I can see you - 12 in Hindi Women Focused by Aisha Diwan Naaz books and stories PDF | आई कैन सी यू - 12

Featured Books
Categories
Share

आई कैन सी यू - 12

लूसी और रोवन कुछ देर तक सन्नाटे में एक दूसरे को देखते रहे क्यों के रोवन सवालों में उलझ गया था इस लिए सब से पहले कौन सा सवाल करे समझ नही आ रहा था और लूसी के दिल में भूचाल आया हुआ था अपने आप को रोवन के कमरे में और उसके सामने पा कर, उसे डर सता रहा था के अब रोवन से उसका भयंकर झगड़ा होने वाला है। 
वो हड़बड़ा कर बिस्तर से उठ खड़ी हुई और हकलाते हुए बोलने लगी :" स सर!... म...मुझे कमरे में लॉक कर दिया गया था। अब मैं जाती हूं थैंक यू सो मच मुझे बाहर निकालने के लिए!"

ये कह कर वो कमरे से बाहर जाने लगी लेकिन रोवन ने उसकी पतली नाज़ुक सी कलाई पकड़ ली और डांट कर कहा :" रुको!... तुम्हें पता भी है कितनी रात हो रही है अभी! इस समय हॉस्टल जाओगी तो क्या होगा?"

लूसी को समय का कहां पता था। उसने दीवार में लगी बड़ी सी घड़ी की ओर देखते हुए ताज्जुब से कहा :" ढाई बज गए हैं!.... ओह खुदा अब मैं कैसे जाऊं!"

लूसी सर पर हाथ धरे खड़ी हो गई। रोवन ने नर्मी से पूछा :" तुम्हें किस ने बंद किया था?.... क्या कुछ बता सकती हो?

लूसी ने दोनों हाथों की उंगलियों को आपस में उलझा कर हिचकते हुए कहा :" पहले मुझे पानी मिल सकता है क्या!...चिल्लाते चिल्लाते मेरा गला सुख गया है!"

रोवन ने बिस्तर के पास रखे टेबल पर से पानी का बोतल उसे दिया और उसके जवाब का इंतज़ार करते हुए उसे देखने लगा। 

लूसी पानी पीते पीते ही उसे तिरछी आंखों से देख रही थी। उसे यकीन नही हो रहा था के उसके सामने रोवन इतना शांत खड़ा है। 

लूसी ने गटागट आधा पानी का बोतल खत्म कर दिया। उसने बड़ी बड़ी सांसे लेते हुए कहा :" सर अगर मैं आपको सारी बातें सच सच बताऊं तो आप यकीन करेंगे?

रोवन ने बेझिझक कहा :" तुम्हारी बातों का यकीन करना मुश्किल है क्यों के तुम मुझे mentally unstable (मानसिक रूप से अस्थिर) लगती हो! कभी अकेले में बातें करती हो तो कभी हवा में देखते हुए गुस्सा करती हो! कभी अपनी दोस्त को चुड़ैल जैसी कह कर ढूंढती फिरती हो!.... इन सब के बाद कौन तुम्हारी बातों का यकीन करेगा!"

लूसी मायूसी से बोली :" हां मैं जानती हूं! इन सब के बाद सब मुझे पागल समझेंगे लेकिन मैं असल में पागल नहीं हुं! अब आप ये कहेंगे की हर पागल यही कहता है लेकिन मैं आम इंसानों से थोड़ी सी अलग हूं इस लिए मैं मानती हूं के मैं अजीब हुं पर पागल नहीं!.... मेरी बातों का आप यकीन करें या न करें ये आपकी मर्ज़ी पर मेरी कोई भी बात बेतुकी नहीं होती!"

उसकी ये बातें सुन कर रोवन हैरत में पड़ा था। उसका दिल इस बात पर ज़िद करने लगा था के उसकी बातें सुननी चाहिए और मान लेनी चाहिए, उसने दिल ही दिल कहा के बातों से तो ये पागल बिलकुल नहीं लगती ना ही दिमागी बीमार लगती है। 

उसने कुछ देर सोचने के बाद कहा :" ठीक है मैं तुम्हारी बातें सुनूंगा और अगर मानने लायक होंगी तो मान जाऊंगा क्यों के अगर तुम्हें जान बुझ कर किसी ने बंद किया था तो उसे पनिशमेंट मिलना चाहिए!.... बताओ क्या हुआ था?"

लूसी की हालत ठीक नहीं लग रही थी। उसे चक्कर आ रहे थे। खड़ा रहना मुश्किल हो रहा था तो वो खिड़की के पास रखे लंबे से सोफे पर जा कर बैठ गई और सहमी नज़रों से रोवन को देखते हुए बोली :" मुझे चक्कर आ रहे हैं!"

रोवन उसके सामने आया और बोला :" ठीक है बैठ कर बताओ!"

लूसी ने एक लंबी सांस ली और कहा :" मुझे उम्मीद है की आप मेरे राज़ को राज़ ही रखेंगे!....सब से पहले मैं आपको बता दूं के मैं invisible creatures (अदृश्य जीवों) को देख सकती हूं जैसे के भूत प्रेत!....मुझ पर जादू टोना असर नहीं करता। जिस दिन से मैं यहां आई हूं मुझे आप के साथ एक औरत हमेशा दिखती है। जो आपके पीछे पीछे चलती रहती है। उस दिन जब मैं ने उसे टोका और आपको लगा के मैं आप से बात कर रही हुं लेकिन मैं असल में उस से बात कर रही थी। जब उसे पता चला के मैं उसे देख सकती हूं तो अब वो मुझे अपने रास्ते से हटाना चाहती है। उसी ने मुझे बंद किया था!.... सर क्या आपको पता था कि आपके पीछे पीछे हमेशा एक औरत चलती है? अब वो एक्जेक्टली कौन है मुझे नहीं मालूम!...भूत प्रेत पिशाच जो भी है लेकिन खतरनाक है।"

रोवन उसकी बातें सुन कर पहले तो दबी दबी हंसी के साथ इधर उधर देखने लगा फिर उसे गौर से शक के नज़रों से देखते हुए बोला :" कुछ पल के लिए तो मैं मान ही गया था के तुम्हारी मेंटल हेल्थ बिलकुल ठीक है लेकिन अब ये फिजूल की बातें सुन कर लगता है तुम्हारे पैरेंट्स से बात करनी होगी ताकी वे तुन्हें यहां से ले जाए और किसी अच्छे डॉक्टर से इलाज करवाए!... शायद उन्हें तुम्हारे मेंटल हेल्थ के बारे में पता नहीं होगा इस लिए तुन्हें यहां भेज दिया है।"

लूसी नाराज़ हो कर उठने लगी के चक्कर खा कर सोफे पर गिर गई। रोवन ने फिक्रमंद हो कर उसे संभालने के लिए हाथ बढ़ाया तो लूसी ने झट से हाथ का इशारा कर के कहा :" मैं ठीक हूं!.... मुझे मेरा बैग ढूंढना होगा! उसने एक लड़की को पोसेज़ किया था और वो लड़की मेरा बैग लेकर गई थी। मेरा मोबाइल उसी में है। न जाने वर्षा कितनी परेशान होती होगी। अगर मेरे घर में पता चल गया तो गई मेरी पढ़ाई! मैं आपको पागल लगती हूं वो ठीक है लेकिन मेरे पेरेंट्स को बताने की ज़रूरत नही है।"

ये सब बड़बड़ा कर वो सोफे से धीरे धीरे उठते हुए जाने लगी। 
उसे जाते देख रोवन ने फिर से उसका हाथ पकड़कर बैठा दिया और नाराज़गी से कहा :" मैंने कहा ना देर रात हो रही है! इतने बड़े कॉलेज में तुम बैग कहां ढूंढोगे वह भी अंधेरे में!...क्या तुम्हें अंधेरे में भी दिखता है?"

लूसी नाराज़गी से उसे बिना देखे ही बोली :" नहीं!...मैं ने कहा ना मैं सिर्फ भूतों को देख सकती हूं और मुझमें कोई सुपर पावर नहीं है।..... वैसे भी मैं जो भी कहूं आपको तो पागल ही लगूंगी!... लेकिन मेरी बात न सुन कर आपको पछतावा होगा क्यों के जो भूतनी आपके साथ रहती है वो आपके साथ ही रहेगी मेरे चले जाने के बाद भी!"

रोवन एक गहरी सर्द सांस लेते हुए उसके पास बैठा और बोला :" अच्छा चलो मैं मान भी गया के तुम भूत प्रेत को देख सकती हो लेकिन तुम कह रही हो के मेरे पीछे पीछे कोई औरत चलती रहती है तो वो अभी कहां है?.... उसने तुम्हे बंद किया तो कुछ किया क्यों नहीं?... अगर वो भूत है तो मुझे कभी महसूस क्यों नहीं हुआ या मुझे कभी कुछ नुकसान क्यों नहीं हुआ? क्या वो यहां इस समय है?

लूसी ने मासूमियत से कहा :" इस समय वो नहीं है! मुझे कमरे में बंद करने के बाद वो मुझे चाकू से मारने आई थी क्यों के न वो मेरे अंदर प्रवेश कर सकती है ना उसका कोई जादू मुझ पर चल सकता था!... मेरी उस से लड़ाई हुई मैं ने पहले उसे बाल्टी से मारा फिर पांच बार चाकू उसके पेट में घोंप दिया इस लिए वो कमज़ोर हो गई और कहीं गायब हो गई!.... अगर आपको यकीन नहीं आता तो आप उस कमरे में चाकू देख सकते हैं।"

रोवन उठा और टॉर्च लेकर बोला :" ठीक है मैं देख कर आता हूं तुम यहीं रहो!.... तुम्हें बुखार भी है रेस्ट करो!"

अब रोवन को लूसी की बातों पर यकीन होने लगा था क्यों के उसे उसकी दो पत्नियों की मौत याद आ गई थी। एक कड़वी सच्चाई भी उसे कुरेदने लगी थी जिसे उस ने पांच  सालों से अपने सीने में दबाए रखा था लेकिन उसने लूसी के सामने नहीं जताया और टॉर्च लेकर जाने लगा। लूसी ने झट से उसके सिरहाने में रखा मोबाइल उठाया और साथ जाने लगी। उसे आते देख रोवन ने कड़क कर कहा :" मैने कहा ना तुम यहीं रुको!....बड़ी ढीट हो तुम!"

लूसी मासूम आंखों से देखते हुए बोली :" मुझे मेरा बैग ढूंढना है। मुझे चिंता हो रही है!.... प्लीज़ सर मुझे डांटते मत रहिए मैं अपने घर में राजकुमारी की तरह रहती हुं! कोई मुझे हर्ट नहीं करता और आप है की मुझे डांटते रहते हैं!"

उसकी बातें सुन कर रोवन का दिल पिघल कर नर्म हो गया। धीरे से बस इतना कहा " डरामे बाज़"
इससे ज़्यादा उसे कुछ बोल ही नहीं पाया और जाने लगा। वो खुद को इस पर पर मना पाए या ना मना पाए लेकिन लूसी उसे बहुत क्यूट लगी। 

(पढ़ते रहें अगला भाग जल्द ही)