'जिस भाई को बचपन से राखी बांधती आई। जिसने आपको हमेशा स्नेह दिया सम्मान दिया। उसी के खिलाफ जा रही हैं आप? इतनी स्वार्थी एक बहन आज तक तो कभी नहीं देखी मैंने।" वकील ने इमोशनली आव्या को कमजोर करना चाहा।
"जी बिल्कुल सही कहा आपने की एक बहन को अपने भाई के खिलाफ नहीं जाना चाहिए, पर मैं यह नहीं भूल सकती की एक बहन होने के साथ-साथ ही में एक लड़की भी हूं। अपनी आंखों के सामने मैंने एक लड़की पर उस तरीके का अन्याय होते देखा है जिसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते। मेरी जगह अगर आप उस जगह होते तो आप भी वही करते हैं जो मैं कर रही हूं। भगवान ना करें अगर सांझ दीदी की जगह आपकी बेटी होती तो आप तो कानून की मदद भी नहीं लेते। गुनाहगार को सीधे गोली मार देते।" आव्या ने कठोरता से कहा तो वकील की नजर झुक गई।
"मैं मानती हूं कि आपका पेशा है ये। आप वकालत की कमाई खाते हो, पर वकील साहब सिर्फ एक बात कहना चाहूंगी आपसे।" आव्या बोली तो वकील ने उसकी तरफ देखा।
"क्योंकि अभी आपने मुझे डॉक्टर होने की दुहाई दी थी तो बस वही आपसे कहना चाहती हूँ कि वकील हो तो वकील बनकर रहो। भगवान बनने की कोशिश मत करो। भगवान भी सही और गलत देखकर ही न्याय करते हैं। और आपको जब गलत सामने दिख रहा है फिर भी आप सिर्फ और सिर्फ कुछ पैसों के लालच के लिए न सिर्फ गलत को सही साबित कर रहे हो बल्कि एक सही बात और इंसान को गलत साबित करने पर भी तुले हुए हो। और किसी भी तरीके से इस केस में निशांत भैया की जीत और साँझ दीदी की हार साबित करना चाहते हो जोकि इंसानियत और वकालत दोनों नजरिये से गलत है।" आव्या ने कहा और हाथ जोड़ दिए।
" जज साहब, आव्या सिंह की गवाही से काफी कुछ साबित हो चुका है और फिर भी रही बात सबूत और गवाहों की तो मै एक वीडियो अदालत मे दिखाने की इजाजत चाहता हूँ और फिर इस वीडियो को रिकॉर्ड करने वाले मोंटू को भी बुलाने की इजाजत चाहूंगा।" अक्षत ने कहा।
" पर्मिशन ग्रंटेड..!"
" जज साहब मोंटू उसी गाँव का है। उसने न सिर्फ चौपाल पर हुई घटना देखी बल्कि उसे रिकॉर्ड भी किया और एक्सपर्ट ये बात साबित कर चुके है कि जो वीडियो अभी चलने वाला है वो मोंटू के ही फोन से रिकॉर्ड किया गया है।" अक्षत ने कहा तो नील ने तुरंत पैन ड्राइव वहाँ बैठे वीडियो ऑप्रेटर को दे दिया। तब तक इंस्पेक्टर के साथ अक्षत का आदमी मोंटू को भी ले आया।
मोंटू को देखते ही अवतार गजेंद्र के निशांत भि समझ गया कि अब बचना असंभव है..
अदालत में वह वीडियो चलना शुरू हुआ सब लोगों के रोंगटे खड़े हो गए तो वही सांझ के आंसू निकलने लगे। शालू और अबीर ने उसके कंधों पर हाथ रख उसे अपने करीब समेट लिया पर आंसू मानो थमने का नाम ही नहीं ले रहे थे।
नेहा एकटक सांझ को देख रही थी।
आज फिर से वह सारी घटना सांझ के आगे थी और वह भी एक फिल्म के रूप में। वह सब कुछ जो उसने बर्दाश्त किया था जो उसने सहन किया था जो उसके साथ हुआ था वह सब कुछ आज वह देख रही थी। और आसान नहीं था उसके लिए यह सब बर्दाश्त करना।
अक्षत भी समझ रहा था इस बात को और इसीलिए वह नहीं चाहता था कि सांझ यहां आए पर सांझ की अपनी जिद के कारण उसे लेकर आना पड़ा।
जो भी उसे समय अदालत में मौजूद था सब की आंखें भर आई।
नील सुरेंद्र सौरभ और अव्या के आंसू निकलने लगे तो वही बाकी के लोग वकील, कंप्यूटर ऑपरेटर यहां तक की खुद जज साहब की आंखों में भी नमी आ गई।
वीडियो बंद हुआ पर अदालत में अब भी पिनड्राप साइलेंस था।
तभी अक्षत उठ खड़ा हुआ और उसने जज की तरफ देखा।
"जज साहब मुझे नहीं लगता कि इसके बाद कुछ और कहने या सुनने की जरूरत है। इस वीडियो में
नेहा की बहन सांझ का सौदा होने से लेकर उसके ऊपर जो मारपीट हुई और बाकी सब का वीडियो रिकॉर्ड है। उसके बाद इस लड़के ने वीडियो लेना बंद कर दिया था क्योंकि निशांत की बहन चौपाल पर आ गई थी और यह नही चाहता था वीडियो में निशांत की बहन आए और किसी भी तरीके का हंगामा हो।
और जज साहब इसके आगे के वीडियो की आवश्यकता भी नहीं है। यह वीडियो अपने आप में काफी है यह बात साबित करने के लिए की किस तरीके से सांझ का सौदा हुआ और किस तरीके से उसे बेचा और खरीदा गया। किस तरीके से उसके ऊपर शारीरिक प्रहार किये गए और उसे मासिक रूप से हराश किया गया।
इसके बाद की जो भी घटना हुई जज साहब वह सब कुछ निशांत के घर में और उसके ट्यूबवेल पर हुई। जिनके इस तरीके के वीडियो रिकॉर्ड मौजूद नहीं है। और मुझे नहीं लगता जज साहब कि उनकी कोई आवश्यकता भी है, क्योंकि मै जो बात कहना चाहता था वह बातें इस वीडियो से साबित हो गई है।
नेहा ने जो केस किया है । उसकी गवाही सुरेंद्र जी आव्या और मोंटू की गवाही और यह सबूत और गवाह सांझ के पक्ष में है। उस दिन न सिर्फ सांझ का सौदा किया गया बल्कि उउसके ऊपर शारीरिक अत्याचार भी हुए हुए।" अक्षत बोला और एक नजर सांझ को देखा जिसकी गर्दन झुकी हुई थी।
" मैं अदालत का ध्यान सिर्फ इस बात पर इंगित करना चाहता हूं कि आज के समय में जहां हम इतने मॉडर्न हो चुके हैं, जहां हम आधुनिक हो चुके हैं। जहां स्त्रियों की स्वतंत्रता की बात होती है जहां लड़कियों को पैरों पर खड़ा होने को समझाया जाता है। जहां हर क्षेत्र में लड़कियां कंधों से कंधा मिलाकर चल रही है वहां आज भी कुछ जगहों पर इंसानों को भेड़ बकरियों की तरह बेचा और खरीदा जा रहा है। उनको मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है। उनके सौदे किए जा रहे हैं।" अक्षत आगे बोला और फिर निशांत को देखा।
"और यहां पर जज साहब सिर्फ निशांत अकेला ही गुनहगार नहीं है। बल्कि उसके साथ इस गुनाह में बराबर के हिस्सेदार है उसके पिता गजेंद्र ठाकुर और अवतार सिंह भी। मैं अदालत से बस इतनी ही मांग करना चाहता हूं कि सभी गुनहगारों को सख्त से सख्त सजा दी जाए, ताकि आगे से कोई इस तरह की हरकत ना करें। और सजा की मांग में सिर्फ निशांत के लिए नहीं बल्कि सजा गजेंद्र ठाकुर अवतार सिंह, भावना सिंह, उन सभी पंचों और गांव के वह सभी मुख्य लोग जो कि इस घटना के समय वहां पर मूक दर्शक बने हुए थे उन्हे भी मिलनी चाहिए।
क्योंकि जैसे गुनाह करना गलत है वैसे ही उसे गुनाह को होते देखना और उस गुनाह में बराबर साथ देना भी गलत है। इसलिए दोषी यहां सब लोग हैं।" अक्षत ने कहा और फिर सांझ को देखा जिसका रो-रोकर चेहरा लाल पड़ गया था।
" माफी चाहूंगा जज साहब बस दो मिनट।" अक्षत ने कहा और तुरंत सांझ के पास आया और उसके चेहरे से हाथ लगाया।
"कहा था ना कि मत आओ..!! पर अब मजबूत बनो क्योंकि अब अंत निकट है।" अक्षत ने कहा।
और वापस केस की पैरवी शुरू की।
"ठीक है जज साहब आपको सजा देनी है तो आप इतने तक दे दीजिए कि हम लोगों ने उसकी जो खरीद की। पर सांझ को जान से मारने में हमारा कोई हाथ नहीं है। उसकी मौत के हम जिम्मेदार नही है। वह हमारे घर से भाग गई थी और इस बात का कोई गवाह और कोई सबूत नहीं है कि उसकी मौत हो गई है या वो जिंदा है।" निशांत बोला।
" जज साहब इसका भी गवाह है।" तभी अक्षत ने कहा तो सब उसकी तरफ देखने लगे।
"सुरेंद्र जी ने खुद उसे निशांत के ट्यूबवेल से भागते हुए और फिर नदी में कुंदते हुए देखा है। इसने मजबूर कर दिया सांझ को जान देने के लिए।" अक्षत का चेहरा गुस्से से लाल हो गया।
निशांत का वकील अब एकदम शांत था। वह कुछ भी नहीं बोल रहा था क्योंकि उसे भी समझ आ गया था कि सही क्या है और गलत क्या है?
"नहीं जज साहब यह झूठ बोल रहे हैं। बिल्कुल झूठ बोल रहे हैं । हमने उसे मजबूर नहीं किया बल्कि वह मेरे एक दोस्त को चाकू मार कर भागी थी और इसीलिए डर के कारण उसने खुद ही नदी में कूद कर जान देना बेहतर समझा, वरना वह जानती थी कि हम उसे पुलिस के हवाले कर देंगे।" निशांत हड़बड़ी में बोल गया।
"अब जरा अदालत को यह बताएंगे कि उसने आपके दोस्त को चाकू मारा क्यों था?" अक्षत ने कहा तो निशांत ने गर्दन झुका ली।
"बस यूं ही भागने के लिए क्योंकि हम लोगों ने उसे वहां कैद किया था और गुलाम बनाया था।" निशांत खुद की सफाई मे बोला।
" नहीं जज साहब ऐसा नहीं था। वह बेवजह ही इनके दोस्त को नहीं मरना चाहती थी। उसको खरीद कर गुलाम बनाया गया। उसके साथ मारपीट करी गई और इतने से भी जब इस निशांत ठाकुर का मन नहीं भरा तो उसने उसका एक दलाल से सौदा कर लिया। उसे देह व्यापार में उतारने के लिए और उसे उस दलाल को सौंपने से पहले इसने अपने दोस्तों के सामने कर दिया ताकि पहले वह अपनी मनमर्जी कर सकें उसके बाद यह उसे दलाल को बेच देना चाहता था।" अक्षत ने जैसे ही कहा निशांत की आंखें बड़ी हो गई क्योंकि इस बात को और कोई भी नहीं जानता था। तो वही सांझ की आंखें भी बंद हो गई।
" तुम हो कौन और ये सब कैसे??" निशांत के मुँह से निकला।
" जज साहब मै अक्षत चतुर्वेदी अपनी पत्नी सांझ चतीर्वेदी के लिए आपकी अदालत मे इंसाफ मांगता हूँ। मेरी कानूनन पत्नी थी सांझ और इस बात को जानते हुए भी न सिर्फ अवतार सिंह और भावना ने उसे बेचा और उसकी मदद नही की मुझ तक पहुँचने में बल्कि साथ ही निशांत ने पहले उसे अवतार से खरीदा अपना गुलाम बनाया फिर उसका सौदा किया और उसे दलाल को बेचा और अपने दोस्तों के हवाले कर दिया।
इस अमानवीय कृत्य के लिए मै इन सबके लिए कड़ी से कड़ी सजा की मांग करता हूँ अदालत से।" अक्षत ने भरी आँखों और मजबूत आवाज के साथ कहा।
तभी सांझ की आँखे एकदम से बन्द हो गई और वो बेहोश हो गई।।
अबीर ने अक्षत की तरफ देखा तो अक्षत ने एक नजर सांझ को देखा।
" और जज साहब मुझे कल की ही तारीख चाहिए क्योंकि अगर केस लंबा खींचा तो न जाने कितने लोगों की जिंदगियों पर असर पड़ेगा।"
" ठीक है अगली सुनवाई कल होगी...!! आप अपने अपने साथियों को देख लीजिए।" जज ने कहा उठ खड़े हुए।
क्रमश:
डॉ. शैलजा श्रीवास्तव