nakl ya akl-56 in Hindi Fiction Stories by Swati books and stories PDF | नक़ल या अक्ल - 56

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नक़ल या अक्ल - 56

56

धोखा

 

अब उसके बापू ने किशोर को घूरते हुए कहा, “तू बता रहा है सच या मैं बताओ?” उसने कोई ज़वाब  नहीं दिया, फिर लक्ष्मण दास खुद ही बोल पड़े, “ठीक है, अगर तू नहीं बता रहा तो मैं बता देता हूँ।“

 

अब उन्होंने सबको देखते हुए कहा,  “बैंक में  दो लाख  साठ  हज़ार  रुपए  थें,  इसने मेरे हस्ताक्षर किये और रुपए निकाल लिए। फिर कुछ घंटो बाद, यह फिर वही रुपए जमा कराने आ गया। अब उन दो  लाख में से कुछ इसकी शादी और खेतों के लिए पाइप खरीदने में खर्च हो गए। अब पूछे  कोई इससे इसने ऐसा क्यों किया ।“ यह सुनते ही सरला उसे झंझोरकर कहा,  “क्यों बे!!! तेरा बापू सही कह रहा है?” वह कुछ नहीं बोला तो उसने ज़ोर से कहा, “मैं तुझसे कुछ पूछ रही हूँ।“  उसने उसकी बाजू हिलाते  हुए कहा तो किशोर ने गहरी सांस छोड़ी और बोला,

 

यह सब मुझे आप लोगों की वजह से करना पड़ा।

 

तू  कहना क्या  चाहता है ? सरला फिर चिल्लाई ।

 

अब उसने गुस्से में  कहा, “आप मेरी और राधा  की शादी बिना दहेज़ के करने के लिए मान ही नहीं रहें थें और राधा के बापू दहेज़ नहीं दे पा  रहें थें, वे हमारा रिश्ता तोड़कर दूसरी जगह करने को तैयार हो गए थें। मैं राधा की शादी  किसी अपाहिज  से नहीं होने दे सकता था।“ राधा ने यह सुना तो उसकी आँखों  में  आँसू  आ गए।

 

हद हो गई, सब दहेज़ माँगते  है, हमने कौन सा कुछ अलग़  माँग लिया।

 

 आप नन्हें के लिए उधारी की बात सोच  सकते हैं तो क्या मेरी शादी मेरी पसंद की लड़की से नहीं करवा सकते हैं।

 

“पता नहीं, इस लड़की ने तेरे पर जादू कर   दिया है। तेरे लिए लड़कियों  की कोई कमी  थी क्या?” सरला चिल्लाई । राधा अब रोते हुए अपने कमरे में  चली  गई।  किशोर ने माँ को घूरा, मगर कहा  कुछ नहीं। लक्ष्मण  प्रसाद तो वही  सिर  पकड़कर बैठ  गए। मगर सरला का बोलना ज़ारी  है, “इसका  मतलब  तू  उन्हें  ख़ुद ही कहकर आया कि  हम कोई दहेज़ नहीं चाहिए।“

 

“हाँ, मैं उन्हें कहकर आया हूँ।“ यह सब सुनकर, सरला का मन किया कि वह भी एक चाटा उसके मुँह पर लगा दें, मगर उसने अपने गुस्से पर काबू पा लिया। “अब जा, उसे उसके घर छोड़कर आ, जब तक उसके बापू  दो लाख न दे दें, तब तक उसे वापिस मत लाना।“

 

इससे पहले किशोर  कुछ बोलता, नन्हें बोल पड़ा, “भाभी कहीं नहीं जाएगी।“ सरला ने उसे घूरा तो वह अपनी  माँ को समझाता  हुआ बोला, “इस दहेज़ ने कितनी लड़कियों की जान ले ली है। आपको भगवान  क्या इसलिए लड़के देता है कि आप उन्हें बेच सको।“

 

बेटा! यह दुनिया की रीत है।

 

यह एक गैर  कानूनी  हरकत है माँ, दहेज़ लेंने वालो के खिलाफ सरकार ने कानून बना रखा  है। अगर भाभी  के परिवार  वाले चाहे तो दहेज़  की माँग  करने पर हम  लोगों  को जेल  भी भिजवा सकते हैं।

 

यह शहर नहीं है बेटा।

 

मगर अब गॉंव भी शहर से जुड़ चुके  हैं। भाई, सही कह रहें  है कि अगर आप दहेज़ न माँगते  तो शादी सादगी से कर लेते। जो पैसा राधा भाभी के बापू  ने शादी पर लगाया, वह  अपनी बेटी  के नाम जमा  करवा देते और हमारे पैसे भी बच जाते। किशोर ने नन्हें को कृतज्ञ  भरी नज़रों  से देखा, मगर सरला का गुस्सा अभी शांत  नहीं हुआ।

 

इसका मतलब हमें कुछ नहीं मिलने वाला!!!

 

“माँ  मेरी  नौकरी  लग जाने दो, आपको जो चाहिए, मैं आपको लाकर  दूंगा और दहेज़ तो मैं भी नहीं लेने वाला । यह बात आप ध्यान रखें।“ उसकी माँ ने आँगन में रखी, चारपाई  को ज़ोर से पटका और गुस्से में  उस पर बैठते हुए बड़बड़ाने लगी। नन्हें घर से बाहर  चला गया और किशोर अपने कमरे में  चला गया। उसने रोती  हुई  राधा  को अपने गले लगा लिया। उसने रोते  हुए कहा, “तुम्हें  ऐसा नहीं करना  चाहिए था, अब सब मुझसे नफरत करेंगे।“ “पगली, कोई नफरत नहीं करेगा, नन्हें ने सब  संभाल  लिया है।“ “फिर भी, आपने झूठ क्यों बोला?” “मैं तुझे किसी  और की नहीं होने दे सकता था।“

 

नन्हें गुमसुम सा नदी के किनारे बैठा हुआ है, तभी वहाँ पर  रिमझिम आ जाती है। उसे ऐसे उदास बैठा देखकर वह उससे, उसकी वजह पूछती है, वह भी उसको सब बता देता है, वह उसके पास में  बैठते हुए बोलती है, “यह दहेज़ तो दीमक की तरह हमारे समाज को खाता जा रहा है। मेरी माँ के साथ भी ऐसा ही हुआ है।“ उसने भी अब अपनी आपबीती बता दी। नन्हें ने सुना तो हैरान  हो गया। “उस दिन सोना  राजवीर के साथ फिल्म देखने, नीमवती मौसी का पता पूछने के लिए ही गई थीं, हालांकि  मैंने मना भी किया था पर उसका मन भी फिल्म देखने का था तो मैंने कुछ नहीं कहा।“ अब नन्हें  की त्योरियाँ  चढ़  गयी।

 

तुम सोना से नाराज़ हो न ? रिमझिम ने पूछा।

 

ऐसा कुछ नहीं है, उसने मुँह बनाकर ज़वाब  दिया।

 

आजकल वो भी बहुत परेशान  है?

 

क्यों ? उसे क्या हुआ ? अब उसने निर्मला की कहानी भी उसे सुना दी।

 

मुझे उस दिन कोई गड़बड़ लग तो रही थीं। उस कमीने सुनील को तो जेल पहुंचा  देना चाहिए।

 

उसके बापू तो अब भी सुनील को सही समझ रहें है।

 

पता नहीं, ये समाज कब लड़कियों  का साथ देगा, कब उन्हें  बोझ समझना बंद करेगा। कहने को हम चाँद पर चले गए है।

 

निहाल!!! इस धरती  पर एक  समाज  ऐसा है, जो जमीन में  धंसा  हुआ है। और मैं तुम बदकिस्मती  से उसी ज़मीन पर पैदा हो गए हैं । वरना  उत्तर  भारत या फिर मेट्रो  सिटी में देखो  तो वहाँ  लड़कियॉँ  अपने हक़ के लिए आवाज उठाती है, उनके माँ बाप भी लालची  लड़के वालों  को अच्छे से ज़लील  करते हैं। “

 

तुम सही कह रही हूँ, शायाद पश्चिम भारत  में  बुरा  हाल है, यहाँ  जातपात,  दहेज़, शादी में  भात  के नाम पर पैसे लेने की कुप्रथा अभी तक चल रही  है।

 

और देखो !!! यहाँ आज तक कन्यादान शब्द का प्रयोग  किया जाता है, बल्कि उत्तरभारत या मेट्रो  सिटी में चले जाओ तो वहां पर लोग सगन या शगुन कहकर शादी के लिफाफे  देते हैं। यहाँ का भारत उग तो रहा है, मगर अदरक की तरह।

 

इस देश में ऐसी सोच रखने वाले लोग रहें है, तभी तो हम, अब तक विकासशील देशो में गिने जा रहें हैं। खैर!! छोड़ो, हम दुनिया को तो बदल नहीं सकते, मगर कम से कम ख़ुद तो एक बेहतर इंसान बन सकते हैं। रिमझिम ने हाँ में सिर हिलाया। 

 

तुम्हारा बैंक के क्लर्क की पोस्ट वाला पेपर कब है? कम से कम तुम्हारा पेपर तो लीक  न हो। 

 

मैं कोई एग्जाम नहीं दे रही।

 

पर क्यों ? वह हैरान है। 

 

मैंने अपने लिए कुछ और सोच लिया है।  निहाल ने रिमझिम की तरफ देखा तो उसे उसकी आँखों  में एक गज़ब का आत्मविश्वास नज़र आया।