बातों बातों में रात के तीन बज गए थे। घना अंधेरा छाया हुआ था। पास के जंगलों और खेतों से कीड़े मकोड़ों की आवाज़ें गूंज रही थी। किर्रर किर्रर की आवाज़ों के अलावा सिर्फ लूसी और रोवन को आवाज़ थी।
इस सुनसान काली अंधेरी रात में दो लोग कॉलेज में चहल कदमी कर रहे थे। रोवन और लूसी उस कमरे में वापस गए जहां वो बंद थी।
रोवन ने टॉर्च से पूरे कमरे को अच्छी तरह देखा। दो बाल्टियां इधर उधर पढ़ी थी और वो चाकू भी वोही पड़ा था।
लूसी चाकू उठा कर दिखाते हुए उतावली हो कर बोलने लगी :" देखा देखा आप ने! मैं सही कह रही थी ना!.... इसी चाकू से मैं ने उसे मारा था। मैं नाज़ुक सी दिखती हुं पर हुं नही।"
(लूसी ने आखिर के अल्फाज़ गुरुर से कहा)
रोवन ने चाकू ठीक से देखते हुए कहा :" लेकिन इसमें तो खून नहीं लगा हुआ है।"
" आपको तो highly trust issues हैं!... वो इंसान नही है खून कहां से मिलेगा लेकिन इसे छू कर देखिए कुछ चिपचिपा सा लगा है।"
लूसी ने चाकू को उंगलियों से छूते हुए कहा।
रोवन ने भी उंगली लगा कर देखा। कुछ बदरंग पानी जैसा था जो चिपचिपा था। चिपचिपा पदार्थ उंगली में लगते ही रोवन ने जल्दी से हाथ हटा लिया और इधर उधर देखते हुए घिन से कहा :" छी!...यहां पानी नही है क्या!... क्या छुआ दिया तुम ने!.... पता नहीं क्या है गंदा लग रहा है!"
" बड़े आए चिकनी!"
लूसी ने मुंह बिचका कर धीमी आवाज़ में कहा।
फिर उसने रोवन से कहा :" दीवार पर उंगली घिस लीजिए!"
रोवन :"दीवार गंदा करने की बच्चों वाली हरकतें तुम्हारी हो सकती है मैं बच्चा नहीं हुं!"
" तो मेरे दुपट्टे से साफ कर लीजिए!"
लूसी ने अपने दुपट्टे का एक सिरा उसके आगे बढ़ाते हुए कहा।
रोवन कमरे से बाहर जाते हुए बोला :" मेरे साथ ज़्यादा क्लोज़ होने की ज़रूरत नहीं है।"
लूसी उसके पिछे भागते हुए बोली :" इसमें क्लोज़ होने की क्या बात है! आप को ही घिन आ रही थी इसलिए कहा!.... सर रुकिए!"
रोवन रुक कर मुड़ते हुए बोला :" अब क्या हुआ! मैं मान गया तुम्हारी बातें अब क्या मनवाना है!"
" मैं आपके मोबाइल से अपने नंबर पर कॉल कर सकती हूं।"
लूसी ने उसका मोबाइल हथेली खोल कर दिखाते हुए कहा।
रोवन ने उकताहट से अपने सिल्की बालों पर हाथ फेरा फिर बिना किसी भाव के कहा :" जब मोबाइल ले ही आई हो तो कर लो कॉल!.... लेकिन जाने कहां होगा तुम्हे उसकी रिंग सुनाई देगी?"
लूसी कीपैड में अपना नंबर डायल करते हुए बोली :" मेरे पास एंड्रॉयड फोन है। ज़ोर से बजता है।"
" हां बिलकुल तुम्हारी तरह!"
(रोवन धीरे से बोला)
लूसी ने उसकी बात सुन ली थी लेकिन बस उसे तिरछी नज़रों से घूर कर रह गई।
लूसी उत्सुकता से बोलने लगी :" रिंग हो रही है। गौर कीजिए कहां से आवाज़ आ रही है।"
दोनों गौर से आवाज़ सुनने की कोशिश करने लगे।
सन्नाटे छाए वातावरण में दबी दबी सी आवाज़ सुनाई दी। लूसी की आंखें चमक उठी और खुश हो कर बोलने लगी :" आवाज़ आ रही है!... आपको सुनाई दिया? यहीं कहीं से आवाज़ आ रही है।"
पास ही के कमरे से आवाज़ आ रही थी। रोवन ने गंभीरता से कहा :" लाइब्रेरी से आवाज़ आ रही है।....लाइब्रेरी में ताला लगा हुआ है और चाबी मेरे पास नहीं है। वो तो पियोन के पास होगी।"
लूसी उसके सामने ज़िद करने लगी :" सर प्लीज़ आप ताला तोड़ दीजिए!.... मेरा मोबाइल मिलना बहुत ज़रूरी है।"
रोवन उकताहट से बोला :" अभी रात के तीन बज चुके हैं। दो घंटे में सुबह हो जायेगी इस लिए अभी रहने दो सुबह जब लाइब्रेरी खुलेगी तब आ कर ढूंढ लेना!... अब चलो यहां से!"
उसने मुड़ कर दो तीन कदम बढ़ाए ही थे की लूसी झट से उसके सामने आ गई और हाथ जोड़कर विनती करते हुए बोलने लगी :" ऐसा मत कहिए सर!... सुबह होने में दो घंटे हैं पर लाइब्रेरी तो नौ बजे के बाद ही खुलेगी इतनी देर में तो मेरी दुनियां इधर की उधर हो जायेगी!.... सर प्लीज़ ताला तोड़ दीजिए न!... अगर मेरी बॉडी आप के जैसी मैस्क्यूलर होती तो मैं खुद ही तोड़ लेती आप से इतनी मिन्नतें नहीं करती! मैं तो कमज़ोर सी हूं। मेरे पंजे कितने छोटे छोटे हैं।"
(उसने अपनी हथेली दिखाते हुए कहा)
रोवन जैसे उसकी बातों से मजबूर हो गया हो। उसे कुछ कह नहीं पाया और लाइब्रेरी के दरवाज़े के सामने खड़ा हुआ। उसने टॉर्च लूसी के हाथ में थमाते हुए बिदबिदा कर कहा :" पता नहीं मैं तुम्हारी बातें क्यों मान रहा हूं!... आज तुम ने मुझे गुलाम बना कर रख दिया।... दूर हटो मैं लात मारने वाला हूं।"
लूसी दूर जा कर खड़ी हो गई और वहां से टॉर्च की रौशनी दरवाज़े पर दिखाने लगी। रोवन दरवाज़े पर लात मारने ही वाला था के दरवाज़े का ताला अपने आप खन खनाते हुए टूट गया जैसे उस पर किसी ने हथौड़ा मारा हो और फिर धीरे धीरे कड़कड़ाने की आवाज़ के साथ दरवाज़ा खुलने लगा। रोवन अचंभित हो कर खड़ा था। ये देख कर लूसी उसके पास दौड़ी आई और हैरत में मुंह पर हाथ रखते हुए बोली :" क्या आप के पास कोई जादुई शक्तियां हैं?.... ये किस ने खोला! आप ने या किसी भूत ने?"
लूसी के लिए ये सब इतना आश्चर्यजनक नहीं था लेकिन रोवन का दिमाग हिला हुआ था। उसे ऐसा लग रहा था जैसे वो किसी बुरे सपने में फंस गया हो और सपने का अंत होते होते बार बार रुक जाता हो। उसने बड़ी बड़ी आंखों से लूसी की ओर देखते हुए कहा :" मेरे पास कोई जादुई शक्तियां नहीं है पागल लड़की!.... ये सब क्या हो रहा है ये तुम ही बेहतर बता सकती हो ना!"
लूसी ने आईब्रो सिकुड़ कर कहा :" मेरा नाम पागल लड़की नहीं है!.... लूसी साइरस नाम है मेरा!"
रोवन चिड़चिड़े रवैए से बोला :" ओके मिस साइरस!... अब दरवाज़ा खुल गया है तो अंदर चलें!"
लूसी मन ही मन चिंता करते हुए अंदर जाने लगी। जाते हुए रोवन से बोली :" मेरे पीछे आइए!.... अंदर कोई भूत हो सकता है।"
रोवन उसके आगे आते हुए बोला :" क्या तुम मुझे डराने की कोशिश कर रही हो और डर कर मैं तुम्हारे पिछे छुप जाऊं?"
लूसी बेझिझक बोल पड़ी :" क्या आप डरते हैं?
" नहीं! पर मैं भूतों को देख नहीं सकता इस लिए उन्हें मार भी नहीं सकता!... मुझे तो कभी इस बात पर भी यकीन नहीं था के भूत होते हैं।"
रोवन हिचकते हुए बोला।
" अब तो यकीन हो गया न!"
लूसी साथ साथ चलते हुए बोली।
दोनों अंधेरे लाइब्रेरी में चलते हुए जा रहे थे। रोवन बिजली का बोर्ड ढूंढ रहा था ताकी बल्ब ऑन कर सके। लूसी उसके मोबाइल से अपने मोबाइल पर कॉल करने लगी।
रिंग की आवाज़ अब तेज़ हो गई थी। रिंग का पिछा करते हुए उसे बैग मिल गया जो एक बुक शेल्फ में रखा हुआ था। उसने खुश हो कर बैग उठाया और रोवन को बताने के लिए उसके तरफ मुड़ी जो अभी अभी बल्ब ऑन कर के वोही खड़ा था के लूसी ने एक लंबे चौड़े दानव जैसे भूत को देखा जो रोवन के ठीक पीछे खड़ा था। उसने रोवन की ओर अपना खुरदुरा हल्के नीले रंग की मोटी चमड़ी वाला हाथ बढ़ाया। उसका चहरा भयानक था। आंखे अपनी जगह पर नहीं थी। एक ऊपर एक नीचे जिसमे पलकें नहीं थी। उसका चहरा इतना खिनौना था की देखने से ही उल्टी आ जाए।
उसे देखते ही लूसी चिल्लाते हुए रोवन की ओर दौड़ी :" रोवन सर!.... आपके पीछे"
जब तक रोवन को कुछ समझ आता तब तक उस भूत ने अपना हाथ रोवन की ओर से खिंच लिया और वहां रखे बड़े से बुक शेल्फ को उसके ऊपर गिराने लगा। इतने में लूसी पास आ गई और रोवन का हाथ पकड़ कर एक झटके में खींच लिया। लेकिन उसे खींचने का कोई फायदा नहीं हुआ क्यों के भूत ने उसे छोड़ बुक शेल्फ को गिरा दिया था।
कड़कड़ा कर बुक शेल्फ गिरने लगी तो रोवन समझ गया के लूसी ने कुछ देखा है। उसने फौरन लूसी को अपने आड़ में ले लिया और बुक शेल्फ को एक हाथ से थाम लिया। सारी किताबें भरभरा कर रोवन के पीठ पर गिरने लगी।
(पढ़ते रहें अगला भाग जल्द ही)