Tilismi Kamal - 15 in Hindi Adventure Stories by Vikrant Kumar books and stories PDF | तिलिस्मी कमल - भाग 15

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तिलिस्मी कमल - भाग 15

इस भाग को समझने के लिए इसके पहले से प्रकाशित सभी भाग अवश्य पढ़ें ............….....🏵️🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🏵️🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏



इच्छाधारी नाग नागिन को विदा करने के बाद राजकुमार धरमवीर तिलिस्मी महल में प्रवेश कर गया । महल के अंदर बहुत ही सुंदर नक्काशी थी । 

राजकुमार धरमवीर महल की सुंदरता देखते हुए धीरे धीरे तालाब की ओर बढ़ रहे थे । तभी अचानक राजकुमार के सामने से एक तीर निकल कर उसके बायीं ओर की दीवार में जा लगा ।

अपने सामने से अचानक तीर को जाते देखकर राजकुमार चौंक गया । और महल की सुंदरता को छोड़ते हुए सावधानी पूर्वक आगे बढ़ने लगा । 

राजकुमार ने जैसे ही अगला कदम बढ़ाया एक और तीर आकर उसके सामने से निकल गया । राजकुमार समझ नही पा रहा था कि उस पर तीर से हमला कौन कर रहा है ?

राजकुमार चुपचाप एक जगह खड़ा हो गया और अपने चारों ओर सावधानी पूर्वक देखने लगा । वह इस समय महल के एक गैलरी में था और गैलरी के आमने सामने खम्भे लगे थे और हर खम्भे में एक छोटा सा छेद था ।

राजकुमार यह सब समझ नही पा रहा था कि खम्भो में इस तरह के छेद क्यो बने हुए है तभी राजकुमार की नजर अपने पैरों के पास जमीन पर पड़ी । जिस पर एक गोलाकार आकृति बनी हुई थी और उस गोला कार आकृति के बीच मे एक तीर बना हुया था । इसी तरह की आकृति हर कदम बढ़ाने पर बनी थी ।

गोलाकार आकृति को देखकर राजकुमार को अब समझ आने लगा था कि तीर कहाँ से आ रहे है ? राजकुमार ने अपना अगला कदम बढ़ाया तो वही गोलाकार आकृति दिखायी दी । राजकुमार ने खम्भे के छेद की ओर देखते हुए अपना पैर धीरे से उस आकृति पर  दिया ।

आकृति में पैर पड़ते ही खंभे के छेद से एक तीर निकला और राजकुमार की ओर बढ़ गया । राजकुमार बिना देर किए हुए आकृति से पैर हटा लिया और पीछे हट गए । तीर राजकुमार के सामने से निकल गया ।

अब राजकुमार को सब समझ मे आ गया था । राजकुमार गोलाकार आकृति को बचाते हुए आगे बढ़ गया । इसी तरह बचते हुए राजकुमार ने पूरी गैलरी से गुजर गया । 

जब राजकुमार गैलरी के अंत मे पहुंचा तो उसे दो रास्ते दिखाई दिए , अब राजकुमार को समझ मे नही आ रहा था कि वह किस रास्ते मे जाए ।

तभी राजकुमार को एक रास्ते से पानी के बहने की आवाज आती हुई सुनाई दी और दूसरे रास्ते से केवल हवा आने की आवाज सुनाई दे रही थी ।

अब राजकुमार सोच में पड़ गया कि वह किस रास्ते मे जाए कि तालाब तक पहुंच जाए । तभी राजकुमार के दिमाग मे एक बात कौंधी कि तालाब का पानी तो स्थिर और शांत रहता है तो फिर पानी बहने की आवाज क्यो आ रही है ?

राजकुमार ने उस रास्ते की ओर चल पड़ा जिस रास्ते से हवा आने के आवाज सुनाई दे रही थी । थोड़ी दूर चलने पर राजकुमार तालाब दिखाई देना लगा जिसके बीचों बीच एक गोलाकार निशान बना था जिसमे तिलिस्मी पत्थर रख कर तिलिस्म का पहला द्वार खुलेगा ।

राजकुमार जल्दी जल्दी तालाब की ओर बढ़ने लगा , और जब तालाब के नजदीक पहुँचा तो उसके कदम कुछ ही दूर में रुक गए । तालाब का पानी तेजाब की भांति खौल रहा था ।
लेकिन राजकुमार को इस बात कोई फर्क नही पड़ा । उसने वनदेवी की जादुई शक्ति का उपयोग करके हवा में उड़ने लगा । और हवा में उड़ कर गोलाकार निशान के पास पहुंच गया ।

राजकुमार धरमवीर एक पल की देर किए बिना गोलाकार निशान में तिलिस्मी पत्थर को रख दिया । तिलिस्मी पत्थर के रखते ही उस निशान में एक हवा का छोटा सा बवंडर तेजी से घूमने लगा । धीरे धीरे वह बवंडर बड़ा होने लगा ।

राजकुमार चुपचाप सावधान के मुद्रा में  उस बवंडर को देख रहा था की बवंडर से अब क्या होने वाला है? धीरे धीरे वह बवण्डर इतना बड़ा हो गया कि वह एक आदमी को आराम से कैद करके हवा में लेकर उड़ सकता था।

बवंडर ने राजकुमार को अपने घेरे के अंदर ले लिया । और तेजी से तिलिस्मी पत्थर के निशान में राजकुमार को लेकर समा गया । इसके बवंडर ने राजकुमार को पत्थर की दुनिया मे छोड़ दिया , यानी राजकुमार धरमवीर पहले तिलिस्मी द्वार में प्रवेश कर गए ।

जँहा चारों तरफ हर चीज केवल पत्थर की बनी हुई थी । राजकुमार पत्थरो की बनी दुनिया को बड़े गौर से देख रहा था ,तभी उसकी नजर अपने पैरों पर पड़ी वह बुरी तरह से चौंक गया ।

राजकुमार के पैर पत्थर के बन गए थे । धीरे धीरे राजकुमार का पूरा शरीर पत्थर का बन गया । लेकिन राजकुमार चौंकने के साथ साथ आश्चर्य चकित भी था कि उसका पूरा शरीर पत्थर का बन गया है लेकिन फिर भी उसका पूरा शरीर एक सामान्य मनुष्य की तरह काम कर रहा है ।

राजकुमार के दिल को थोड़ी सी तसल्ली मिली कि उसका शरीर पत्थर का होने के बावजूद भी कार्य कर रहा है । राजकुमार ने अपनी तलवार निकाली ।जो वह भी पत्थर की बन चुकी थी । तलवार लेकर राजकुमार बौने जानवरो के देवता की तलाश में निकल पड़ा। क्योंकि उनके ही सिर पर चमत्कारी मणि रखने से तिलिस्म का दूसरा द्वार खुलेगा ।

राजकुमार देवता की तलाश में न जाने कितनी दूर निकल गया लेकिन राजकुमार को देवता के पास जाने के लिए कोई रास्ता नही दिखाई पड़ रहा था । धीरे धीरे अंधेरा बढ़ने लगा राजकुमार रात बिताने के लिए एक ऐसी जगह की तलाश करने लगा जंहा पर उसे कोई खतरा न हो।

तभी राजकुमार को अपने आस पास का वातावरण बदलता हुया महसूस हुया । जो चीजे पत्थर की थी अब वह धीरे धीरे अपने सामान्य रूप में आ रही थी । थोड़ी देर में राजकुमार के  आस पास का वातावरण पूरी तरह बदल गया । 

अब दूर दूर तक पत्थर का निशान भी नही था पूरा वातावरण सामान्य से लगने लगा । राजकुमार आश्चर्य चकित था कि कुछ देर पहले जो दुनिया पत्थरो की बनी हुई थी अब वह सामान्य हो गई है।

राजकुमार यह सब सोच ही रहा था कि उसे एक चिड़िया की चहचहाने का शोर सुनाई दिया । राजकुमार आवाज की दिशा 
की तरफ मुड़ा तो उसने देखा कि एक साँप चिड़िया के बच्चे को खाने के लिए उसकी तरफ बढ़ रहा था । चिड़िया का बच्चा बचने के लिए शोर मचाते हुए बेतहासा भागा जा रहा था क्योंकि वह उड़ नही पा रहा था ।

चिड़िया का बच्चा जिस दिशा की ओर भाग रहा था उसी दिशा की ओर राजकुमार भी था । राजकुमार ने जब यह सब देखा तो देर किए बिना वह साँप के पास गया और अपनी तलवार से उसके शरीर के दो टुकड़े कर दिए । साँप के वही पर प्राण पखेरु उड़ गए।

चिड़िया का बच्चा जब राजकुमार को अपनी जान बचाते हुए देखा तो वह धीरे धीरे अपने छोटे छोटे कदमो से राजकुमार के पास गया ।और राजकुमार से अपनी तोतली आवाज में बोला - " मेरी जान बचाने के लिए आपका धन्यवाद।"

चिड़िया के बच्चे को इंसानी आवाज में बोलते देखकर आश्चर्य हुया। राजकुमार ने उसे अपने हाथ मे उठा लिया और बोला - तुम कितने प्यारे हो लेकिन तुम इतने छोटे हो के अपने घोसले से बाहर क्यो निकले ? और तुम्हारी माँ कहाँ है ?"

बच्चा बोला - " मेरी माँ मेरे लिए खाना लेने कही गयी है लेकिन अभी तक नही आई है इसलिए उनकी खोज में अपने घोसले से निकला था ।"

चिड़िया का बच्चा अपनी बात पूरी ही कि थी कि उसके सामने ऊपर से एक बड़ी चिड़िया आकर गिरी जो काफी घायल थी । चिड़िया के घाव से काफी खून बह रहा था। चिड़िया का बच्चा जब उस बड़ी चिड़िया को देखा तो वह रोने लगा ।

राजकुमार ने पूछा - " तुम क्यो रो रहे हो? "

चिड़िया का बच्चा राजकुमार से रोते हुए बोला - " यह मेरी माँ है और इनके शरीर से खून निकल रहा है पता नही मेरी मां को क्या हो गया है ?"

इतने कहने के बाद चिड़िया का बच्चा अपनी मां से लिपट कर जोर जोर से रोने लगा । और उसकी माँ दर्द होने के कारण कुछ बोल भी नही पा रही थी । 

राजकुमार चिड़िया के बच्चे के पास गया और उसके आँसू पोछते हुए बोला - " आप मत रोये । आप रोते हुए अच्छे नही लगते है मैं अभी तुम्हारी माँ को ठीक कर देता हूँ । "

इतना कहने के बाद राजकुमार ने जादुई शक्ति से चिड़िया को सही कर दिया । छोटा बच्चा अपनी माँ को सही होते देखकर बहुत खुश हुया और राजकुमार से दुलार करने लगा ।

बड़ी चिड़िया ने राजकुमार को अपनी जान बचाने के लिए धन्यवाद किया और उसके बारे पूछा वह कौन है और यँहा क्यो आया है?

राजकुमार ने बड़ी चिड़िया को अपने बारे में और यँहा कैसे पहुँचा और क्यो आया सब बता दिया ।इसके बाद राजकुमार ने बड़ी चिड़िया से पूछा तुम्हे घायल किसने किया था ? 

बड़ी चिड़िया बोली - " जब मैं खाना लेकर वापस आ रही थी तो एक चील ने मुझे पर हमला कर दिया उसी ने मुझे घायल कर दिया है और उससे बचते बचते यँहा आकर गिर गयी । 

राजकुमार बड़ी चिड़िया से पूछा - " जब मैं यँहा आया तो यँहा पर हर वस्तु पत्थर की बनी थी यँहा तक कि मैं खुद पत्थर का बना हुया था । लेकिन जैसे जैसे ही अंधेरा बढ़ने लगा वैसे वैसे ही यहां का वातावरण सामान्य हो गया ऐसा क्यो ? "

बड़ी चिड़िया बोली - " बौने जानवर पहले पत्थर के नही थे वे भी हमारी तरफ थे लेकिन उन्ही जानवर में एक धूमकेतु नाम का जानवर था जो इस जंगल मे राज करना चाहता था । धूमकेतु को पत्थर बहुत पसंद थे । वह चाहता था कि हर चीज पत्थर का बन जाये । धूमकेतु ने अपने देवता को प्रसन्न करके यह वरदान मांगा की यह पूरी दुनिया पत्थर की बन जाये देवता ऐसा वरदान देने से मना कर दिया और गायब हो गए ।

धूमकेतु अपने देवता से क्रुद्ध हो गया और काली शक्तिओ की पूजा करने लगा । धूमकेतु ने अपनी काली शक्तियों से अपने देवता को बांध दिया । देवता की कोई भी शक्ति धूमकेतु पर असर नही कर पा रही थी । देवता ने धूमकेतु को श्राप दे दिया कि तेरी शक्तियां केवल दिन में काम करेंगी , रात में नही । और तेरी मृत्यु एक मानव के हाथों होगी जो दूसरी दुनिया से आएगा । इतना कहने के बाद देवता शांत हो गए । 

धूमकेतु ने अपनी शक्ति के बल पर अपनी प्रजाति के जानवरों को अपना गुलाम बना लिया । धूमकेतु ने अपने काली मंत्र शक्तियों से इस पूरी दुनिया को पत्थर का बना दिया । इस जंगल की हर चीज उसके प्रभाव में आ करके पत्थर की बन जाती है । इसलिए जैसे ही तुम इस जंगल मे प्रवेश किये वैसे ही पत्थर के बन गए । लेकिन अंधेरा होते ही उसकी शक्ति बेकार हो जाती है इसलिए तुम पुनः अपने रूप में आगये ।

धूमकेतु के मरते ही उसकी शक्ति खत्म हो जाएगी और पहले की तरह यह जंगल हरा भरा हो जाएगा । धूमकेतु को सूर्य की रोशनी में ही मारा जा सकता है क्योंकि रात को वह गायब हो जाता है और गायब होकर कहाँ जाता है यह किसी को नही पता है ।

धूमकेतु अपनी सुरक्षा के लिए अपना निवास देवता की मूर्ति के अंदर निवास करता है , और उसकी सुरक्षा के लिए उसके गुलाम बने बौने जानवर देवता की मूर्ति की रक्षा करते है । 

देवता की मूर्ति तक आज तक कोई नही पहुंच पाया है और जो पहुंचा है वह जीवित नही बचा है । तो राजकुमार अब आप बताये की आप देवता के सिर पर चमत्कारी मणि कैसे रखेंगे क्योकि धूमकेतु के रहते हुए आप देवता की मूर्ति  के सर पर चमत्कारी मणि नही रख पाएंगे? "

राजकुमार ने बड़ी चिड़िया से कहा - " अब चाहे जैसे भी हो देवता के मूर्ति तक पहुंचना ही है आप वहां तक पहुँचने के लिए रास्ता बताइये ।"

बड़ी चिड़िया बोली - "  ठीक है, सुनो आप यँहा से पूर्व दिशा की ओर सीधे चले जाना लगभग एक घंटे चलने के बाद आप को बहुत सारे जानवरो की आवाज सुनाई देगी बस आप उस आवाज की दिशा में चले जाना आपको देवता की मूर्ति दिखाई देने लगेगी । लेकिन यह जरूर याद रखना की देवता की मूर्ति तक पहुंचने के लिए धूमकेतु के गुलामो से बचते रहना है । अब आप आज रात यही रुक जाइए कल सूर्य की पहली किरण दिखते ही चले जाना क्योकि रात में आपको वँहा पर कुछ नही मिलेगा । "

राजकुमार ने बड़ी चिड़िया की बात मानी । राजकुमार रात भर वही रुका रहा । अगले दिन राजकुमार सूर्य की पहली किरण पड़ते ही देवता की मूर्ति की खोज में निकल पड़ा । राजकुमार ने बड़ी चिड़िया से विदा मांगी ।

राजकुमार पूर्व दिशा की ओर चल पड़ा । किरण के पड़ते ही पूरा जंगल फिर से पत्थर का बन गया । राजकुमार भी पत्थर का बन गया । राजकुमार चलता ही जा रहा था लगभग एक घण्टे चलने के बाद राजकुमार एक जगह रुक गया ।

और बौने जानवरो की आवाज सुनने के लिए इधर उधर भटकने लगा तभी उसे किसी जानवर की अपने पीछे से आती हुई सुनाई दिया । राजकुमार पीछे की तरफ पलटा तो एक पत्थर का शेर उसे देख कर गुर्रा रहा था ।

राजकुमार कुछ समझ पाता उससे पहले ही पत्थर का शेर उस पर छलाँग लगा दी । राजकुमार सम्भल नही पाया और वही पर गिर गया । लेकिन राजकुमार के कोई चोट नही आई । शेर ने फिर से छलांग लगाई लेकिन इस बार राजकुमार सावधान था । वह अपनी जगह से हट गया और तुरन्त अपने तलवार से पत्थर के शेर पे वार कर दिया । राजकुमार की तलवार शेर से टकराते ही टूट गयी ।

शेर भी थोड़ा घायल हो गया उसके शरीर के एक हिस्सा टूट कर अलग हो गया । शेर फिर से राजकुमार की ओर पलटा । अब राजकुमार के पास एक ही चारा था की वह वनदेवी की दी हुई जादुई शक्तियों का उपयोग करे ।

शेर राजकुमार के ऊपर दुबारा हमला करने के लिए आगे बढ़ा लेकिन राजकुमार ने इस बार उसे आगे बढ़ने का मौका नही दिया । जादुई शक्ति से एक किरण शेर की ओर छोड़ दी किरण के टकराते ही शेर के कई टुकड़े हो गए । शेर के मरते ही और कई सारे जानवरों की आवाज आने लगी।

राजकुमार देर किये बिना आवाज की दिशा की ओर भागा । और जब आवाज वाली जगह पर पहुंचा तो आश्चर्य चकित रह गया। वँहा पर सैकड़ो की तादाद में पत्थर के बने बौने जानवर देवता की मूर्ति के चारो ओर सुरक्षा चक्र बनाये हुए खड़े थे । और देवता की मूर्ति के पास धूमकेतु खड़ा था मानो वह राजकुमार का इंतजार कर रहा था ।

राजकुमार को देखते ही धूमकेतु गरजते हुए बोला - " तू मुझे मारने आया है मुझे मारना इतना आसान नही है , मैं वो हूँ जिसने अपने देवता को भी बंदी बना लिया हूँ , मुझे मारने के लिए मेरे बनाये इस सुरक्षा चक्र को तोड़ना होगा। और यह सुरक्षा चक्र एक बड़ा हीरा भेद सकता है और कोई नही और इस दुनिया मे दूर दूर तक तुझे हीरे का टुकड़े भी नही मिलेगा ।"

इतना कहने के बाद धूमकेतु ठहाका मारकर हँसने लगा । राजकुमार भी ठहाका मारकर हँसने लगा । राजकुमार को हँसते देख कर धूमकेतु की हँसी रुक और उसने पूछा - " लगता है अपने आप को मौत देखकर पागल हो गया है ? "

राजकुमार बोला - " मैं तो इसलिए हँस रहा हूँ कि तूने खुद ही सुरक्षा चक्र तोड़ने का उपाय बता दिया ।"

धूमकेतु हँसते हुए बोला - " तू तो सच मे पागल हो गया है सुरक्षा चक्र तोड़ने के लिए बड़ा हीरा कहाँ से लाएगा ? "

राजकुमार बोला - " मुझको देख ऐसे लाऊंगा । "

इसके बाद राजकुमार ने वनदेवी की जादुई शक्ति का उपयोग करके अपना शरीर एक बड़े हीरे के समान कर लिया।धूमकेतु राजकुमार को ऐसे करते देख कर आश्चर्य चकित था कि सामान्य सा दिखने वाला मानव इतना मायावी है । 

इधर राजकुमार ने हीरे से बना अपना शरीर हवा में उठाया और धूमकेतू के बनाये सुरक्षा चक्र को भेदने के लिए हवा की गति से आगे बढ़ने लगा । पत्थर के बने बौने जानवर राजकुमार को  रोकने के लिए उसके सामने आने लगे । लेकिन राजकुमार के शरीर से टकराते ही बौने जानवरो के शरीर के टुकड़े हो गए । 

इसी तरह राजकुमार आगे बढ़ता चला जा रहा था , जो भी उसके सामने पड़ता वह टुकड़े टुकड़े होकर बिखर जाता । इसी तरह राजकुमार सबको तोड़ते फोड़ते हुए धूमकेतु के नजदीक पहुंच गया ।

धूमकेतु अपना सबसे मजबूत सुरक्षा चक्र टूटते देखकर अपनी जान बचाकर देवता की मूर्ति छोड़कर भगा लेकिन राजकुमार अब उसे कहाँ छोड़ने वाला था ? राजकुमार तेजी से धूमकेतु के शरीर जा टकराया । धूमकेतु का शरीर टुकड़े टुकड़े होकर बिखर । धूमकेतु के मरते ही पूरे जंगल से उसकी काली शक्तियों का असर हट गया ।

देवता की मूर्ति आजाद हो गई । पत्थर के बने बौने जानवर जो सुरक्षा चक्र में बच गए थे ।पुनः अपने सामान्य रूप में आ गए । पूरा जंगल सामान्य जंगल बन गया अब पत्थर का कही नामो निशान भी नही था।

बौने जानवर धूमकेतू की काली शक्तियों से आजाद होते ही सभी लोगो की नजर राजकुमार के ऊपर पड़ी जो वह हीरे वाला रूप त्याग कर अपने सामान्य रूप में आ चुका था । 

राजकुमार ने सभी को अपने बारे और धूमकेतू के बारे बताया कि कैसे उसने इस जंगल को पत्थर का कर दिया था और तुम लोग उसके गुलाम थे । पूरी बात जानने के बाद बौने जानवर खुश हो गए और राजकुमार का धन्यवाद किया ।

राजकुमार ने बौने जानवरो से उनके देवता के सिर पर चमत्कारी मणि रखने की इजाजत मांगी ताकि अब वह तिलिस्म के दूसरे द्वार के अंदर प्रवेश कर सके।

बौने जानवरो ने राजकुमार को खुशी खुशी इजाजत दे दी राजकुमार हवा में उड़ा और देवता के सिर पर चमत्कारी मणि  रख दी । चमत्कारी मणि के रखते ही आसमान से एक लाल किरण आकर चमत्कारी मणि से टकरा गई । किरण के टकराते ही उसी जगह पर एक द्वार खुल गया । लेकिन वह तेजी से छोटा होने लगा । राजकुमार एक पल देर किए बिना तिलिस्म के दूसरे द्वार में प्रवेश कर गया और इधर वह द्वार पूरी तरह से छोटा होकर गायब हो गया।


                       क्रमशः .................🏵️🏵️🏵️🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿

सभी पाठकगण को नमस्कार ,यह भाग आपको सबको पढ़कर कैसा लगा यह अपनी समीक्षा देकर जरूर बताएं । और आगे के भाग जैसे ही प्रकाशित करूँ तो आपको पता चल जाये इसलिए मुझे जरूर फॉलो करें ।



विक्रांत कुमार
फतेहपुर उत्तरप्रदेश
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