Bairy Priya - 35 in Hindi Love Stories by Wishing books and stories PDF | बैरी पिया.... - 35

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बैरी पिया.... - 35



अब तक :


शिविका ने उसे hug कर लिया । संयम एक हाथ जेब में डाले और दूसरे हाथ से उसकी बाजू को पकड़े खड़ा रहा ।


शिविका " आप क्यों मेरे साथ हैं... ?? आप क्यों मुझे बचाते हैं... ?? आपको तो मुझसे कोई मतलब भी नहीं है... और आपको तो मुझसे कोई प्यार भी नही है... । तो फिर क्यों.... ?? क्या आप भी अकेले हैं इसलिए मुझे साथ रखा है... ?? " । शिविका ने बोहोत मासूमियत से रूआंसा हुई आवाज में पूछा ।

संयम कुछ नही बोला ।

शिविका " बोलिए ना..... । "


संयम उसे पकड़कर बाहर ले जाते हुए " चढ़ गई है तुम्हे... चलो सो जाओ.... " ।


शिविका भी उसके पीछे पीछे चल दी । संयम ने लाइट ऑफ की और वहां से बाहर निकल गया ।



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अब आगे :


संयम उसे कमरे में लाया और बेड पर बिठा दिया । फिर खुद बाथरूम की ओर जाने लगा तो शिविका ने उसका हाथ पकड़ लिया ।


संयम ने अपने हाथ की ओर देखा और फिर शिविका के चेहरे को देखने लगा ।


" आप मुझे छोड़कर क्यों जा रहे हैं.. ?? " बोलते हुए शिविका उसकी आंखों में देखने लगी । संयम ने उसके चेहरे को देखा तो शिविका की आंखों में आंसू थे ।


" सो जाओ butterfly... " संयम ने सर्द आवाज में कहा और शिविका का हाथ छुड़ा लिया ।


संयम जाने लगा तो शिविका जमीन पर बैठ गई और संयम की टांग पकड़ते हुए बोली " मत जाइए ना.... । अकेला मत छोड़िए प्लीज...." ।


संयम अभी गुस्से से तिलमिलाया हुआ था । इस तरह किसी के जानलेवा हमला करने से वो बोहोत हैरान था । वहीं राठी जिंदा है ये बात वो पहले भी जानता था । क्योंकि उसे पता था कि जब राठी कूदा था तो नदी का बहाव बहुत तेज था । कुछ गोलियां उसे लगी जरूर थी लेकिन उनसे वो मरा नहीं था । और जल्दी ही पानी के साथ बहकर वो आगे निकल चुका था ।



लेकिन बचने के अपनी जान बचाने के बजाए वो इस तरह की हरकतें करेगा ये बात संयम को बोहोत गुस्सा दिला रही थी ।


संयम ने शिविका को बाजू से कसकर पकड़ते हुए उठाया और झमझोड़ते हुए बोला " दूर रहो.... भड़कती आग में जलते हुए शोले के नजदीक आने की कोशिश मत करो । जलकर राख हो जाओगी " ।


शिविका ने सुना तो हंस दी... ।


" आप क्या जलाओगे... ? सब कुछ तो पहले ही जल चुका है... अब कुछ बचा भी नहीं है..... " । बोलकर शिविका उसके सीने से लिपट गई ।


संयम ने उसे बालों से पकड़ा और बोला " you want this.... तो इसकी जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ तुम होगी... । होश में आने के बाद शायद अफसोस होगा कि नशे में किस मुसीबत को बुला बैठी... । " । संयम बोल ही रहा था कि इतने में शिविका ने पंजों के बल उठकर उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए ।


संयम की पकड़ उसके बालों पर ढीली पड़ गई । शिविका की जीभ के साथ खेलते हुए वो उसे इंटेंस kiss करने लगा ।


संयम ने शिविका को पूरी तरह से अपने से सटा लिया और उसके हाथ शिविका की पीठ पर सख्ती से चलने लगे ।


संयम ने शिविका के होंठों पर काट लिया । शिविका की आह निकल गई । संयम ने उसके कान पर बाइट किया तो इयरलॉब पर दांत के निशान पड़ गए और एक कान से खून निकलने लगा ।


संयम में उसकी गर्दन में सिर डाला तो शिविका की सिसकी निकल गई । " आह नरेन..... " शिविका के मुंह से अनायास ही नरेन का नाम निकल गया ।


किसी और का नाम शिविका के मुंह से सुनकर अब संयम से ना तो गुस्सा कंट्रोल हो रहा था और ना ही शिविका को अपना बनाने की चाहत..... । संयम ने गुस्से से शिविका की ड्रेस को फाड़कर अलग कर दिया और उसे सोफे पर लेटा कर उसके उपर आ गया । संयम ने उसके हाथों को अपने हाथों से बांधकर सिर के उपर रखा और उसकी गर्दन पर kiss करने लगा जिसमे वो काट ज्यादा रहा था ।


शिविका सिसकती रही वहीं संयम अपना गुस्सा निकालता रहा । दांतों से शिविका के शरीर पर निशान बनाने के बाद संयम प्लेजर वर्ल्ड में चला गया । जिसमे शिविका को उसने बेतहाशा दर्द दे दिया था ।


काफी वक्त बाद गुस्सा ठंडा होने के बाद संयम उससे अलग हो गया । उसकी सांसें तेज़ चल रही थी । वहीं शिविका बेसुध सी सोफे पर पड़ी हुई थी । संयम ने कंबल उसके ऊपर डाला और बाथरूम की ओर चल दिया ।


काफी वक्त शावर के नीचे खड़ा होने के बाद संयम बाथरोब पहने बाहर आया और कपड़े पहनकर कमरे से बाहर निकल गया और सीधा बगल वाले कमरे में जाकर बॉक्सिंग ग्लव्स पहनकर पंचिंग बैग पर लगातार पंच करने लगा ।


उसकी आंखें लाल पड़ चुकी थी और आग बरसा रही थी । वहीं लगातार पंचिंग बैग को पंच करने से उसके माथे से पसीने की बूंदें टपकने लगी थी ।


करीब 1 घंटे तक पंचिंग पैक को पंच करने के बाद संयम ने ग्लब्स उतार कर फेंक दिए ।


और उस कमरे से निकलकर bar cabinet वाले कमरे में चला गया । फिर रम की बॉटल निकाली और मिक्सर मिला कर पी गया । कुछ शॉट्स लगाने के बाद संयम ग्लास वॉल के पास आया और एक मुक्का उसमे दे मारा । संयम के हाथ से लहू बहने लगा ।


" इतनी आसान मौत नहीं होगी तेरी राठी... । ये बात मैं जानता हूं... । पर शायद तू भूल चुका है... इसीलिए ऐसी हरकत की है.... " बोलते हुए संयम सामने शहर को देखने लगा ।



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अगली सुबह :


शिविका की जब आंख खुली तो उसने खुद को सोफे पर पाया... । वो उठने लगी तो उसे अपनी बॉडी में बेतहाशा दर्द हो उठा । शिविका दर्द से कराह दी ।


उसने अपनी हालत देखी तो उसकी आंखें भर आई । हालांकि वो नशे के हैंगओवर में अभी भी थी लेकिन उसे अपनी बॉडी में सब फील हो रहा था । उसका सिर भले ही चकरा रहा था पर उसे पता था कि उसकी बॉडी में पेन क्यों है.. । और इस तरह के घाव बन चुके निशान क्यों है ।


शिविका हिम्मत करते हुए उठी और कंबल को खुद में लपेटकर बाथरूम की ओर चल दी ।


बाथरूम में जाकर शिविका ने ठंडे पानी का शावर ऑन कर दिया और उसके नीचे खड़ी काफी देर तक भीगती रही ।


उसे पूरी बॉडी में असहनीय दर्द हो रहा था । उसने पिछली रात को याद करने की कोशिश की लेकिन उसे ज्यादा कुछ याद नहीं आ रहा था । बस अगर कुछ याद आया तो वो ये कि वो संयम के साथ रहने का बोल रही थी और संयम ने उसके साथ बहुत बुरा बर्ताव किया था जिसका परिणाम शिविका अभी अपने शरीर पर देख सकती थी ।


शिविका ने शावर बंद किया और बाथरोब पहनकर bathroom से बाहर निकल गई ।


बाहर आकर देखा तो उसके कपड़े जमीन पर पड़े हुए थे । शिविका ने दूसरी ड्रेस निकाली और पहन ली ।


ड्रेस काफी revealing थी.. । ड्रेस स्लीवलेस थी जिसका गला भी काफी डीप था । वो शिविका के घुटनों तक आ रही थी । शिविका बालकनी में आकर खिड़की में खुद को देखने लगी तो वो अपना चेहरा नही पहचान पा रही थी । पूरे चेहरे पर काटने के निशान थे । होंठो के किनारे और earlobe पर भी ज़ख्म हो गया था । वहीं शिविका को सिर में भी बोहोत दर्द हो रहा था ।


शिविका की आंखों से आंसू बहने लगे । उसने आंसू साफ किए और अंदर आ गई । जैसे ही वो कमरे में आई तो संयम भी कमरे के अंदर आ गया ।


संयम ने शिविका को देखा तो एक पल को देखता ही रह गया । जो कल रात को उसके गले लगी थी ये वो तो नहीं थी ।


शिविका की हालत बोहोत दयनीय लग रही थी ।

संयम ने उसे उपर से नीचे तक घूरा और फिर उसके पास आकर बोला " आइंदा... इस तरह से नजदीक आने की कोशिश मत करना... अंजाम बोहोत बुरा हो सकता है.... " ।


" तो इस तरह की सजा देते हैं आप लड़कियों को... तभी मैं सोचूं कि जान से क्यों नहीं मारा अब तक... । अगर मार देते तो गुस्सा शांत कहां से होता... । हर दिन का गुस्सा ऐसे ही निकालते होंगे आप " शिविका ने नफरत भरे स्वर में कहा ।


संयम उसे सर्द नजरों से देखने लगा ।


शिविका आगे बोली " आप नजदीक आएं... तो वो आपकी मर्जी , और हमारे रिश्ते का हक..... और मैं नजदीक आऊं तो मेरे साथ ऐसा सुलूक.. । Huh.. Wow.... । ( सिसकते हुए ) बस आपका साथ ही तो मांगा था... ये कैसा साथ दिया आपने मुझे.... ? " । बोलते हुए शिविका की आंखे छलक उठी ।


उसमे खड़े होने तक की ताकत अब नही बची थी । शिविका लड़खड़ाते हुए जाकर सोफे पर बैठ गई ।
संयम ने जेब में हाथ डाले और बोला " नरेन कौन है... ??? " ।


शिविका ने सुना तो संयम को देखने लगी ।


शिविका मन में " इन्हें कैसे पता नरेन के बारे में... । क्या कल रात मैने कुछ बोला था क्या.. ?? " ।


संयम ने उसे खोए हुए देखा तो बोला " ज्यादा सोचो मत... को पूछा है उसका जवाब दो... । नरेन कौन है.... ?? " ।


शिविका बुझी हुई आंखों से फ्लोर को घूरने लगी ।



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