Tilismi Kamal - 16 in Hindi Adventure Stories by Vikrant Kumar books and stories PDF | तिलिस्मी कमल - भाग 16

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तिलिस्मी कमल - भाग 16

इस भाग को समझने के लिए इसके पहले से प्रकाशित सभी भाग अवश्य पढ़ें ....................🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏



पत्थर की दुनिया को धूमकेतू से मुक्त करके राजकुमार तिलिस्म के दूसरे द्वार के अंदर पहुँच गया । जंहा पर ग्यारह चुड़ैलों का राज था । राजकुमार जंहा पर प्रकट हुया था वह जगह एकदम सुनसान थी । दूर दूर तक केवल अंधेरा ही नजर आ रहा था ।

राजकुमार ने अपनी जादुई शक्ति से उस जगह पर रोशनी किया । तो उसे अपने सामने एक खंडहर नजर आने लगा । राजकुमार सावधान की मुद्रा में उस खंडहर की ओर बढ़ने लगा ।

राजकुमार जैसे जैसे उस खण्डहर के नजदीक पहुंच रहा था वैसे वैसे ही उस खंडहर से भयानक आवाजे आने लगी । आवाजे ऐसे आ रही थी जैसे किसी को जान से मारा जा रहा हो ।

राजकुमार उस खंडहर में प्रवेश किया । खंडहर काफी पुराना लग रहा था । राजकुमार खंडहर के काफी अंदर प्रवेश कर लेकिन वह यह नही समझ पा रहा था कि आवाजे कहा से आ रही है ।

राजकुमार आवाज की दिशा का पीछा करते हुए खंडहर के एक कमरे में प्रवेश कर गया ।तभी राजकुमार की नजर उस कमरे के दिवार में बने एक आकृति पर गयी । जिसमे एक खूबसूरत औरत अपने हाथ मे कोई चमकीली वस्तु लिए खड़ी थी ।

राजकुमार आकृति को देखकर आश्चर्य चकित था कि इस सुनसान खंडहर में एक खूबसूरत औरत की आकृति बनी हुई है । राजकुमार यह सब सोच ही रहा था कि उसका एक हाथ औरत की आकृति में छू गया ।

तभी राजकुमार को अपने पीछे किसी का होने का अहसास हुया । राजकुमार तुरंत अपने पीछे की तरफ पलटा । उसने देखा कि जो औरत आकृति में थी वही औरत उसके सामने खड़ी है ।

राजकुमार भौचक्का रह गया । तभी वह औरत राजकुमार से गरजती हुई आवाज में बोली - " तुम कौन हो ? और तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई इस खंडहर में आने की ? मैं तुम्हे जिंदा नहीं छोड़ूंगी ।" 

इतने कहने के बाद उस औरत ने राजकुमार को अपनी बात कहने का मौका नही दिया । और उस पर एक किरण छोड़ दी । लेकिन राजकुमार अपनी जगह से हट गया । किरण राजकुमार को बिना कोई नुकसान पहुंचाए उसके बगल से निकल गयी ।

राजकुमार उस औरत को अपने विषय मे बताना के लिए बोलना चाहा लेकिन उस औरत ने फिर राजकुमार के ऊपर किरण से वार कर दिया । इस बार राजकुमार बचते बचते  उस किरण के चपेट में आ गया । राजकुमार उछलकर दूर जा गिरा ।

तभी उस औरत ने अपने हाथ मे एक जादुई लेखनी प्रकट की और वही जमीन पर एक चित्र बनाने लगी । राजकुमार उस औरत के ऊपर हमला करने वाला ही था लेकिन उसे जमीन में कुछ बनाते देख कर रूक गया ।

उस औरत ने जमीन पर एक अर्द्ध जानवर का चित्र बनाया जिसका ऊपर का आधा अंग मगर मच्छ जैसा था तथा आधा अंग बड़े से बंदर जैसे था । इसके बाद उस औरत ने कुछ मंत्र पढ़े और चित्र की ओर फूँक दिया ।

फूँक पड़ते ही वह चित्र जीवित हो गया । और उस औरत के पास आकर खड़ा हो गया । मानो वह उस औरत को गुलाम हो । राजकुमार यह सब देख कर चकित हो गया । और मन सोचा यह कैसे हो सकता है कि आकृति जीवित हो जाये ।

उस औरत ने अर्ध जानवर को राजकुमार को मारने का आदेश दिया । अर्ध जानवर मानव के तरह चलकर राजकुमार के पास गया । राजकुमार अभी भी उसे विस्मित नजरो से देख रहा था । तभी उस अर्ध जानवर ने राजकुमार के सीने में एक जोरदार मुक्का मारा ।

राजकुमार उछलकर पीछे के दीवार से टकरा गया । तब राजकुमार का ध्यान टूटा और उसे ऐसा लगा कि उसके सीने की सारी हड्डियां टूट गयी हो । कुछ देर तक राजकुमार चुपचाप बैठा रहा । 

इधर अर्द्ध जानवर फिर से राजकुमार के ऊपर हमला करने के लिए आगे बढ़ रहा था लेकिन इस बार राजकुमार सतर्क था । अर्ध जानवर ने जैसे ही राजकुमार पर हमला किया । राजकुमार उछलकर एक तरफ हट गया । 

अर्द्ध जानवर फिर से हमला करने के लिए राजकुमार की तरफ बढ़ा इस बस राजकुमार ने अपना धनुष तीर लिया और अर्द्ध जानवर पर तीरों की बौछार कर दी । 

अर्ध जानवर के हर अंग में तीर धंस गए । उस समय अर्द्ध जानवर ऐसे दिख रहा था जैसे उसका शरीर हाड़ माँस का न होकर केवल तीरों से बना हो । इतने सारे तीर लगने के बाद भी अर्ध जानवर राजकुमार की तरफ बढ़ रहा था । ऐसा लग रहा था कि मानो अर्ध जानवर को दर्द ही नही हो रहा है । 

राजकुमार ने इस बार अपनी जादुई शक्ति से हवा में छोटे छोटे  चकरी प्रकट की और अर्ध जानवर की ओर छोड़ दिया । चकरी ने अर्ध जानवर के शरीर को छोटे छोटे अंगों में काट दिया । लेकिन ये क्या अर्ध जानवर को न कोई दर्द हुया और न ही कोई अंग उसके जमीन पर गिरे बल्कि हवा में तैरने लगे। और कुछ देर बाद अर्ध जानवर के सभी अंग फिर से जुड़ गए ।

राजकुमार घोर आश्चर्य में था कि यह क्या बला है जो न ही कट रहा है और न ही मर रहा है तब तक अर्ध जानवर राजकुमार के नजदीक आ गया और फिर से एक जोरदार मुक्का राजकुमार को मारा । इस बार राजकुमार उस जगह जा कर गिरा जंहा पर अर्ध जानवर का चित्र बनाकर उस औरत ने जीवित किया था ।

अर्ध जानवर का चित्र अभी बना हुया था । राजकुमार उस चित्र में देखा कि जैसे जैसे बाहर अर्ध जानवर चल रहा है वैसे   वैसे ही इस चित्र में भी चल रहा है । राजकुमार ने अगर इस चित्र में इसको मारा जाए तो इस चोट लगती है या नही ।

राजकुमार ने तुरन्त अपने हाथ मे एक जादुई तलवार ली और अर्द्ध जानवर के चित्र में उसका एक हाथ काट दिया । राजकुमार ने जैसे ही ये किया तो बाहर अर्ध जानवर का हाथ कट कर अलग हो गया और वह दर्द से चीख उठा । अर्ध जानवर राजकुमार को मारने के लिए दौड़ लगाई ।लेकिन राजकुमार ने इस बार चित्र में उसके पैर काट दिए ।

चित्र में पैर कटते ही बाहर दौड़ रहे अर्ध जानवर का पैर कट गया और वह वही पर गिर गया और दर्द से चीखता रहा । राजकुमार ने अब बिना देर किए चित्र में अर्ध जानवर का सिर काट दिया । चित्र में सिर कटते ही अर्ध जानवर का सिर कट गया और वही पर तड़प तड़प कर मर गया ।

उस औरत ने अपना यह वार बेकार जाते देखकर और गुस्सा हो गयी और अपनी जादुई लेखनी को अगला चित्र बनाने के लिए प्रकट किया और जमीन में चित्र बनाने वाली ही थी कि तभी एक किरण उसके हाथ से आ टकराई । किरण के टकराते ही जादुई लेखनी दूर जा गिरी और साथ मे चमकीली वस्तु भी उसके दूसरे हाथ से छिटक दूर जा गिरी।

वह औरत किरण छोड़ने वाले कि तरफ पलटी । किरण कोई और नही बल्कि राजकुमार ने छोड़ा था क्योंकि वह समझ गया था कि वह यह सब चमकीली वस्तु और जादुई लेखनी से कर रही है ।

राजकुमार बिना देर किए उस औरत की चमकीली वस्तु और जादुई लेखनी उठा ली । राजकुमार ने सोचा इस लेखनी को तोड़ने से जरूर इस औरत को कोई नुकसान होगा ।यह सोच कर राजकुमार ने जादुई लेखनी को तोड़ने के लिए दोनों हाथों में पकड़ लिया और जैसे ही उसे तोड़ने के लिए थोड़ी सी ताकत लगाया वैसे ही वह औरत तेजी से चीखती हुई राजकुमार से बोली - " उसे जादुई लेखनी को मत तोड़िये अगर वह टूट गयी तो मैं मर जाऊंगी क्योकि की उसी से मेरा अस्तित्व है । उसी में मेरी जान बसती है , आप जो कहेंगे वह सब मैं करूंगी , आप उसे मत तोड़िये ।"

राजकुमार रुक गया और जादुई लेखनी को एक हाथ मे ले लिया और उस औरत से पूछा - "तुम कौन हो और तुमने मेरे ऊपर हमला क्यों किया ? "

औरत को थोड़ी सी तसल्ली मिली और बोली - " मैं इस खण्डहर की चुड़ैल चित्रलेखा हूँ , और तुम्हारे ऊपर हमला इस लिए किया क्योकि तुमने मेरे खण्डहर में प्रवेश किया है यँहा पर आने की किसी को भी इजाजत नही है । लेकिन तुम कौन हो और यँहा कैसे पहुँचे ? "

राजकुमार थोड़ा मस्ती करते हुए बोला - " कमाल है , यँहा तो चुड़ैलें भी खूबसूरत है । "

ऐसा जवाब सुनकर चित्रलेखा राजकुमार की तरफ देखा और मुस्कुरा कर अपनी आंखें नीचे कर ली ।इसके बाद राजकुमार ने अपने बारे में और यँहा आने का कारण चित्रलेखा को बता दिया । और फिर चित्र लेखा से बोला - " मुझे ये तो पता है कि इस दुनिया मे ग्यारह चुड़ैलों का राज है जिनमे से तुम एक हो और तुम्हारी शक्तियों देखकर यही लगता है तुम चुड़ैलों की रानी नही हो । मुझे केवल तिलिस्म के अगले द्वार में जाना है जो केवल तुम्हारी रानी ही जानती है इसलिए मुझे तुम अपनी रानी तक पहुंचने का रास्ता बताओ । ताकि उन्हें हराकर मैं अपनी बात मनवा सकूं क्योकि ऐसे तो वह मेरी बात मानेगी नही । "

चित्रलेखा राजकुमार से बोली - " तुम जितना आसान समझते हो रानी तक पहुंचने के लिए , उतना नही है वह कोई मामूली चुड़ैल है उसके पास अकेले हम सबके बराबर शक्ति है । उसे हराने के लिए तुम्हारे पास भी उतनी शक्तियां होनी चाहिए जितनी उसके पास है । और उतनी शक्ति पाने के लिए सभी दसों को चुड़ैलों को हराना होगा । "

राजकुमार चित्रलेखा से कहा - " तो तुम अपनी रानी को समझाने की कोशिश करना , क्योकि मैं नही चाहता मेरा समय बर्बाद हो और आप लोग भी चोटिल हो " 

चित्रलेखा बोली - "ठीक है मैं कोशिश करूंगी । लेकिन मैं तुम्हें उनकी कमजोरी और उनकी शक्ति बता दूँगी अगर वह लोग मेरी बात न माने तो तुम उनको हराकर अपने बस में कर लेना । लेकिन उन लोगो को न कोई नुकसान पहुँचाना और न ही अपना गुलाम बनाना । "

राजकुमार ने कहा - " ठीक है हम उन्हें कोई भी तकलीफ  नही देंगे और न ही गुलाम बनाएंगे । अब आप अपने सहेलियों के बारे में बताइए , लेकिन आप मेरे ऊपर अचानक इतना मेहरबान कैसे हो गई ? कुछ देर पहले तो मुझे मारने में तुली हुई थी ।" 

चित्र लेखा मुसकुराते हुए जवाब दिया - " बस कुछ बात है आप नही समझेंगे , मेरे बारे में तो जान ही गए हो ,अब मैं बाकी चुड़ैलों के बारे में बतानी जा रही हूं ध्यान से सुनना ।"

दूसरी चुड़ैल का नाम काया है । उसका जैसा नाम है वैसा ही उसका काम है। वह अपने रूप बदल बदल कर सामने वाले को भ्रमित कर देती है और फिर उसे अपना गुलाम बना लेती है । और वह अपने आस पास का वातावरण भी बदल देती है । यँहा से उत्तर दिशा की ओर सीधे चले जाना । और जिस जगह पर तुम्हे पेड़ पौधे छोटे तुमसे छोटे दिखाई पड़े समझ जाना वह क्षेत्र उसी का है । काया को हराने का एक ही उपाय है और वह जादुई दर्पण , वह दर्पण मेरे पास है। चित्रलेखा ने अपने पास से जादुई दर्पण राजकुमार को दे दिया ।

तीसरी चुड़ैल का नाम वेदिका है । जब तुम काया को हरा दोगे तो वह तुम्हारे वश में हो जायेगी । वश में होने के बाद वह तुम्हारा हर कहना मानेगी । वेदिका की शक्ति उसकी इच्छा शक्ति है यानी वह जो भी बोलेगी वह उसके सामने प्रकट हो जाएगा या वह होने लगेगा जो वह कहेगी । उसे रोकने का एक ही तरीका हैं उसे अपने सम्मोहन के वश में कर लेना । और उसे सम्मोहित करने का तरीका तुम्हे खुद ही ढूढ़ना होगा ।

तीसरी चुड़ैल का नाम दामिनी है । काया और वेदिका को वश करने के बाद तुम्हारा सामना दामिनी से होगा । जिसका शरीर हमेशा लावा की तरह गर्म रहता है वह जिस चीज को छू लेती है वह जलकर राख हो जाती है उसका निवास ज्वाला मुखी के मुहाने पर है । उससे बचने के लिए तुमको उसके क्षेत्र से अदृश्य रूप में निकलना होगा । अगर वह तुमको देख ले तो उससे बचने के लिए तुम्हे अपने आप को बर्फ से ढकना पड़ेगा और उसे भी सम्मोहन में करना पड़ेगा । जिस चुड़ैल को तुम हरा दोगे वह तुम्हारी बात और कहना मानेगी ।

चौथी चुड़ैल का नाम कालिका  है ।यह काली शक्तियों की स्वामिनी है इसे हराने के लिए इसकी यज्ञ कुंड की राख लेकर इसके ऊपर छिड़क देना । वह तुम्हारे वश में हो जाएगी। लेकिन याद रखना इस तक पहुंचने के लिए कई खतरे है। इसका निवास एक गुफा में है जिसका पता तुम्हे दामिनी बताएगी।

पांचवी चुड़ैल का नाम नगीना  है । वह सांपो की मल्लिका है।  वह नागवन के एक विशालकाय पेड़ पर निवास करती है। उसके माथे पर एक मणि का चिन्ह बना हुया है अगर तुम उसको छू लोगे तो वह तुम्हारी गुलाम बन जाएगी । अब उस मणि को कैसे छूना है ये तुम्हारे ऊपर है ।

छठी चुड़ैल का नाम बिजुलिका है जिसका शरीर बिजली से निकलनी वाली किरणों से बना हुया है उसकी शक्ति आकाशीय बिजली है जो वह अपने शक्ति से किसी भी समय मे उसे प्रकट कर सकती है । उसे तभी वश में किया जा सकता है जब वह जमीन के नीचे हो । क्यो की जमीन के नीचे उसकी शक्ति काम नही करती है । 

सातवीं चुड़ैल का नाम कपालिका है । यह भूत , प्रेत जिन्न , राक्षस आदि मायावी शक्तियों की स्वामिनी है उसे वश में करने के लिए , उसके गले में पड़ी हड्डियों की माला तोड़ने होगी । माला टूटते ही उसकी शक्ति खत्म हो जाएगी । और माला से एक लाल हीरा निकलेगा । उस हीरे को तुम उठा लेना । जब तक वह हीरा तुम्हारे पास रहेगा तब तक वह तुम्हारे वश में रहेगी ।

आठवी चुड़ैल का नाम सागरिका है । यह अपनी शक्ति से चाहे जहां पर जल प्रकट कर सकती है , बाढ़ ला सकती है पानी मे बहाकर मार सकती है , कुल मिला कर इस दुनिया मे पानी उसके वश में है वह पानी से कुछ भी कर सकती है। और वह जिस जगह पर रहती है वहां पानी ही पानी है । उसे वश में करने के लिए उसे सूर्य की रोशनी में ले जाना होगा जैसे ही उसे सूर्य की रोशनी छू जाएगी वह शक्ति विहीन हो जाएगी । फिर वह तुम्हारा हर कहना मानेगी ।

नौंवी चुड़ैल का नाम डंकिनी है। इसका शरीर बिच्छू के आकार का है और यह अपने डंक से लोगो को जान से मार देती है इसलिए इसका नाम डंकिनी है। इस पर किसी भी शक्ति का असर नही होता है । अगर यह किसी को छू ले या इसे कोई छू ले वह बच नही सकता है क्योंकि इसके पूरे शरीर मे तेज जहर दौड़ता है जो मात्र छूने से किसी को भी गला सकता है । इसे वश में करने के लिए इसके डंक को तोड़कर अपने पास रखना होगा ।

दसवीं चुड़ैल का नाम रक्तिका है। इसका जैसा नाम है वैसे ही काम है । यह किसी के भी शरीर से खून निकाल कर उसे कमजोर कर देती है फिर उसे मार देती है इसे अपने वश में करने के लिए तुमको इसके शरीर से एक बूद खून निकालना होगा । और वह केवल उसके मस्तक के बीच से ही निकलेगा क्योकि उसके बाकी अंगों में खून नही है । और वह अपने मस्तक में हमेशा एक सुरक्षा कवच बनाये रहती है । उसका सुरक्षा कवच तभी हटता है जब वह किसी का खून निकालती है उसी समय तुम उसके मस्तक से खून निकाल लेना वह तुम्हारे वश में हो जाएगी ।

अंतिम व ग्यारवीं चुड़ैल यानी हम चुड़ैलों की रानी जिसका नाम महायोगिनी है । अनंत शक्तियों की स्वामिनी है जो एक शानदार जल महल में रहती है । उसके पास हम दसों चुड़ैलों के बराबर शक्ति है । वह कब , कितनी समय और क्या कर सकती है । यह मुझको नही मालूम है बस उसको वश में करने का तरीका मालूम है । उसे अपने वश में करने के लिए या  हराने के लिए , उसके बाग में जाना होगा जहां उसका प्रिय तोता रहता है और उसी तोते में महायोगिनी की जान भी है । अगर बाग के अंदर जाकर तुम उस तोते को पकड़ लोगे तो महा योगिनी तुम्हारी गुलाम बन जाएगी । बाग में जाने का मतलब मौत के मुंह जाना वँहा पर इतना खतरा है कि हम लोग भी नही जा सकते है ।

सभी चुड़ैलों के बारे में बताने के बाद चित्रलेखा शांत हो गयी । थोड़ी देर तक शांत का माहौल बना रहा फिर राजकुमार चुप्पी तोड़ते हुए चित्रलेखा से बोला - " आपका शुक्रिया , और आपने मेरी मदद की इसलिए मैं आपको अपने वश में नहीं रखूंगा । तुमने मेरी मित्र की तरह मदद की इसलिए आज से तुम मेरे मित्र हुए । और यह जादुई लेखनी और चमकीली वस्तु तुम अपने पास रख लो । "

इतना कहने के बाद राजकुमार ने चित्रलेखा को जादुई लेखनी औंर चमकीली वस्तु दे दी । अपना समान वापस पाने के बाद चित्रलेखा बोली - " तुम बहुत नेक और दयालु इंसान हो राजकुमार । मेरी यही इच्छा है कि तुम्हारी हर इच्छा पूरी हो।लेकिन पहले मैं अपनी महारानी के पास जाऊंगी और तुम्हारी बात बताऊंगी की तुम्हारी बात मानकर तिलिस्म के अगले द्वार तक जाने का रास्ता बता दे । "

इतना कहने के बाद चित्रलेखा ने राजकुमार को एक लाल नग की अंगूठी दी और बोली - " अगर मेरी बात रानी मान जाएगी तो यह अंगूठी हरे नग में बदल जाएगी और नही मानेगी , मुझे कैद कर लेगी । तो यह अंगूठी काले नग में बदलकर टूट जाएगी । इसके बाद तुम मेरे द्वार बताये गए सभी चुड़ैलों को अपने वश में करके रानी तक पहुंच जाना ।" 

इतना कहने के बाद चित्रलेखा ने राजकुमार से विदा लिया और रानी के जल महल की ओर चली ।


                        क्रमशः .......................🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼


सभी पाठकगण को नमस्कार , यह भाग आप सब को पढ़कर कैसा लगा यह अपनी समीक्षा देकर जरूर बताएं । और अगला भाग जैसे ही प्रकाशित करू , वह आपको पता चल जाये इसलिए मुझे फॉलो जरूर करें ।



विक्रांत कुमार
फतेहपुर उत्तरप्रदेश
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