Bairy Priya - 32 in Hindi Love Stories by Anjali Vashisht books and stories PDF | बैरी पिया.... - 32

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बैरी पिया.... - 32

संयम ने उसकी आंखों में झांकते हुए बोला " तुम जानती हो कि गद्दारी नहीं चाहिए मुझे.... । हमारी नजदीकियां काफी बढ़ चुकी हैं... और अब मैं नही चाहता कि तुम किसी और के जरा से भी करीब जाओ.... " ।


शिविका उसकी आंखों में देखने लगी तो संयम की आंखों में एक determination था.. । वो जो कह रहा था उसको सिर्फ बोलने के लिए नहीं कह रहा था ।


शिविका ने सिर हिला दिया और बोली " हमारी नजदीकियां खास है मेरे लिए... । ये चाहत नही थी पर अब लगता है कि आदत बन गई है... । किसी और के करीब मैं जाना भी नहीं चाहती... । क्योंकि दुनिया सिर्फ फायदा उठाती है... । बिना मतलब के साथ देने वाला और मदद करने वाला इंसान बोहोत किस्मत से मिलता है.... " ।


संयम ने उसकी आंखों में झांका और फिर उसकी गर्दन पर हाथ रखते हुए बोला " get ready... बाहर चल रहे हैं हम..... " ।


संयम ने कहा तो शिविका ने सिर हिला दिया । संयम उसे कमरे में लाया और एक बैग उसकी ओर बढाते हुए बोला " wear this.... " ।


शिविका ने बैग लिया और देखा तो एक लैवेंडर कलर की mid thigh bodycon ड्रेस उसके अंदर थी । और एक मेकअप किट भी बैग के अंदर थी । शिविका की पिछली ली हुई मेकअप किट अभी खतम तो नही हुई थी ।


शिविका kit को देखते हुए मन में " पर मैने तो नही कहा था कि नई मेकअप किट चाहिए.... तो फिर ये क्यों लाए.... ??? " सोचते हुए शिविका ने संयम को देखा ।


संयम बिना किसी एक्सप्रेशन के उसे देखते हुए बोला " मुझे लगा इस ड्रेस में काफी निशान दिखेंगे तो मेकअप ज्यादा लगेगा.... " ।


शिविका ने सुना तो उसके गाल सुर्ख गुलाबी हो गए । संयम ने देखा तो उसकी नज़र शिविका के चेहरे पर ठहर सी गई । संयम की धड़कने उसे देखकर बढ़ गई । संयम ने झटके से उसे अपनी ओर खींचा और उसकी गर्दन में सिर छुपाकर kiss और बाइट करने लगा ।



पहले की बनी लव बाइट्स पर संयम बाइट करने लगा तो शिविका की सिसकियां निकलने लगी उन लव बाइट्स पर शिविका को अभी भी हल्का दर्द सा था । शिविका ने उसके कंधे को हाथों से कसकर पकड़ लिया और अपनी गर्दन स्ट्रेच कर ली ।


संयम मुस्कुराया और अपनी की हुई बाइट पर lick करके उसने शिविका को छोड़ दिया । फिर कमरे से बाहर निकल गया । शिविका ब्लश करने लगी ।



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शाम का वक्त :


शिविका ड्रेस पहनकर बाहर बालकनी की खिड़की में देखते हुए अपनी लव बाइट्स पर कंसीलर.... लगाकर छुपा रही थी ।


संयम की kisses का याद करके उसकी धड़कने बढ़ी हुई थी । ।


शिविका खुद से ही बोली " ये क्या कर रही है शिवि.... । इतना सोचना बंद कर... । खुद में ही सोचती है फिर खुद ही ब्लश करने लगती है । अरे पागल हो गई है क्या... ??? । एक तो ये जानवरों की तरह काटा है और उपर से तुझे ये प्यारा लग रहा है.. इसके बारे में सोचकर तू शर्माए जा रही है.... !! " ।


शिविका खुद में ही बड़बड़ाए जा रही थी । और वहीं संयम स्लाइडिंग door से टिककर खड़ा उसकी बातें सुन रहा था । शिविका उसके वहां होने से बेखबर थी ।


संयम " अच्छा... कौनसा जानवर.... ?? " ।


शिविका " अरे भेड़िया या भूखा शेर कुछ भी कह लो.... " शिविका ने एकदम से जवाब दे दिया । उसने नोटिस नहीं किया कि ये सवाल किसने किया है । क्योंकि अभी तक वो खुद से ही बात कर रही थी और अभी भी उसे यही लग रहा था कि खुद ही सवाल पूछकर खुद ही जवाब दे रही हो ।


संयम आंखें छोटी करके उसे घूरते हुए " oh तो मैं तुम्हे जानवर दिखता हूं.... " ।


शिविका " अरे तुम थोड़ी ना..... वो तो सन..... " बोलते बोलते शिविका चुप हो गई ।



" वो तो क्या... " संयम ने कहा तो शिविका की आंखें बड़ी बड़ी हो गई । उसने आई रोल करते हुए सोचा " ये यहां कब आए... ?? सब सुन लिया क्या... ??? और मैं क्या इनको ही जवाब दे रही थी.... " ।


शिविका की अब पीछे पलटकर देखने की भी हिम्मत नहीं थी ।


संयम ने पीछे से आकर उसे बाहों में भर लिया और उसकी गर्दन पर होंठ स्लाइड करने लगा । शिविका ने आंखें बंद कर ली । उसे सिहरन हो उठी ।


" मैं जानवर हूं... हान ?? ऐसााााा क्या किया मैंने... ?? " पूछते हुए संयम ने उसके पेट पर कसकर हाथ से पकड़ा । ।


" न न न न न नही तो.... कुछ भीी तो नहीं किया । " शिविका ने हकलाते हुए कहा । और सामने की खिड़की में पीछे खड़े संयम को देखने लगी ।


" तो इतना हकला क्यों रही हो.... ??? " संयम ने उसके earlobe को बाइट करते हुए पूछा ।


" मे मे मैं कहां हकला रही हूं.... । मैं बिल्कुल नॉर्मल हूं..... " शिविका ने कोलरबोन पर कंसीलर लगाते हुए कहा । उसके हाथ हल्के कांप रहे थे । ।


" नाखून दिखाना... अपने.... " बोलते हुए संयम ने उसके हाथ को पकड़ा । शिविका के नाखून काफी बढ़े हुए थे । वो आगे से नुकीले थे पर बोहोत सुंदर थे ।


" इसमें क्या देखना... ?? " पूछते हुए शिविका ने संयम को देखा ।


" Took my shirt off.... " बोलते हुए संयम ने उसे छोड़ दिया और उससे दूर खड़ा हो गया ।


शिविका उसे देखने लगी तो संयम ने अपनी बाहें फैला दी । शिविका ने गहरी सांस ली । उसे समझ में नहीं आया कि आखिर संयम क्या करना चाहता है ।।


शिविका आगे बढ़ी और संयम की शर्ट के बटन खोलने लगी । संयम एक टक उसकेेे चेहरे कोे देखनेे लगा । शििविका जानतीीी थी कि संयम उसेे ही देखे जा रहाा है । उससेेेेे संयम की नजरों की तपिश अपनेेे ऊपर बर्दाश्त नही हुई तो उसने नजरें झुका ली ।



शिविका ने उसकी शर्ट उतार दी । शिविका ने संयम का सीना देखा तो वो बोहोत hot लग रहा था । शिविका ने थूक की घूंट गले से नीचे निगली ।



शिविका की लव बाइट्स के कुछ निशान उसकी चेस्ट पर थे । शिविका ने उनपर हाथ फेरा और बोली " मुश्किल से दो या तीन हैं बस.. । मेरी तो लगभग पूरी बॉडी में आपके काटने के निशान हैं.... " ।


संयम " oh really.... " बोलकर संयम ने उसे घूरते हुए देखा । शिविका भी उसकी आंखों में देखने लगी । संयम का घूरना शिविका को बेचैन करने लगा तो शिविका की धड़कने तेज हो गई । संयम उल्टा घुमा तो शिविका की आंखें उसकी पीठ को देखकर खुली की खुली रह गई । उसकी पूरी पीठ पर स्क्रैच्स के निशान थे जो काफी गहरे थे । उसकी पीठ पर कई घाव भी हो चुके थे जो लाल रंग के साफ साफ दिखाई दे रहे थे । शिविका ने उसे बोहोत जगह नाखून चुभाए थे । जो अब रैशेज की तरह दिख रहे थे ।


शिविका ने जीभ को दांतों के नीचे दबा लिया ।
" ये सब मैने कब किया.... ??? " सोचते हुए शिविका उसकी पीठ पर हाथ फेरने लगी ।


संयम उसकी ओर घुमा और उसे कमर से अपने करीब खींचते हुए बोला " अब मैं तुम्हे कौनसा जानवर बुलाऊं... । जंगली बिल्ली... या भूखी शेरनी.... या फिर भूतों में तुम्हारी गिनती करूं.. जैसे चुड़ेल , डायन , भूतनी या पिशाच जो नाखून चुभा कर खून तक निकाल देती है " ।


शिविका ने नजरें चुरा ली । उसे बुरा लग रहा था । पर उसने जान बूझकर ऐसा नहीं किया था ।


शिविका ने नजरें झुकाए हुए मासूमियत से कहा " i am sorry... " ।


संयम ने सुना तो उसके गाल पर kiss कर दिया । शिविका को एक प्यारा सा एहसास हो आया । संयम ने अपनी शर्ट उठाई और बाथरूम की ओर चल दिया ।


शिविका ने अपने बालों को समेत कर bun में बांध दिया । और कुछ लटे चेहरे पर आगे की ओर लटका दी ।


लाइट मेकअप और सॉफ्ट पिंक कलर की लिपस्टिक लगाए वो बोहोत एलिगेंट लग रही थी । पैरों में उसने ब्लैक high heels पहने । और अब वो पूरी तरह से तैयार थी ।


संयम भी तैयार हो चुका था । शिविका ने उसे देखा तो देखती ही रह गई । संयम ने लैवेंडर कलर का ही थ्री पीस सूट पहना हुआ था । शिविका ने उसके कपड़े देखे और फिर अपनी ड्रेस पर नजर डाली तो वो दोनो ट्विनिंग कर रहे थे ।


संयम ने उसकी कमर पर हाथ रखा और उसे लिए विला से बाहर निकल गया । बाहर लगभग अंधेरा हो चुका था । मौसम सुहावना था और ठंडी हवाएं चल रही थी ।


संयम ने शिविका को गाड़ी में बैठाया और खुद भी दूसरी तरफ से आकर गाड़ी में बैठ गया ।


शिविका गाड़ी से बाहर झांकते हुए सोचने लगी " आखिर ये सारे इवेंट्स रात में ही क्यों होते है... । जिस पार्टी में संयम ले जाते है... वो नॉर्मल पार्टीज तो नही लगती । पर आखिर ऐसा उन पार्टीज में होता क्या है जो सब लोग मास्क लगा लेते हैं.... । " ।


संयम अपना फोन देखते हुए बोला " ज्यादा मत सोचो... । दिमाग hang हो जायेगा... पर संयम तुम्हारी समझ में नहीं आएगा... । "।


शिविका ने उसकी ओर पलटकर देखा । शिविका तो उसकी ओर देख भी नहीं रही थी फिर भी संयम को पता चल गया था कि वो क्या सोच रही है.. । पर आखिर वो हर बार बिल्कुल सही कैसे समझ जाता था ।


शिविका " आप मौका तो दीजिए.. । समझ तो मैं सब कुछ सकती हूं... । बस बात इतनी है कि आपने कभी बराबरी का मौका ही नही दिया... । हर काम में तो आपकी रोक टोक लगी हुई होती है... " ।


संयम ने उसे घूरा और फिर सामने देखते हुए बोला " जितना तुम्हे मिला है वो और किसी को नही मिला तो जितना मिला है उसमें खुश रहो.... । बराबरी करने के ख्वाब मत देखो.... । संयम की जिंदगी में कदम रखना ही तुम्हारी सबसे बड़ी अचीवमेंट थी... इससे ज्यादा और इससे अच्छा... शायद ही तुम कुछ हासिल कर पाओ.... " ।


शिविका ने सुना तो चुप हो गई । और संयम के चेहरे को देखने लगी । उसमे एक एरोगेंस था । शिविका को महसूस हुआ जैसे उसकी संयम की जिंदगी में कोई खास जगह नहीं है... । संयम उसे अपने से बोहोत नीचे मानता है ।



शिविका मन में " क्या मेरी कोई भी इंपॉर्टेंस नहीं है क्या इनकी जिंदगी में मेरा कोई वजूद नहीं है ??? " ।



संयम ने उसकी ओर देखा और फिर उसके सिर को दूसरी ओर हल्का सा धकेलते हुए बोला " जितना दिमाग ना हो उतना मत चलाओ Butterfly....... । " बोलकर संयम ने उसका हाथ पकड़ा और हल्के से किस कर दिया ।



शिविका ने कुछ देर खोए हुए संयम को देखा । और फिर से खिड़की से बाहर देखने लगी । बाहर से आती ठंडी हवाओं से शिविका को सिहरन सी होने लगी । उसे ठंड लग रही थी । तो वो अपनी बाजुओं पर हाथ फेरने लगी ।



संयम ने एक झलक देखा और फिर नजरें वापिस से अपने फोन में गड़ा ली ।



तभी शिविका का फोन रिंग हुआ...... । फोन पर कोई अननोन नंबर फ्लैश होने लगा फोन सीट पर रखा हुआ था तो संयम की नजर भी उसपर चली गई । संयम फोन की स्क्रीन को घूरने लगा । । । । ।



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