायेंगे । "

अपनी सहेलियों को दर्द से तड़पता देखकर असली नगीना तुरन्त अपने असली रूप में आ गई । जिसके माथे के बीचों बीच मणि चमक रही थी । राजकुमार ने तुरन्त अपनी जादुई आरी को रोक दिया । और उन्हें अपने शरीर मे वापस समा लिया ।

राजकुमार ने असली नगीना से बिजुलिका तक पहुंचने का रास्ता पूछा । असली नगीना बोली - " बिजुलिका आकाशीय बिजली की तरह दिखती है । यँहा से उत्तर दिशा की ओर जाने पर एक पहाड़ी मिलेगी जिस पर अक्सर बारिश होती रहती है और बिजलियां चमकती रहती है । तुमको वंही पर बिजुलिका मिलेगी । "

राजकुमार बिजुलिका का पता जानने के बाद असली नगीना से बोला - " मेरा यँहा आने का मकसद केवल बिजुलिका का पता लगाना था न कि आप लोगो को कोई नुकसान पहुंचाना मेरी वजह से आपकी सहेलियों को जो कष्ट हुया है उसके लिए मैं क्षमाप्रार्थी हूँ । "

इतना कहने के बाद राजकुमार ने अपने जादुई शक्ति से उन नगीना को ठीक कर दिया जो उसके जादुई आरी से घायल हो गए थे । असली नगीना राजकुमार के इस तरह का व्यवहार देखकर खुश हुई। इसके बाद राजकुमार सभी से विदा लेकर उत्तर दिशा की ओर चल पड़ा ।



                                क्रमशः ....................💐💐💐💐💐💐



यह भाग आप सबको पढ़कर कैसा लगा यह अपनी सुंदर सी समीक्षा देकर जरूर बताये । और अगला भाग जैसे ही प्रकाशित करू वह आप तक पहुंच जाए इसलिए मुझे जरूर फॉलो करें । सभी को राम राम 🙏🙏🙏🙏


विक्रांत कुमार
फतेहपुर उत्तर प्रदेश
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