पृथ्वीराज की बात सुनकर रूक्मणी उसकी बात समझने के बजाय और गुस्से मे आ गई। “आपने विक्रांत को ये तो बता दिया की इस लड़की को ठीक किया जा सकता है! पर तुमने विक्रांत को ये बताया की इस लड़की को ठीक करने के लिए हमे कितनी बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी!” रूक्मणी ने विक्रांत से ये कहा ही था की इतने में विक्रांत कुछ सोचते हुए पूछता अपनी मां से पूछता है, “मां...! ये आप कौनसी कीमत चुकाने की बात कर रही हो?” रूक्मणी इस बारे मे विक्रांत को बताने ही वाली होती है की पृथ्वीराज उसे रोक देता है और विक्रांत की ओर देखते हुए कहता है–“बेटा शाम को दादाजी आने वाले हैं, तुम उन्ही से इस बारे मे पूछ लेना। वही तुम्हे इस बारे मे बताएंगे।”
विक्रांत अपने पापा की ये बात सुनकर गहरी सोच में पड़ गया। वो सोचने लगा की आखिर ऐसी कौनसी बात है, जिसे पापा ने मां को बताने से मना कर दिया! जरूर कोई बड़ी बात होगी? विक्रांत ये सोच ही रहा होता है की तभी रूक्मणी सुप्रिया को देखते हुए कहती है–“बेटा सुप्रिया...! तुम मेरे साथ चलो। मैं तुम्हे तुम्हार कमरा दिखा देती हूं।” इतना कहते हुए रुक्मणि सुप्रिया को अपने साथ कमरा दिखाने के लिए ले गई।
अचानक पृथ्वीराज के फोन की घंटी बजने लगा। उसने फोन मे देखा तो शिवराज का फोन आ रहा होता है। “हेलो...! जी पापा बोलिये...! पृथ्वीराज ने अपने पापा शिवराज से कहा।
“वो लोग घर पहुंच गए?” शिवराज ने पूछा। “जी पापा... वो लोग घर आ चुके हैं। आप कब तक घर आने वाले हो?” शिवराज ने अपने पिता से पूछा।
“मैं शाम तक यहां का काम खतम करके घर आ जाऊंगा।” शिवराज ने कहा। “जी पापा ठीक है। मैं बाकी सबको भी ये बता देता हूं।” शिवराज ने कहा। इसके बाद पृथ्वीराज ने फोन रख दिया।
जहां एक तरफ विक्रांत से उसका परिवार मिलकर खुश था। वहीं दूसरी तरफ उत्तराखंड मे जोसेफ गोम्स और पवन कुमार सुप्रिया को ढूंढने में लगे हुए थे। किसी को समझ नही आ रहा था की सुप्रिया अचानक से कहां गायब हो गई?
“जोसेफ सर...! मैने सुप्रिया के दोस्तो से पूछ ताछ की तो उनसे कोई खास जानकारी नहीं मिल पाई। उन सबका यही कहना है की सुप्रिया को आखरी बार उन्होंने हॉस्पिटल में ही देखा था। उसके बाद क्या हुआ उन्हे कुछ नही पता। और हां सर, उनके साथ एक लड़का और भी था जिसका नाम विक्रांत है। जब से सुप्रिया गायब हुई है तब से वो भी कहीं गायब है। उसके बारे में भी उसके दोस्तो को कुछ नही पता। हो सकता है सुप्रिया के गायब होने के पीछे विक्रांत का हांथ हो?” पवन कुमार ने अपनी पूरी बात जोसेफ गोम्स को बताते हुए कहा।
पवन कुमार की पूरी बात सुनने के बाद जोसेफ गोम्स को भी कहीं ना कहीं विक्रांत पर शक होने लगा था। “हां ऐसा हो सकता है! मगर मुझे नही लगता इसमें उस लड़के का कोई हाथ है...! क्योंकि तुमने बताया की सी सी टी वी की फुटेज मे वो लड़की बाहर जाती नही दिखी। ऐसे मे हो सकता है वो लड़का अपने घर दिल्ली गया हो! उसके दोस्तों ने बताया था ना की वो दिल्ली का रहने वाला है! चलो फिर भी उसके दोस्तो से उसकी भी फोटो ले लो। और पुलिस स्टेशन में खबर करके बोल दो की इस लड़के की भी तलाश मे लग जाएं।” जोसेफ गोम्स ने पवन कुमार को समझाते हुए कहा।
जोसेफ गोम्स से बात करने के बाद पवन कुमार विक्रांत के दोस्तों से मिलने के लिए जाने ही वाले थे की तभी जोसेफ गोम्स ने उन्हे रोकते हुए कहा–“पवन कुमार जी एक काम करते हैं। हम किशनलाल बाबा से मिलने चलते हैं। शायद हो सकता है वो बाबा हमे कुछ बता सकें।”
“जी सर... आप शायद सही बोल रहें हैं...! मुझे भी लगता है की वो बुजुर्ग हमे कुछ ना कुछ तो जानकारी दे ही देंगे।” इतना कहकर दोनो जीप में बैठते हैं और किशनलाल से मिलने के लिए जाने के लिए रवाना हो जाते हैं।
कुछ ही देर के बाद जोसेफ गोम्स और पवन कुमार किशनलाल के घर पर पहुंच जाते हैं। किशनलाल के घर पहुंचकर पवन कुमार उनके घर का दरवाजा खटखटाते हैं। किशनलाल दरवाजा खोलकर देखते हैं तो पवन कुमार और जोसेफ गोम्स उनके सामने खड़े होते हैं। “आप दोनो यहां? फिर से कुछ हुआ है क्या?” किशनलाल ने पवन कुमार और जोसेफ गोम्स से पूछा।
किशनलाल की ये बात सुनकर पवन कुमार ने किशनलाल से पूछा–“बाबा...! आपको कैसे पता की कुछ हुआ है?”
“बेटा जंगल में कुछ भी होता है तो गांव वालो को खबर हो ही जाती है। उन्ही से मुझे ये पता चला की कुछ लड़के और लड़कियों पर जंगल में हमला हुआ था। अब तुम ये बताओ की तुम क्या जानना चाहते हो?” किशनलाल ने जोसेफ गोम्स और पवन कुमार की तरफ देखते हुए पूछा।
“बाबा...! उस हमले में एक लड़की मारी गई थी, और एक लड़की घायल हो गई थी। वो घायल लड़की हॉस्पिटल में एडमिट थी पर अचानक वो हॉस्पिटल से कहां गायब हो गई पता नही चल पा रहा है।” पवन कुमार ने किशनलाल को बताते हुए कहा।
“बेटा एक बात बताओ, उस लड़की के शरीर पर कहीं कोई काटने का निशान तो नही था ना...!” किशनलाल ने पवन कुमार से पूछा।
“बाबा काटने का निशान तो मैने उस लड़की की गर्दन पर देखा था। पर इससे उस लड़की के गायब होने से क्या लेना देना?” पवन कुमार ने पूछा।
पवन कुमार की की बात सुनने के बाद किशनलाल कुछ चिंता मे नजर आ रहे थे। “बेटा मैने जिस तरह अपने बड़े बुजुर्गो से उस जीव के बारे में सुना था, उसी तरह ये भी सुना था की अगर किसी को कोई मानव भेड़िया पूर्णिमा की रात मे काट ले तो वो इंसान भी भेड़िया बन जाता है। और जहां तक मेरी जानकारी है, जब उन बच्चो पर हमला हुआ तब पूर्णिमा की रात थी, है ना...!” किशनलाल ने कहा।
“जी बाबा आपने सही कहा। उस रात पूर्णिमा की रात थी।” पवन कुमार ने किशनलाल से कहा। “इसका मतलब वो लड़की भी मानव भेड़िया बन चुकी है। तुम्हे शायद पता नही होगा! पर मानव भेड़ियों में बहुत ज्यादा तेजी होती है। तुम्हारे सामने से हवा की तरह गायब हो जाएंगे और तुम्हे पता भी नही चलेगा।” किशनलाल ने उन दोनो को समझाते हुए कहा।
“बाबा आप ये कहना चाह रहें हैं की वो लड़की हॉस्पिटल से गायब नही हुई , बल्कि वो वहां से भाग गई है?” जोसेफ गोम्स ने किशनलाल से पूछा। “बेटा इन सारी बातों को देखते हुए तो ऐसा ही लग रहा है।” किशनलाल ने उनकी अपनी राय बताते हुए कहा।