वरदान विला...
अरव ने रोनित के मदद से लकड़ियों के बने ढेर पर आग जलाई और अलाव जल उठे फिर ढोल नगाड़े बजने शुरू हुआ.....
बुआ जी ने अपने पति के साथ जलती हुई अलाव कि पूजा कि फिर अरव और अरुल उसके बाद बुआ जी के दोनों बेटे बहू पूजा किया फिर बारी बारी से सभी मेहमानों ने पूजा कर लाई रेवड़ी मूंगफली तिल अलाव में फेंककर पूजा किया...
बुआ जी बोली " अरव चलो अपने वोटी के साथ गिधा पाओ ...
अरव ने कहा " हम तो अपने स्टाइल में गिधा पाएंगे बुआ जी और अरुल को देखा तो अरुल अपने फैमिली के साथ बैठी थी...
अरव के आंखों पर चमक आई और अरुल के पास जाकर अरुल के हाथ पकड़कर खींचा और अलाव के आसपास डांस करते हुए गाने लगा ..
सजदे किये हैं लाखों
लाखों दुआयें मांगी
पाया है मैंने फिर तुझे
चाहत की तेरी मैंने
हक में हवाएं मांगी
पाया है मैंने फिर तुझे
तुझसे ही दिल ये बहला
तू जैसे कलमा पहला
चाहू ना फिर क्यों मैं तुझे
जिस पल ना चाह तुझको
उस पल सजाये मांगी
पाया है मैंने फिर तुझे
(अरुल भी आज खुश होकर अरव के साथ डांस करते गाना गाते मस्त थी लेकिन आएशा ये देखकर चिढ़ने लगी थी और सोचने लगी " अरुल जितना खुश होना है होते रहो जब तुम्हें तुम्हारे सच्चाई पता चलेगी तो क्या करोगी , तुम्हारा ये अरव तुम्हें खुद धक्के मारकर निकाल देगा इस घर से !! )
*हो सजदे किये हैं लाखों
लाखों दुआएं मांगी
पाया है मैंने फिर तुझे
जाने तू सारा वो दिल में
जो मेरे हो पढ़ ले तू आँखे हर दफ़ा
हो जाने तू सारा वो दिल में
जो मेरे हो पढ़ ले तू आँखे हर दफ़ा
हाँ नखरे से नाजी भी
होते है राजी भी
तुझसे ही होते है खफा
जाने तू बाते सारी
कटती है राते सारी
जलते दिए सी अनबुझे
उठ उठ के रातो को भी
तेरी वफाये मांगी
पाया है मैंने फिर तुझे
ओ.. सजदे किये हैं लाखों
लाखों दुआए मांगी
पाया है मैंने फिर तुझे
चाहत के काजल से
किस्मत के कागज़ पे
अपनी वफायें लिख ज़रा
हाँ चाहत के काजल से
किस्मत के कागज़ पे
अपनी वफायें लिख ज़रा
बोले ज़माना यूँ मैं
तेरे जैसी हूँ
तू भी तो मुझसा दिख ज़रा
मेरा ही साया तू है
मुझ में समाया तू है
हर पल ये लगता है मुझे
खुद को मिटाया मैंने
तेरी बलाए मांगी
पाया है मैंने फिर तुझे
ओ चाहे तू चाहे मुझको
ऐसी अदाए मांगी
पाया है मैंने फिर तुझे..
गाना का एंडिंग होने को था और सभी परिवार वाले आकर गोल गोल घुमाते हुए डांस करने लगे थे,बुआ जी खुश थी अरव और अरुल को देखकर दोनों साथ में बहुत अच्छे लग रहे थे ....
आएशा हाथ खींच कर अरुल को ले गई सबके बीच में से , यहां लोग थोड़े थक चुके थे इसलिए सब अब खटिया पर बैठे और बातचीत करने लगे अरव भी मेहमानों के साथ बातचीत में बिजी हो गया था और गुरु चरण जी के साथ शशांक और बुआ जी बातचीत में लगे रहे ..
दूसरी ओर...
टैरिस पर आएशा अरुल को लेकर आई और बोली " तुम जानती हो अरुल मैं तुम्हें यहां क्यों लाई हुं ..??
अरुल को अच्छा फिलिंग नहीं हो रहा था इस समय क्योंकि आएशा का मिजाज को देखकर वो पहले से जिद्दी थी और कुछ दिनों से ज्यादा ही जिद्दी हो गई थी इसलिए और अरुल आएशा के कोई बात नहीं सुनना चाहती थी वो बोली" दी देखो अगर आप अरव के बारे में बोलने वाली हो तो प्लीज़ मेरी बात सुनो और समझों कि अरव और मेरी शादी हो चुकी है और हम अच्छे से एक दूसरे को समझ रहे हैं , इसलिए आप बीच में मत आओ ...
हाहाहाहाहा....अरुल ..अरुल तुम किस दुनिया में हो अरुल अभी जो मैं बताऊंगी उसे सुनकर तुम्हारी वजुद ही नहीं बचेंगी , आएशा हंसकर बोली
अरुल आएशा को हंसते देखकर चुपचाप से देखने लगी आएशा को ...
आएशा मुस्कुरा बोली " अच्छा मुझे बताओ तुम्हारी पहचान क्या है .. हूम्म, क्या तुम शशांक राजवंश कि बेटी हो , क्या सबूत है कि तुम शशांक राजवंश कि बेटी हो हूम्म..??
अरुल गुस्सा गई और चीखकर बोली " दी ..आप कैसी बहकी-बहकी बातें कर रही हो शशांक राजवंश हम दोनों कि डैड है ...
ग़लत....वो चीखकर बोली,"ग़लत है ये अरुल सच ये है कि तुम एक नजायज औलाद हो जिसे मेरे डैड ने तुम्हें अपना नाम दिया और पहचान दिया है..!!
नहईईईईईईई...अरुल दोनों कानों पर हाथ रखकर चीखी फिर बोली सिसकते हुए " नहीं दी झूठ बोल रही हो आप है ना आपको अरव चाहिए तो ठीक है पर झूठ मत बोलो प्लीज़ शशांक राजवंश मेरे डैड है , हां यही सच है आप चिढ़ कर बोली है मुझसे है ! ना...
आएशा अरुल के करीब आई और दोनों बांहों को झकझोर कर बोली " झूठ नहीं है ये सच है अरुल ,सच है ये तुमको शशांक राजवंश ने जन्म नही दिया है बस पाला पोसा है सच्चाई जानना है तो जाओ मेरे डैड से पूछो , आज मुझे सच उसी ने तो बताया है , तुम नजायज हो अरुल नजायज हो ,वो बोलकर वहां से जाने लगी अरुल को रोते हुए छोड़ कर...
अरुल चिल्ला कर बोली " नहीं .. नहीं ऐसा नहीं हो सकता मैं नजायज नहीं हुं....
इधर अरव कि नजरें अरुल को ढूंढने लगी और आसपास देखा लेकिन वो कहीं नहीं दिखाई दिया तो उसे भी बेचैनी महसूस हुआ और घर अंदर ढूंढते आया" अरुल ..अरुल ..बेबी कहां हो तुम जल्दी सामने आ जाओ प्लीज़ ..
आएशा नीचे अपने डैड के पास आई और डैड को बोली " डैड मुझे कुछ जरूरी काम याद आ गई है इसलिए जा रही हुं आप टेंशन मत लेना ,वो बोलकर निकल गई....!!
अरव इधर घर में लगभग सभी जगह देख लिया था और फिर नीचे गया गार्डन एरिया में...
इधर अरुल जमीन पर अपने दोनों घुटनों को बांहों में लपेटकर बैठी थी और रोते हुए अपने बचपन के खट्टे-मीठे पल को याद करने लगी ,जब वो आएशा से हारने लगती थी तो डैड उसको हिम्मत दिलाने के लिए खड़े होते थे और उसकी तरफदारी करते थे , कैसे जब अरुल पहली बार स्कूल गई थी तो अपने डैड को भी स्कूल में बैठने के लिए खींच रही थी ,आज तक डैड उस दिन को याद करके हंसते थे और अरुल शरमा कर डैड से गले लग जाती थी, ऐसे बहुत से मोमेंट याद आ रही थी अरुल को ...
मेहमान भी एक एक करके जाने लगे थे अरव को मेहमान घेर लेते थे बात करने को वो चाहकर भी नहीं बोल पा रहा था आप जाओ मुझे मेरी बीवी को ढूंढना है ...
कुछ देर बाद शशांक भी बुआ जी और उसके हसबैंड से बिदा मांगे घर जाने के लिए और अरुल को शशांक कि नज़र ढूंढी पर अरुल कहीं भी नजर नहीं आई तो वो समझा बिजी होगी घर में मेहमान है सोचकर और वो चले गए ...
अरुल रोते रोते थकी हारी सी बैठे बैठे जमींन पर ही लेट गई और कब यादों में खोए हुए नींद के आगोश में चली गई पता ही नहीं चला ....
मेहमान सभी चले गए तो बुआ कि फैमिली भी थके होने के कारण अपने अपने कमरे में चले गए , और अरव अपने कमरे में आया तो देखा अभी तक अरुल नहीं आई है वो परेशान हो गया और आखिरी बचा था टैरिस वो दौड़कर आया तो अरुल जमीन पर सोई है वो डर गया कि क्या कोई हादसा हुआ है अरुल के साथ , सोचकर कि सांसें फूलने लगी और धड़कन तेज हो गया वो दौड़कर आया चीखते हुए " अरु...ल !! वो वहीं बैठ गया जाकर और जल्दी से अरुल को गोद में उठाकर पूछने लगा अरुल के गाल थपथपाते हुए "अरुल... बेबी उठो क्या हुआ तुम्हें , अरुल मुझे बताओ क्या हुआ ,अरव के चेहरे पर हैरानी के साथ टेंशन आ गई थी आंखों में बेचारगी महसूस कर रहा था अरुल को ऐसे देखकर ...
शेष अगले भाग में....
सॉरी लेट कहानी अपलोड करने के लिए 🙏