Sorry Yaar in Hindi Moral Stories by praveen singh books and stories PDF | सॉरी यार

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सॉरी यार

शिवा और अमित बचपन से ही एक-दूसरे के सबसे अच्छे दोस्त थे। दोनों ने साथ में स्कूल, कॉलेज और यहां तक कि अपने करियर की शुरुआत भी की। उनकी दोस्ती इतनी गहरी थी कि लोग उन्हें एक दूसरे का परछाईं समझते थे। लेकिन करीब दो साल पहले कुछ ऐसा हुआ जिसने उनके रिश्ते में दरार डाल दी। अमित ने कई बार शिवा को समझाने की कोशिश की, लेकिन शिवा ने उसकी एक नहीं सुनी। धीरे-धीरे दोनों ने एक-दूसरे से बात करना बंद कर दिया, और अब यह दूरी इतनी बढ़ गई थी कि उन्होंने एक-दूसरे को दो साल से देखा भी नहीं था।

आज शिवा का जन्मदिन है। सुबह-सुबह उसके फोन पर ढेरों शुभकामनाएं आ रही थीं। हर कोई उसे बधाई दे रहा था, लेकिन शिवा का दिल कहीं और था। उसे अमित की याद आ रही थी। हर जन्मदिन पर सबसे पहले अमित ही उसे फोन करके शुभकामनाएं देता था, लेकिन पिछले दो साल से अमित का कोई फोन नहीं आया था। आज भी अमित की कोई खबर नहीं थी। शिवा ने गहरी सांस ली और खुद को समझाने की कोशिश की कि अब वह पुरानी बातें सोचकर क्या करेगा।


शाम होते-होते शिवा के घर पर कुछ करीबी दोस्त और परिवार वाले एक छोटी सी पार्टी के लिए इकट्ठा हो गए। केक काटा गया, हंसी-मजाक चला, लेकिन शिवा का मन कहीं और था। उसके दिल के किसी कोने में एक खालीपन था, जो अमित के बिना कभी नहीं भर सकता था।

जैसे ही रात गहरी होने लगी, शिवा अपने कमरे में अकेला बैठा था। उसके सामने अमित की एक पुरानी तस्वीर रखी हुई थी, जो शायद कॉलेज के दिनों की थी। उसे याद आया कि कैसे वे दोनों घंटों तक बातें किया करते थे, और हर छोटे-बड़े मौके पर एक-दूसरे को सबसे पहले याद करते थे।


"कहाँ चले गए तुम, अमित?" शिवा ने तस्वीर को देखते हुए धीरे से कहा, उसकी आँखों में हल्की नमी आ गई थी। उसे याद आया कि जब उनका झगड़ा हुआ था, अमित ने उसे कई बार फोन किया था। वह कई बार मिलने भी आया, लेकिन शिवा ने उसे हर बार अनदेखा कर दिया।


"मैंने तुमसे बात क्यों नहीं की?" शिवा खुद से सवाल कर रहा था, लेकिन जवाब कहीं नहीं था। उसका मन भारी हो रहा था, और वह समझ नहीं पा रहा था कि क्यों।

रात के करीब 11 बजे, शिवा अपने पुराने दोस्तों के साथ फोन पर बात कर रहा था, जब अचानक एक दोस्त ने कहा, "अरे, शिवा, अमित को याद है न? उसने एक साल पहले एक एक्सीडेंट में जान गंवा दी थी।"


यह सुनते ही शिवा का दिल धक से रह गया। उसने तुरंत पूछा, "क्या? क्या कह रहे हो तुम?"


"अरे हाँ, क्या तुमने सुना नहीं था? एक साल पहले उसकी कार का एक्सीडेंट हो गया था। हम सबने मिलकर उसकी अंतिम यात्रा में हिस्सा लिया था, लेकिन तुम तो वहाँ नहीं आए थे।"

शिवा के हाथ से फोन गिर गया। वह स्तब्ध था, उसकी आंखों के सामने सब कुछ धुंधला हो गया था। उसे अपने कानों पर यकीन नहीं हो रहा था। अमित... उसका सबसे अच्छा दोस्त... अब इस दुनिया में नहीं था?

शिवा को अमित के साथ बिताए सारे पल याद आने लगे। उसकी आँखों से आँसू बहने लगे। "मैंने उसे माफ क्यों नहीं किया?" उसने खुद से पूछा। "उसने मुझे कितनी बार फोन किया था, और मैंने एक बार भी उसकी बात सुनने की कोशिश नहीं की।"


उसे याद आया कि अमित ने ठीक एक साल पहले, उसी दिन कई बार उसे फोन किया था, लेकिन शिवा ने उसका फोन नहीं उठाया। वह गुस्से में था, और उसे लगा कि अमित उसकी बात नहीं समझेगा। लेकिन अब, जब अमित इस दुनिया में नहीं था, तो शिवा को एहसास हुआ कि उसने कितनी बड़ी गलती की थी।


वह उठकर अमित की तस्वीर के पास गया और उसके सामने घुटनों के बल बैठ गया। "मुझे माफ कर दो, अमित," उसने तस्वीर को देखते हुए कहा। "मैंने तुम्हें कभी समझने की कोशिश नहीं की। तुम मेरे सबसे अच्छे दोस्त थे, और मैं तुम्हें हमेशा के लिए खो बैठा।"


शिवा ने रोते हुए तस्वीर को अपने सीने से लगा लिया। उसकी आँखों से आँसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। उसने कई बार सोचा कि अगर उसने उस दिन अमित का फोन उठा लिया होता, तो शायद आज चीज़ें कुछ और होतीं। शायद उनका रिश्ता फिर से पहले जैसा हो जाता। लेकिन अब वह मौका हमेशा के लिए खो चुका था।


रात के उस अंधेरे में, शिवा अकेला था। उसके पास सिर्फ अमित की यादें थीं, और एक गहरा पछतावा, जो शायद उसकी जिंदगी के बाकी हिस्से तक उसे सताता रहेगा। उसने अमित से कई बार माफी मांगी, लेकिन उसे पता था कि अब वह कभी उसे माफ नहीं कर सकेगा।


शिवा ने तस्वीर को देखते हुए कहा, "तुम जहाँ भी हो, मुझे माफ कर देना। मैं तुम्हें कभी भूल नहीं पाऊंगा, दोस्त।"


उस रात शिवा ने पहली बार महसूस किया कि सच्ची दोस्ती कभी मरती नहीं है। हो सकता है कि अमित अब इस दुनिया में नहीं हो, लेकिन उसकी यादें हमेशा शिवा के दिल में जिंदा रहेंगी।

शिवा ने अपनी गलतफहमी और अहंकार को अपने जीवन का सबसे बड़ा सबक मान लिया और उसने ठान लिया कि अब वह कभी किसी रिश्ते को इस तरह टूटने नहीं देगा।