साधना ने दरवाजे पर ही अक्षत और ईशान को रोक दिया और फिर दोनों बेटों के उनके जीवनसाथी के साथ खड़ा कर तिलक किया दोनों की आरती की और फिर दोनों का गृह प्रवेश कराया और उन्हें आशीर्वाद दिया।
उसके बाद मंदिर में भगवान का आशीर्वाद दिलाया तब तक मनु ने बाकी रस्मो की तैयारी कर ली थी।
साधना और मनु दोनों जोड़ों को बिठाकर रश्मे करवाने लगी। तब तक नील ने डेकोरेटर को बुलाकर दोनों के कमरों को खूबसूरती से सजा दिया।
"वह भाई वाह मेरी भाभियाँ है तो बहुत ही स्मार्ट है। मेरे दोनों भाइयों को हर रश्म मे हरा दिया इन्होंने।" मनु ने हंसते हुए कहा तो ईशान और अक्षत भी मुस्कुरा उठे।
"हारने की कोई बात नहीं है हम तो पहले ही हारे हुए हैं इन लोगों से, इसीलिए तो मेहनत ही नहीं की।" ईशान बोला।
"बिल्कुल..!! और मुझे तो जीतने की जरूरत ही नहीं है मैं तो सांझ की खुशी में ही खुश हूं।" अक्षत ने सांझ की तरफ देखकर कहा तो उसने नजर झुका ली।
थोड़ी बहुत और कुछ रश्मे साधना ने कराई और उसके बाद सब लोगों के डिनर का समय हो गया तो सब ने साथ में खाना खाया।
डिनर के बाद साधना के कहने पर मनु शालू को लेकर ईशान के कमरे में आई और खूबसूरती से सजे हुए बेड पर उसको बैठा दिया।
"आंटी ने कहा है कि ऐसे ही बैठना अच्छे से..!जब तक की ईशान नहीं आ जाता, और हां घूंघट वही उठायेगा।" मनु ने घूंघट उसके चेहरे पर करते हुए कहा।
"मम्मी ने कहा ऐसा..??" शालू ने उसकी आंखों में देखते हुए कहा तो मनु के चेहरे पर शरारती मुस्कुराहट आ गई।
"अरे यार एक्सपीरियंस होल्डर हूँ। क्यों बात-बात पर क्वेश्चन करती हो..?? मेरी मम्मी ने कहा था यानी कि मेरी सासू अम्मा ने, नील की मां ने। तो बस मैंने वही यहां पर चेंप दिया। बाकी हम यही तो बचपन से टीवी में देखते आ रहे हैं। अभी दुल्हन घूंघट डालकर बैठेगी फिर दूल्हा आएगा और घूंघट उठायेगा और उसके बाद फिर..!!" मनु बोली।
"उसके बाद फिर क्या?" शालू ने अपनी आईब्रो ऊंची करते हुए कहा तो मनु ने उसे घूर के देखा।
"उसके बाद का भी मैं बताऊंगी क्या।"
" अरे जब इतना बता रही हो तो आगे का भी पता ही दो ना..!! सीख जाऊंगी मैं।" शालू ने उसे चीढाते हुए कहा।
"सच्ची में खतरनाक हो यार तुम..!! वैसे इस में भी कोई प्रोबलम नहीं। कहो तो डेमो दिखाऊं? बुलाऊँ अपने हस्बैंड को..?? वही नीचे घूम रहा होगा मेरे इंतजार में। तुम देखकर ही सीख लेना।" मनु ने कहा तो शालू की आंखें बड़ी हो गई।
"चलो बुला ही लेती हूं नील को..!!" मनु बोली तो शालू ने जब से उसके मुंह पर हाथ रख दिया।
"हद करती हो यार..!! अपनी सुहागरात अपने रूम में जाकर मानना। मैं क्या यहाँ तुम दोनों का रोमांस देखने के लिए बैठी हूं।" शालू ने कहा और उसी के साथ दोनों खिलखिलाकर हंस पड़ी।
" बाय गॉड मजा ही आ गया तुमसे मिलकर तो। हालांकि हम पहले भी मिले हैं पर मुझे नहीं पता था कि तुम इतनी मस्त मौला हो। लगता है कि मेरे इस घर में जाने के बाद बिल्कुल भी कमी महसूस नहीं होगी किसी को मेरी क्योंकि सांझ भाभी तो शांत है पर तुम हो ना यहां पर शैतानियां करने के लिए तो सबको अच्छा लगेगा।" मनु बोली और उठकर जाने लगी तो शालू ने उसका हाथ पकड़ लिया।
मनु ने पलट कर देखा।
"तुम्हारी जगह इस घर में जो थी वह हमेशा रहेगी..!! हाँ मैं कोशिश करुंगी कि इस घर में जो बेटी की कमी आई है वह पूरी कर सकूं। बाकी यह दुनियाँ सिर्फ कहती है और तुम भी समझती हो और मैं भी समझती हूं एक बेटी की जगह बहू कभी नहीं ले सकती और ना ही उसकी कमी को पूरा कर सकती है। बेटी की अपनी जगह होती है वह जब आएगी तब उसे अपनी जगह वैसे की मिलेगी जैसी वो छोड़कर गई है।" शालु ने कहा तो मनु चेहरे पर बड़ी सी मुस्कुराहट आ गई और उसने शालू को गले लगा लिया।
"थैंक यू अब जाती हूं मैं..!! इससे पहले की तुम्हारा पति आकर मेरे साथ लड़ाई झगड़ा करने लगे निकलना ही अच्छा है।" मनु बोली और उठकर जाने को हुई तो देखा दरवाजे पर खड़ा ईशान उसे देख रहा है।
"देखो शैतान का नाम लिया और शैतान हाजिर है..!! चलो अब तक दोनों आपस में निपटो मैं तो चली।" मनु बोली और जल्दी से बाहर भाग गई।
ईशान ने एक नजर शालू को देखा क्योंकि घूंघट डाल कर बैठी हुई थी और फिर दरवाजा बंद कर उसकी तरफ बढ़ गया।
"क्या पट्टी पढ़ा रही थी यह..?? तुमको मेरे खिलाफ तो नहीं भड़का दिया कहीं इसने।" ईशान ने उसके पास बैठते हुए कहा तो शालू ने कोई जवाब नहीं दिया।
क्या हुआ तुम बात क्यों नहीं कर रही हो जरूर उसने कुछ उल्टा सीधा बोला होगा मेरे बारे में?" इशान दोबारा बोला।
शालू ने अभी भी जवाब नहीं दिया।
"है भगवान यहां तो सुहागरात हुई ही नहीं उससे पहले ही भड़का दिया मेरी बीवी को चुड़ैल ने..!!" ईशान बोला तो इस बार शालु ने अपना घूंघट हटाया और उसे गुस्से से देखा।
" ऐसी क्या गलती कर दी मैंने?"
" जैसे गलती नहीं गुनाह किया है तुमने..!! मैं घुंघट डाल कर बैठी हूं कि तुम आओगे घूंघट उठाओगे। कुछ रोमांटिक बातें करोगे पर तुम तो आते ही अपना रोना लेकर बैठ गए। उसने यह तो नहीं बोल दिया..!! उसने वह तो नहीं बोल दिया..! मेरे कान तो नहीं भर दिये..!! मैं कोई दो साल की दूध पीती बच्ची हूँ कि कोई भी मुझे बहला फुसला देगा मेरे कान भर देगा। पुरे मूवमेंट का सत्यानाश कर दिया।" शालू मुँह फुलाकर बोली।
" मूड और खास मूवमेंट खराब कर दिया तो अच्छा भी नहीं करूंगा ना..!इतना क्यों परेशान हो रही हो कोई बात नहीं है घूंघट तुम उठाओ या मैं उठाऊँ चेहरा तो पहले से देख चुका हूं ना मैं..?" ईशान ने कहा तो शालू ने उसे घुरा।
ईशान ने तुरंत झुककर उसके गालों को चूम लिया तो शालू के चेहरे पर सुर्ख लाली छा गई।
ईशान ने उसका हाथ थामा और उसके हाथ में खूबसूरत सा कड़ा पहना दिया जिसमें बहुत ही प्यार से और खूबसूरत से डायमंड लगे हुए थे।
"यह ..!!" शालू बोली।
"मेहंदी लगाने का मत बोलना मुझे बाकी डायमंड तुम जीतने कहोगी उतने लाकर दूंगा।" ईशान ने कहा तो शालू मुस्कुरा उठी।
" मुझे किसी डायमंड की जरूरत नहीं है..!! तुम साथ में हो तो बस मुझे और कुछ भी नहीं चाहिए।" शालू ने ईशान के कंधे से टिकते हुए कहा तो ईशान ने भी उसे अपनी बाहों के घेरे में कस लिया।
क्रमश:
डॉ. शैलजा श्रीवास्तव