Mahila Doctor dosti aur rahashy - 4 in Hindi Adventure Stories by Abhishek Chaturvedi books and stories PDF | महिला डॉक्टर दोस्ती और रहस्य - भाग 4

Featured Books
  • मशरूफियत

    मशरूफियत मशरूफियत इस कदर होगयी हैँ जैसे कभी मैं वो थी ही नही...

  • बेखबर इश्क! - भाग 14

    "क्या बकवास प्लान है, किस लड़की से जा कर कहूं की एक साल के ल...

  • हीर... - 30

    अपने प्रपोजल के लिये अंकिता से मिले एक्सेप्टेन्स के बाद अंकि...

  • सपनो का राजकुमार

    एक बार की बात है, एक छोटे से गाँव में एक लड़की रहती थी जिसका...

  • तिलिस्मी कमल - भाग 17

    इस भाग को समझने के लिए इसके पहले से प्रकाशित सभी भाग अवश्य प...

Categories
Share

महिला डॉक्टर दोस्ती और रहस्य - भाग 4

अन्तिम टकराव........
रोहन ने समीर को पकड़ने के लिए एक जाल बिछाया। उसने समीर को विश्वास दिलाया कि निधि अब पूरी तरह से टूट चुकी है और वह अपनी ज़िंदगी से हार मान चुकी है। 

समीर ने इस पर विश्वास कर लिया और अपने असली इरादों को उजागर कर दिया। उसने स्वीकार किया कि वह निधि को बर्बाद करना चाहता था, क्योंकि उसने अपने परिवार की किसी घटना के लिए निधि को जिम्मेदार ठहराया था। 

लेकिन समीर का प्लान कामयाब नहीं हुआ। निधि और रोहन ने उसे रंगे हाथों पकड़ा, और उसे अस्पताल के उच्च अधिकारियों और पुलिस के सामने पेश किया गया। 


न्याय और शांति.....
समीर की गिरफ्तारी के बाद, निधि और रोहन ने एक बार फिर से न्याय की जीत का अनुभव किया। इस बार, निधि को यह एहसास हुआ कि जीवन में चुनौतियां कभी खत्म नहीं होतीं, लेकिन उनके सामने झुकना भी कोई विकल्प नहीं होता। 

अस्पताल ने समीर और उसके सहयोगियों को बर्खास्त कर दिया, और निधि को उसकी बहादुरी और पेशेवर निष्ठा के लिए सम्मानित किया गया। 

इस घटना के बाद, निधि और रोहन ने अपने जीवन में आगे बढ़ने का निर्णय लिया। उन्होंने समझा कि जीवन में आने वाली हर मुश्किल, हर चुनौती उन्हें और भी मजबूत बनाती है। 

निधि ने अपने काम में और भी अधिक समर्पण दिखाया और रोहन ने भी अपने व्यापार में ईमानदारी और निष्ठा को प्राथमिकता दी। दोनों ने एक साथ जीवन में हर मुश्किल का सामना करने का संकल्प लिया।


भविष्य की ओर....
समीर की साजिश के बाद, निधि और रोहन ने अपने जीवन को और भी सशक्त बनाया। उन्होंने अपने रिश्ते को और भी मजबूत किया और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए काम करने का फैसला किया। 

दोनों ने मिलकर एक नई शुरुआत की, जिसमें उन्होंने अपने अनुभवों से सीखा कि जीवन में चाहे कितनी भी मुश्किलें आएं, उन्हें पार किया जा सकता है। उनके जीवन का यह नया अध्याय सिर्फ उनके लिए ही नहीं, बल्कि उन सभी के लिए प्रेरणा बना, जो किसी न किसी रूप में जीवन की चुनौतियों का सामना कर रहे थे। 

इस तरह, निधि और रोहन ने अपने जीवन की नई कहानी लिखी, जिसमें सच्चाई, साहस और प्रेम ने हर बार जीत हासिल की। उनका जीवन एक ऐसी मिसाल बन गया, जो दिखाता है कि सच्चाई और निष्ठा के साथ कोई भी बाधा पार की जा सकती है।



अन्त का रहस्य यह रहस्य का अन्त सच क्या है ?....
समीर की गिरफ़्तारी और साजिश के विफल होने के बाद, निधि और रोहन ने राहत की सांस ली। उनका जीवन धीरे-धीरे सामान्य होने लगा था। अस्पताल में भी सब कुछ शांत हो गया था, और निधि ने एक बार फिर से अपने काम में पूरी तन्मयता से ध्यान लगाना शुरू कर दिया। 

लेकिन जब सब कुछ ठीक लग रहा था, तब एक दिन निधि को अस्पताल के मेलबॉक्स में एक अनजान पत्र मिला। पत्र में केवल एक वाक्य लिखा था: "यह अंत नहीं है, केवल शुरुआत है।" 

यह पढ़कर निधि के दिल में एक अनजाना डर समा गया। उसने रोहन को पत्र दिखाया, और दोनों ने इस बात को गंभीरता से लिया। उन्होंने सोचा कि यह शायद किसी का मज़ाक हो सकता है, लेकिन निधि का मन मानने को तैयार नहीं था। 


 अजीब घटनाएँ.....
पत्र मिलने के बाद, निधि के चारों ओर अजीब घटनाएँ घटने लगीं। अस्पताल में उसके मरीजों के रिकॉर्ड्स गुम हो जाते, मेडिकल उपकरण अचानक से खराब हो जाते, और कभी-कभी उसे अपने केबिन में अजनबी चीजें मिलतीं, जैसे कि एक टूटी हुई घड़ी, जिसे उसने कभी देखा भी नहीं था।

निधि ने इन घटनाओं को नज़रअंदाज़ करने की कोशिश की, लेकिन उसकी बेचैनी बढ़ती गई। रोहन ने उसे समझाया कि शायद यह सब पिछले तनाव के कारण हो रहा है, लेकिन निधि का दिल कहता था कि कोई अभी भी उन्हें देख रहा है, उनकी हर गतिविधि पर नजर रख रहा है।

गहरी साज़िश का संकेत...
एक रात, निधि को अस्पताल में देर तक काम करना पड़ा। जैसे ही वह अपने केबिन से बाहर निकली, उसे एक परछाई सी दिखी, जो तेजी से गायब हो गई। निधि ने उसका पीछा करने की कोशिश की, लेकिन वह अंधेरे में खो गई। 

जब वह वापस अपने केबिन में आई, तो उसे अपनी डेस्क पर एक छोटी सी डायरी मिली। उस डायरी में किसी ने उसके जीवन से जुड़े कई निजी और गोपनीय बातें लिखी थीं, जिनके बारे में केवल वही और रोहन जानते थे। यह देखकर निधि के रोंगटे खड़े हो गए। 

डायरी के आखिरी पन्ने पर केवल एक वाक्य लिखा था: "यह सिर्फ शुरुआत है, तुम्हारी परछाई मैं ही हूँ।"


निधि ने तुरंत रोहन को सब कुछ बताया। दोनों ने मिलकर डायरी की जांच की, लेकिन इसमें कुछ और नहीं मिला जिससे वे इस रहस्यमयी दुश्मन के बारे में कोई सुराग पा सकें। 

यह समझना मुश्किल था कि यह सब कौन कर रहा था और क्यों। समीर और अजय अब जेल में थे, लेकिन क्या वास्तव में यही लोग जिम्मेदार थे, या यह किसी और का खेल था?


अधूरा अंत

निधि और रोहन ने यह तय किया कि वे इस मामले की गहराई तक जाएंगे, लेकिन हर बार जब वे कुछ सुराग पाते, वह अचानक से गायब हो जाता। ऐसा लगता था कि कोई अदृश्य ताकत उनके हर कदम को जानती थी और पहले से ही उनकी योजना को भांप लेती थी। 

समय बीतता गया, लेकिन उन घटनाओं का रहस्य सुलझ नहीं पाया। निधि और रोहन ने इस रहस्यमयी साए के साथ जीना सीख लिया, लेकिन उनकी जिंदगी कभी भी पहले जैसी नहीं रही। 

आखिर में, एक रात, निधि को फिर से एक पत्र मिला। इस बार उसमें लिखा था: "अंधेरे में छुपे दुश्मन से डरना छोड़ो, क्योंकि जो दिखता है, वही सच नहीं होता।"

उस पत्र ने निधि और रोहन को एक और रहस्य के भंवर में डाल दिया। क्या यह दुश्मन वास्तव में कोई और था, या क्या यह केवल उनके मन का भ्रम था? यह सवाल उनके जीवन में हमेशा के लिए एक रहस्य बनकर रह गया।

कहानी यहीं समाप्त होती है, लेकिन इसके अंत में एक ऐसा रहस्य छोड़ जाती है, जो पाठकों को सोचने पर मजबूर कर देता है:

क्या सच्चाई कभी पूरी तरह से सामने आ पाती है, या कुछ रहस्य हमेशा के लिए परछाइयों में खो जाते हैं?