हल्दी की रस्म के बाद मनु ने नील को कॉल लगाया।
"सुनो ना यार वीडियो कॉल करो ना ..??" नील बोला।
"क्यों वीडियो कॉल में क्या करना है? अभी नहीं..? शॉवर लेने के बाद करुंगी। अभी तो पूरा हल्दी से नहाई हुई हूं मैं।
" करो न कोल प्लीज वैसे ही तो देखना है मुझे..!! प्लीज प्लीज अभी वीडियो कॉल करो।" नील जिद करते हुए बोला।
" अरे इसमें क्या देखना है..?? हल्दी इतनी ज्यादा लगी है कि समझ भी नहीं आ रहा कि नाक कहां है और आँख कहां..??" मनु हंसते हुए बोली।
"वह मैं सब समझ लूंगा..! तुम प्लीज वीडियो कॉल करो ना..!! यह मौका फिर मुझे कहां मिलेगा देखने का..!! तुम मुझे भी देखना ना मैं कैसा लगता हूं हल्दी लगाया हुआ..!"
"तुम बिना हल्दी के भी बंदर लगते हो और हल्दी लगाकर भी बंदर लगोगे..!! क्या ही अलग हो जाएगा तुम्हारे अंदर..?" मनु ने कहा तो नील मुस्कुरा उठा।
"कोई बात नहीं तो तुम भी तो बंदरिया हो..!!लेकिन इस बंदरिया को मुझे हल्दी में रंगा हुआ देखना है।" नील ने फिर से कहा तो मनु ने मुस्कुरा कर वीडियो कॉल लगा दिया।
"क्या यार एक ही शहर में होते हुए हम लोगों की फैमिली ने हल्दी का प्रोग्राम अलग-अलग किया..?! एक ही साथ करते तो कितना मजा आता। मैं जमकर तुम्हें हल्दी लगाकर रंगीन कर देता।
" ये ख्याली पुलाव पकाना बंद करो। अब यह सब तो आजकल टीवी देखा देखी लोग एक साथ हल्दी करने लगे हैं। वरना हल्दी की मेहंदी की संगीत की सभी रस्में लड़की वालों की अलग-अलग लड़के वालों की अलग होती है अपने अपने परिवार वालों के साथ ना कि लड़के और लड़की एक दूसरे के साथ। जब विवाह की रश्में शुरू हो जाती है उसके बाद लड़की और लड़के का एक दूसरे को देखना और मिलना भी ठीक नहीं माना जाता। पर आजकल का ट्रेंड कुछ अलग है।" मनु ने कहा।
"हां तो उसी की तो बात कर रहा हूं..!! जब पूरी दुनिया में ट्रेंड चल रहा है तो हम क्यों अछूते रहें..!! पर वही बात हमारे बड़े लोग फीलिंग्स समझते ही नहीं है।"
"सब समझते हैं पर हमें भी तो उनकी फीलिंग्स समझना चाहिए ना। अगर वह मना कर रहे हैं तो कोई ना कोई कारण होगा। फिर क्या ही फर्क पड़ रहा है। परसों तो तुम आ ही रहे हो बारात लेकर। एक दिन की ही तो बात है। उसके बाद जिंदगी भर तुम्हारे साथ ही रहना है। जी भर के देख लेना मुझे।" मनु ने कहा।
" मुझे भी इंतजार है की कब तुम हमेशा हमेशा के लिए आ जाओ इस घर में मुझे तंग करने के लिए और ऐसे ही छेड़ने के लिए।
"अच्छा मैं तुम्हें हमेशा तंग करती हूं क्या?" मनु ने आँखे छोटी करके कहा।
"हां ज्यादातर समय करती हो पर कभी-कभी प्यार भी आ जाता है तुम्हें मुझ पर..!! और सच बोलूँ ना तो तुम जैसी भी हो तुम मुझे बेहद पसंद हो। मैं बहुत खुश हूं कि तुम मेरी लाइफ में आई।" नील बोला।।
तभी दरवाजे पर आहट हुई तो मनु ने कॉल कट कर दिया और दरवाजे की तरफ देखा जहां पर माही और शालू खड़े हुए थे।
"आओ ना तुम लोग बाहर क्यों खड़े हो?" मनु बोली।
"हम लोगों ने सोचा कि क्यों तुम्हारी प्राइवेट बातों में डिस्टर्ब करें ..!! वैसे हम लोगों ने डिस्टर्ब तो नहीं किया? ज्यादा नहीं पर्सनल बातें हो रही थी क्या?"शालू ने आँखे घुमाकर कहा तो मनु मुस्कुरा उठी।
"कुछ भी ऐसा नहीं है हो रहा था..!!और बाकी आप लोग मुझे कभी डिस्टर्ब नहीं करते.। मेरी होने वाली भाभियाँ हो आप..! आप लोगों हक है आपका जब मन चाहे तब मेरे पास आकर बात करने का।" मनु ने हाथ पकड़ कर दोनों को सोफे पर बैठाते हुए कहा।
"हां तो बात तो हम करते हैं..!! पर तुम अपनी हालत तो देखो। पहले जाकर नहा कर आओ ना..!! हम लोगों को तो लगा था अब तक तुम रेडी हो चुकी होगी इसलिए आ गए। " माही ने कहा।
"रेडी हो जाती पर उससे पहले वह है ना नील का बच्चा उसका कॉल आ गया और बस फिर जो एक बार उससे बात करना शुरू कर दो तो आप तो उसकी बकबक बंद ही नहीं होती है।" मनु बोली तो माही मुस्कुरा उठी।
"अभी आती हूं शॉवर लेकर जाना नहीं आप लोग..!" मनु बोली और तुरंत बाथरूम में चली गई।
"तुम खुश हो ना माही अब एक हफ्ते बाद हम लोगों की भी शादी होनी है..!!" शालू ने कहा तो माही ने मुस्कुरा कर उसकी तरफ देखा।
"पर सच कहूँ ना शालू दीदी पहले डर लग रहा था थोड़ा। पर जज साहब के समझाने पर अब डर निकल गया है। और अब मैं भी चाहती हूं कि हम लोगों की शादी हो और मैं जज साहब और भी ज्यादा अच्छे से जानू समझूँ।"
"अभी भी कोई कसर बाकी है? आई मीन अब तो अच्छे से समझ लिया है ना ..??" शालू ने कहा तो माही ने नजर झुका ली।
"समझ लिया है दीदी बहुत अच्छे से समझ लिया है और जितना समझा है उसमें एक बात समझ आ गई है कि वह मुझे बहुत प्यार करते हैं। बिना किसी शर्त के बिना किसी कंडीशन के सिर्फ और सिर्फ प्यार करते हैं। मेरी खुशी चाहते हैं। मुझे खुश रखना चाहते हैं। मेरे लिए हर कुछ करने को तैयार है और एक लड़की को इससे ज्यादा और क्या चाहिए। प्यार के साथ-साथ मेरी रेस्पेक्ट करते हैं मेरी फिलिंग्स को समझते हैं।" माही ने कहा तो शालू ने उसके कंधे पर हाथ रखा।
"मैंने नहीं कहा था तुमसे कि किसी के कहने पर मत जाओ। तुम्हारा दिल क्या कहता है वह सुनो और देखो। तुम्हारे दिल ने अक्षत भाई को समझ भी लिया और उनके एहसास भी जान लिए। तुमने अपने दिल की सुनी और तुम्हारे दिल ने तुम्हें सही रास्ता दिखा दिया।" शालू ने हल्की स्माइल के साथ कहा n
" हाँ माही दीदी। बस फिर भी दिल करता है कि काश मुझे सब कुछ जल्दी याद आ जाए तो मुझे वह पल भी याद आ जाएंगे जो मैंने जज साहब के साथ पहले बिताए हैं। बहुत गहरा रिश्ता रहा होगा ना हमारा तभी तो वह अभी भी मुझे इतना प्यार करते हैं।"
" बहुत गहरा रिश्ता था तुम दोनों के बीच में..!! बहुत प्यार करते थे एक दूसरे को माही और मुझे पता है कि तुम्हें जल्दी सब कुछ याद आएगा और जब तक याद नहीं आता तब भी कोई फर्क नहीं है। अब तो तुम्हें दोबारा भी उनसे प्यार हो गया है ना..??" शालू ने कहा तो माही की आंखें चमक उठी।
तब तक मनु भी बाहर आ गई थी।
" हां बताओ कि क्या बात करनी थी आप लोगों को?" मनु ने उनके पास बैठकर पूछा।
"साधना आंटी ने कहा है कि रेडी हो जाना। अभी माता पूजन के लिए जाना है। तो उसी का बोलने आए थे कि तुम तैयार हो जाओ तो तुम्हें माता पूजन के लिए लेकर जाते हैं। फिर कल मेहंदी और संगीत होगा तो पूरा दिन निकल जाएगा। इसलिए आंटी ने कहा कि माता पूजन आज ही करके आ जाओ।" शालू बोली।
"ठीक है बस आधे घंटे में रेडी होती हूं और फिर चलते हैं जहां चलना है..!!" मनु ने कहा और तैयार होने लगी।
थोड़ी देर बाद वो लोग अक्षत और ईशान के साथ साधना को लेकर गाड़ियों से ही माता के मंदिर चले गए माता पूजन के लिए।
अगले दिन मेहंदी और संगीत की रस्में हुई उसके बाद शादी और फिर साधना और अरविंद ने भरी आंखों के साथ मनु को नील के साथ विदा कर दिया। मनु को उन्होंने अपनी बेटी की तरह प्यार किया था और आज अपनी बेटी को प्यार के साथ-साथ अनिगिनित नसीहतें और आशीर्वाद भी दिये थे।
सबकी आंखें नम थी। अक्षत और ईशान ने मनु की गाड़ी को धक्का लगाया और उसी के साथ मनु निकल पड़ी अपने नए सफर पर नील के साथ..?! उन दोनों के प्यार ने भी बहुत संघर्ष झेले पर फाइनली आज दोनों हमेशा हमेशा के लिए एक हो गए।
मनु को विदा करने के बाद सब लोग हॉल में आ बैठे।
"तो अब तो इजाजत दीजिए जज साहब अपनी बेटियों को घर ले जाने की। एक हफ्ते बाद शादी है तो एक हफ्ते हम लोगों के साथ रह लेंगी और फिर शादी की रस्में तो सारी वहीं से होगी ना..?" अबीर ने कहा।
"बिलकुल इसमें पूछने की क्या बात है..?? और अक्षत कौन होता है इजाजत देने वाला। आपकी बेटियां हैं आप जब चाहे तब ले जा सकते हैं बिल्कुल ले जाइए।" अरविंद बोले।
"ठीक है माही बेटा और शालू आप लोग अपना सामान जमा लो और लेकर आ जाओ। हम अभी आधे घंटे में निकलेंगे।" अबीर बोले तो शालू रूम में चली गई और उसने पूरा सामान जमा कर बैग पैक कर लिया और फिर बाहर आई।
"माही कहां है? उसको भी बुला लो।" अबीर ने माही को न देखकर पूछा तो शालू का ध्यान गया कि माही के साथ-साथ अक्षत भी गायब है।
वहाँ अक्षत के रूम में अक्षत ने माही को अपने सीने से लगा रखा था और माही ने उसकी पीठ पर हाथ रखे हुए थे।
"दिल तो नहीं कर रहा बिल्कुल भी तुम्हें खुद से दूर भेजने का क्योंकि एक बार तुमसे दूर हुआ था और जिंदगी बदल गई हम दोनों की...!! पर फिर भी रस्में है तो जाना पड़ेगा और फिर तुम्हारे पापा को हर्ट नहीं कर सकता। बस एक हफ्ते..!! एक हफ्ते अपना ख्याल रख लेना माही फिर तुम्हारी पूरी जिम्मेदारी सिर्फ और सिर्फ मेरी। तुम्हें कुछ भी सोचने की जरूरत नहीं होगी।" अक्षत ने उसके चेहरे को हथेली में लेकर कहा।
" जी जज साहब..!! मैं ध्यान रखूंगी बाकी आप इतना परेशान मत हुआ कीजिए। वहां पर मम्मी है पापा है शालू दीदी हैं। सब लोग तो हैं मैं अकेली थोड़ी ना हूं।" माही ने मासूमियत से कहा।
"जानता हूं तुम अकेली नहीं हो सब लोग हैं तुम्हारे साथ फिर भी तुम्हे लेकर बहुत डर लगता है। अपना प्लीज ख्याल रखना और कुछ भी बात हो मुझे तुरंत कॉल करना। मैं चाहे कहीं भी हूं कितना भी बिजी हूं तुरंत तुम्हारे पास आऊंगा।" अक्षत ने कहा और फिर माही के साथ बाहर आ गया।
थोड़ी देर में अबीर और मालिनी शालू और माही को लेकर अपने घर निकल गए क्योंकि अब उन्हें शालू और माही की शादी की तैयारी करनी थी और एक हफ्ते बाद उन दोनों की शादी थी जोकि वो लोग बेहद धूमधाम से करना चाहते थे
क्रमश:
डॉ. शैलजा श्रीवास्तव