Tilismi Kamal - 11 in Hindi Adventure Stories by Vikrant Kumar books and stories PDF | तिलिस्मी कमल - भाग 11

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तिलिस्मी कमल - भाग 11

इस भाग को समझने के लिए इसके पहले से प्रकाशित सभी भाग अवश्य पढ़ें ....................... ✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️



राजकुमार की सभी इन्द्रियाँ सचेत हो उठी । उसे लगा कि मानो खतरा उसके सर पर है ।

" बचाओ........ बचाओ.......राजकुमार ....तांत्रिक कपाली .….ई..….ई....ई......" राजकुमार के कानों में गंधर्व नीले गिद्ध की घबराई हुई आवाज सुनाई दी और अंत मे ऐसा लगा मानो किसी ने उसका गला दबा दिया हो , जिससे गंधर्व नीले गिद्ध की आवाज घरघरा कर रह गई थी ।

राजकुमार ने अपनी तलवार म्यान से निकाली और चारो तरफ सतर्क नजरो से देखा । उसे कुछ भी नही दिखाई दिया।न अदृश्य पक्षी , न गंधर्व नीला गिद्ध और न ही तांत्रिक कपाली । राजकुमार दाँत पीसकर रह गया ।उसके सामने उसके मित्र नीले गिद्ध को तांत्रिक कपाली लिए जा रहा था और वह कुछ भी नही कर सकता था ।

अचानक राजकुमार की नजर जमीन पर पड़ी कुछ पत्तियों पर गई । उसके अनुमान से यह वही स्थान था जहाँ वह चमत्कारी वृक्ष था जिसकी कुछ पत्तियां खाने से अदृश्य शक्ति दिखाई देने लगती थी ।

राजकुमार तेजी से उन पत्तियों के पास गया और उनको उठाकर खा लिया । राजकुमार के पत्तियां खाते ही एक चमत्कार हुया ।

अब राजकुमार को अदृश्य तांत्रिक कपाली दिखाई देने लगा जो अपने हाथ मे नीले गिद्ध और अदृश्य पक्षी शंखचूड़ को पकड़े हुए था । और तेजी से एक दिशा की ओर चला जा रहा था।

राजकुमार चाहता तो उसी क्षण आगे बढ़कर तांत्रिक कपाली को मार कर नीले गिद्ध और अदृश्य पक्षी शंखचूड़ को छुड़ा लेता , किन्तु न जाने क्या सोचकर उसने उन तीनों का पीछा करने का निश्चय किया और बड़ी सावधानी से उनके पीछे चल पड़ा ।

इधर तांत्रिक कपाली बड़ी बेफिक्री से नीले गिद्ध का गला पकड़े आगे बढ़ रहा था । उसने इस बात की  कल्पना भी नही की थी कि राजकुमार ने चमत्कारी वृक्ष की , जमीन पर पड़ी हुई पत्तियां खा ली है अब वह उसे और शंखचूड़ को भली भाँति देख सकता है और उनका पीछा कर रहा है ।

तांत्रिक कपाली ने पूरा जंगल पार किया  और एक गहरी खाई में उतरने लगा । इस खाई का ढलान इतना खतरनाक था कि यदि जरा से चूक हो जाती तो व्यक्ति हजारों फुट नीचे बहती हुई पहाड़ी नदी में गिरता ,जहाँ उसके बचने की कोई आशा नहीं थी ।

तांत्रिक कपाली लगभग एक घंटे तक खाई के टेढ़े मेंढे रास्तो पर आगे बढ़ता रहा और अंत मे एक खंडहर के सामने आकर रुक गया । वह खंडहर इतना सुनसान और डरावना था कि दिन के उजाले में भी भय लग रहा था ।

अचानक तांत्रिक कपाली ने अपने चारों ओर देखा और फिर खंडहर के भीतर प्रवेश कर गया। राजकुमार का भाग्य अच्छा था । वह उस समय एक चट्टान की ओट में था , नही तो तांत्रिक कपाली उसे अवश्य देख लेता ।

तांत्रिक कपाली के पीछे पीछे राजकुमार बी खण्डहर में प्रवेश किया । खंडहर में प्रवेश करते ही उसकी दृष्टि एक शानदार महल पर पड़ी । राजकुमार महल की सुंदरता और आसपास के हरे भरे वृक्षों में खो गया । उसे इस वीरान खंडहर के अंदर इतना शानदार महल देखकर बड़ा आश्चर्य हो रहा था । 

इधर तांत्रिक कपाली ने महल के अंदर प्रवेश करने के बाद नीले गिद्ध और अदृश्य पक्षी शंखचूड़ को एक बड़े से पिंजरे में बंद कर दिया और अपने तांत्रिक अनुष्ठान की तैयारी में लग गया ।

आज की रात वह गंधर्व नीले गिद्ध की बलि देकर विश्व का सबसे शक्तिशाली तांत्रिक बनना चाहता था । तांत्रिक कपाली ने एक हवन कुंड तैयार किया , जिसमे लकड़ियों के स्थान पर सुखी हड्डियां और मानव नर मुंड थे । 

इसके बाद न जाने वह कहाँ से बड़े बड़े शेरो के पांच अस्थि पंजर ले आया और उन पर हवनकुंड की भस्म लगाने लगा ।अंत मे उसने एक बलि वेदी तैयार की तथा उसके निकट गंडासे के आकार का शस्र लाकर रख दिया । 

इस पूरी तैयारी में तांत्रिक को दोपहर हो गई ।आज वह इतना खुश था कि उसने दोपहर का भोजन भी नही किया था । तांत्रिक कपाली को बड़ी बेसब्री से रात्रि की प्रतीक्षा थी । वह चाहता था कि जल्दी से जल्दी रात्रि हो जाये क्योकि वह रात्रि में ही अपने अनुष्ठान की पूर्णाहुति दे सकता था ।

अनुष्ठान की पूरी तैयारी करने के बाद न जाने तांत्रिक कपाली के मन क्या विचार आया कि वह उठा और एक विशालकाय देव की मूर्ति के सामने रखे दर्पण के निकट आ कर खड़ा हो गया और तेजी से मंत्र पढ़ने लगा ।

अचानक एक करिश्मा हुया दर्पण में महल के चारो ओर फैले हुए खंडहर का दृश्य उभरने लगा ।इसके बाद महल के पास के दृश्य दिखाई पड़ने लगे । तांत्रिक कपाली दर्पण पर हाथ फेरता जा रहा था और इसके साथ ही दर्पण पर नए नए दृश्य आते जा रहे थे ।

अचानक तांत्रिक कपाली के चेहरे पर क्रूर मुस्कान आ गई ।उसने भयानक दृष्टि से राजकुमार को घूरा और फिर दिल दिल दहला देने वाला कहकहा लगाया । इस समय कपाली का चेहरा बड़ा भयानक लग रहा था ।उसने एक पल के लिए कुछ विचार किया और इसके बाद पास में लटकते हुए नर कंकाल के निकट जाकर तेजी से मंत्र पढ़ने लगे लगा ।

तांत्रिक कपाली के मंत्रों में अदभुत शक्ति थी । उसके मंत्रो के प्रभाव से नर कंकाल की आंखे अंगारों के समान दहकने लगी और उसमे जान आ गई । 

" रण प्रचंड ! जाओ और इस मूर्ख मानव को पकड़कर तहखाने में डाल दो । आज रात्रि गंधर्व नीले गिद्ध के बाद मैं इसकी भी बलि दूँगा । "  तांत्रिक कपाली की आवाज मौत से भी अधिक डरावनी थी । 

तांत्रिक कपाली का आदेश पाते ही नरकंकाल रण प्रचंड हवा में अदृश्य हो गया और एक पल में ही राजकुमार धरमवीर के सामने प्रकट हो गया ।

राजकुमार पहले से ही सावधान था ।उसने तलवार का भरपूर वार नरकंकाल रण प्रचंड के सिर पर किया । नरकंकाल रण प्रचंड भी सावधान था । वह उछलकर पीछे हट गया और राजकुमार का वार खाली चला गया । राजकुमार ने दूसरी बार वार छाती पर किया । इस बार भी रण प्रचंड पहले के समान उछलकर अलग हट गया और राजकुमार का वार फिर खाली चला गया ।

इस तरह राजकुमार ने रण प्रचंड पर कई वार किए , परंतु सब के सब खाली गए । इसी बीचे राजकुमार की जादुई अंगूठी कही छिटक कर गिर गयी । अचानक राजकुमार ने एक भारी निर्णय लिया और रण प्रचंड पर छलांग लगाई । 

रण प्रचंड इसके लिए तैयार नही था । वह लड़खड़ाया और गिर गया । राजकुमार इसी अवसर की तलाश में था । उसने बिना एक पल भी बर्बाद किये अपनी तलवार से रण प्रचंड का सर धड़ से अलग कर दिया ।

तांत्रिक कपाली त्रिकालदर्शी दर्पण के सामने खड़ा सब देख रहा था । रण प्रचंड की मौत देखकर उसे महान आश्चर्य हुया । अभी तक वह राजकुमार को एक साधारण मानव समझ रहा था , किन्तु महान शक्तियों का स्वामी होते हुए भी रण प्रचंड की मौत से उसके शरीर में भय की सिरहन दौड़ गयी।

तांत्रिक कपाली तेजी से एक ऐसे कक्ष में पहुंचा , जिसकी छत पर सैकड़ो नर कंकाल लटक रहे थे । उसने अपने मंत्र शक्ति से सबको एक साथ जीवित कर दिया । सभी नर कंकालों की आंखे रण प्रचंड की आंखों के समान अंगारों की तरह दहकने लगी । और वे आज्ञाकारी सेवको के समान तांत्रिक कपाली के सामने झुक गए ।

तांत्रिक कपाली दहाड़ते हुए बोला - " नर पिशाचों शीघ्र जाओ और महल के मुख्य द्वार से प्रवेश कर रहे मानव को जिंदा या मुर्दा पकड़ के लाओ और तहखाने में डाल दो। यह मेरी आज्ञा है । "

तांत्रिक कपाली की आज्ञा पाते ही सभी नर कंकाल अपनी जगह से गायब हो गए और उन्होंने महल के मुख्य द्वार से प्रवेश कर रहे राजकुमार को घेर लिया ।

राजकुमार तो सावधान था लेकिन उसे विश्वास नही था कि उस पर अचानक इतने नर कंकाल आक्रमण कर देंगे । फिर भी उसने साहस से काम लिया और अपनी तलवार से बहुत से नर कंकालों को मार गिराया ।

अचानक एक नर कंकाल ने राजकुमार को पीछे से जकड़ लिया और दूसरे ने उसके सिर पर किसी भारी चीज से प्रहार किया। राजकुमार अचेत हो गया । राजकुमार के अचेत होते ही एक नर कंकाल ने उसे उठा कर कंधे पर लादा और तांत्रिक कपाली के आज्ञानुसार राजकुमार को तहखाने में डाल दिया ।

राजकुमार को कैदी बना लेने के बाद तांत्रिक कपाली का भय समाप्त हुया और पुनः अपने तांत्रिक अनुष्ठान के शेष तैयारी में लग गया ।

राजकुमार काफी देर तक अचेत पड़ा रहा । जब उसे होश आया तो आधी रात बीत चुकी थी । आसपास की नमी से उसने अंदाजा लगाया कि वह किसी तहखाने जैसे स्थान में कैद है ।

राजकुमार सोच में पड़ गया । समय बहुत कम था और तहखाने से बाहर निकलने का कोई उपाय भी उसकी समझ मे नही आ रहा था ।




                              क्रमशः.................💐💐💐💐💐💐


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विक्रांत कुमार
फतेहपुर उत्तर प्रदेश
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