Sathiya - 109 in Hindi Love Stories by डॉ. शैलजा श्रीवास्तव books and stories PDF | साथिया - 109

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साथिया - 109

" तुमसे पहले भी कहा है माही आज फिर से कह रहा हूं  बेहद  मोहब्बत करता हूं तुम्हें...!! बहुत चाहता हूं। और हमारा प्यार सिर्फ  चेहरे तक  या सिर्फ शरीर तक सीमित नहीं है। हम दोनों के एहसास दिलों से जुड़े हुए हैं।" अक्षत ने उसके  चेहरे  के पास झुककर  धीमे से कहा। 


"जी जज साहब।" माही की हल्की सी आवाज  निकली। 

" रही बात इन निशानों की तो वक्त के साथ सब ठीक हो जायेंगे..!! और और दूसरी बात मैं सब देख चुका हूँ सब  जान चुका हूँ। उस दिन शालू के साथ हॉस्पिटल गया था न  तो डॉक्टर ने सब बताया और दिखाया..!! और  विश्वास रखो मेरी आँखों   में सिर्फ  प्यार दिखेगा और कुछ नही।" 



माही  ने उसकी तरफ देखा 

" विश्वास रखो मुझ पर और मेरे प्यार पर।जब दो साल की दूरी प्यार कम न कर पाई तो और कोई वजह मायने नही  रखती। और   तुम्हें भी बहुत जल्द एहसास हो जाएगा  माही  मेरे प्यार का मेरी मोहब्बत का। और बस तुम्हें जिस दिन याद आएगा उस दिन तुम   सब कुछ समझ जाओगी..! और आज  का  सिर्फ एक सच है और तुम  बस एक  बात याद रखो कि तुम्हे  बेहद चाहता हूँ। आई लव यू माही..!! बहुत  प्यार करता हूँ तुम्हे..!!" अक्षत गहरी आवाज में  कहा और माही के होठों को अपने होठों  की गिरफ्त में  ले लिया। 

इस सडन एक्शन से माही  शोक्ड थी।  उसे समझ  नही आया कि क्या करे तो उसकी आंखें  मजबूती से बंद हो गई।  अक्षत के इस तरीके से छूने से उसे एक अजीब लेकिन बेहद सुखद और सुकून भरा एहसास हुआ था। 

हालांकि उसे बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि अक्षत उसे इस तरीके से किस करेगा पर न जाने क्यों  इसका  विरोध करने का उसका दिल नही किया। 

कुछ  पलों तक अक्षत धीमे-धीमे उस किस करता रहा और फिर उसके  लबों  को आजाद कर दिया। 

माही ने आंखें खोल अक्षत की तरफ देखा और तुरंत पलके झुका  ली।

अक्षत ने उसका सर अपने सीने से टिका दिया। 

"बिल्कुल भी   घबराने   की जरूरत नहीं है और ना ही  शर्माने की। हम दोनों के बीच यह लम्हे पहले भी आ चुके हैं  और आगे भी आएंगे!!" अक्षत ने उसकी   पीठ पर हाथ रखकर कहा। 

माही ने कोई कुछ जवाब नहीं दिया बस यूं ही उसके सीने से सिर  टिकाए उसकी तेज चलती धड़कनों को सुनती रही। 

"चलो अब बाहर आ जाओ सब इंतजार कर रहे हैं..!; अगर यूं ही तुम्हारे पास खड़ा रहा तो दिल की  बेताबी  बढ़ती जाएगी और फिर मुझसे कहीं कोई भूल न हो जाए।" अक्षत ने कहा और जैसे ही जाने को  मुड़ा  माही ने उसका हाथ पकड़ लिया। 

अक्षत ने पलट कर मैं की तरफ देखा तो माही एकदम से उसके सीने से लग  गई। 

"मैं शादी के लिए तैयार हूं  जज साहब..!! एंड आई लव यू  टू..।" माही  धीमे  से बोली। 

"सच?" अक्षत ने कहा। 

"पता नहीं क्यों पर ऐसा लगता है कि आपके साथ बहुत गहरा रिश्ता है। आप जो भी कहते हो सब बातों पर विश्वास करने का दिल करता है। कभी भी कुछ भी  गलत लगता ही नहीं। और फिर इन दिनों जब मैं आपके साथ हूं इस घर में तो आपके साथ बेहद सुरक्षित महसूस होता है। एक कंफर्ट लगता है आपके साथ रहने में मुझे। और शायद इसी को प्यार कहते हैं। मेरे दिल में आपके लिए फिलिंग्स आ रही है  जज साहब। मुझे आपका साथ अच्छा लगता है। आपका  कहा हर कुछ सच्चा लगता है। आपसे बातें करना अच्छा लगता है। आपको देखना अच्छा लगता है और अगर यह सब प्यार है तो हां मुझे आपसे प्यार हो गया है। और अगर पहले भी मुझे आपसे प्यार था तो अब शायद दोबारा आपसे प्यार हो गया है।" माही ने मासूमियत से कहा तो अक्षत ने उसका चेहरे को अपने हथेलियां के बीच  दौबारा  थामा। 

" सच कह रही हो तुम?" अक्षत ने इमोशनल होकर  कहा। 

"बिल्कुल सच..!!" माही ने  जैसे ही कहा  अक्षत ने दोबारा से उसके होठों पर अपने होंठ रख दिए और बेहद प्यार से उसे किस करने लगा। इस बार माही को भी घबराहट नहीं हुई और वह भी अक्षत के प्यार को महसूस करती रही। 

"थैंक यू ..!!  अक्षत ने उस के पूरे चेहरे को अपने प्यार से छूते हुए  उसका सिर अपने सीने से लगाकर कहा। 

उसकी आंखों में आंसू भर आए थे।

" आप हर बार इतने  इमोशनल  क्यों हो जाते हो  जज साहब..??" उसकी भरी आंखों को देखकर माही  कहा। 

"तुम नहीं समझोगी..!! मतलब अभी समझ नही पाओगी। जिस  इंसान को मैंने दुनिया में सबसे ज्यादा प्यार किया वह मुझसे दूर हो गया था। और जब मिला तो मुझे भूल गया था। इस दर्द को मैंने कैसे बर्दाश्त किया है मैं नहीं जानता हूं। और अब जब-जब तुम मेरी तरफ एक कदम बढ़ाती हो तो खुशी के मारे मेरी आंखें भर आती है।" अक्षत ने कहा  तो माही  के चेहरे पर मुस्कुराहट  आ गई। 

"थैंक यू  जज साहब.!!" माही ने कहा तो अक्षत ने उसकी आंखों में देखा। 

"मुझे इतना ज्यादा प्यार करने के लिए मुझे तो अब तक यही लगता था कि पापा मम्मी और शालू दीदी कि मुझे सबसे ज्यादा प्यार करते हैं। पर अब मुझे ऐसा लगता है कि आप भी मुझे बहुत प्यार करते हो शायद उन लोगों से भी ज्यादा।" माही ने कहा तो अक्षत मुस्करा उठा। 

" प्यार को नापा नही जा सकता..!!  कौन कम करता है कौन ज्यादा..!! हर रिश्ते की अलग अहमियत होती है  और हर रिश्ते का अलग अलग प्यार।" अक्षत ने उसके गले में बाहों को लपेट के कहा। 

"चलिए अब बाहर चलते हैं हल्दी की रस्म होने वाली होगी सब इंतजार कर रहे होंगे..!!" माही बोली और अक्षत के साथ बाहर आ गई। उन दोनों को साथ बात आते देख साधना और अरविंद के चेहरे पर सुकून भरी मुस्कराहट आ गई। 

वही कुछ देर पहले शालू भी माही को देखने कमरे में आई थी। 
माही और अक्षत को साथ और इतना करीब देख तुरंत वापस लौट गई और  उपर कॉरिडोर से होकर  टेरेस पर जाने लगी सामान  उठाने जोकि साधना ने रखवाया था। 

वो सिड़ियों की तरफ बढ़ी ही थी कि तभी ईशान ने एडम से उसे खींच के खुद के करीब कर लिया । 

"  तुम..?? क्या कर रहे हो डरा ही दिया मुझे..!!" 

" क्या बात है शालू जी..!! माफी मिल गई तो मुझे भाव देने बन्द..!!" ईशान ने उसकी आँखों में झाँका। 

शालू मुस्करा उठी। 

" वैसे ये मुस्कान और गुलाबी होते चेहरे का राज क्या है?" 

" वो.. वो..!!" शालू कहते कहते रुक गई। 

" वो..!! क्या..??" ईशान उसके और करीब आकर बोला। 

" वो अभी रूम  में गई तो देखा अक्षत भाई और माही बेहद क्लोज थे..!! तो बस जल्दी से भाग आई वहाँ से पर थोड़ा अजीब लगा..!" 

" दे आर मैरिड कपल..!! भले भाभी भूल गई है पर अक्षत सब जानता है तो  फीलिंग्स तो रहेंगी ना..!! फिर भी बहुत समझदार और संयमी है वो..!! वरना अगर मै होता तो..?? " 

" तो क्या?? " शालू ने आँखे बड़ी कर देखा। 

" तो निगल ही जाता अपनी प्यारी सी नटखट बीवी को.!" ईशान बोला और उसके चेहरे पर झुक गया। 
कुछ पलों बाद शालू आँखे बन्द किये उसके सीने से लगी हुई थी। 
"बस एक हफ्ते बाद हमारी भी शादी है और फिर  तुम्हे दूर नही होने दूंगा खुद से।" ईशान ने उसे बाहों में कसकर कहा तो शालू मुस्करा उठी। 

क्रमश:

डॉ. शैलजा श्रीवास्तव