Bekhabar Ishq - 7 in Hindi Love Stories by Sahnila Firdosh books and stories PDF | बेखबर इश्क! - भाग 7

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बेखबर इश्क! - भाग 7

कहते हुए इशांक ने गुस्से से अपने दांत पीसे और कनिषा के होंठो से अलग उसके गले पर अपनी गर्म सांसों को छोड़ते हुए अपने शर्ट के ऊपरी बटन को खोला और टाई निकल कर बेड पर ही एक और फेंक दिया,जिसके साथ उसने कहना जारी रखा......."मेरा कोई कुछ नही बिगड़ सकता,मिसेज देवसिंह....!"

इशांक की सांसे खुद के गले पर दौड़ती हुई महसूस हुई तो कनिषा का दिल अंदर तक कांप गया,उसके हाथ पांव बर्फ से भी ज्यादा ठंडे और असामान्य रूप से बेजान होने लगे थे,हिलने में भी बेबस, जब वो कुछ ना कर सकी तो आंसुओ ने उसके आंखो का रास्ता नाप लिया और उसने आशापूर्ण आवाज में इशांक को आगे बढ़ने से रोका....."इशांक प्लीज...आप मेरी जिंदगी बर्बाद क्यों करना चाहते है,जबकि आपकी और मेरी कोई दुश्मनी भी नही है,मैं तो ठीक से आपको जानती भी नही,...... इतना कह कनिषा खुद को रोक ना पाई और उसके आंखे आंसुओ से भर गई,तभी उसे कुछ सूझा और वो किसी बच्चे की तरह मिमियाते हुए फिर से कहने लगी....."अगर...आआआआप यहां से नही हटे तो मैं आपके खिलाफ सेक्सुअल हैरेसमेंट का केस कर दूंगी,अगर लिगली वाइफ भी हूं,तब भी अपनी वाइफ से जबरदस्ती करने के जुर्म में पुलिस आपको जेल के अंदर कर देगा।।"

इधर इशांक क्या मकसद भी सिर्फ उसे डराने का था,इसलिए लगभग दो मिनट के बाद बेड से टाई उठा कर उसके दोनो हाथों को बेड कैबिनेट से बांधने लगा,जिस पर कनिषा और अधिक डर गई,हालंकि उसने इसे जाहिर नही होने दिया और चिल्लाने लगी...."क्या?अब क्या करना चाहते है,कॉन्ट्रैक्ट के मुताबिक आप मुझे नही छू सकते,मैं आपको आखिरी बार वॉर्न कर रही है,अगर आपने मेरे साथ कुछ भी ऐसा वैसे करने की कोशिश की तो मै..... हाथ खोलिए मेरा,मैं उनमें से नही हूं,जो आपकी ज्याती बर्दास्त करती रहूंगी,क्या आपको सुनाई नही दे रहा...... कनीषा के नॉनस्टॉप हिलते होंठों को घूरते हुए इशांक ने उसके हाथों को मजबूती से बांध दिया,और अगले ही पल उसके ऊपर से उठ कर जाने के लिए मुड़ा लेकिन कनिषा अभी भी कसमसाते हुए चिल्लाए जा रही थी...."मुझे बांध कर कहां जा रहे है,क्या आप मुझे कोई गुलाम समझ रहे है,,मैं खुद को अच्छी तरह प्रोटेक्ट कर सकती हूं,अगर आप मेरे करीब आए तो मैं....मैं,,,,तो मैं...आपको फिर से दांत काट लूंगी!"

कनीषा जो लगातार चिल्लाए जा रही थी,उसकी आवाज से फ्रस्टेट हो चुके इशांक ने बिना उसकी ओर पलटे ही झुंझलाते हुए कहा....."कनीषा अपनी आवाज बंद करो,ये मेरे सिर में लग रहा है!"

"नही करूंगी,जब तक आप मुझे खोल नही देते,मैं अच्छे से समझती हूं कि आप मेरे साथ क्या करना चाहते है,आपको लगता है, मैं इन सब के लिए राजी हो जाऊंगी,मेरा हाथ खोलिए फिर बताती हूं आपको"..... कनिषा ने अपनी आंखो को इशांक के पीठ पर गुरेडे बस कहना खत्म ही किया था,की तभी अचानक से इशांक पलट कर उसके चेहरे के बिल्कुल सामने झुंक गया,जिससे कनिषा एकदम से चुप होते हुए,अपनी काली घनी पलको को तेजी से झपकाने लगी,उसके चेहरे पर उभरे मासूम भाव इस वक्त ऐसे थे,मानो किसी बच्चे को बेवजह डांट पड़ी हो।।

"अगर किसी लड़के का तुम्हारे साथ कुछ करने का इरादा नही भी होगा, तब भी तुम अपनी बातों से उसे ऐसा करने पर मजबूर कर देगी,अपने दिमाग से ये ख्याल निकाल दो,क्योंकि इतनी अट्रेक्टिव नही हो की मुझे रिझा कर सको,,,और मुझसे भगाने की कोशिश मत करना,तुम्हरा इस्तमाल मेरे लिए अभी पूरा नहीं हुआ!".....इतना कहने के बाद इशांक ने कनिषा के छटपटाते शरीर पर गौर किया,और अगले ही पल उसके धीरे से उसके मुंह पर  डक टेप चिपका दिया,ताकि फिर से कनीषा की आवाज सुननी ना पड़े,,चुकीं कनिषा के हाथों को उसने कस कर बांध रखा था,इसलिए काफी कोशिशों के बाद भी कनिषा उसे खोल ना सकी,उल्टा उसकी बाह में दर्द होने लगा,आखिर में हार कर उसने मुंह से आवाज निकालना भी बंद कर दिया,और अपने अंदर स्थिरता लाते हुए इशांक के कमरे के हर एक कोने को देखने लगी,,रोने की वजह से उसका सिर भारी भारी सा हो गया था,इसलिए नींद ने धीरे धीरे उसे अपने आगोश में खींच लिया।।

दूसरी ओर इशांक भी अपनी जिंदगी में आई अचानक के इस हलचल से काफी परेशान था,,इसलिए कमरे से निकलने के बाद भी वो वहां से कहीं नही गया,बल्कि दरवाजे से ही लग कर खड़ा हो गया,काफी देर बाद जब कमरे से कनिषा के शांत होने की आभा मिली तब ही कहीं जा कर वो कमरे में वापस आया।।।

दरवाजा खोलते ही उसकी नजर कनिषा पर पड़ी, जो गहरी नींद में सोई हुई थी,दिन भर के साथ से इशांक कनिषा को इतना तो जान गया था,की कनिषा एक इम्यूचर लड़की थी,जो सिवाए शोर करने और भागने के अलावा कुछ भी नही करेगी,इसलिए कमरे में चलते हुए इशांक ने कोई आहट नही की और जा कर उससे दूर सोफे पर बैठ गया,नींद तो उसे आनी नही थी,इसलिए स्थिर बैठे वो सीलिंग को देखता रहा,,तभी उसे बेड पर से कुछ आहट महसूस हुई,जिससे उसने अपना सिर नीचे किया और बेड पर देखने लगा,हाथों को नीचे करने की कोशिश में जैसे ही कनीषा अपना हाथ खींच रही थी,चूड़ियों का शोर जैसे इशांक को अपनी ओर आने का इशारा दे रहा था।।


सोने के बावजूद भी कनिषा के माथे से सोचावट की रेखाएं घटी ना थी,उसके भाव से इशांक भी समझ रहा था की हाथ बांधने के कारण उसकी बाह में दर्द हो रहा होगा,इसलिए थोड़ा झिझक के साथ ही सही लेकिन इशांक ने उठ कर उसकी बाह खोल दी,उसके हाथ को धीरे से नीचे की ओर ले जाते हुए उसकी नजर कनिषा के बदन पर पड़ी,बेपरवाह सोते हुए उसे ये तक ध्यान नही था की,उसकी अनछुआ जिस्म इस वक्त कितना आकर्षक और बहका हुआ लग रहा था।।

इससे पहले इशांक ने कभी किसी लड़की के साथ अपना रूम शेयर नही किया था,और ना ही कभी किसी को अपने बेड तक आने का मौका दिया था,पर इस वक्त कनिषा का लोमहर्षक जिस्म उसके अनियंत्रित जज्बात  को और ज्यादा असहज कर रहा था,जिसे कंट्रोल करने की कोशिश में इशांक ने अपनी मुट्ठी कसी और अगले ही पल ब्लैंकेट को उठा कर उसके शरीर पर फेंक दिया।।

अजीब तरह के नए जज्बात से घिरे इशांक ने अपने शरीर में आग सी जलन महसूस की,जिसे पूरी तरह खत्म करने के लिए वो कनिषा से दूर हो गया।।

अगली सुबह कनिषा ने आंखे खोली तो ख़ुद को किसी और के घर में देख झट से उठ कर बैठ गई,एक पल रूम को घूरते रहने के बाद उसे याद आया की कैसे पीछे चौबीस घंटे में उसकी जिंदगी इशांक देवसिंह से जुड़ गई थी,रात की घटना याद करते हुए उनसे अपने बदन से ब्लैंकेट दूर हटाया और अपने शरीर पर कपड़े को जांचने लगी,अगले लम्हे में वो बेड से उतरी और दौड़ कर कमरे में लगे शीशे के सामने जा कर खड़ी हो गई,अपने गर्दन को इधर उधर घुमा कर उसने जांचा की कहीं इशांक ने नींद में उसके साथ कुछ गलत तो नहीं किया ना!


एक बार जब उसे तसल्ली हो गई,तो उसने पूरे रूम को सरसरी निगाह से घूरा,जब कमरे में कहीं भी इशांक ना दिखा तो,इसका फायदा उठाते हुए कनिषा कमरे से बाहर चली गई,काफी सुबह उठ जाने के कारण घर के सभी सदस्य अभी भी सो रहे थे,,,इशांक भी कहीं नजर नहीं आ रहा था,इसलिए दबे कदमों से चलते हुए,वो उस कमरे में गई जहां उसे दुल्हन बनाया गया था,वहां अभी भी उसके कपड़े,फोन और बैग रखा हुआ था,जिसे देख कनिषा का परेशान चेहरे पर कुछ राहत दिखी।।

लहंगे को उतार कर उसने अपने कपड़े पहने और फोन के साथ बैग लेकर वहां से निकलने लगी तभी अचानक उसे कुछ याद आया और उसने अपने बैग से पेन,नोटपैड और लगभग दो हजार रुपया निकाल लिया, नोटपैड पर कुछ लिखने के बाद उसने उस पन्ने को फाड़ा और पन्ने के साथ साथ दो हजार के नोट को लहंगे के ऊपर रख उसे गहने और चूड़ियों से दबा दिया।।

कमरे से निकल,चौकस निगाहों से घर के हर एक कोने पर अपनी नजर रखते हुए,वो दरवाजे तक पहुंची तो उसने पाया की वो लॉक था,,कल रात से गलत पिन कोड डालने का अंजाम वो पहले हो जान गई थी,इसलिए अपनी परिस्थिति पर झुंझला कर वो पैर पटकने ही लगी थी,की उसी पल उसकी नजर फर्श पर गिरे रिमोट कंट्रोल पर पड़ा,दौड़ कर उस रिमोट कंट्रोल को उठते हुए उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा।।

रिमोट से दरवाजे को खोलने के बाद बिना एक भी पल बर्बाद किए वो मेंशन से भाग गई,,सड़क के किनारे दौड़ते हुए उसने इतनी बार पीछे मुड़ कर देखा था की उसके गर्दन में दर्द होने लगा था,काफी लंबे समय से भूखे रहने की वजह से वो दौड़ कर लंबी दूरी तय ना कर सकी और वहीं रोड के किनारे सिमट कर बैठ गई,वहां से जॉगिंग करते एक शख्स ने कनिषा ही हालत देखी तो,उसे अपना वॉटर बोतल बढ़ाते हुए बोला....."लगता है इसकी ज्यादा  जरूरत तुम्हे है?"

आवाज सुन कनिषा ने आपकी नजरे उठाई तो देखा वहां एक नीली आंखों वाला खूबसूरत लड़का खड़ा था, शरीर में जॉगिंग सूट होने के कारण उसके मसल्स के उभार साफ नजर आ रहे थे,उसके आगे के भींगे बाल और चेहरा पर आया पसीना गवाही दे रहा था कि वो काफी देर से जॉगिंग कर रहा है,लड़का होने के बावजूद भी कनिषा उसकी खूबसूरती में खो गई,जिससे अनिक्छित ही कनिषा के मुंह से निकला....."वाव!ये कितना सुंदर है,,क्या आप गॉड मसेंजर है?मैने आज से पहले इतना खूबसूरत आदमी नही देखा!"


कनिषा की बात पर वो लड़का हंसने लगा और अपने हाथ को आगे कर कहने लगा...."नही! मैं एक डॉक्टर हूं, संस्कार।।"

"ओह! डॉक्टर हो के इतना खूबसूरत!... अह्ह्ह्हह,, आआआई,, आई एम सॉरी,मैने एक खडूस के बाद सीधे आपको देखा तो लगा जैसे एंजल सामनेईईईईई,मेरा मतलब ये नही है,आप मुझे एक बड़बोली लड़की मत समझिएगा.....कहते हुए कनिषा जैसी ही खड़ी हुई,उसका सिर चकराने लगा,शरीर अनियंत्रित तरीके से लड़खड़ाया और नजरों के आगे सब धुंधलपन में लिपट गया,सिर को झटकते हुए उसने जबरदस्ती अपनी आंखे खोलने की भी कोशिश की,लेकिन इसमें वो कामयाब ना हो सकी और बेजान तिनके के समान गिरने लगी।।

चुंकी डॉक्टर संस्कार उसके सामने ही खड़ा था,इसलिए उसने कनीषा की इजाजत लिए बैगर उसके कमर में हाथ फंसाया और उसे अपनी बाहों पर टिका कर गिरने से  रोक लिया, कनीषा आपनी अधखुली आंखों से संस्कार को देखती रही,फिर धीरे धीरे उसकी पलकें पूरी तरह बंद हो गई और वो खुद को गहरे समंद्र में गिरने जैसा महसूस करने लगी।।
_____________________

दूसरी ओर ईशांक अपने कमरे में वापस आया तो बेड पर कनिषा को ना देख,आंखो से ही कमरे का एक चक्कर लगाया,लेकिन जैसा की वो वहां से चली गई थी,उसे कनीषा के मुंह पर लगा टेप के अलवा कुछ भी ना मिला,जो उठने के बाद कनिषा ने मुंह से निकाल कर बेड पर ही चिपका दिया था,,,कनिषा को घर से निकालने के बावजूद भी,उसने अपने स्वाभिमान को अनदेखा किया और उसे वापस ले आया था,ये सोच कर की एक लड़की सर्द हवाओं के बीच सारी रात घर के बाहर कैसे रहेगी,लेकिन कनीषा के इस हरकत ने उसे फिर से निराशा में डाल दिया था,कल रात उसे घर के अंदर लाते हुए और इस वक्त भी इशांक ये बात अच्छे से जानता था की....चाहे वो उसे खुद की परछाई भी क्यों ना बना ले,वो उसे छोड़ कर ऐसे ही भाग जाएगी,जैसे उसकी मां उसके पिता को छोड़ कर चली गई थी।।

वो अभी इन सब बातों के बारे में सोच ही रहा था की तभी भागते हुए हलील कमरे में आया और उसने हांफते हुए इशांक से कहने लग....."आपने छोटी मालकिन को घर के बाहर निकाल दिया था,फिर भी उनके जेवर,चिड़िया और कपड़े उस कमरे में रखा हुआ है,और उनका पुराना सारा सामान गायब है,,मुझे लगता है उनके अंदर जिन्नात आ गया होगा, आधी रात को जिन्नात घूमते है,आपको उन्हे उस वक्त घर के बाहर नही निकालना चाहिए था,अब ना जाने जिन्नात उन्हे कहां लेकर....."

हलील कहते कहते तब खामोश हो गया जब इशांक ने अपनी बर्फ सी आंखो से उस पर एक नजर डाली,उसकी आंखो की चेतवानी को समझ,हलीला ने सिर झुकाया और वहां से जाने लगा,तभी इशांक की गहरी आवाज उसके कानो में पड़ी,जिससे रुक कर वो उसे सुनने लगा...

"मेरे रूम की सफाई कर देना और डैड की मेडिकल रिपोर्ट ले आओ,आज मैं खुद ही उन्हें हॉस्पिटल ले जाऊंगा!".....

"जी! छोटे साहब".... हलील ने जवाब में कहा और वहां से तेजी से भाग गया,उसके जाते ही इशांक ने दरवाजे पर लॉक लगाया और चेंजिंग रूम की तरफ बढ़ने लगा,फिर ना जाने क्यों उसने अपनी निगाहों को मोड़ कर बेड पर एक नजर और देखा,बेड पर बेतरतीबी से रखे ब्लैंकेट ने जैसे उसकी आंखे के आगे कल रात की सारी घटनाएं याद दिला दी,,दुल्हन के लिबास में कनिषा का दिलकश चेहरा उसकी आंखो में बस गया था, जो चाह कर भी वो अपने दिमाग से बाहर नहीं निकल पा रहा था,हालंकि जल्दी ही उसे अपने दिमाग के सोच पर हैरानी हुई और अपने सिर को झटका देते हुए वो रेडी होने चला गया।।।

रेडी हो कर वो नीचे हॉल में जाने लगा था की उसी पल उसकी नजर उस कमरे में पड़ी, जहां कनिषा ने अपने दुल्हन के जोड़े को उतार रखा था,पहले उसने उस पर कोई ध्यान नही दिया,लेकिन जब वो सीढ़ियों तक पहुंचा,अचानक उसने अपने कदमों को उस कमरे की ओर मोड़ लिया,कमरे के अंदर दाखिल होते ही उसकी नजर सोफे पर रखी उसकी पहनाई हर एक चीज पर पड़ी,जो कनिषा ने यूं ही उतार कर फेंक दिया था,यहां तक कि उसने उसके नाम की मंगलसूत्र को भी पहने रखना गवारा नहीं किया था,माथे की सिंदूर को उसने टिस्सू पेपर से पोंछ कर फर्श पर ऐसे फेंक दिया था,जैसे इन सब का उसके पास कोई मोल ही नही था।।

कनिषा से इन सब के अलावा दूसरा कुछ उम्मीद ना होते हुए भी,ना जाने क्यों इशांक को बुरा लगा,,अपने दिल के भीतर से वो कनिषा को यहां क्यों देखना चाहता था, उसके पास भी इसका कोई जवाब नही था,आगे बढ़ उसने कनीषा के जोड़े को उठाया तो दो हजार का नोट और के छोटा पेपर नीचे फर्श पर गिर गया,उन्हे उठाते हुए इशांक ने पेपर पर लिखे कनिषा के शब्दो को अपने मन में ही पढ़ा, जो जल्दबाजी में कनिषा ने कुछ यूं लिखा था....."जो दो हजार का नोट वहां पड़ा है,वो रात भर का रेंट है आपके रूम का,आप मुझे आधी रात के बाद रूम में लाए थे, इसलिए किसी होटल में घंटे के हिसाब से पांच घंटे का इतना ही होता है,अब मेरे सिर पर बस छः करोड़ का कर्ज है,वो भी मैं चुका दूंगी...और एक बात,भले ही आपने मुझसे शादी कर ली है,लेकिन मैं कभी भी आपको अपना हसबेंड नही मानूंगी,और मेरे पीछे आने या ढूढने की कोशिश मत कीजिएगा,क्योंकि मेरे लिए आप सिवाए घमंडी, इमोश्नलेस सीईओ के अलावा कुछ भी नही है,मैं आपके सोच से भी ज्यादा नफरत करती हूं आपसे,, अच्छे से अलविदा कहने के लायक आपने कोई काम नही किए है,,इसलिए जहन्नुम में चले जाइएगा,,और आपने कहा की मैं सुंदर नही हूं,खुद की सकल देखी है,मोनोनीकस डायनासोर जैसे लगते है आप,,एरोगेंट टिनमैन!!"....