Heer Ranjha - 4 in Hindi Love Stories by piku books and stories PDF | हीर रांझा - 4

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हीर रांझा - 4

दिन में तीसरे पहर जब सूरज पश्चिम दिशा में ढ़लने के लिए चल पड़ा, उस समय रांझा चेनाब नदी के किनारे खड़ा था। वहां कई और यात्री जमा थे जो नदी पार करवाने वाले मांझी लुड्डुन का इंतजार कर रहे थे।

रांझा ने मांझी से कहा,' ऐ दोस्त, खुदा के लिए मुझे नदी पार करा दो।' लुड्डुन मांझी अपने तोंद पर हाथ फेरता हुआ हंसने लगा और उसका मजाक उड़ाते हुए बोला, 'खुदा का प्यार हमारे लिए कोई मायने नहीं रखता। हम तो पैसे के लिए नदी में नाव चलाते हैं।'

रांझा उससे गुजारिश करते हुए बोला, 'मैं एक जरूरी यात्रा पर निकला हूँ और मंजिल तक पहुंचना बहुत जरूरी है। मैं तुम्हारे नाव की पतवार चलाऊँगा, मुझे ले चलो।'

मांझी ने जवाब दिया, 'अपने खुदा से कहो कि वह तुम्हारे पैसे चुका दे। जो पैसे देता है बस उन्हीं को मैं उस पार ले जाता हूँ चाहे वह चोर हो या डाकू । लेकिन भिखारियों, फकीरों और जो बैठे-बैठे कुत्तों की तरह रोटी तोड़ते हैं, उनको भगा देता हूँ। जो जबरदस्ती नाव पर चढ़ने की कोशिश करता है, उसे हम नदी में फेंक देते हैं चाहे वह पीर का बेटा वारिस ही क्यों न हो। बिना कुछ लिए हम नदी पार नहीं कराते।'

आखिरकार रांझा मांझी की बातों को सुनकर परेशान हो गया और कोने में जाकर बैठ गया। उसने अपनी बांसुरी निकाली और महबूब से जुदाई के गीत का धुन बजाने लगा। उसकी आँखों के किनारे से आंसुओं के गर्म झरने गिर रहे थे और लग रहा था कि दुर्भाग्य ने उसे घेर लिया है।

बांसुरी की विरह राग सुनकर सभी मर्द और औरत नाव से उतरकर रांझे के आसपास बैठ गए। लुड्डुन की दो बीवियां रांझे के पांवों को दबाकर सेवा करने लगी। मांझी लुड्डुन यह सब देखकर गुस्से से लाल हो गया और बोलने लगा, 'यह युवक कोई जादूगर है। इसने तो मेरी बीवियों को अपने वश में कर लिया है। हमें इस जाट के जाल से बचाओ. यह हमारी औरतों को भटकाकर ले जाएगा।

रांझा की बांसुरी ने ऐसा जादू किया था कि लोगों ने लुड्डुन की बात पर ध्यान ही नहीं दिया। बांसुरी बजाते-बजाते जब रांझा के दिल को थोड़ी राहत मिलने लगी तो उसने आस-पास घेरे लोगों को नजरअंदाज करते हुए अपना जूता उठाया और नदी के पानी में उतरने लगा।

उसे ऐसा करते देख लोग कहने लगे, 'नहीं, नहीं, नदी में मत उतरो। चेनाब की धार गहरी और बहुत तेज है। इसकी गहराई को कोई नहीं माप सका। एक क्षण में यह नदी जान ले सकती है।'

लुड्डन की बीवियों ने रांझा के कपड़े का छोड़ पकड़ लिया और उसे लौटने को कहने लगी। लेकिन रांझा ने सबसे कहा, 'जिसकी जिंदगी कष्ट में हो, वह मर जाए, यही सही होगा। वे खुशनसीब हैं जिनसे उनका घर-बार नहीं छूटता। मेरे मां-बाप नहीं रहे तो भाइयों ने मुझे दुख देकर घर से निकाल दिया।'


रांझा ने अपने कपड़ों को सर पर रख लिया और अपनी आत्मा को मजबूत करते हुए नदियों के खुदा का नाम लिया और पानी में चलने लगा।

लोग उसकी तरफ दौड़े और उसे पकड़ कर वापस ले आए। लोग उसे जोर-जोर से कहने लगे, 'भाई, मत जाओ, निश्चित रूप से तुम नदी में डूब जाओगे। हम तुमको अपने कांधों पर ले चलेंगे। हम सब तुम्हारे सेवक हैं और तुम हम सबके प्यारे हो।' रांझा के बांहों को उन लोगों ने पकड़ा और खींच कर नाव पर लाया।


रांझा गद्दी की खूबसूरती देखकर इसके बारे में पूछने लगा तो लोगों ने बताया कि यह एक बेहद खूबसूरत लड़की इस पर बैठती है। वह मीर चूचक की बेटी है। माहताब से भी ज्यादा चमकता हुस्न है उसका । उसके हुस्न के कयामत से परियों की रानी तक खौफ खाती हैं। एक बार जो उसके जादू में गिरफ्तार हुआ, वह धरती पर आवारा हो गया। वह सियालों के लिए गर्व करने की चीज है। उसका नाम हीर है।

रांझा ने बिना किसी भेदभाव के, बड़े-छोटे, अमीर- गरीब; सबसे उस गद्दी पर बैठने की गुजारिश की। वे सब रांझा के आस-पास उसी तरह बैठ गए जैसे कि शम्मे को चारों तरफ से परवाने घेर लेते हैं।


अब लुड्डुन रांझा को उस पार न ले जाने की बात को यादकर पछता कर रहा था। वह कहने लगा, 'मुझे डर लगने लगा था कि कहीं यह डाकू बांसुरी के जादू से मेरी बीवी को लूटकर न ले जाए।'

नाव पर लोग रांझा से उसकी जिंदगी के बारे में पूछने लगे। कहां से आए हो? घर क्यों छोड़ दिया? तुम तो बड़े कमजोर दिख रहे हो, क्या किसी ने तुमको कुछ खाने-पीने को नहीं दिया?

रांझा ने सबको अपनी पूरी कहानी सुनाई और कहा, 'मैं अपने मां-बाप का दुलारा था लेकिन खुदा को यही मंजूर था जो अब मेरे साथ हो रहा है।'

नाव के उस पार जाने के बाद लोग गांवों में रांझा का किस्सा सुनाने लगे। उसके बांसुरी के जादू के बारे में सबको बताने लगे। वे कहते, 'जब वह बोलता है  तो उसकी जुबां से फूल झड़ते हैं। लुड्डुन की बीवियां तो उससे प्यार करने लगी और वह हीर की गद्दी पर बैठा।'