Sathiya - 107 in Hindi Love Stories by डॉ. शैलजा श्रीवास्तव books and stories PDF | साथिया - 107

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साथिया - 107














" अक्षत ने कुछ ड्रेस सिलेक्ट कर माही को दी तो माही चेन्जिंग रूम मे जाकर ड्रेस पहन के देखने लगी।

उसने सिर्फ वही ड्रेस ट्राई किये जोकि पुरे पैक थे। जिनके न ही नेक डीप थे न ही फ्रंट और न ही जो पीठ से या कमर से ओपन  थे।

" सब अच्छे है माही..! ये ड्रेसेस क्यों नही ट्राई किये..? ये भी तुम पर प्यारे लगेंगे..!!" 

" नही जज साहब..!! बस इतना काफी है" माही ने कहा  तो अक्षत मुस्कराया और उन ड्रेस के मैचिंग जूलरी उसे  दिलाई और फिर घर वापस निकल गया।

" तुम टेंशन मत लो शालू और  ईशान के बीच जल्दी ही सब कुछ सही हो जाएगा।" अक्षत ने कहा। 

" जी जज साहब। मैं बिल्कुल भी टेंशन नहीं ले रही
  जब से आपने मुझे समझाया है मैं किसी बात के बारे में नहीं सोच रही हूं।" 

" और मैं तुम्हें कहा था वह काम तुमने कर दिया..!!"अक्षत ने कहा। 

"जी जज साहब..!! मैंने कर दिया है।" माही ने कहा तो अक्षत मुस्कुराया और  बाइक की स्पीड और तेज कर दी। 
माही ने डर के आंखें  भींच ली और उसे कसकर पकड़ लिया। 

*****
उधर ईशान घर आया और साधना को आवाज दी।

" मम्मी प्लीज चाय  बना दीजिये..!! सिर दर्द हो रहा है।" ईशान बोला और चला गया।

साधना ने शालू की तरफ देखा 


" शालू बेटा..!! इशू को चाय  देकर आ जाओ।" 

" ऑन्टी मैं कैसे..??"

" क्यों नही जा सकती..? " 
" ईशान को नही पसंद कि मै उनके कमरे मे जाऊँ..!! 

" ये किसने कह दिया तुमको..?" साधना बोली तो शालू ने नासमझी से उन्हे देखा। 

" माँ हूँ उसकी..!! नाराजगी अपनी जगह है पर राह देखता है तेरी आजकल..!" 

"तो फिर गुस्सा करेगा वो  आंटी जी।" शालू  ने नजर झुककर कहा। 

"कोई बात नहीं थोड़ा सा गुस्सा करेगा तो चलता है ना। प्यार इतना ज्यादा करता है तो थोड़ा गुस्सा भी  सहन कर सकते हैं ना और अगर बदतमीजी करें तो मुझे कहना  कान खींच दूंगी उसके। बाकी जब नाराजगी  इतनी ज्यादा है तो गुस्सा तो आयेगा ना इंसान को।" साधना ने समझाया तो  शालू ने चाय और नाश्ता ट्रे  में रखा और  ईशान के कमरे की तरफ  चल दी। गहरी सांस ली और ईशान  के कमरे  का दरवाजा देखा जो कि हमेशा की तरह बंद था। 

इन दिनों में शालू  ने  कई बार कोशिश की थी पर ईशान  बाहर फिर भी एक बार उसकी बात सुन लेता था पर अपने कमरे में उसे बिल्कुल भी नहीं आने देता था। और शालू की भी हिम्मत नहीं थी उस  दिन  के बाद से अंदर आने की  जब ईशानने उसे बाहर निकाला था। 

शालू ने  धड़कते दिल के साथ रूम को  नॉक किया। 

" कम इन..!!"  ईशान  की आवाज आई तो शालु  अंदर चली गई। 

ईशान उसे  कमरे में नहीं दिखा 

" शायद आवाज लगाने के तुरंत बाद वॉशरूम में चला गया  होगा। " शालू  ने टेबल पर  ट्रे रख खुद से सोचा  और चारों तरफ नजर  दौड़ाई। 

जब ईशान  उसे दिखाई नहीं दिया तो वह धीमे से बाहर जाने लगी  कि तभी एकदम से  ईशान  ने उसका हाथ पकड़ वापस उसे दीवार से  सटा लिया और उसके दोनों तरफ अपने हाथ रख लिए।।

शालू  ने आंखें बड़ी कर  ईशान  को देखा जो कि अपनी गहरी आंखों से उसे ही देख रहा था। और उसने इस समय शर्ट भी नहीं पहनी थी। शालू को बड़ा ही अजीब लगा और उसने नजर झुका  ली। 

"वह आंटी ने कहा था तुमको  चाय देने के लिए इसलिए आ गई मैं। जाती हूं सॉरी..!!" शालू  बोली और जाने के लिए बढ़ी  पर ईशान ने अपना हाथ नहीं हटाया। 

"सॉरी बोला ना प्लीज जाने दो मुझे..!! मैं नहीं आना चाहती थी तुम्हारे रूम में। आंटी ने बोला इसलिए आई हूं।" 

" क्यों नहीं आना चाहती थी.?? तुम्हें तो माफी मांगनी थी ना मुझसे..?  मनाना था फिर क्यों नहीं आना चाहती थी?"  इशान ने उसके चेहरे पर गहरी नज़र डालते हुए कहा। 

"माफी मांगना है मुझे..!! तुम्हें मनाना भी है और  उसके लिए तुम जो बोलोगे वह मैं करने के लिए तैयार हूं।  तुम एक बार कहो तो सही  ईशान  तुम्हारे लिए मैं जान भी दे सकती हूं। प्लीज माफ कर दो ना मुझे।" शालू ने  भावुक होकर  कहा तो  ईशान  के चेहरे पर शरारती मुस्कुराहट आई।।

"कुछ भी कर सकती हो मेरे लिए?" 

" हां कुछ भी कर सकती हूं!!" शालू  ने  कहा। 

"ठीक है तो आज रात मेरे पास आना..!! इस रूम में। वाना  स्लीप विद यू..!!"  ईशान बोला तो शालू की आंखें बड़ी हो गई। 

"तुम्हारा दिमाग ठिकाने पर नहीं है..!! गलती हो गई मुझसे जो मैं तुम्हें मनाने चली आई। मुझे कुछ लेना देना नहीं है तुमसे। मैं आज ही घर वापस चली जाऊंगी। हाथ हटाओ जाने दो मुझे।" शालू  ने कहा पर ईशान  ने हाथ अब  भी नहीं हटाए। 

"जाने दो मुझे प्लीज और तुम्हारी यह बेतुकी  शर्तें  बिल्कुल भी नहीं मानने वाली मैं। तुम्हें मनाना चाहती हूं क्योंकि तुम्हें प्यार करती हूं ना कि ये सब। मनाने का मतलब यह बिल्कुल भी नहीं है कि तुम्हारे बिस्तर पर आ जाऊंगी बिना शादी के वो भी  सिर्फ इसलिए क्योंकि  तुम्हें मानना है मुझे ,और तुम्हारा गुस्सा दूर करना है।"  शालू ने गुस्से से कहा और  ईशान  की तरफ देखा।।

"अगले ही पल ईशान  ने उसके बालों में अपनी उंगलियों को उलझाया और उसके होठों को अपने होठों से जोड़ दिया। 

शालू  की आंखें एकदम से बड़ी हो गई। 

ईशान  उसे  पैसिनेटली किस करने लगा। 

शालू उसे हटाने की कोशिश कर रही थी पर  ईशान  ने अपने एक हाथ से उसके दोनों हाथों को पकड़ रखा था और दूसरा  हाथ  उसकी गर्दन पर था। 

शालू  उसे नहीं हटा पा रही थी। 

जैसे ही   ईशान  की पकड़ कुछ ढीली हुई। 

शालू  ने हाथ छुड़ाये और अपने दोनों हाथों से उसके सीने पर जोर से धक्का मारा। 

ईशान  एकदम से पीछे हट गया। 

" तुम न एकदम से  सिक  हो  गए हो। पागल हो गए हो।  मेरे साथ तुम ऐसा कैसे कर सकते हो ? तुम वह  ईशान  हो ही नहीं जिसे मैं प्यार करती थी। वह  ईशान  कभी मेरे साथ ऐसे नहीं कर सकता था। कभी मेरे साथ जबरदस्ती करने की कोशिश नहीं कर सकता था। कभी मुझसे नहीं कह सकता था कि वह मेरे साथ रात बिताना चाहता है वो भी ऐसे। तुम सब भूल गए  इशू..!! सब कुछ भूल गए। हम लोग सालों तक रिलेशन में रहे थे पर तुमने कभी भी अपनी लिमिट क्रॉस नहीं की। पर आज तुमने मुझे हर्ट कर दिया। ठीक है गलती हो गई मुझसे..!! मुझे तुम्हें बताना चाहिए था। पर उसकी सजा  तुम इस  तरीके से दोगे  तो नहीं बर्दाश्त मुझे। 

"मत करो माफ रहो।।। तुम  कर  कर लो उस वीना   से शादी। मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता।  जा रही हूं मैं अभी के अभी यहां से।"  शालू  बोली  और दरवाजे की तरफ बढ़ी कि  एकदम से आकर ईशान ने  दरवाजे पर हाथ रख दिया। 

शालू  ने आंखें बड़ी करके उसे देखा। 


"एक हरकत तुम्हारी इच्छा के विरुद्ध कर दी तो तुम्हें इतनी तकलीफ हो रही है..!! और तुमने इतना बड़ा डिसीजन मेरी इच्छा जाने  बिना, मेरी सहमति लिए बिना, मुझसे पूछे बिना, मुझे बताएं बिना ले लिया..!! मुझे कितनी तकलीफ हुई होगी  शालू कभी सोचा है तुमने..?" इशान ने भी भरी आंखों के साथ कहा तो शालू ने उसकी तरफ देखा। 

"तो माफी मांग रही हो ना उसके लिए। कितनी सजा दोगे मुझे? सजा दे लो..! डांटना है डांट लो   इग्नोर  करना है  कर लो पर प्लीज एसी हरकतें मत करो कि मुझे इस बात का अफसोस की कभी मैंने तुम्हें प्यार किया था..!! बहुत चाहा है तुम्हें मैंने  इशू..!! प्लीज इस तरीके का बिहेव  मत करो।" शालू  ने कहा। 

" नही करूँगा पार जब  बातें  लेटर में लिख सकती हो, जब  बातें दिल में रख सकती हो तो  वही मुझे  कह नहीं सकती।" ईशान  बोला तो शालू की आंखें बड़ी हो गई।

" जब इतने लेटर लिखे थे तुमने मेरे लिए, अपनी हर फीलिंग को अपने हर एहसास को कागज पर  उतारा  था तो हिम्मत करके उन्हें पोस्ट कर देती। कम से कम कोई एक भेज देती मुझे। द तो मेरे दिल का दर्द कुछ हद तक तो कम हो जाता।" ईशान ने कहा  तो शालू   ने नजर झुका ली। 

इशान ने बेड के साइड  ड्रार  से निकालकर फाइल  शालू  के सामने कर  दी। 

"मुझे अगर माही  भाभी ने नहीं दी होती तो मुझे तो असलियत पता ही नहीं चलती।। इतना दर्द था तुम्हारे दिल में। मेरे लिए इतनी तड़प  थी, इतनी मोहब्बत थी फिर बताया क्यों नहीं मुझे? एक बार मुझसे कहती तो सही  तुम्हारे लिए मैं सब कुछ करता। एक बार मुझ पर विश्वास तो किया होता..!!" ईशान ने  कहा तो  शालू ने भरी आंखों से उस फाइल को देखा जिसमें उसके ईशान के लिए लिखे  सभी लेटर और नोट  रखे हुए थे जो कि यहां आते समय उसे नहीं मिल रही थी। अब उसे समझ में आया कि यह फाइल माही ने अपने पास रखी थी। 

"नहीं बता सकती थी मजबूर थी मैं..!! क्यों नहीं समझ रहे हो तुम..?? सांझ मेरी बहिन..!! सालों बाद हमे मिली थी.!! वो भी  इस हालत  में  बचेगी भी कि नही पता नही था। और अगर बची तब भी उसकी जिंदगी पर खतरा था। उसके हाथों खून हुआ था एक..!! अगर उन लोगों को पता चल जाता है कि  सांझ जिंदा है तो वह लोग उसकी मानसिक हालत का फायदा उठाते हुए उसे
पर  केस  करते..!! या उसे मारने की कोशिश करते क्योंकि सांझ का जिंदा बचना उनके  लिए  खतरा था। सांझ भी कुछ भी बताने की हालत में नहीं थी। वह सरकमस्टेंसस नहीं बता सकती थी जिनमे   उससे  वह कत्ल हुआ..!! इस कंडीशन में हम क्या करते..?  बोलो हम क्या करते। हम किसी को नहीं बता सकते थे  उस पर उसकी याददाश्त चली गई थी। उसका चेहरा बदल गया था। तुम भी तो मुझे समझने की कोशिश करो.. इशू..!! तुम मेरी जगह तो होते  तो क्या करते..?? अपने भाई को अपने मां-बाप को अकेले छोड़ देते?" शालू दुःखी होकर बोली। 

"नहीं छोड़ता अकेले  उन्हे पर तुम्हें भी अकेले नहीं छोड़ता।" इशान बोला और उसकी तरफ  पीठ  करके खड़ा हो गया। 

"सॉरी मैंने जो भी हरकत आज  तुम्हारे साथ की गलत थी। बस तुम्हें एहसास दिलाना चाह रहा था उस दर्द का जो मैंने सहा है।"  ईशान ने कहा तो शालू  ने उसकी तरफ देखा और तुरंत आकर उसकी  बैक की तरफ से उसे हग कर लिया। उससे लिपट गई और उसके आंसू निकलने लगे। 

" प्लीज  इशू  खत्म करो ना..!! किसी की गलती नहीं थी। बस हालत गलत हो गए और उन्ही हालातों  के बीच फंसकर में मजबूर हो गई। प्लीज तुम तो कम से कम मुझे समझने की कोशिश करो  कोई समझे ना समझे..!!" शालू ने रोते हुए कहा तो  ईशान ने पलट कर उसे अपने सीने से लगा लिया। 

क्रमश:

डॉ. शैलजा श्रीवास्तव