Sathiya - 111 in Hindi Love Stories by डॉ. शैलजा श्रीवास्तव books and stories PDF | साथिया - 111

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साथिया - 111

दोनों घरों में शादी की तैयारी शुरू हो गई थी मनु को विदाई करते ही अरविंद और साधना ने ईशान  और अक्षत की शादी की तैयारी शुरू कर दी  तो वही अबीर  मालिनी के घर में भी तैयारी शुरू हो गई। 

उधर नील और उसका परिवार  मनु को  विदा  करा  कर घर पहुंचा  तो सुजाता और  दिवाकर वर्मा ने उन दोनों का खूबसूरती से स्वागत किया। निशि भी  नील और मनु के लिए बहुत खुश थी। सौरभ और उनका पूरा परिवार भी इस शादी में शामिल हुआ था और अब आगे निशि  और सौरभ  की शादी की बात होनी थी  जो कि  सुरेंद्र के साथ दिवाकर  पहले ही कह कर चुके थे। और एक महीने बाद निशि  और सौरभ की शादी की तारीख फाइनल हो चुकी थी। 

"तो फाइनली आप दोनों का रिश्ता पूरा हुआ और आप भाभी बनकर मेरे इस  झल्ले  से भाई के साथ मेरे घर आ गई।"  निशि ने  मनु के पास बैठते हुए कहा। 

"बात तो तुमने  सही कही  भाई  तुम्हारा सच में  झल्ला है। पर तुम फ़िक्र मत करो। अब मैं आ गई हूं ना उसके साथ सब सही रहेगा।" मनु बोली। 

"यही तो बात है मैं चाहती थी..!! तुम आओ और इस शर्मीले  को थोड़ा सा  बोल्ड और बिंदास भी बना दो। अपने मन की बात क्लियर कर पाए। कभी कुछ बात कहता ही नहीं है।" निशि  ने  नील की तरफ देखकर कहा तो निशि ने आँखे  छोटी  कर उसे देखा। 

" तुम अब  चिंता मत करो। यह सब बातें पुरानी हो गई है। अब तो तुम्हारा भाई  बोल्ड  भी हो गया है और बोलता  तो इतना है जितना बोलना भी नही  चाहिए।" मनु बोले तो  निशि  के साथ-साथ नील भी मुस्करा उठा।

"वैसे कल आप लोगों का हनीमून का जाने का प्लान है..!!   बेड लक..!!  कि  आप लोगों को बहुत ज्यादा टाइम नहीं मिल रहा, क्योंकि आपके घर शादी है। पर डोंट वरी  सेकण्ड हनीमून मेरी तरफ से गिफ्ट होगा आपको।" निशि ने  मनु को देखकर अपनी आंख दबाई  तो मनु मुस्कुरा उठी। 

" नील का तो मन था ज्यादा दिन तक का  ट्रिप प्लान   करने का   पर अभी अक्षत और  ईशान  की शादी है तो हम लोग जल्दी ही वापस आ जाएंगे। सिर्फ चार दिन बाद।"  मनु बोली।

" सिर्फ चार दिन? " निशि  ने उसे  छेड़ते हुए कहा तो मनु मुस्कुरा उठी। 

"बस कर अब क्या  भूतनी  की तरह ही चिपकी बैठी रहेगी हमारे कमरे में। जा ना कुछ और काम देख। " नील बोला तो निशि  ने उसे  घूर कर देखा   


"वाह भाई बीवी के  आते  की बहन पराई हो गई..! पर यह मत  भूल  यह जो भाभी यहां आई है और आपके रूम में बैठी है। इसमें बहुत बड़ा रोल मेरा भी है। वरना आप तो उस रिया के साथ..!!" 

'नाम मत ले उस पिशाचिनी  का। मैंने   पहले ही कहा था जान दे देता पर उसके साथ शादी कभी नहीं करता।" नील बोला तो मनु ने  एकदम से उठकर उसके  मुँह के ऊपर हथेली रख ना में  गर्दन हिला दी। 

" देख कितना प्यार करती है  मुझे। होने देती ये  मेरी शादी रिया से..!!" नील ने मनु की तरफ देख कहा तो निशि  भी मुस्कुरा  दी। 

"रियली में आप लोगों के लिए  मैं बहुत खुश हूं। और हां भाभी प्लीज चेंज कर लो, मम्मी बुला रही है कुछ  रस्में  होनी है और  रस्में  हो जाए उसके बाद आप दोनों फ्री हो  एक दूसरे के साथ टाइम स्पेंड करने के लिए।" निशि ने कहा  और कमरे से बाहर निकल गई। 

उसके जाते हैं नील ने  दरवाजा बंद किया  और मनु के पास है उसे अपने सीने से लगा लिया। 

"अरे क्या कर रहे हो? भूल गए अभी  निशि ने  क्या कहा था।  पूजा होनी है और कुछ  रस्में  होनी है। अभी थोड़ा दूर रहो।" मनु नील को हटाते हुए  बोली।

"अरे यार बस भी करो..!! एक तो रिश्तेदारों ने और मम्मी पापा ने मिलकर  वाट  लगा रखी है जिंदगी की।  दस  मिनट का टाइम मिला है थोड़ा तो करीब आने दो मुझे।" नील  ने  उसे और खुद के करीब  लाते हुए कहा। 

"लेकिन?" मनु ने कहना चाहा तो नील ने  उसके होठों पर उंगली रख दी 

" बस दो  पल..!! कुछ नहीं कर रहा हूं ऐसा  कि  पूजा ना कर पाओ..!!"  नील  ने कहा तो मनु मुस्कुरा उठी  और उसने भी अपनी हथेलियां  नील की  पीठ पर रख  दी। 

"कुछ पल विश्वास तो कर लेने दो मुझे  कि  अब तुम मेरी हो। सिर्फ मेरी और हमेशा  मेरी ही रहोगी। मेरे पास रहोगी। मेरे साथ रहोगी। यू इस कमरे में रहोगी और हमेशा मेरी बाहों में  रहोगी।।"

"कर लो यकीन पतिदेव..!! यह कोई सपना नहीं हकीकत है। मैं तुम्हारी हूं सिर्फ तुम्हारी। और वादा करती हूं हमेशा सिर्फ तुम्हारी रहूंगी। तुम्हारे साथ रहूंगी। तुम्हारे पास रहूंगी। इस घर में इस कमरे में रहूंगी और हां कभी-कभी तुम्हारी बाहों में भी आ जाया करूंगी।" मनु बोली तो  नील  ने  आंखें छोटी कर  उसे  देखा। 

बदले में मनु के  लब शरारत से मुस्कुरा उठे। 

"  तुम नही बदल सकती..!!" नील  ने उसकी आंखों में देखकर कहा। 

"बदलते तो मौसम है, वक्त और हालात है। इंसान नहीं बदलते। और जो बदल जाए वह इंसान ही कैसा? इसलिए डॉन'ट वरी। न हीं तुम्हें मेरे लिए बदलने की जरूरत है। न हीं मैं  कभी बदलने वाली हूं। और बदलने की जरूरत भी क्या है। जब किसी को बदलकर प्यार किया तो क्या प्यार किया? प्यार तो सच्चा  वह  होता है ना जो इंसान को जैसा वह है उसी रूप में स्वीकार करें। इसलिए मैंने तुम्हें दिल से ऐसे ही एक्सेप्ट किया है। और तुमने भी तो मुझे ऐसे ही एक्सेप्ट किया है। तो  फिर  हमें बदलने की क्या जरूरत है? बस ऐसे ही एक दूसरे के साथ जिंदगी बिता देंगे। एक दूसरे की कमियां और खूबियां एक दूसरे को  बताते  हुए।" मनु   बोली तो  नील ने  मुस्कुरा कर उसके माथे पर अपने होंठ रख दिये। 


"थैंक यू मानसी थैंक यू सो मच..!! मेरी जिंदगी में आने के लिए।  बता  नहीं सकता मैं कितना खुश हूं आज। वह कहते हैं ना की कोई मन्नत  मांगी हो आपने जिसके बिना आपका जीना मुश्किल हो और भगवान  आपकी वो मन्नत  पूरी कर दे।
सालों से सिर्फ और सिर्फ तुम्हें  चाहा तुम्हें भगवान से मांगा और देखो आज मेरी मन्नत पूरी हो गई। तुम मेरे पास हो मेरी जिंदगी में आ चुकी हो। अब किसी से कोई शिकायत नहीं।" नील ने भरी आवाज से कहा  तो मानसी वापस से उसके सीने से लग गई। 

"तुम्हारी तरह पल-पल पर प्यार जताना मुझे नहीं आता  नील..!! शायद लड़कियां इन मामलों में कमजोर होती हैं। अपनी फिलिंग्स को इतने बेहतर तरीके से एक्सप्रेस नहीं कर पाती कितने बेहतर तरीके से तुम लड़के कर लेते हो। पर इसका मतलब यह नहीं कि तुम्हें प्यार कम करती हूं। तुम्हें बेइंतहा चाहती हूं मैं। बहुत प्यार करती हूं और अगर तुमने  हमेशा मेरे सपने देखे थे और मुझे मांगा है  तो मैंने भी सपने  देखे हैं। हां यह बात अलग है कि मैं गलतफहमी की शिकार थी इसलिए मैंने कभी कोशिश नहीं की और शायद भगवान से भी कभी नहीं  माँगा  पर  ईश्वर  तो सबका मन जानते हैं ना। और इसीलिए शायद उन्होंने भी  मेरी खुशियां मुझे दे दी और तुम मेरी जिंदगी में आ  गए। 

" अब हमेशा मेरे साथ रहना  और मुझे यूं ही प्यार करते रहना।"  मानसी ने उसकी  बाहों में  सिमटते  हुए कहा तो नील ने उसके ऊपर अपनी बाहों का  घेरा कस दिया। 



थोड़ी देर में दोनों फ्रेश होकर और चेंज कर कर वापस बाहर चले गए। जहां पर  सुजाता  को मंदिर में उन दोनों से पूजा करवानी थी। और कुछ छोटी-मोटी  रस्में करवानी थी। सारी पूजा पाठ और  रस्में होते-होते  रात  हो  गई तो सब ने साथ में डिनर किया और  उसके बाद सुजाता के कहने निशि  मनु को लेकर वापस से  नील के  कमरे की तरफ चल दी। 

" जाइए भाभी अब आप आराम कीजिए.!!" निशि  ने कहा। 

"तुम भी चलो ना अंदर..!!"  मनु बोली। 

"अब मैं नहीं आ रही वरना अंदर जो आपके पति परमेश्वर है ना जान ले लेंगे मेरी..!!  समझी आप। और अब  यह समय सिर्फ और सिर्फ आप दोनों का  है। इसमें किसी तीसरे की न हीं जरूरत है और ना ही कोई जगह। इसलिए अपनी नई जिंदगी की शुरुआत कीजिए, खुश रहिए और मेरे भाई का ख्याल रखिए। बाकी मैं हूं हमेशा आपकी दोस्त भी आपकी  ननद  भी आपकी बहन भी। कुछ भी बात  हो  आप  मुझसे कह सकती हो।" निशि ने मनु को समझाया  तो मनु ने  गर्दन हिला दी और धीमे कदमों से अपने रूम  के अंदर जाने लगी। 

निशि  ने उसे जाते हुए देखा और  वापस वहां से चली गई। 

"मनु रूम में अंदर आई तो उसकी आंखें बड़ी हो गई। पूरा कमरे  का रंग रूप बदला हुआ था और पूरा रूम बेहद खूबसूरती से सजा हुआ था। 

मनु चेहरे पर खुशी के साथ-साथ एक एक शर्मीली   मुस्कान भी आ गई। वह अभी कमरे को  देख ही  रही थी कि तभी  नील ने  पीछे से आकर उसे अपनी बाहों में ले लिया और उसके कंधे पर सिर टिका  अपने हाथों को उसकी वैली  पर रख लिया। 

क्रमश:

डॉ. शैलजा श्रीवास्तव