Sathiya - 134 in Hindi Love Stories by डॉ. शैलजा श्रीवास्तव books and stories PDF | साथिया - 134

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साथिया - 134

"अब कैसी तबीयत है सांझ  की?" साधना ने कहा। 

"ठीक है मम्मी..!!" अक्षत ने जबाब दिया। 

"कल मैं और तुम्हारे पापा भी चल रहे हैं अदालत में..।। कल फाइनल ईयर रिंग होनी है ना  शालु  बता रही थी।" साधना ने उन दोनों के हाथ में उनके चाय का कप पकड़ाया और नाश्ता टेबल पर रखते हुए कहा। 

" हाँ मम्मी..!! कल है फाइनल  हियरिंग है। कल सारा निर्णय हो जाएगा और उन लोगों को सजा भी मिल जाएगी।" अक्षत ने कठोरता से कहा। 

"उन्हें सजा मिलनी ही  चाहिए और ऐसी सजा मिलनी चाहिए कि कोई कभी दोबारा इस तरह की हरकत ना करें।" साधना ने सांझ के सिर  पर हाथ रखकर कहा तो सांझ  के चेहरे पर फीकी  मुस्कुराहट  आइ। 

"और इतना टेंशन क्यों लेती हो? सब सही हो गया है और  अब  कुछ भी गलत नहीं होगा। तब   तुम हमारे साथ हो। हमारे घर पर और यहां पर पूरी तरीके से सुरक्षित हो। सारी पुरानी बातों को भूल जाओ और खुश रहा करो।" साधना   ने उसके गाल से हाथ लगाकर कहा तो सांझ ने  गर्दन  हिला दी। 

"अच्छा तुम लोग आराम करो तब तक मैं डिनर रेडी करवाती हूं..!!" साधना जाने को हुई।

" मैं आती  हूं आपकी मदद करने के लिए मम्मी..!!"  सांझ  बोली


" हां बिल्कुल करवाऊंगी तुमसे काम..!!  यहां मैंने तो सोच रखा है अगले महीने से पूरा किचन तुम्हें और शालू को सौंप कर सिर्फ और सिर्फ भजन कीर्तन में  मन लगाउँगी  पर अभी नहीं। अभी तुम आराम करो। तुम्हारी तबीयत सबसे ज्यादा जरूरी है समझी।" साधना ने कहा तो सांझ  ने मुस्कुराकर  गर्दन हिला   दी। साधना बाहर चली गई। 



"मिसेज चतुर्वेदी सब की परवाह है बस अपने इस भोले पति पर ही ध्यान नहीं है।" अक्षत ने कहा तो सांझ   ने  आँखे  बड़ी कर उसकी तरफ देखा


" मतलब मुझे कब तक इंतजार  कराने  का इरादा है? " अक्षत ने कहा तो  सांझ मुस्कुरा कर उसके सीने से लग गई। 

"मैंने तो रोका  नहीं है आपको। आप खुद ही..!!' कहते-कहते  सांझ रुक गई। 
इतने स्ट्रेस के बीच थोड़े ना रोमांस होगा। अभी तुम्हे मेंटल् और फिजिकल रेस्ट की जरूरत है थोड़ा ये सब ठीक होने दो फिर प्यार भी कर लेंगे और तब तक  ये चेहरा और ये सुर्ख होंठ तो है ही मेरे कब्जे मे..!" अक्षत ने शरारत से कहा और उसके लबो को चूम लिया। 

सांझ ने उसके सीने से लग आँखे बन्द कर ली। 

अगले दिन फिर से दोनों पक्ष  कोर्ट रूम मे मौजूद थे। 
निशांत के हड़काने पर आज उनका वकील फाइनल  हियरिंग मे उनका पक्ष रखने आया था पर वो जानता था कि अब कुछ नही हो सकता। 

जज साहब की इजाजत से दोनों वकील फिर से सामने आये। 
" जज साहब  निशांत अवतार और गजेंद्र के साथ ही बाकी के सभी लोग सांझ को बेचने और खरीदने तक के गुनाह को  कुबूल करते हैं तो इन्हें सजा उसी हिसाब से दी जाए। 

बाकी साँझ चतुर्वेदी  की मौत में इनका कहीं से कोई हाथ नहीं है। यहां तक की यह बात भी साबित नहीं होती है  सांझ  इनके घर पर रही या फिर इनके ट्यूबवेल से भागी  या उसने खुदकुशी की। सुरेंद्र जी के अलावा उनके पास कोई भी  गवाह  नहीं है जो इस बात की  पुष्टि कर सके। सुरेंद्र जी ने भी उसे सिर्फ  भागते हुए देखा था ना कि बाकी आगे या पीछे की कोई भी घटना देखी। और फिर सुरेंद्र जी के बयान के आधार पर तो सजा नहीं  दी  सकती। 

इसलिए  सांझ की मौत वाले मुद्दे को  खारिज  करने की विनती करता हूं आपसे क्योंकि  न ही साँझ  की बॉडी बरामद हुई और ना ही कोई  और सबूत या गवाह जो यह साबित करें कि  साँझ उस नदी में  कुंदी  थी और उसकी मौत हुई थी। और उसकी मौत का जिम्मेदार और यह सब लोग हैं।" निशांत के वकील ने कहा। 

अब  अक्षत उठ खड़ा हुआ उसने जज की इजाजत ली और फिर निशांत और बाकी सब को देखा। 

जज साहब  मेरे पास एक और मुख्य गवाह है जो इस केस का  रुख  बदल देगा। 

अक्षत ने कहा तो निशांत की भवें  सिकुड़ गई।  अक्षत के इशारे पर निशांत के दोस्त राजा को कटघरे   में लाकर  खड़ा कर दिया।


"यह राजा निशांत के  उन्ही  तीन दोस्तों में से   जिनके हाथो निशांत ने  सांझ  को सौप था
  और उस  पूरी घटना और वहां पर जो कुछ भी हुआ  यह उन सब का चश्मदीद  गवाह है।" 

राजा ने निशांत की तरफ देखा तो निशांत की आंखों में गुस्सा  उतर  आया। बदले में राजा के चेहरे पर भी डर आ गया पर वह जानता था कि अगर सच नहीं बोला तो सब कुछ खराब हो जाएगा, क्योंकि इस  बार बात अक्षत के हाथ में थी और सच उगलवाने के लिए कुछ चीजे उसने भी अपने हिसाब से की थी।  जिसमें नेहा और आनंद के हॉस्पिटल में इल्लिगल चीजे बरामद होने के साथ साथ शामिल था राजा के पिता का के काले कारोबार कारोबार का काला चिट्ठा।  और अगर आज राजा निशांत के खिलाफ गवाही नहीं देता तो पक्का था कि उसके पूरे परिवार को  जेल की सलाखों के पीछे जाना था। 

" तो बताइये राजा जी कि क्या हुआ था उस दिन.??" अक्षत  ने पूछा तो किसी रट्टू तोते की तरह राजा ने सब बता दिया।

" तो वकील साहब शायद काफी होगा इतना आपके लिए? "अक्षत ने कहा तो निशांत ने वकील के कान मे कुछ कहा। 

" पर जज साहब यहाँ भी सांझ ने उस लड़के को जान से मारा और फिर अपनी जान दी जबकि निशांत ने उसे नही कहा मरने को। और सांझ खुद एक कातिल है। उसने धीरज का खून किया..!" निशांत का वकील बोला। 

" जज साहब इतना सब करके भि अब ये खुद को बेगुनाह साबित करना चाहते है यकीन नही होता। बाकी जज साहब खुद की रक्षा के लिए सांझ ने उस लड़के पर हमला किया। सेल्फ डिफेंस में और ऐसी परिस्थिति  में कोई भी इंसान ऐसे ही करेगा। इसलिए मेरी विनती है कि  इनसे कहे कि सांझ को खूनी कहना बन्द करे।" अक्षत ने साँझ की तरफ देख के कहा। 

" बिल्कुल सही। इस पूरे मामले में सांझ हर जगह सिर्फ विक्टिम नजर आई है। हर बार गलत उसके साथ हुआ है। उसने अगर हमला किया और  उस हमले में किसी की जान गई तो महज इत्तेफाक है या सेल्फ डिफेंस। इसलिए साँझ उस मौत की न जिम्मेदार है और न उस पर कोई केस बनता है तो उस कत्ल के केस को खारिज करता हूँ। सांझ उस मामले में बेगुनाह है और निशांत राजा, धीरज और केतन अपराधी जिन्होंने साँझ का बलात्कार करने की कोशिश की और उसे जान देने को मजबूर किया।" जज साहब की मजबूत आवाज गूंजी तो वही सांझ ने गहरी सांस ली। 
अक्षत ने उसे अनजाने और सेल्फ डिफेंस में मजबूरी मे हुए उस खून के आरोप से आजाद करवा दिया था। 


क्रमश:


डॉ. शैलजा श्रीवास्तव