Bairy Priya - 31 in Hindi Love Stories by Wishing books and stories PDF | बैरी पिया.... - 31

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बैरी पिया.... - 31

शिविका को हैरानी नहीं हुई क्योंकि वो जानती थी कि संयम अब यही करने वाला था । क्योंकि वो बोहोत जल्दी में उसका हाथ पकड़कर उसे लिफ्ट की ओर लाया था ।


उसने शिविका को कमर से lift up किया तो शिविका ने उसकी कमर पर पैर लपेट लिए... । संयम ने उसे कमर से एक हाथ से होल्ड कर लिया और दूसरे हाथ को उसके बालों में फेरने लगा । दोनो की आंखें बंद हो चुकी थी ।


लिफ्ट का दरवाजा खुला तो संयम उसे लेकर लिफ्ट से बाहर आ गया । शिविका ने पिंक कलर का स्लीवलेस और स्ट्रैप वाला जंपसूट और उपर से ब्लू कलर का श्रग पहना हुआ था ।


संयम ने उसका shrug उतार कर वहीं फेंक दिया । उसके होंठ अभी भी शिविका के होंठों पर थे ।


कमरे में आकर संयम उसे पकड़े ही बेड पर लेट गया ।


शिविका की सांसें उखड़ने लगी तो संयम ने lick करके छोड़ दिया । शिविका उसकी आंखों में देखने लगी तो संयम ने उसकी दोनो आंखों पर kiss कर दिया । फिर उसके हाथ को अपने हाथ में फंसाया और सिर के उपर bed पर रख दिया ।


फिर दांत से पकड़कर शिविका की ड्रेस के स्ट्रैप को कंधे से नीचे खिसका लिया और कंधे पर kiss करने लगा फिर उसकी गर्दन में संयम ने सिर छिपा लिया । उसकी हल्की स्टबल शिविका को चुभ रही थी ।



संयम ये बात जानता था पर फिर भी और उसकी गर्दन को चूमते हुए उसकी गर्दन पर चेहरा rub किए जा रहा था । धीरे धीरे संयम की kiss wild होने लगी । वो शिविका को बेतहाशा चूमने लगा था और बाइट भी करने लगा ।


संयम ने वॉच पर tap किया तो रोबोट बाहर आ गया । संयम " close the curtains " ।


संयम के बोलते ही रोबोट ने खुले हुए पर्दे बंद कर दिए । कमरे में पूरा अंधेरा सा हो गया । बस लाल रंग का बल्ब जल रहा था ।


कुछ ही देर में संयम और शिविका एक दूसरे में ही खो से गए । दोनो के कपड़े बेड पर साइड में पड़े हुए थे । और शिविका की सिसकियों की आवाज़ें कमरे में सुनाई दे रही थी ।


करीब 2 घंटे बाद संयम bed पर लेटा हुआ सीलिंग की तरफ देखे जा रहा था । सिर घुमाकर उसने बांई तरफ देखा तो शिविका उसकी बाजू पर सिर रखे सो चुकी थी । उसके चेहरे पर सुकून था और एक हल्की सी स्माइल थी । उसके बाल कुछ उसकी पीठ पर कुछ उसके चेहरे पर और कुछ संयम के सीने पर बिखरे हुए थे । संयम ने बाल हटाकर उसकी बाजू , कंधे और गर्दन की ओर देखा तो जगह जगह संयम की लव बाइट्स के निशान थे । संयम तिरछा मुस्कुरा दिया ।


संयम ने उसका सिर अपनी बाजू से उठाया और पिलो पर उसका सिर रखकर bed से उतर गया और शिविका को अच्छे से कंबल ओढ़ा कर वो वॉर्डरोब वाले कमरे में चेंज करने चला गया ।


फिर कमरे से बाहर निकल गया ।


फिर study room गया और एक और फोटो को दीवार पर लगाकर उसने क्रॉस मार्क कर दिया । फिर पिलर पर रखी उस किताब को देखने लगा । संयम ने वॉच पर tap किया और किताब की ओर चल दिया ।


संयम ने किताब उठा ली । किताब पूरी लोहे से शील्डेड थी और एक नंबरिंग बॉक्स किताब में अटैच्ड था । साथ ही नीचे एक वार्निंग ⚠️ बॉक्स दिया हुआ था जिसमे वार्निंग्स लिखी हुई थी ।


जैसे पहली वार्निंग " किताब के लॉक को खोलने के सिर्फ तीन मौके मिलेंगे.... । लगातार तीन मौके गलत होने के बाद किताब हमेशा के लिए लॉक्ड हो जायेगी... ।


दूसरी वार्निंग " किताब को हथौड़ा मारकर तोड़ने की कोशिश करने से उसके अंदर की जानकारी नष्ट हो सकती है । तो कृपया हथौड़े की मार का इस्तेमाल ना करें.... " ।


संयम ने वार्निंग को पढ़ा और किताब को वापिस से उसकी जगह पर रखते हुए बोला " बोहोत जल्द... तुम खुल जाओगी.... । दो चांस तो खो चुका हूं... पर ये आखिरी मौका नहीं खोने दूंगा.. । तभी तो इतनी प्रोटेक्शन में रखा है तुम्हे... " ।


बोलकर संयम वहां से बाहर निकल गया । और विला से बाहर निकलकर गाड़ी में बैठकर अपने ऑफिस को निकल गया ।


शिविका की जब आंख खुली तो उसने अपने अगल बगल देखा । संयम वहां नही था । शिविका ने अपने हालात देखे तो उसके चेहरे पर कुछ देर पहले की हरकतों को याद करके ब्लश आ गया ।


शिविका ने bed पर पड़े अपने कपड़े उठाए और पहन लिए ।


फिर बाहर बालकनी में आकर खड़ी हो गई । तभी फोन बजा तो शिविका ने पिकअप कर लिया ।


सामने से किसी लड़के की आवाज आई " मैम.. काफी कुछ पता चल गया है... । इंफॉर्मेशन एक प्रोटेक्टेड फाइल में मैने आपको मेल कर दी है.... । और पासवर्ड मैं इस नंबर पर मैसेज कर दूंगा... " । ।


" हम्मम ठीक है... । " कहकर शिविका ने फोन रख दिया ।


तभी एक मैसेज आया तो उसमे 8 digit code भेजा हुआ था । शिविका ने code copy किया और मेल पर जाकर उस प्रोटेक्टेड फाइल में जाकर code को डाल दिया । फाइल ओपन हो गई । उसमे कुछ लड़कों की तस्वीरें थी और साथ ही में उनके बारे में कुछ मेन इंफॉर्मेशन.... ।


शिविका स्क्रॉल करते हुए सबके चेहरे देखने लगी । उसकी आंखों में खून सा उतर आया और आंखें लाल पड़ गई । शिविका ने मुट्ठी कस ली । इन चेहरों को वो पहले भी देख चुकी थी लेकिन अच्छे से पहचानती नहीं थी... । बस कुछ धुंधली तस्वीरें उसकी आंखों में थी ।


शिविका में वापिस से किसी को फोन मिलाया और बोली " काम कैसा चल रहा है..... " ।


सामने से आवाज आई " फिलहाल स्टेबल है.. " ।


शिविका " और पैसे चाहिए..... हों तो बोल देना... " ।


फोन के दूसरी तरफ से लड़का बोला " ऐसे कौनसे काम में लगी हो जो इतनी जल्दी इतना पैसा अरेंज कर लिया है... । सारे बिल एक ही वक्त में भर दिए.... " ।


शिविका " it's none of your business.... । मैं भेजती हूं... तो लो... और काम करो.... " । कहकर शिविका ने फोन रख दिया ।


फोन के दूसरी तरफ वाला लड़का हॉस्पिटल में खड़ा था । उसने फोन को कुछ पल देखा और घूरा फिर हंस दिया और बोला " पागल लड़की.... " ।


शिविका जैसे ही फोन कट करके अंदर जाने लगी तो पीछे संयम खड़े से टकरा गई । शिविका गिरने को हुई तो संयम ने उसे कमर से थाम लिया । शिविका के हाथ उसके कंधे पर चले गए ।


संयम ने फोन की ओर देखा और पूछा " किससे बात कर रही हो.... ??? " ।


शिविका " वो... है कोई जिससे काम है कुछ.. " ।


संयम ने उसके गाल पर हाथ रखा और पूछा " कौन है... ?? कोई खास है क्या.... ??? " ।


शिविका ने ना में सिर हिलाते हुए कहा " नही... कोई खास नहीं है.... । बस ऐसे ही है.... " ।


संयम ने उसकी आंखों में झांकते हुए बोला " तुम जानती हो कि गद्दारी नहीं चाहिए मुझे.... । हमारी नजदीकियां काफी बढ़ चुकी हैं... और अब मैं नही चाहता कि तुम किसी और के जरा से भी करीब जाओ.... " ।


शिविका उसकी आंखों में देखने लगी तो संयम की आंखों में एक determination था.. । वो जो कह रहा था उसको सिर्फ बोलने के लिए नहीं कह रहा था ।


शिविका ने सिर हिला दिया और बोली " हमारी नजदीकियां खास है मेरे लिए... । ये चाहत नही थी पर अब लगता है कि आदत है... । किसी और के करीब मैं जाना भी नहीं चाहती... । क्योंकि दुनिया सिर्फ फायदा उठाती है... । बिना मतलब के साथ देने वाला और मदद करने वाला इंसान बोहोत किस्मत से मिलता है.... " ।