आज से करीब 700 साल पहले। कश्मीर में सहदेव नाम का एक हिंदू राजा था। उसे न तो प्रजा की फिक्र थी और न ही शासन चलाने में दिलचस्पी। सहदेव के नाम पर उसके प्रधानमंत्री और सेनापति रामचंद्र शासन चलाते। रामचंद्र की बेहद सुंदर और जहीन बेटी कोटा भी इसमें उनकी मदद करती।
एक दिन कश्मीर में तिब्बत का एक राजकुमार रिंचन पहुंचा। उसके साथ सैकड़ों हथियारबंद सैनिक थे। रिंचन ने रामचंद्र को बताया कि गृहयुद्ध में उसके पिता मारे जा चुके हैं। वो जोजिला दर्रे के रास्ते जान बचाकर यहां पहुंचा है। रामचंद्र ने रिंचन को पनाह दे दी।
मशहूर कश्मीरी इतिहासकार पृथ्वीनाथ कौल बामजई अपनी किताब 'ए हिस्ट्री ऑफ कश्मीर' में लिखते हैं कि इसी दौरान 1320 ईस्वी में जुल्चू नाम के मंगोल सेनापति ने कश्मीर पर हमला कर दिया। राजा सहदेव बिना लड़े ही किश्तवाड़ भाग गया। जुल्चू ने 8 महीने तक कश्मीर में खूब उत्पात मचाया। लौटते वक्त दिवासर परगना की चोटी के पास बर्फीले तूफान में सेना समेत दफन हो गया।
अब कश्मीर पर सीधे सहदेव के प्रधानमंत्री रहे रामचंद्र का शासन हो गया। तिब्बती शरणार्थी राजकुमार रिंचन ने मौका पाकर विद्रोह कर दिया और रामचंद्र की हत्या करवा दी और कश्मीर की गद्दी पर बैठ गया। उसने रामचंद्र की बेटी कोटा से शादी का प्रस्ताव रखा, लेकिन वो पिता के हत्यारे से शादी को तैयार नहीं थी।
बहुत मनुहार के बाद आखिरकार कोटा, रिंचन की रानी बनने को राजी हो गई। रिंचन खुद को बौद्ध लामा मानता था, रानी कोटा चाहती थी कि वो हिंदू बन जाए। हालांकि, उसने इस्लाम धर्म अपनाया और इस तरह कश्मीर को पहला मुस्लिम शासक मिला। आखिर रिंचन ने इस्लाम ही क्यों अपनाया?
कश्मीर के बसने से जुड़ी 3 मिथकीय कथाएं मिलती हैं...
पहला- कश्यप ऋषि का किस्साः हिंदू माइथोलॉजी के नीलमत पुराण के मुताबिक कश्मीर घाटी पहले सतीसर नाम की एक विशाल झील थी, जिसमें जलोद्भव नाम का राक्षस रहता था। ब्रह्मा के पोते कश्यप ऋषि ने वराह-मुला की पहाड़ी का एक हिस्सा काटकर कर झील सुखा दी और जलोद्भव मारा गया। कश्यप ने वहां के रहने वाले नागों को इंसानों को भी साथ में रहने देने का आदेश दिया। इन्हीं ऋषि कश्यप के नाम पर कश्यप-पुरा बसा, जिसे अब कश्मीर के नाम से जाना जाता है।
दूसरा- काशेफ जिन्न का किस्साः सूफी लेखक ख्वाजा आजम ने 1747 में 'वाकयात-ए-कश्मीर' में कश्यप ऋषि की जगह काशेफ को रखकर इस कहानी का इस्लामी स्वरूप पेश किया। इन्हीं आजम के बेटे बदुद्दीन ने तो कश्मीर को सीधे आदम-हौव्वा की कहानी से जोड़ दिया। उनके मुताबिक कश्मीर में रहने वालों को खुद हजरत मूसा ने इबादत करना सिखाया। मूसा की मौत भी कश्मीर में हुई और उनका मकबरा भी वहीं है।
तीसरा- मध्यांतिक नाम के बौद्ध का किस्साः प्रसिद्ध
चीनी यात्री ह्वेनसांग के मुताबिक कश्मीर एक झील थी, जिसमें नाग रहते थे। एक बार बुद्ध ने कहा था कि मेरी मृत्यु के बाद एक मध्यांतिक नाम का बौद्ध यहां लोगों को बसाकर एक राज्य की स्थापना करेगा। बुद्ध की मृत्यु के 50 साल बाद मध्यांतिक नाम का शिष्य कश्मीर गया और उसने झील सुखा दी। मध्यांतिक ने यहां कई बौद्ध मठों की स्थापना की।