"हमें कोई दिक्कत कोई परेशानी नहीं है। आप जब का चाहे तब का मुहूर्त निकलवा लें। अब माही आपकी अमानत है और उसे आपके घर विदा करने में हमें कोई भी आपत्ति नहीं है।" अबीर बोले। तभी अक्षत का ध्यान माही की तरफ गया जिसके चेहरे पर अजीब से भाव आ गए थे और वह वहां से उठकर बाहर गार्डन की तरफ निकल गई।
सब लोग बातें करने में बिजी हो गए और अक्षत उठकर बाहर आया तो देखा कि माही वही गार्डन में एक तरफ खड़ी सामने लगे फाउंटेन को देख रही है।
अक्षत उसके पास जाकर खड़ा हो गया।
माही को उसके आने का एहसास था उसने अक्षत की तरफ नहीं देखा।
अक्षत ने हौले से उसका हाथ अपनी हथेलियां के बीच लिया तो माही ने नजर उठाकर उसकी तरफ देखा।
माही की बड़ी-बड़ी आंखें एकदम लाल हो रही थी और आंसुओं से भरी हुई थी।
अक्षत को उसे ऐसे देखा बेहद तकलीफ हुई और उसने माही की आंखों में झाँका।
"क्या हुआ क्यों दुखी हो रही हो?" अक्षत ने कहा तो माही ने नजर झुका ली।
"क्या हुआ माही प्लीज बताओ मुझे..!! तुम बताओगी नहीं तो मुझे पता कैसे चलेगा?
इन आँसुओ की वजह क्या है?? आज तो इतना खुशी का दिन है। तुम वापस आई हो इस शहर में मेरे घर में, और देखो सब लोग हमारी शादी की बात कर रहे हैं। तुम खुश नहीं हो क्या.??" अक्षत ने उसके गाल से हाथ लगाकर कहा तो माही ने उसकी तरफ देखा।
" पता नहीं मैं खुश हूं या नहीं हूं ..!! पर मैंने पहले भी कहा था आपसे मुझे थोड़ा टाइम चाहिए। सब कुछ इतना जल्दी करने की क्या जरूरत है? मैं जानती हूं आप मेरा बहुत दिनों से इंतजार कर रहे होंगे..!! मैं विश्वास करती हूं आपका। मानती हूं कि आप मुझे प्यार करते हो। बहुत चाहते हो मुझे पर मुझे भी तो समझने की कोशिश कीजिए। मुझे चीजों को समझने के लिए टाइम चाहिए। मैं एकदम से एक्सेप्ट नहीं कर पा रही हूं चीजों को। मुझे कुछ भी याद नहीं है।" माही ने कहा।
"बस इतनी सी बात है ?" अक्षत बोला तो माही ने ना में गर्दन हिला दी।
"फिर और क्या बात है बताओ?" अक्षत ने उसके चेहरे को अपनी हथेलियां के बीच थाम कर कहा।
"मेरे कारण शालू दीदी ने इंडिया छोड़ा। मेरे कारण शालू दीदी ईशान जीजू से दूर हुई और मेरे कारण ही उन दोनों का रिश्ता खराब हुआ। उन दोनों को दुखी कर, उन दोनों के टूटे हुए रिश्ते को इग्नोर कर कर मैं हमारा रिश्ता कैसे जोड़ सकती हूं?? बताइए ऐसे क्या मैं कभी खुश रह पाऊंगी अगर मेरी शालू दीदी खुश नहीं होगी? उनके आंसू मुझे हर पल तकलीफ देंगे क्योंकि मैं जानती हूं जज साहब कि वो ईशान जीजू को बहुत प्यार करती है।"
अक्षत ने कुछ न कहा बस सुनता रहा।
"भले मुझे पुराना कुछ भी याद नहीं..!! मुझे नहीं पता कि उन दोनों का रिश्ता कितना गहरा था? कितना प्यार था? पर जब से मैं नॉर्मल हुई हूं मैंने पिछले कई महीनो से शालू दीदी को उनके लिए परेशान और दुखी होते देखा है। रोज उनके लिए लेटर लिखते हुए देखा है। उन्हें याद करते हुए, उनके लिए तड़पते हुए देखा है। वह मजबूर ना होती तो कभी ऐसा ना करती। उनकी मजबूरी तो ईशान जीजू समझ ही नहीं रहे हैं।" माही ने दुखी होकर कहा।
अक्षत बस उसकी बातें ध्यान से सुन रहा था।
" मेरे कारण उन दोनों का रिश्ता टूटा..!! मेरे कारण शालू दीदी से उनका प्यार दूर हो गया। मेरे कारण ईशान जीजू उनसे इतने नाराज है। ऐसे में मैं आपके साथ शादी करके अपनी खुशियों में अपनी जिंदगी में कैसे आगे बढ़ जाऊं जज साहब..!!" माही ने दुखी होकर कहा।
"क्या चाहती हो तुम?" अक्षत ने आगे पूछा।
माही ने नासमझी से उसकी आँखों में देखा।
" बोलो..!! तुम मुझे हर बात बोल सकती बेझिझक।"
"मैं बस इतना ही चाहती हूं कि अब ईशान जीजू और शालू दी के बीच सब कुछ ठीक हो जाए। उन दोनों के बीच सब कुछ ठीक हो जाएगा तो मुझे भी खुशी होगी वरना एक गिल्ट मेरे मन में रहेगा कि मेरे कारण उन लोगों की लाइफ खराब हुई, और ऐसे में तो मैं खुश नहीं रह पाऊंगी ना जज साहब और शायद आप भी नहीं।" माही ने अक्षत की तरफ देखकर कहा तो अक्षत मुस्करा उठा।
" मेमरी लॉस हो गई..! सब कुछ भूल गई पर अब भी खुद से पहले औरो के बारे में सोचना नही छोड़ा।" अक्षत खुद से बोला और माही की आँखों मे देखा जोकि उम्मीद से उसे देख रही थी।
"अगर उन दोनों के बीच सब ठीक हो जाएगा तब तो तुम्हे मेरे साथ शादी करने में प्रॉब्लम नहीं है ना?" अक्षत ने कहा तो माही ने फिर से ना मैं गर्दन हिला दी।
"तो बस टेंशन मत लो...! सब कुछ मुझ पर छोड़ दो। मैं सब सही कर दूंगा और जब तक उन दोनों के बीच सब कुछ सही होगा तुम्हे भी टाइम मिल जाएगा सबको और अच्छे से जानने का समझने का और नये बदलावों को एक्सेप्ट करने का। वैसे भी घर में मानसी की शादी के प्रोग्राम और तैयारियां चल रही है। कई लोग आएंगे जाएंगे गेटटूगेदर होता रहेगा। बस तो हम एक दूसरे को और अच्छे से जानेंगे और तुम बाकी लोगों को भी जान जाओगी समझ जाओगी।" अक्षत बोला तो माही हल्का सा मुस्कराई।
"और मैं वादा करता हूं ईशान की शादी शालू के साथ ही होगी। हां थोड़ा सा टाइम लगेगा क्योंकि नाराजगी ज्यादा है। पर जानता हूं मैं वह सिर्फ शालू को प्यार करता है और किसी को नहीं।" अक्षत ने कहा।
"फिर वह लड़की कौन थी? वह कहां से आ गई?"
माही ने मासूमियत से कहा..!!
"जाने दो ना। चली जायेगी जहाँ से आई है वहाँ वापस..!! मैंने कहा ना कि वह सिर्फ शालू को प्यार करता है। और उसी से शादी करेगा। बाकी मैं संभाल लूंगा तुम चिंता मत करो।"
"सच में आप संभाल लोगे? ईशान जीजू अगर उस लड़की से प्यार करते होंगे तो वह उसी से शादी करेंगे ना शालू दीदी से तो नहीं करेंगे ना?" माही के दिमाग में अभी भी हलचल मची हुई थी।
अक्षत ने उसके कंधों पर हाथ रखा।
" विश्वास नहीं है क्या जज साहब पर?" अक्षत ने कहा तो माही ने हाँ में गर्दन हिला दी।
"तो बस विश्वास रखो..!! मैं जानता हूं ना मेरे भाई को। जिस तरीके से तुम जानती हो तुम्हारी शालू दीदी को। इन दो सालों में शालू अगर ईशान के लिए परेशान थी तड़प रही थी, उसे याद करती थी और उसे प्यार करती है। ठीक उसी तरीके से इशू मेरा भाई है और मैं जानता हूं उसके बारे में की उसके दिल में शालू के अलावा कोई नहीं है। पिछले दो सालों से वह भी शालू के लिए परेशान था। तड़प रहा था और अगर उसे शालू को भुलाकर आगे बढ़ना ही होता तो वह यह दो साल तक इंतजार नहीं करता। समझ रही हो ना तुम..??" अक्षत ने कहा तो माही ने हाँ में गर्दन हिला दी।
"तो बस दुखी मत हो...!! और इन आंखों में मुझे आंसू बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं है। बस मुस्कुराती रहा करो। जब तुम्हारी आंखों में आंसू आते हैं तो मुझे ऐसा लगता है कि शायद फिर से मैं फेल हो गया..!!" अक्षत ने कहा।
"फिर से मतलब? पहले कब फेल हुए ? और फेल होने का मतलब? " माही ने मासूमियत से कहा।
"कुछ नहीं तुम अभी नहीं समझोगी। बस तुम दुखी मत हुआ करो। कुछ भी तुम्हारे मन में बात है बेझिझक मुझसे कहा करोm बिना किसी बात की परवाह किए समझी।" अक्षत ने कहा तो माही ने गर्दन हिला दी।
" कहीं चलना है घूमने तो मै लेकर चलूँ..??" अक्षत ने पूछा।
" बाहर तो नही आज..!! अच्छा चलिए मुझे आपका रूम तो दिखाइए। आपने मुझे आपका रूम तो दिखाया ही नहीं। उसमें जरूर हमारी सगाई की फोटोग्राफ्स होगी। मेरी फोटो होगी..!! चलिए ना।" माही ने कहा और अक्षत का हाथ पकड़ अंदर की तरफ खींचने लगी।
अक्षत के पैर जम गए वहीं पर क्योंकि वह जानता था कि रूम में माही के नहीं बल्कि सांझ के और उसके फोटो है।
"फिर कभी देख लेना ना..!! चलो अभी और भी काम है।"
"नहीं मुझे अभी देखना है..!! प्लीज चलिए ना।" माही बोली और अक्षत को खींचते हुए रूम की तरफ जाने लगी।
अक्षत ना चाहते हुए भी उसे मना नहीं कर पा रहा था और माही देख चुकी थी कि अक्षत का रूम कौन सा है तो उसे किसी से पूछने की जरूरत नहीं थी। वह अक्षत को खींचते हुए रूम में लेकर आई और दरवाजा खोल दिया।
अक्षत ने आंखें बंद कर ली। उसे उसे समझ नहीं आ रहा था कि अब आगे वह माही को कैसे हैंडल करेगा।
क्रमश:
डॉ. शैलजा श्रीवास्तव