जज ने गहरी सांस ली और सामने देखा
हमारे आसपास महिलाओं पर अत्याचार होने की घटनाएं कोई नई नही है। कभी दहेज हत्या तो कभी बाल विवाह, कभी बलात्कार तो कभी छेड़खानी, कभी शारीरिक और मानसिक आघात तो कभी कुछ। पर इस तरीके का प्रकरण आज मेरी अदालत में पहली बार आया है और सच बताऊं तो मेरी अंतरआत्मा को झीजोड़ दिया है।
इस अमानवीय कृत्य की यह अदालत घोर निंदा करती है। और रही बात सजा की तो जो इन लोगों ने किया है उसके हिसाब से कोई भी सजा दी जाए वह कम ही होगी।
भावना और अवतार सिंह को यह अदालत पांच साल की सजा और तीन-तीन लाख का आर्थिक जुर्माना देने की देने की सजा सुनाती है।
गजेंद्र सिंह और उनके साथ के सभी पंचों को दस साल की सजा के साथ दो-दो लाख का जुर्माना देने की सजा दी जाती है।
निशांत ठाकुर को आजीवन सश्रम कारावास की सजा दी जाती है साथ ही साथ दस लाख का आर्थिक जुर्माना भी इन पर लगाया जाता है। इनकी सजा इनके जीवन के साथ ही खत्म होगी और इन पर कोई भी रियायत नहीं की जाएगी।" जज ने कहा और सांझ की तरफ देखा।
"जो मिसेज चतुर्वेदी ने झेला और जो बदलाव
उनकी जिंदगी में इस घटना के बाद आए उसकी हम भरपाई नहीं कर सकते। पर अदालत और मैं स्वयं उनके उज्जवल भविष्य की कामना करता हूं। ईश्वर उन्हें स्वस्थ रखें और हमेशा खुशहाल रखें।" जज साहब बोले और उठ खड़े हुए।
उसी के साथ पुलिसकर्मी सभी आरोपियों को वहां से लेकर चले गए।।
सांझ भरी अक्षत के पास आकर खड़ी हो गई और अक्षत ने उसके हाथ को मजबूती से थाम लिया।
सभी आरिपियों को जेल में शिफ्ट करने के लिए ले जाया जा रहा था।
जिस वेन में निशांत था,,अचानक से उसे वैन का टायर पंचर हुआ और गाड़ी रोकी गई।
तभी कुछ लोगों ने आकर निशांत को उन लोगों से आजाद कराया और उसे लेकर भाग खड़े हुए। तुरंत ही पुलिस कंट्रोल रूम में सूचना दे दी गई की निशांत ठाकुर फरार हो गया है।
निशांत नहीं जानता था कि यह लोग कौन है पर वह समझ गया था कि उसे बचाने के लिए जरूरी कोई आया है , उसके दोस्त यार आए हैं या उसके गांव वाले या उसके रिश्तेदार
वह लोग निशांत को लेकर एक सुनसान जगह पर पहुंचे जोकि दिल्ली और यूपी के बीच कहीँ यमुना किनारे थी और उसे एक कमरे में बंद कर दिया।
"अरे भाई कौन हो तुम लोग? जब बचा कर ले आये हो तो कम से कम अपनी सूरत तो दिखा दो?? और यहां मुझे काहे को बंद कर दिया है? यह कोई जेल से कम है क्या? मेरा कहीं बाहर जाने का इंतजाम कर दो..!! नई आईडी नई पहचान के साथ। मैं यह देश ही छोड़ दूंगा और बदले में तुम लोगों को ढेर सारा पैसा दूंगा। पैसे की कोई कमी नहीं है मेरे पास।" निशांत बोला।।
उन लोगों ने कोई जवाब नहीं दिया बस यूं ही खिड़की पर खड़े निशांत को देखते रहे।
"कम से कम अपने चेहरे से यह नकाब तो हटा दो.!! मुझे समझ तो आए कि आखिर तुम लोग कौन हो ? मेरे दोस्त हो मेरे गांव वाले हो या मेरे रिश्तेदार हो ?" निशांत ने फिर से कहा।
पर इस बार भी उन लोगों ने कोई जवाब नहीं दिया।
"मेरी मदद कर दो मुझे यहां से बाहर निकाल दो तुम लोगों को मालामाल कर दूंगा.!!" निशांत फिर से बोला।
अभी भी कोई जवाब नहीं आया।
"अरे तुम लोग चुप क्यों हो? जवाब तो दो इस तरीके से करोगे तो मेरा दिल घबरा रहा है।" निशांत बोला
" बस थोड़ी देर.!! आपके सभी सवालों के जवाब मिल जाएंगे।" एक आदमी बोला और वहां से खिड़की बंद करके वह लोग निकल गये।
निशांत वहीं पड़ी कुर्सी पर बैठ गया और इंतजार करने लगा उन लोगों के आने का और उसे बाहर निकालने का , पर पूरा दिन निकल गया वहां पर कोई भी नहीं आया।
अब निशांत की बेचैनी बढ़ने लगी थी कि तभी दरवाजा खुला और वहां से अक्षत अंदर आया।
अक्षत को देखते ही निशांत के चेहरे के भाव बदल गए।
"तो यह सब तेरी चाल है क्या करना चाहता है तू मेरे साथ? " निशांत उठ खड़ा हुआ।
"कुछ खास नहीं बस तुम्हें तुम्हारी असली जगह दिखाना चाहता हूं और कुछ भी नहीं...!! सांझ यहां आओ।" अक्षत ने कहा तो सांझ भी आकर खड़ी हो गई।
"अच्छा तो इसे भी लेकर आया है।। चलो ठीक है आज तुम दोनों को एक साथ खत्म करके फिर ही ढंग से जेल जाऊंगा।" निशांत ने कहा और जैसे ही सांझ की तरह बढ़ा अक्षत ने बीच में ही उसे एक मुक्का मारा और वह पेट के बल गिर गया।
"इतनी जल्दी क्या है बातें और मुलाकातें होती रहेगी..!! "अक्षत ने कहा और सांझ की तरफ देखा।
अगले ही पल सांझ ने वहां कोने में पड़ा डंडा उठाया और निशांत को मारना शुरू कर दिया।
" बस कर जाने दे मुझे..!!" निशांत चिखा।
सांझ लगातार रोए जा रही थी और निशांत को मारे जा रही थी।
उस कमरे में निशांत की चीखे गूंज रही थी
" याद कर वह दिन जब इसी तरीके से मैं चीख रही थी और तू हंस रहा था।" सांझ ने कहा और वापस से निशांत पर वार किया।।
इस बीच अक्षत ने पीछे का दरवाजा खोल दिया
जैसे ही निशांत को दरवाजा खुला दिखाई दिया वह तुरंत उसे रास्ते से बाहर की तरफ भागा।
अक्षत ने तुरंत किसी को मैसेज किया और उस बंदे ने पुलिस कंट्रोल रूम को इन्फॉर्म कर दिया कि निशांत किस जगह पर है।
तुरंत ही पुलिस वहां पहुंची और निशांत का पीछा करने लगी।
निशांत भागते-भागते यमुना नदी के ऊपर बने एक छोटे से पुल पर आया।
नीचे यमुना बह रही थी क्योंकि इस क्षेत्र में यमुना नदी का बहाव जगह जगह मिल जाता है।
जब उसे लगा कि वह चारों तरफ से फंस गया है और पकड़े जाने वाला है तो डर और घबराहट में उसने उसे पुल से नीचे छलांग लगा दी।
तीन-चार घंटे की कोशिशें के बाद गोता खोरों ने उसकी लाश वहां से बरामद कर दी जो की पूरी तरीके से जलीय जीवों और मछलियों ने काट खाइ थी।
निशांत को कानून के बाद सांझ ने और सांझ के बाद स्वयं ईश्वर ने सजा दे दी थी। उसके कर्मों का फल उसे मिल चुका था और बाकी के लोग अपने हिस्से की सजा अलग-अलग जेलों में काट रहे थे।
क्रमश:
डॉ. शैलजा श्रीवास्तव