अचानक उस शहर से बच्चों की अर्थियां उठने लगी थी।सब हक्के बक्के थे। चारों और मातम पसरा हुआ था। किसी को कुछ खबर ना था की आखिर कार ऐसा क्या हुआ हैं जो इस शहर से बच्चें मारे जा रहे हैं।
बच्चों ने मानो घर से बाहर निकलना छोड़ दिया था। खेलना कूदना बंद कर दिया था। एक डर का माहौल था चारों ओर।
बड़े लोगों ने सब पता कर लिया ना कोई बीमारी कारण थी और न ही कोई कातिल का पता लग रा था।
ये सिलसिला कुछ दिनों तक चला और अचानक ये घटनाएं कम होती चली गईं।
लोगो ने राहत की सांस ली। कुछ महीने सब ठीक रहा। लेकिन अभी भी बच्चे घर से बाहर निकलने से घबराते थे।
शहर में सबने एक सभा बुलाई और सबसें राय मांगी गई। सबने अपने विवेक अनुसार जैसा ठीक लगा वैसा विचार प्रस्तुत किए।
वहीं एक बुजुर्ग बहुत देर से सब सुन रहे थे और अचानक बोल पड़े, "वो फिर आएगी". सभा में अचानक सन्नाटा पसर गया। फिर किसीने कहां अरे ये तो पगला बाबा हैं जो दिन भर इधर उधर भटकता रहता हैं।इसकी बात मानना मतलब पहाड़ को सर पे रख के दूसरे पहाड़ पर चढ़ना।
हां हां हां हां हां हां। सब हंसने लगे जोर जोर से।
बाबा उठ के सभा जाने लगे तभी किसीने कहां बाबा वो आएगी, पर कोन आएगी।कोई नचनिया हैं क्या। और जोर जोर से सब हंसने लगे।
बाबा ने उसको देखा और मुस्कुराते हुए कहां वो जब आएगी तो खुद देख लेना कौन नाचता हैं। तुम लोग मुझे ढूंढोगे, बहुत ढूंढोगे।
ऐसा बोल के बाबा सभा से चले गए। वहां उपस्थित एक दूसरे बुजुर्ग व्यक्ति ने कहा ऐसे मजाक नहीं उड़ाना चाहिए। सुन तो लेते वो क्या कहना चाह रहें हैं।
लोगों ने अनसुना कर दिया और सब अपने अपने घर चले गए।
सबको लगा के सब कुछ ठीक हो गया अब। धीरे धीरे जिंदगी सामान्य पटरी पर आने लगी।
एक दिन वो आदमी जिसने बाबा को नचनिया आने वाली बात बोली थी वो कहीं से रात के 12 बजे आ रहा था।
वो एक पार्क के पास से गुजर रहा था वो अपने धुन में चला जा रहा था। तभी अचानक पार्क से पायल की आवाज आई। छम छम छम। उसने अनसुना कर के अपनी धुन में चलना पसंद किया। फिर दुबारा पायल की आवाज आई लेकिन थोड़ी जोर से। वो रुका और थोड़ा सकपकाया और फिर आगे बढ़ गया।
अब पायल उसके कदम ताल से आवाज करने लगीं।
ये एक कदम रखे तो ठीक उसके पीछे पायल की आवाज।
दूसरा कदम रखे तो फिर पायल की आवाज।
वो अब थोड़ा घबरा गया और पीछे मुड़ के देखा तो कोई नहीं था।
उसके कदम थोड़े तेज हुए और पायल की आवाज भी।
वो भागने लगा और आगे की चौराहे पर जाके रुक गया। चार तरफ से रास्ता गुजर रहा था। और इतनी रात भी हो गई थी । इसके माथे से पसीना टपकने लगा। और दिल की धड़कनें तेज हो गई हैं।
उसने देखा के सफेद साड़ी में एक औरत अपने बालों को आगे लटकाए बैठी हैं और हाथ में सिंदूर लिए उस चौराहे पर कुछ लिख रहीं हैं और धीमे आवाज में कुछ बडबडा रहीं हैं।
और जैसे जैसे वो आदमी आगे बढ़ रा हैं वो औरत का मुंह उस आदमी के मुंह के तरफ देख रहा हैं।
वो आदमी उस महिला के सामने से निकलने लगा और देखा की वो महिला बुदबुदाते हुए उसके तरफ देख रहीं हैं।
उस औरत की निगाहें उस आदमी से नहीं हटी हैं।
वो आदमी भागने लगा और बहुत जोर से भागने लगा।
कम से कम 1 किलो मीटर भागने के बाद वो रुका और जोर जोर से सांस लेने लगा और कमर पर हाथ रखते हुए पीछे पलट के देखा तो..
1 हाथ की दूरी पर वो महिला खड़ी हैं और उसको देखते हुए बुदबुदा रहीं हैं। उस औरत के चेहरे से बाल हट गया हैं और जला हुआ काला और भयानक चेहरा उसे देख रा हैं और चुड़ैल ने धीमे आवाज में कहां," नचनिया का नाच नहीं देखेगा"।
बाकी कहानी आगे भाग में....
यह कहानी काल्पनिक है इस कहानी को मैंने अपने विचारों से उत्पन्न किया है और अपने हिसाब से बनाया हैं। इसका किसी भी कहानी से कोई लेना-देना नहीं है अगर लेना देना है तो मात्र एक संयोग हैं।