Devil se Mohhabat - 12 in Hindi Love Stories by aruhi books and stories PDF | Devil se Mohhabat - 12

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Devil se Mohhabat - 12

और डिनर खत्म होते ही  ,,,,विवेक ,अपने कमरे की तरफ जाने लगता है ,,,,कि तभी विधि जल्दी से खाना फिनिश कर वह दौड़ते हुए,,,,,,विवेक के पीछे जा ,,,,,विवेक का हाथ पकड़ लेती है

और वही विवेक ,,,,,विधि का रिएक्शन देख,,,,,,क्या है विधि,,,,छोड़ो मेरा हाथ ,,,,क्या कर रहे हो

जिसे सुन विधि मुस्कुराते हुए ,,,,,अरे कुछ नहीं चलो ना मेरे साथ ,,,,मुझे काम है यह कह ,,,,,वह  विवेक का हाथ पकड़ टेररिस्ट पर ले जाती है,,,,, 

और वही विवेक  विधि को घूरते हुए,,,,,विधि तूम मुझे टेरिस पर क्यों  ले कर आई हो,,,,कहीं मुझे छत से गिरा कर,,, मारने का इरादा तो नहीं है

  जिसे सुन विधि अपने मन मे, ,,,,,मैं क्यों शादी से पहले विधवा होना चाहूंगी ,,,,,, इस बुद्धू को कौन बताया ,,,,,कि मैं यहां इसके साथ वन नाइट स्टैंड बनाने आई हूं  ,,,, जिससे विधि,,,विवेक की बात को टालने की कोशिश करते हुए ,,,,  वह मुस्कुराते हुए,,, विवेक चांद देखो,,कितन प्यारा लग रहा है

जिसे सुन की विवेक पागल हो गई हो ,,,,,यह क्या चांद प्यारा  लग रहा है,,,,,,,तो मैं क्या करूं ,,,,,,तुम्हें प्यारा लग रह रहा है ,,,,,,तो देखते रहो पूरी रात ,,,,खड़ी होकर,,,,और मुझे जाने दो ,,,,,,मैं तो सोने,,,क्योंकि मुझे चांद ,,,कोई प्यार नहीं लग रहा,,,,,यह कहे,,,विवेक वहां से जाने लगता है,, क्योंकि विवेक समझ गया था , ,,,,कि जरूर विधि की दिमाग में,,,कुछ खिचड़ी पक रही है ,, 

जिसे सुन विधि अरे मैं अकेली यहां पूरी रात खड़ी होकर क्या करूंगी ,,,,,,अरे इससे भी तो मेरे साथ  खड़ा होना पड़ेगा,,,,,,वरना वन नाइट स्टैंड कैसे होगा,,,,,,यह कह दौड़ते हुए,,,,,वह विवेक का हाथ पकड़,,,,,दोबारा ,,,,,नहीं  तुम भी मेरे साथ यहीं रहोगे

 क्या-क्या पागल हो ,,,,अच्छा ठीक है कितनी देर रहना है 

जिसे सुन विधि मुस्कुराते हुए,,,,पूरी रात

जिसे सुन विवेक,,हैरान होते हुए ,,,,पर क्यों पूरी रात छत पर क्या ,,,,तुम ठंड से मारना चाहती हो,,,,चलो विधि ,,,,चलो अब,,, ,विवेक विधि का हाथ पकड़ उसे नीचे की तरफ ले जाने लगता है,,,, 

मुझे नहीं जाना विवेक,,,,मुझे यही रुकना है,,,,पूरी रात वह भी अकेले नहीं,,,,तुम्हारे साथ,,,,,,और हम पूरी रात खड़े रहेंगे,,, 

जिसे सुन विवेक ,,,,विधि को घूरते हुए,,,,क्या तुम पागल हो गई हो ,,,,,तुम्हें कौन सा भूत सवार हो गया,,,,चलो अभी चलो,,,, 

विवेक तुम तुम्हें इतना भी नहीं पता ,,,,,कि मैं यहाँ क्यों कर रही हो ,,,,,तुमसे ज्यादा तो मैं समझदार हूं,,,,,,,तुमसे सच में पूरे नासमझ हो ,,,प्यार के मामले में ,,,,,, तुम्हें कुछ भी नहीं पता,,,,,, ,, एक मैं हूं , ,,,तुमसे शादी करने के लिए ,,,क्या कुछ नहीं कर रही ,,,और तुम

जिसे सुन विवेक  विधि को जबरदस्ती नीचे ले जा रहा था,,,,वह अपनी पकड़ विधि के हाथों पर लूज कर,,,,,पीछे मुड़ विधि को देखता है,,,,,,जो गुस्से से उसी को घूर रही थी 

पता नहीं क्यों लेकिन अब विवेक को बहुत अजीब लग रहा था,,,,,,पता नहीं क्यों ,,,,,,लेकिन विवेक को ऐसा लग रह रहा था ,,,,,,,,कि जरूर इस वक्त विधि के दिमाग में कोई,,, बहुत बड़ी खिचड़ी पक रही है ,,,, जिसका शायद अब तक रायता भी बन चुका है

जिससे विवेक अपनी कंफ्यूजन को दूर करते हुए,,,,,,मैं समझा नहीं विधि ,,तुम्हारे कहने का मतलब ,,,,,यहां पूरी रात खड़े होने से प्यार का क्या वास्ता,,,,,,और और तुम पर अभी प्यार का भुत उतरा नहीं,,, 

जिसे सुन विधि क्या तुम्हें सच में नहीं पता चला ,,,,,,सच में बुद्धू हो बुद्धू तुम ,,,

,,कहते हो कि तुम मुझसे 10 साल बड़े हो ,,,,,फिर भी तुम्हें कुछ भी नहीं पता ,,,,,यह कहे विधि अपना मुंह फुला पीछे मुड़ जाती है

जिसे सुन विवेक अपना मुंह टेढ़ा करते हुए ,,,,,,हां हां तुम बड़ी समझदार हो ना ,,,,,,और फिर अपने मन मे ,,,,,,,

तभी तो तुम कल रात मुझे समझ,,,,, विवेक को किस कर लिया ,,,,तुम्हें क्या लगा ,,,,कि मुझे कुछ पता नहीं चलेगा ,,,,,मुझे पता चल गया था ,,,,,,,कि  जरूर तुम कुछ घोटाला करोगी,,,,,,,इसीलिए तो मैं विराज से जीद कर ,,,,,,,उसे अपने कमरे में रहने को कहा था ,,,,

और तुम पर नजर रख रहा था ,,,,,,लेकिन तुम्हें रात को अपने कमरे में जाता देख ,,,,,मैं और भी पक्का हो गया था,,,,,,,लेकिन मुझसे पूछो ,,,,,,जब तुम विराज को किस की थी ,,,,, तब समझा,,,कि तुम्हारे दिमाग में क्या चल रहा था,,,,,,तो मुझे किस करना चाहती थी ,,,

यह लड़की नहीं सुतरेगी यार ,,,,,अगर विराज को पता चल गया ,,,, की विधि क्या कर रही है,,,,,,,तो सच में इसका तो पता नहीं   ,,,विराट मुझे नहीं छोड़ेगा

और वही विधि पीछे विवेक की तरफ देखते हुए ,,,,,,तुम कुछ बोल क्यों नहीं रहे,,,, 

 और वही विवेक ,,,विधि की आवाज सुन,,,,,,अपने सोच से बाहर आता है ,,,,,और फिर विधि की तरफ देखते हुए ,,,,,,विधि अपना बचपना छोड़ो,,,,और नीचे चलो ,,,,,अगर तुम्हें नहीं जाना तो ठीक है     मैं ही जा रहा हूं ,,,तो खड़ी रहो यहां पूरी रात अकेले,,,,यह कह विराज वहां से जाने लगता है,    

की तभी उसे विधि की आवाज आती है,,,,,,जिसे सुन विवेक की रोगते खड़े हो जाते हैं,,,,,,और वह पीछे पलट एक टक विधि को घूरने लगता है

 अरे ऐसे कैसे तुम मुझे अकेला छोड़ कर जा सकते हो,,,,,,,, अगर तुम मुझे छोड़कर चले गई ,,,,,तो हमारी वन नाइट  स्टैंड कैसे बनेगी ,,,,,मुझे नहीं पता विवेक ,,,,,तुम कहीं नहीं जाओगे,,,,,,वापस आओ,,,,, और मेरे साथ वन नाइट स्टैंड मनावो,,,और क्यों,,,,,,,सब कुछ,, मैं ही करो ,,,,तुमसे शादी करने के लिए,, , 

उसका इतना ही कहना था विवेक को तो जैसे करंट लग गय गया हो ,,,,,,उसका पूरा शरीर अकड़ गया था ,,,,,और उसके दिमाग में सिर्फ एक ही शब्द गुज रहा था ,,,,,,,मुझे तुम्हारे साथ वन नाइट स्टैंड बनाना है,,,,,,,जिसे सोचते हुए वह ,,,,आब भी,,,,विधि को घूरे जा रहा था

,, की तभी  विवेक को एहसास होता है ,,,,कि कोई इसका हाथ पकड़ रहा है,,,,,इसका एहसास पा,,,,विवेक सामने देखता है तो ,,,,,विधि उसका हाथ पकड़ ,,,,,उसे अपने साथ वहां ले जाती है,,,,जहां वह कुछ देर पहले खड़े थे,,,  

और फिर उसी तरह विवेक को,,, पकड़े हुए,,,,देखो विवेक,,,,,तुम्हें पूरी रात मेरे साथ ही खड़ा रहना होगा,,,,,,मुझे नहीं पता,,,,,,देखो अब तो मैं तुम्हें बता भी दिया है,,,,,,,कि मुझे तुम्हारे साथ वन नाइट स्टैंड बनाना है,,,,,,,तो अब तुम मेरा पूरा साथ दो,,,, और यही खड़े रहो,,,,जब तक मैं खड़ी रहूगी,,, 

आज के लिए बस इतना तो देखते हैं कि विवेक का कैसा रिएक्शन होगा और वहां क्या कभी विधि को समझ पाएग

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आज के लिए बस इतना