मैं रामदूत हनुमान
हनुमान का इस तरह विभीषण जो रावण का भाई था से परिचय हुआ था।बातों ही बातों में हनुमान को पता चला कि रावण ने सीता को अशोक वाटिका मे कैद करके रखा हुआ है अशोक वाटिका के चारो तरफ परकोटा है इसकी रक्षा राक्षस करते हैं।
विभीषण से मुलाकात के बाद हनुमान ने विदा ली।अशोक वाटिका में जाने के लिए हनुमान ने मुख्यद्वार का सहारा नही लिया।सुरक्षा को चकमा देकर हनुमान ने परकोटे को लांघ कर अशोक वाटिका में प्रवेश किया था।और एक पेड़ पर छिप कर बैठ गए थे।
जिस समय हनुमानजी एक घने पेड़ के ऊपर छिप कर बैठे हुए थे।उसी समय रावण भी सीता के पास आया था।रावण सीता को अपनी बनाना चाहता था।उसने सीता को अनेक प्रलोभन दिए।पर सीता एक पतिव्रता स्त्री थी।उसके दिल मे सिर्फ राम ही बसे हुए थे।उसने उसके सारे प्रलोभन ठुकरा दिए थे।रावण बलसाली था औऱ सीता रावण की कैद में थी।पर वह जबर्दस्ती सीता को नही पा सकता था क्योंकि रावण को श्राप मिला हुआ था कि अगर वह ऐसा प्रयास करेगा तो उसकी मृत्यु हो जाएगी।
जब सीता ने रावण के सारे प्रस्ताव व प्रलोभन ठुकरा दिये तब रावण आग बबूला हो गया।और सीता को धमकी देता हुआ चला गया।
हनुमानजी विचार करते रहे।माता सीता किस दुष्ट के चुंगल में आ फसी।कितनी उदास है।और वह ििनतजार करते रहे।जैसे ही हनुमानजी ने देखा माता सीता अकेली है।हनुमान ने राम के द्वारा दी गयी निशानी मुद्रिका पेड़ से नीचे गिरा दी।सीता मुद्रिका देख कर चोंक गयी।उसने हाथ मे लेकर मुद्रिका देखी।उस पर राम का नाम अंकित था।सीता पहचान गयी कि मुद्रिका उनके पति राम कि ही है।लेकिन आयी कहा से
सीता माता सोच में पड़ गई।तरह तरह के भाव उनके मन मे आने लगे।और काफी देर तक सीता को बेचेन होता देखकर
जय श्रीराम का उद्घोष करते हुए हनुमानजी पेड़ से कूदकर सीता के सामने प्रकट हो गए
माता मैं रामदूत हनुमान
हनुमानजी सीता के सामने हाथ जोड़कर खड़े हो गए थे।हनुमान को देख कर सीता बोली
वानर से दोस्ती कैसे
सीता आश्चर्य से देखते हुए बोली।तब हनुमान ने पूरी बात बताई कि कैसे राम की सुग्रीव से दोस्ती हुई।पूरी कथा सुनकर सीता को विश्वास हो गया कि हनुमान को राम ने ही उसकी खोज के लिए भेजा है।विश्वास होने के बाद दोनों में बातचीत होने लगी।हनुमान राम के समाचार सुनाने के साथ सीता से भी उनके समाचार लेने लगे।काफी देर बाद हनुमान बोले
माता मेरा मन तो कर रहा है तुम्हे अभी अपने साथ ले जाऊ
तुम हनुमान।इधर कितना पहरा है
माता मुझे इसकी चिंता नही
नही ले जा पाओगे
सीता जब अविश्वास से हनुमान कि तरफ देखने लगी।तब हनुमान ने अपना विशाल रूप दिखाया था।हनुमान रूप बदलने में माहिर थे।और हनुमान का विशाल रूप देखकर सीता को विश्वास हो गया कि हनुमान ऐसा करने में सक्षम है।
हनुमान फिर छोटे रूप में आते हुए बोले
माता कुछ दिन और धीरज रखे।प्रभु श्रीराम आएंगे औऱ दुष्ट पापी रावण को मारकर तुम्हे ससम्मान अयोध्या वापस ले जाएंगे
हनुमान मैं अपने प्रिय प्रभु श्रीराम के आने का ििनतजार करूंगी
काफी देर बात करते हुए हो गयी तब हनुमान बोले
माता फलों को देख कर मुझे भूख लग आयी है
जमीन पर गिरे ही खाना।राक्षस बैग कि रखवाली करते हैं
मुझे माता उनका डर नही है