Tilismi Kamal - 13 in Hindi Adventure Stories by Vikrant Kumar books and stories PDF | तिलिस्मी कमल - भाग 13

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तिलिस्मी कमल - भाग 13

इस भाग को समझने के लिए इसके पहले से प्रकाशित सभी भाग अवश्य पढ़ें ........................🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏



वन देवी ने राजकुमार धरमवीर को तिलिस्मी कमल तक  पहुंचने के लिए क्या करना है? कैसे करना है? और पांचों तिलिस्मी वस्तुओं का उपयोग कैसे करना है । यह सब बताने के बाद वन देवी राजकुमार से बोली - " तिलिस्मी कमल तक पहुँचने के लिए बहुत से खतरे मिलेंगे इसलिए उन सभी खतरों से निपट के लिए मैं तुम्हे  अपनी शक्तियां देती हूं । ये शक्तियां तुम्हारी मदद करेगी । "

इतना कहने के बाद वन देवी ने अपनी आंखें बंद की और अपने दांए हाथ को राजकुमार की ओर किया , और कुछ मंत्र पढ़ने लगी । मंत्र पूरा होते ही वन देवी के हाथों से कई रंग की किरणें निकलने लगी और राजकुमार की सीने में समाने लगी । थोड़ी देर में सभी किरणें राजकुमार के सीने में समा गई। इसके बाद वन देवी ने पांचो तिलिस्मी वस्तुएं राजकुमार धरमवीर को दे दिया ।

किरणें समाते ही राजकुमार धरमवीर को अपने अंदर एक शक्ति को महसूस किया । इसके बाद राजकुमार वन देवी को प्रणाम किया । वन देवी ने राजकुमार को आशीर्वाद में कहा कि तुम्हे सफलता मिले ।

रजकुमार उस विशाल वृक्ष के अंदर चला गया । राजकुमार के अंदर पहुंचते ही वहाँ का वातावरण बदल गया । अब वह एक विशाल जंगल मे था । जंगल मे जानवरों की डरावनी आवाजें सुनाई दे रही थी ।

राजकुमार को अब तिलिस्मी द्वार के रक्षक को ढूढ़ना था जिसे मारकर ही पहला तिलिस्मी द्वार खोला जा सकता था । राजकुमार ने अपने म्यान से तलवार निकाली और तिलिस्मी द्वार के रक्षक की तलाश में एक दिशा की ओर बढ़ चला ।

राजकुमार को चलते चलते एक घंटे बीत गए । लेकिन ऐसा कोई साक्ष्य नही मिला कि वह अनुमान लगा सके कि तिलिस्मी द्वार का रक्षक कहाँ और किस दिशा में मिलेगा ।

तिलिस्मी द्वार के रक्षक को ढूढ़ते ढूढ़ते राजकुमार को शाम हो गयी लेकिन रक्षक नही मिला । अंधेरा काफी ज्यादा हो गया था और साथ ही जंगल का सुनसान माहौल और भी डरावना लग रहा था ।

राजकुमार ने एक पेड़ में रुक कर रात बिताने की सोची । राजकुमार अब एक ऐसे पेड़ की तलाश कर रहा था कि उस पर आराम से बैठ सके और आराम कर सके और कोई जंगली जीव उस पर हमला न कर सके ।

कुछ देर टहलने के बाद राजकुमार को एक ऐसा पेड़ मिल गया जैसा वह चाहता था । राजकुमार उस पेड़ पर चढ़कर इस तरह बैठ गया कि उसे कोई देख न पाए और वह सबको देख सके । राजकुमार अगले दिन का इंतजार करने लगा ।

अनजान और डरावनी जगह होने के कारण राजकुमार को नींद नही आ रही थी । राजकुमार चौकन्ना होकर इधर उधर देख रहा था । लेकिन थके होने के कारण राजकुमार के न चाहते हुए भी उसको नींद आ गई ।

रात के तीन पहर बीतने के बाद किसी औरत के रोने की आवाज आई । राजकुमार के कानों में जैसे ही आवाज पहुंची वह बौखलाकर उठ गया । और सोचने लगा इस भयानक और सुनसान जंगल मे कौन औरत रो रही है ? 

कही कोई चुड़ैल तो नही यह सब सोचते हुए । राजकुमार पेड़ से उतरा और हाथ मे तलवार लेकर आवाज की दिशा की ओर बढ़ चला । रोने की आवाज बराबर आ रही थी । राजकुमार बढ़ता चला जा रहा था । 

कुछ दूर चलने के बाद राजकुमार को एक खरगोश दिखाई दिया । जो रो रहा था । राजकुमार खरगोश देखकरआश्चर्य चकित था कि वह एक औरत की आवाज में रो रहा था ।

राजकुमार चुपचाप खरगोश को देखता रहा । अब धीरे धीरे प्रातः काल हो रहा था । सूर्य की किरणें धीरे धीरे जंगल की ओर बढ़ रही थी । खरगोश सूर्य की किरणें देखकर रोना बन्द कर दिया और एक दिशा की ओर चल पड़ा । 

राजकुमार भी चुपचाप बिना कोई शोर किये खरगोश के पीछे पीछे चल पड़ा । खरगोश कई रास्तो से गुजरते हुए । एक चट्टान के करीब पहुँच गया । चट्टान के कोने में एक पत्थर को छुआ तो चट्टान पीछे को खिसकने लगी । चट्टान कुछ देर खिसकने के बाद रुक गया । और उस जगह एक तहखाना बन गया । 

खरगोश तहखाना में प्रवेश कर गया । खरगोश के तहखाने में जाते ही चट्टान खिसक कर पुनः अपने स्थान पर आगयी । राजकुमार यह सब प्रक्रिया देख रहा था । 

राजकुमार उस चट्टान के कोने में गया जहाँ खरगोश ने एक पत्थर को छुआ था । राजकुमार ने उस पत्थर को छुआ तो वह चट्टान वैसे ही खिसकने लगी जैसे पहली खिसकी थी । 

चट्टान के खिसकते ही राजकुमार को वही तहखाना नजर आया जिसमे खरगोश प्रवेश किया था । राजकुमार तहखाने में प्रवेश कर गया । राजकुमार के अंदर जाते ही चट्टान पुनः खिसक कर अपनी जगह पर आ गई ।

राजकुमार तहखाने के अन्धेरे में आगे बढ़ता चला जा रहा था । और थोड़ा आगे बढ़ा तो राजकुमार को एक रोशनी नजर आने लगी । राजकुमार उसी दिशा की तरफ बढ़ चला । जिधर से रोशनी आ रही थी ।

और जब राजकुमार रोशनी वाले जगह पर पहुंचा तो आश्चर्य चकित रह गया । जहाँ से रोशनी आ रही थी उस जगह पर एक खरगोश पत्थर बना हुया था और उसकी लाल रंग की आंखे चमक रही थी । 

राजकुमार अभी आश्चर्य से उस खरगोश को देख ही रहा था कि किसी जीव ने उसके पीछे से वार किया । असावधान होने के कारण राजकुमार उछल कर दूर जा गिरा । और उसकी तलवार छिटक दूर जा गिरी ।

राजकुमार तेजी से उठ खड़ा हुया । और सामने देखा तो हमला करने वाला वही खरगोश था जो जंगल मे औरत की आवाज में रो रहा था । वह खरगोश राजकुमार को गुस्से से देख रहा था ।

खरगोश ने अपने आंखों से एक लाल किरण राजकुमार धरमवीर की ओर छोड़ दी । लाल किरण जैसे जैसे राजकुमार के नजदीक पहुंच रही थी वैसे वैसे ही राजकुमार का दिल घबरा रहा था । और समय इतना कम था कि राजकुमार उछल कर भी उस किरण से नही बच सकता था ।

अब राजकुमार को अपनी मौत अपने ऊपर नाचते हुए दिखाई देने लगी । अब लाल किरण बस कुछ क्षण में टकराने वाली ही तभी अचानक राजकुमार के चारो ओर एक चमकीला शीशा प्रकट हो गया । और राजकुमार को अपने घेरे के अंदर ले लिया ।

लाल किरण चमकीले शीशे टकराकर वापस खरगोश की ओर मुड़ गयी । और सीधा खरगोश के जाकर लग गयी । खरगोश दर्द से कराह उठा । खरगोश अपने ही किरण का शिकार बन गया । 

राजकुमार हैरान था कि इस अनजान जगह में उसकी मदद करने कौन आ गया ? तभी  चमकीले शीशे से एक आवाज आई , " मैं वनदेवी की एक शक्ति हूँ जो तुम्हारे शरीर के अंदर ही थी तुम पर कोई भी मुसीबत आएगी मैं स्वतः ही प्रकट होकर तुम्हारी रक्षा करूंगी । और तुम जो भी कहोगे मैं वह हर चीज करूंगी । राजकुमार बहुत खुश की अब उसकी जान को कोई खतरा नही है ।

खरगोश के शरीर मे कई जगह घाव बन गए थे । वह औरत की तरह रो रहा था । ख़रगोश को दर्द से रोता देखकर राजकुमार को खरगोश के ऊपर दया आ गई । उसने चमकीले शीशे के अंदर से ही खरगोश से कहा - " मैं तुम्हे कोई नुकसान पहुंचाने नही आया हूँ । तुम्हे औरत की आवाज में रोता देखकर बस तुम्हारे रोने का कारण जानने आया हूँ । "

खरगोश दर्द से कराहते हुए औरत की आवाज में बोला - " तुम कौन हो और यहाँ किस वजह से आये हो ? "

राजकुमार उस खरगोश को अपने आने का कारण बता दिया और बोला - " मैं तुम्हे इस दर्द से छुटकारा दिला सकता हूँ लेकिन पहले तुम यह बचन दो की मुझ पर अब कोई हमला नही करोगे और मैं जो भी पूछुंगा वह मुझे बताओगे । "

खरगोश दर्द से छुटकारा पाने के लिए बचन दे दिया । राजकुमार ने चमकीले शीशे को आदेश दिया की वह खरगोश के घाव को ठीक कर दे ।  

राजकुमार का आदेश पाते ही चमकीला शीशे के अंदर से एक हरे रंग की किरण निकल खरगोश के शरीर मे बने घावों से टकराने लगी । जैसे जैसे किरण घावो से टकराती जा रही थी । वैसे वैसे ही खरगोश के घाव भरते जा रहे थे ।

कुछ ही देर में खरगोश के पूरे घाव भर गए और उसका दर्द गायब हो गया । खरगोश को ऐसा लग रहा था कि जैसे उसे कोई चोट लगी ही नही थी ।

राजकुमार ने खरगोश से पूछा - " रात के तीसरे पहर में तुम औरत की आवाज में क्यों रो रहे थे ?

खरगोश राजकुमार से बोला - "  मैं एक इच्छाधारी नागिन हूँ और ये जो पत्थर के खरगोश है ये मेरे पति है । यह एक तिलिस्मी जंगल है । इस जंगल का रक्षक हमे यहां कैद कर रखा है , जो खुद किसी तिलिस्म का द्वार है । उसने हमसे हमारी नागमणि छीन ली है । और उसने अपने शक्ति से हम दोनों को खरगोश में बदल दिया । मेरे पति  खरगोश रूप में ही उससे लड़ने लगे । उसने मेरे पति को अपने शक्ति से पत्थर में बदल दिया है । इसके बाद वह न जाने इस तिलिस्मी जंगल मे कहाँ गायब हो गया । मैं अपने पति को लेकर इस गुफा में आ गई । और प्रत्येक रात के तीसरे पहर को अपने इष्ट देव महादेव से यहां से आजाद होने की प्रार्थना करती हूं ।
और अपने पति के गम में रोती रहती हूं । पता नही कब तक हम दोनों इस तिलिस्मी जंगल मे कैद रहेंगे। "

राजकुमार खरगोश ( इच्छाधारी नागिन ) से कहा - " मैं तुम्हारे पति को इस पत्थर रूप से जीवित रूप में ला सकता हूँ यानी कि तुम्हारी तरह खरगोश रूप पर तुम्हारे असली रूप में नही ला सकता हूँ ।"

खरगोश ( इच्छाधारी नागिन ) ऐसी बात जानकर बहुत खुश हुई और राजकुमार से बोली - कृपा करके आप जल्द ही उन्हें पत्थर रूप से हटा दीजिए ताकि वह खरगोश रूप में आ सके और मैं उनसे खुलकर बात कर लूं , रो लूं , हँस लूं।"

यह सब बात बोलने के बाद इच्छाधारी नागिन के आँखों से आंसू बहने लगे । राजकुमार को समझने में देर नही लगी कि किस कारण से आसूं निकल आये है । राजकुमार बिना देर किए अपने पास से तिलिस्मी पत्थर निकाला और पत्थर बने खरगोश को छुआ दिया । 

पत्थर के छूते ही खरगोश का शरीर धीरे धीरे जीवित रूप में आने लगा । जीवित रूप में आते ही इच्छाधारी नागिन दौड़कर अपने पति के पास गई और लिपटकर रोने लगी । मानो ऐसा लग रहा था उस की दो प्रेमी के जन्मों के बाद बिछड़कर मिले हो । 

यह सब देखकर राजकुमार को सुकन्या परी की याद आने लगी । कुछ देर तक उस गुफा में प्यार भरा माहौल बना रहा है । इच्छाधारी नाग नागिन कुछ देर में एक दूसरे से अलग हुए और दोनो लोग राजकुमार को झुककर प्रणाम किया । 

नाग नागिन दोनो एक साथ राजकुमार के सामने हाथ जोड़कर बोले - " आपका बहुत बहुत धन्यवाद राजकुमार अगर तुम न आते तो न जाने कब तक हम दोनों एक दूसरे के लिए तड़पते रहते ।"

राजकुमार ने दोनो का हाथ पकड़कर नीचे किया और बोला - " मेरे सामने हाथ मत जोड़ो इस जंगल मे मैं अकेला था लेकिन तुम के मिल जाने की वजह से अब मुझे अकेला पन महसूस नही हो रहा है , अब तुम दोनो मेरे मित्र हो और मित्र कभी एक दूसरे के सामने हाथ नही जोड़ते है । "

राजकुमार का ऐसा जवाब सुनकर नाग नागिन बहुत खुश हुए और नाग बोला - " राजकुमार तुम बहुत ही नेक दिल और दयालु  किस्म के व्यक्ति हो । तुम इस जंगल मे किस लिए आये हो ? "

राजकुमार धरमवीर इच्छाधारी नाग को अपनी पूरी कहानी बता दिया । और बोला - " तिलिस्मी द्वार के उस रक्षक को मारने के बाद ही तिलिस्म के पहले द्वार का रास्ता खुलेगा , लेकिन अब समस्या ये है कि उस रक्षक को इस जंगल मे खोजा कहाँ जाए ? और आप ये बताएं उस रक्षक ने आप दोनों को कैद क्यो किया है ? और आप लोग यहां से आजाद कैसे होंगे और तुम दोनो अपने असली रूप में कैसे आओगे?"

इच्छाधारी नाग राजकुमार से बोला - " उसने हम दोनों को इसलिए कैद में रखा है कि मैं उसकी मौत का रहस्य जानता हूँ , उसे डर है कि मैं किसी को बता न दूँ और हम दोनों अपने असली रूप में तभी आएंगे जब हमारी नागमणि हमको वापस मिल जाएगी और वह तभी मिलेगी जब उस रक्षक को मार दिया जाए । और उसके मरने के बाद ही एक राजमहल प्रकट होगा जिसमें आपको अपनी अगली मंजिल मिलेगी ।इसलिए उस रक्षक को मारने के लिए मैं भी आपके साथ चलूँगा । "

                  
                            क्रमशः .....................🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼


जो खरगोश औरत की आवाज में रो रहा था वह एक इच्छाधारी नागिन है औ जो खरगोश पत्थर का बना हुया है वह एक इच्छाधारी नाग है । जिनको रक्षक ने अपने शक्तियों से खरगोश बना दिया है । यँहा पर हम ऐसे इसलिए लिख रहे है कि यह भाग समझने में किसी पाठक को कोई भी दिक्कत न हो।सभी पाठकों को यह भाग पढ़कर कैसा लगा यह जरूर बताएं ताकि जब अगला भाग लिखूं मेरा मनोबल बना रहे और अगला भाग प्रकाशित करते ही आप तक पहुंच जाए इसलिए मुझे जरूर फॉलो करें ।



 विक्रांत कुमार
फतेहपुर उत्तरप्रदेश 
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