I can see you - 17 in Hindi Women Focused by Aisha Diwan Naaz books and stories PDF | आई कैन सी यू - 17

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आई कैन सी यू - 17

अब तक कहानी में देखा के लूसी को कोई लड़का मिला जो कॉलेज कैंपस के ग्राउंड में रखे बेंच पर उदास बैठा था। लूसी उस से उसकी उदासी का कारण पूछ रही थी के रोवन ने उसे बालकनी से अकेले में बातें करते हुए देख लिया। वो समझ गया था की लूसी जिस से बात कर रही है वो कोई इंसान नही है इस लिए उसे दिखाई नहीं दे रहा है। उसे बात करने से रोकने के लिए उसने लूसी को कॉल किया। 
रोवन का कॉल देख कर लूसी थोड़ी से घबराई फिर कॉल रिसिव कर लिया। कॉल रिसीव करते ही रोवन ने कड़क आवाज़ में कहा :" किस से बातें कर रही हो तुम?

उसके ऐसा पूछने पर लूसी ने भी अकड़ कर मगर क्यूट अंदाज़ में जवाब दिया :" मैं किसी से भी बातें करूं इस से आपको क्या फर्क पड़ता है?.... अब आप मुझ पर नज़र रखेंगे?

    " तुम किसी से भी बात करो मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन बात किसी इंसान से करो जिसे सब देख सके! भूतों से बात करोगी तो लोगों को जल्द फर्क पड़ने लगेगा!"

रोवन ने उसे दूर से घूरते हुए कहा।

उसकी बातें सुन कर लूसी का जिस्म अचानक ठंडा सा पड़ गया। उसने धीरे से आंख घुमा कर पास बैठे लड़के की ओर देखा जो अभी उसे ही देख कर हल्का सा मुस्कुरा रहा था। 
लूसी ने जल्दी से उस से नज़रे हटा ली और फिर कान में फोन लगाए हुए दबी दबी आवाज़ में अटक अटक कर बोली :" आपको मेरे पास वाला लड़का दिखाई नहीं दे रहा है क्या?"

    " नहीं! वो जो भी है इंसान नही है इस लिए कोई नई मुसीबत गले में बांध मत लो और क्लास रूम जाओ।"

रोवन ने इतना कह कर फोन काट दिया। लूसी ने कान से फोन हटाया तो देखा उसके पास रूमी खड़ी है और उसके मोबाइल में झांक रही है। उसने रोवन का नाम लूसी के फोन में देख लिया और देखते ही हैरानी से उसका मुंह खुला रह गया। गोल गोल आंखे निकल आई थी। भौचक्की सी खड़ी लूसी को देखते हुए उसके मुंह से बेसाख्ता निकल पड़ा " मामा!"
     " मामा ने तुम्हें कॉल किया था या तुम ने उन्हें कॉल किया ?..... हो क्या रहा है?

लूसी उसके हैरान वा परेशान हुए चहरे को देख कर उठ खड़ी हुई और उसका हाथ पकड़ कर खींचते हुए वहां से दूर ले गई। लड़का वोही बैठा उसे जाते हुए देखता रहा। 
    " क्या हुआ है? क्या खिचड़ी पक रही थी यहां? बताओ मुझे जल्दी!"

रूमी बेसब्री से बोली।

लूसी उसे एक कॉरिडोर में लेजाकर धीरे से बोली :" कोई खिचड़ी नही पक रही है! मेरी तो मजाल नही है की मैं तुम्हारे मामा को कॉल कर सकूं! उन्होंने ही मुझे कॉल किया था।"

   " पर क्यों किया था ये तो बताओ!"
रूमी ने उत्साह भरे मन से कहा।

     " और क्यों करेंगे! ऑफकोर्स डांटने के लिए किया था! उन्हें डांटने के अलावा कुछ और बात करना आता भी है क्या!"

लूसी ने सफाई देते हुए जवाब दिया।

रूमी अब सोच में पड़ गई। ये बात उसे अचानक से बहुत उलझी हुई लगने लगी। उसके दिमाग में कई सवाल उठने लगे जैसे की मामा के पास लूसी का नंबर कैसे है? वो किसी को डांटने के लिए कॉल तो नही करते खास कर स्टूडेंट को ऑफिस बुलाया जाता है। अगर डांटा भी तो किस बात के लिए?
मुझे इन दोनों पर कड़ी नज़र रखनी होगी।"

वो अपने ख्यालों में खोई हुई लूसी को देख रही थी। 
लूसी उसका हाथ पकड़ कर क्लास में ले जाने लगी। जाते जाते वो मुड़ मुड़ कर उस बेंच पर बैठे लड़के को देख रही थी। उसके मन में भी कई मंसूबे चल रहे थे। लड़का अब भी वोही बैठा था।

कॉलेज से निकलते समय लूसी उस लड़के को तलाश कर रही थी। इधर उधर देखते हुए रूमी और वर्षा के साथ चल रही थी। रूमी की जासूसी नज़र उसी पर थी। उसने उसकी आंखों को गोल गोल घूमते हुए देखा तो बोल पड़ी :" मामा को देखना चाहती हो क्या?

   " तुम्हारे मामा कोई wold wide handsome man नहीं है जो मैं उन्हें देखने के उतावली रहूंगी! मैं किसी और को ढूंढ रही हूं।"

लूसी तीखे तेवरों से जवाब दिया। 

" मेरे मामा हैंडसम तो है ये बात तुम भी मानती हो लेकिन उनके लिए दिल में कोई बीज मत बो लेना! उस बीज के उपजने से पहले उसे निकाल दो क्यों के मामा प्यार व्यार या शादी वादी नहीं करेंगे!"

   " वोह मामा की चमची! कुछ भी नही उपज रहा है दिल में! ख्याली पुलाव मत पकाओ!"

लूसी ने उसके बालों की चोटी खींचते हुए कहा।

इतने में यश आवाज़ देते हुए उनके पास दौड़ा चला आया। 
वो भी लूसी के उमर का ही था। वर्षा उसे देख कर खुश हो गई। रूमी हैरानी से बोली :" तुम इसका इंतज़ार कर रही थी?"

   " नहीं यार!"

लूसी ने उकताहट में कहा।

इतने में यश उनके पास आ गया और बातें करने लगा। क्लास में क्या हुआ क्या नही सब वर्षा को बताने लगा। उसने लूसी को खोया हुआ देखा तो कहा :" लूसी! क्या हुआ कोई प्राब्लम है?

   " हम्म मुझ से कह रहे हो ?

लूसी ने असमंजस में कहा।

   " हां तुम से ही कह रहा हूं?... कोई परेशानी है तो बताओ!"

यश ने पूछा।

लूसी :" नही कोई बात नही है! चलो चलते हैं।"

ये कह कर लूसी आगे बढ़ गई। यश ने वर्षा से कहा :" बहुत चुप चुप सी रहती है ये!.... बहुत शांत लगती है।"

वर्षा हंस कर :" ऐसा कुछ नहीं है। वो थोड़ी अजीब है। अक्सर खोई खोई रहती है!...जब बोलने लगती है तब बस बोलती रहती है पर प्यारी है!"

लूसी तेज़ तेज़ कदमों से चलते हुए कॉलेज के बाहर जा रही थी के मेन गेट के पास उसे वोही लड़का दिख गया जिसकी उसे तलाश थी। वो लड़का वॉचमैन के बालों के साथ खेल रहा था। वॉचमैन बार बार अपने बालों पर हाथ फेर रहा था क्यों के उसे खुजली महसूस हो रही थी। 

लूसी जब वहां से गुजरी तो उसने लड़के को अपने साथ आने के लिए इशारा किया। उसे देख कर वो लड़का खुशी से उसके पास चला आया। 
नज़रे झुकाए चलते हुए लड़के को बिना देखे ही लूसी ने धीरे से कहा :" मुझे तुम से बात करनी है लेकिन यहां तुम्हें कोई देख नहीं सकता इस लिए मैं तुम्हें देखते हुए बात नहीं कर सकती!... पहले तो तुम अपना नाम बताओ और ये भी के तुम क्या हो?... भूत या पिशाच!"

लड़के ने उसके साथ चलते हुए जवाब दिया :" मेरा कोई नाम तो नहीं है लेकिन तुम मुझे दुलाल कह सकती हो!... और न मैं भूत हूं ना पिशाच!.... मैं हम्ज़ाद हूं!"

लूसी ने हैरानी से लड़के की ओर देखा। अभी उसके ज़ुबान पर कोई और सवाल आता इस से पहले वर्षा उसके पीछे से दौड़ी आई और हांफते हुए बोली :" कितनी तेज़ चलती हो यार तुम!.... मेरे लिए रुकती क्यों नहीं!"

" तुम यश के साथ बिज़ी रहती हो इस लिए मैंने सोचा डिस्टर्ब नहीं करना चाहिए!"

लूसी ने रूखे मन से जवाब दिया। अब उसके सामने वो दुलाल से कोई और सवाल नहीं कर सकती थी। जब दुलाल ने देखा के वो अपनी सहेली के साथ है तो वो वोही रुक गया और हाथ हिला कर लूसी को बाय कहा। लूसी को मजबूरन वर्षा के साथ चलना पड़ा।

लॉज पहुंचने के बाद भी उसके कानों में दुलाल का एक लफ्ज़ गूंज रहा था " मैं हम्ज़ाद हुं"  उस ने कभी हम्ज़ाद के बारे में नही सुना था ना ही कभी किसी ऐसे शख्स से मिली थी जो आम इंसान जैसा ही लगता हो और उसने खुद को हम्ज़ाद कहा हो। साथ ही उसे सफेद साड़ी वाली औरत की भी बात याद आने लगी जब वो कहती थी के वो भूत नहीं है तो क्या वो भी हम्ज़ाद है। लेकिन ये हम्ज़ाद होते क्या हैं? अगर वो हम्ज़ाद है भी तो रोवन सर के आगे पीछे क्यों रहती है? कहीं उसे रोवन सर से प्यार तो नहीं हो गया?

ये सब सोच सोच कर वो खुद ही खुद हल्कान हो रही थी। उसके सवालों का जवाब देने वाला कोई नहीं था। ये सब सोचते हुए उसके दिल में ये ख्याल भी आया के वो औरत अब तक नहीं आई कहीं वो हमेशा के लिए तो गायब नही हो गई? अगर ऐसा हुआ तो मेरी और रोवन सर की सारी मुसीबतें खत्म हो जायेगी।

लेकिन साथ ही उसका दिल ये मानने को तैयार नहीं था की वो हमेशा के लिए गायब हो गई है। उसका दिल कह रहा था वो वापस आयेगी। 

(पढ़ते रहें अगला भाग जल्द ही)